बाइबल की समस्त पुस्तकों की सामग्री को, उसके लेखों के विषयों तथा बातों को
पाँच मुख्य श्रेणियों में बाँटा जा सकता है। हर पुस्तक में हर श्रेणी से संबंधित कुछ
लिखा हो, यह आवश्यक नहीं; किन्तु सभी पुस्तकों की बातों को इन पाँच श्रेणियों में से
किसी एक में अवश्य रखा जा सकता है।
ये श्रेणियाँ हैं:
1. इतिहास – बाइबल की बातों और लोगों से संबंधित इतिहास; जैसे
कि उत्पत्ति की पुस्तक के आरंभ में सृष्टि का इतिहास है। शमूएल, राजाओं, इतिहास की
पुस्तकों में इस्राएल के राजाओं और उनके कार्यों का इतिहास है। नए नियम में प्रेरितों
के काम में प्रथम मँडली के बनाए जाने और संसार भर में फैलने का इतिहास है।
2. व्यवस्था या नियम – परमेश्वर द्वारा अपने लोगों के मार्गदर्शन
और पालन के लिए दिए गए नियम, पर्व, विधि-विधान आदि जो पुराने नियम की पहली पाँच पुस्तकों
में दिए गए हैं।
3. जीवनियाँ – बाइबल के मुख्य पात्रों के जीवनों और कार्यों का
वर्णन विभिन्न पुस्तकों में दिया गया है। प्रभु यीशु मसीह के जन्म, जीवन, कार्य, शिक्षा,
मृत्यु, पुनरुत्थान, और स्वर्गारोहण नए नियम की पहली चार पुस्तकों में दिया गया है।
4. भविष्यवाणियाँ – सम्पूर्ण बाइबल में आरंभ से लेकर अंत तक,
स्थान-स्थान पर परमेश्वर के कार्यों और उसके लोगों से संबंधित अनेकों भविष्यवाणियाँ
दी गई हैं। उत्पत्ति की पुस्तक में ही, मनुष्य के पाप में गिरने के साथ ही, पाप के
समाधान और निवारण के मार्ग की भविष्यवाणी परमेश्वर ने दे दी थी। नए नियम की अंतिम पुस्तक
का अंत परमेश्वर के लोगों का अनन्तकाल तक परमेश्वर के साथ परम-आनंद में रहने की भविष्यवाणी
के साथ होता है।
प्रभु यीशु मसीह के जन्म, जीवन, कार्य, मृत्यु,
पुनरुत्थान आदि की सभी बातों की भविष्यवाणियाँ पुराने नियम में प्रभु से हजारों से
लेकर सैकड़ों वर्ष पहले लिखी गई थीं, और वे सभी सटीक पूरी हुई हैं। आज तक कभी भी कोई
भी बाइबल की भविष्यवाणियों को गलत अथवा झूठी प्रमाणित नहीं कर सका है। परमेश्वर ने
जो कहा है, वो हुआ है, और जैसा कहा है, वैसा ही हुआ है, चाहे लिखे जाने के समय, या
पूरा होने से पहले, पढ़ने और सुनने में वह असंभव ही क्यों न लगता हो।
पुराने नियम की पुस्तकों में कुछ विशिष्ट
भविष्यद्वक्ताओं की पुस्तकें हैं, जो उनके लेखकों के नाम से जानी जाती हैं; जैसे कि
यशायाह, यिर्मयाह, यहेजकेल, दानिय्येल, होशे, मलाकी, आदि। इन पुस्तकों में परमेश्वर
ने अपने नबियों के द्वारा अपने लोगों को उनके पापों, परमेश्वर से भटक जाने, सांसारिकता
में फँस जाने आदि के बारे में बताया, चेतावनियाँ दीं, और अनाज्ञाकारिता के परिणामों
की चेतावनियाँ दीं, जो अपने समय पर पूरी भी हुईं; साथ ही भविष्य में होने वाली बातों
के बारे में भी बताया, जो अपने समयानुसार पूरी भी हुईं, हो रही हैं, और जगत के अंत
