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रविवार, 3 नवंबर 2013

जल

   मंगल ग्रह पर पानी ढूँढने के लिए अमेरिका ने लाखों डॉलर खर्च कर दिए हैं। कुछ समय पहले अमेरिकी अन्तरिक्ष संस्था, नासा ने दो रोबोट उपग्रह, मंगल ग्रह पर उतारे, यह जानने के लिए कि वहाँ पानी है या कभी था कि नहीं। अमेरिका ऐसा क्यों कर रहा है? जो वैज्ञानिक उन दोनों रोबोट उपग्रहों से आने वाले आँकड़ों का अध्ययन कर रहें हैं, वे पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं कि मंगल पर कभी जीवन था कि नहीं; एवं वरतमान में संभव है कि नहीं। जीवन के लिए जल का होना अनिवार्य है, अगर पहले वहाँ जल था तो जीवन भी होने की संभावना है और यदि जल अब भी है तो आगे भी वहाँ जीवन को कायम रखना संभव हो पाएगा।

   लगभग दो हज़ार वर्ष पहले भी दो जन इस्त्राएल स्थित सामारिया के इलाके में जल की खोज में थे। उन में से एक वहीं के गाँव कि एक स्त्री थी और दूसरा गलील के इलाके का एक पुरुष था। उन दोनों की भेंट सुखार नामक एक गाँव के निकट एक कुएँ पर हुई। उस मुलाकात के दौरान उन दोनों में एक वार्तालाप हुआ, जिससे उस पुरुष अर्थात प्रभु यीशु मसीह को वह मिला जो वह ढूँढ रहा था और उस स्त्री को अनन्त जीवन का वह जल मिल गया जिसके, और जिसकी आवश्यकता के बारे में उसे पहले पता भी नहीं था (यूहन्ना 4:5-15)।

   जल आत्मिक और शारीरिक दोनों ही जीवनों के लिए अनिवार्य है। उस स्त्री के लिए प्रभु यीशु मसीह के पास एक अनेपक्षित आश्चर्य था - अनन्त जीवन का जल, अर्थात स्वयं प्रभ यीशु में विश्वास। आत्मिक जीवन के लिए प्रभु यीशु ही वह निर्मल, स्फूर्तिदायक और ताज़गी देने वाला जल है जो अपने पर विश्वास लाने वालों के जीवन को नया कर देता है, अनन्त स्वर्गीय जीवन का अधिकारी बना देता है (यूहन्ना 4:14)।

   क्या आज आप किसी ऐसे को जानते हैं जो जीवन के जल के लिए प्यासा है? कोई ऐसा जिसकी आत्मा की प्यास इस संसार से बुझ नहीं पा रही है? उसका परिचय जीवन के जल, प्रभु यीशु मसीह से करवाईए; आत्मा की प्यास केवल उस जीवन जल से ही बुझ सकती है। - डेव ब्रैनन


केवल प्रभु यीशु जो जीवन जल है आत्मा की प्यास बुझा सकता है।

यीशु ने उन से कहा, जीवन की रोटी मैं हूं: जो मेरे पास आएगा वह कभी भूखा न होगा और जो मुझ पर विश्वास करेगा, वह कभी प्यासा न होगा। - यूहन्ना 6:35

बाइबल पाठ: यूहन्ना 4:1-15
John 4:1 फिर जब प्रभु को मालूम हुआ, कि फरीसियों ने सुना है, कि यीशु यूहन्ना से अधिक चेले बनाता, और उन्हें बपतिस्मा देता है। 
John 4:2 (यद्यपि यीशु आप नहीं वरन उसके चेले बपतिस्मा देते थे)। 
John 4:3 तब यहूदिया को छोड़कर फिर गलील को चला गया। 
John 4:4 और उसको सामरिया से हो कर जाना अवश्य था। 
John 4:5 सो वह सूखार नाम सामरिया के एक नगर तक आया, जो उस भूमि के पास है, जिसे याकूब ने अपने पुत्र यूसुफ को दिया था। 
John 4:6 और याकूब का कूआं भी वहीं था; सो यीशु मार्ग का थका हुआ उस कूएं पर यों ही बैठ गया, और यह बात छठे घण्टे के लगभग हुई। 
John 4:7 इतने में एक सामरी स्त्री जल भरने को आई: यीशु ने उस से कहा, मुझे पानी पिला। 
John 4:8 क्योंकि उसके चेले तो नगर में भोजन मोल लेने को गए थे। 
John 4:9 उस सामरी स्त्री ने उस से कहा, तू यहूदी हो कर मुझ सामरी स्त्री से पानी क्यों मांगता है? (क्योंकि यहूदी सामरियों के साथ किसी प्रकार का व्यवहार नहीं रखते)। 
John 4:10 यीशु ने उत्तर दिया, यदि तू परमेश्वर के वरदान को जानती, और यह भी जानती कि वह कौन है जो तुझ से कहता है; मुझे पानी पिला तो तू उस से मांगती, और वह तुझे जीवन का जल देता। 
John 4:11 स्त्री ने उस से कहा, हे प्रभु, तेरे पास जल भरने को तो कुछ है भी नहीं, और कूआं गहिरा है: तो फिर वह जीवन का जल तेरे पास कहां से आया? 
John 4:12 क्या तू हमारे पिता याकूब से बड़ा है, जिसने हमें यह कूआं दिया; और आप ही अपने सन्तान, और अपने ढोरों समेत उस में से पीया? 
John 4:13 यीशु ने उसको उत्तर दिया, कि जो कोई यह जल पीएगा वह फिर प्यासा होगा। 
John 4:14 परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूंगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा: वरन जो जल मैं उसे दूंगा, वह उस में एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा। 
John 4:15 स्त्री ने उस से कहा, हे प्रभु, वह जल मुझे दे ताकि मैं प्यासी न होऊं और न जल भरने को इतनी दूर आऊं।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 30-31 
  • फिलेमोन


शनिवार, 2 नवंबर 2013

मूँह

   मैं अपने कुछ मित्रों के साथ बातें करते हुए मार्ग पर चल रहा था कि अचानक ही मुझे ठोकर लगी और मैं मूँह के बल गिर पड़ा। मुझे गिरने के बारे में ज़्यादा तो स्मरण नहीं है पर इतना स्मरण है कि मेरा मूँह सड़क की गन्दगी और मिट्टी से भर गया। उफ! कितना बुरा स्वाद था, मैं तुरंत ही अपनी चोट की परवाह करने से पहले ही अपने मूँह को साफ करने और गन्दगी को बाहर निकाल देने के प्रयासों में लग गया, लेकिन वह बुरा स्वाद बहुत देर तक मेरे मूँह में बना रहा और मुझे परेशान करता रहा। जो तब मेरे मूँह में गया, उससे मुझे कोई आनन्द तो कतई नहीं मिला, लेकिन अपने मूँह की रखवाली करना मैंने अवश्य सीख लिया।

   मूँह में जो जाता है हम उसके बारे में तो सचेत रहते हैं, और हमें रहना भी चाहिए, नहीं तो कोई हानिकारक पदार्थ हमारे अन्दर जा सकता है, लेकिन परमेश्वर का वचन बाइबल हमें बताती है कि जो मूँह से बाहर आता है, उसके प्रति हमें और भी अधिक सचेत रहना चाहिए। जब बाइबल में नीतिवचन के लेखक ने लिखा: "बुद्धिमान ज्ञान का ठीक बखान करते हैं, परन्तु मूर्खों के मुंह से मूढ़ता उबल आती है" (नीतिवचन 15:2), तो जो शब्द हिन्दी में ’उबल’ अनुवादित हुआ है उसका मूल भाषा में अर्थ है "प्रचण्ड वेग से बाहर आना"। मूँह से निकली बात वापस नहीं ली जा सकती और अविवेकपूर्ण दोषारोपण, क्रोध भरे शब्द, गाली बकना आदि मूँह से बाहर आने वाली वो बातें हैं जो बेहिसाब और जीवन भर के लिए हानि पहुँचा सकती हैं।

   प्रेरित पौलुस ने इसके बारे में बड़ी स्पष्टता से कहा: "कोई गन्‍दी बात तुम्हारे मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के लिये उत्तम हो, ताकि उस से सुनने वालों पर अनुग्रह हो" (इफिसियों 4:29)। इससे पहले वह कहता है कि कोई झूठ नहीं केवल सच मूँह से निकले (पद 25) और फिर इसके आगे कहता है, "सब प्रकार की कड़वाहट और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्‍दा सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए" (इफिसियों 4:31), अर्थात किसी के चरित्र पर कोई लांछन ना लगाया जाए। जो भी हमारे मूँह से बाहर आए वह हितकर और प्रेरक होना चाहिए।