के समय पूरी होंगी। कुछ पुस्तकें, जैसे कि योना, नहूम, ओबद्याह नबियों की पुस्तकें,
गैर-यहूदियों, या अन्यजातियों के विषय परमेश्वर की चेतावनियाँ और भविष्यवाणियाँ हैं।
5. शिक्षाएं – मनुष्य के पापों से पश्चाताप करने और उद्धार पाने,
फिर परमेश्वर की इच्छानुसार जीवन बिताने, परमेश्वर के बारे में सीखने, परमेश्वर को
क्या पसंद है और किस से वह अप्रसन्न होता है, अपने लोगों से वह क्या चाहता है, उन्हें
अपने आप को उसके स्वर्गीय राज्य के लिए किस प्रकार तैयार करना और रखना है, आदि सभी
बातें बाइबल की सभी पुस्तकों में विभिन्न संदर्भों, उदाहरणों, पात्रों के जीवनों और
कार्यों, नैतिक शिक्षाओं, आदि के द्वारा दी गई हैं।
बाइबल की पुस्तकों की सामग्री सामान्य लेखों,
कविताओं, परमेश्वर की स्तुति और आराधना के भजनों, नैतिक शिक्षाओं के लघु कथनों आदि
के रूप में है। आज हम बाइबल की पुस्तकों को अध्यायों और पदों या आयतों में विभाजित
देखते हैं। उनके मूल स्वरूप और लेखों में अध्यायों और पदों का यह विभाजन नहीं था। इसीलिए
नए नियम में जहाँ पर भी पुराने नियम की पुस्तकों को उद्धत किया गया है, उनके हवाले
से कोई बात कही गई है, तो हम कभी भी पुस्तक के लेखक के नाम के अतिरिक्त किसी अध्याय
या पद की संख्या को नहीं पाते हैं। आज हम जो बाइबल की पुस्तकों का अध्यायों और पदों
में विभाजन देखते हैं, वह किसी भी वाक्य अथवा कथन तक सरलता से पहुँचने, या उसे दूसरों
को बताने के लिए सरल करने के उद्देश्य से किया गया था। आज जिस विभाजन को सामान्यतः
स्वीकार किया और जिसका पालन किया जाता है, वह इंग्लैंड में कैन्टरबरी के आरचबिशप स्टीफन
लैंगटन की विभाजन पद्धति के अनुसार है। बिशप लैंगटन ने यह पद्धति 1227 ईस्वी में दी,
और 1382 ईस्वी में प्रकाशित वाइकलिफ़ अंग्रेजी बाइबल इसे प्रयोग करने वाली पहली बाइबल
थी। इस पद्धति के अंतर्गत जब बाइबल की किसी भी पुस्तक का कोई हवाला देना होता है तो
पहले पुस्तक का नाम, फिर अध्याय और फिर वह पद लिखा जाता है जहाँ पर वह बात है। उदाहरण
के लिए, यूहन्ना 3:16 से तात्पर्य है यूहन्ना की पुस्तक, उसका तीसरा अध्याय और उसका
16वां पद। यदि कोई लंबा खंड बताना होता है तो उस खंड के आरंभिक और अंतिम पदों को लिखा
जाता है; यूहन्ना 3:16 – 4:6 का अर्थ है यूहन्ना
3 अध्याय के 16वें पद से लेकर 4 अध्याय के 6 पद तक का खंड विचार या प्रयोग के लिए है।
बाइबल पाठ:
भजन 119:160 – तेरा सारा वचन सत्य ही है; और तेरा एक एक धर्ममय नियम सदा काल तक अटल है।
नीतिवचन
30:5 – ईश्वर का एक एक वचन
ताया हुआ है; वह अपने शरणागतों की ढाल ठहरा है।
एक साल में बाइबल:
- भजन 63-65
- रोमियों 6
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