   जो हमारे मूँह में जाता है उसकी तो हम उसके अन्दर जाने से पहले भली-भांति जाँच परख करते हैं, और यह उचित भी है। लेकिन जो मूँह से बाहर आता है क्या उसके प्रति भी हम उतने ही चिंतित और परखने वाले रहते हैं जबकि बाहर आने वाले के प्रति तो हमें और भी अधिक कड़ा नियंत्रण रखना चाहिए। हमारे मसीही जीवन और गवाही तथा हमारे द्वारा हमारे तथा समस्त संसार के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु की महिमा के लिए यह अनिवार्य है कि हम अपने मूँह से बाहर आने वाली बातों के प्रति अति संवेदनशील एवं सचेत रहें और बहुत नाप-तोल कर ही कोई बात मूँह से बाहर आने दें। - डेव एग्नर


अपने मन के विचारों के प्रति सावधान रहें - वे कभी भी शब्द बनकर मूँह से बाहर आ सकते हैं।

इस कारण झूठ बोलना छोड़कर हर एक अपने पड़ोसी से सच बोले, क्योंकि हम आपस में एक दूसरे के अंग हैं। - इफिसियों 4:25

बाइबल पाठ: नीतिवचन 15:1-7
Proverbs 15:1 कोमल उत्तर सुनने से जलजलाहट ठण्डी होती है, परन्तु कटुवचन से क्रोध धधक उठता है। 
Proverbs 15:2 बुद्धिमान ज्ञान का ठीक बखान करते हैं, परन्तु मूर्खों के मुंह से मूढ़ता उबल आती है। 
Proverbs 15:3 यहोवा की आंखें सब स्थानों में लगी रहती हैं, वह बुरे भले दोनों को देखती रहती हैं। 
Proverbs 15:4 शान्ति देने वाली बात जीवन-वृक्ष है, परन्तु उलट फेर की बात से आत्मा दु:खित होती है। 
Proverbs 15:5 मूढ़ अपने पिता की शिक्षा का तिरस्कार करता है, परन्तु जो डांट को मानता, वह चतुर हो जाता है। 
Proverbs 15:6 धर्मी के घर में बहुत धन रहता है, परन्तु दुष्ट के उपार्जन में दु:ख रहता है। 
Proverbs 15:7 बुद्धिमान लोग बातें करने से ज्ञान को फैलाते हैं, परन्तु मूर्खों का मन ठीक नहीं रहता।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 27-29 
  • तीतुस 3


शुक्रवार, 1 नवंबर 2013

स्वच्छ

   मुझे एक व्यावसायिक कार्य से फिलेडेल्फिया जाना पड़ा, और मैं रोज़ प्रातः ब्रॉड स्ट्रीट से सिटी हॉल अपनी ट्रेन पकड़ने के लिए जाता था। रोज़ ही मुझे मार्ग में एक लंबी कतार में खड़े लोग दिखाई देते थे; वे उम्र, संसकृति, रूप-रंग, वेश-भूषा आदि में विभिन्न प्रकार के थे। तीन दिन तक उनके बारे में अचरज करने के बाद आखिर मैंने सड़क के किनारे खड़े एक व्यक्ति से उन लोगों के वहाँ पंक्तिबद्ध खड़े होने के बारे में पूछ ही लिया। उस व्यक्ति ने मुझे बताया कि पंक्ति में खड़े वे सभी लोग अपराधी हैं और कानून तोड़ने के जुर्म में जेल में डाले गए हैं, किंतु किन्हीं कारणों से उन्हें कुछ समय के लिए जेल से बाहर रहने की अनुमति मिली हुई है। अपने बाहर रहने के समय में इन लोगों को प्रति दिन आकर अपनी जाँच करवानी होती है कि वे फिर से किसी नशीले पदार्थ के सेवन या अन्य किसी अपराध में पड़ने से मुक्त हैं कि नहीं।

   यह मेरे लिए एक शक्तिशाली उदाहरण था परमेश्वर के सम्मुख अपने आप को आत्मिक रीति से स्वच्छ रखने की अनिवार्यता का। परमेश्वर के वचन बाइबल में जब भजनकार इस बात पर मनन कर रहा था कि वह परमेश्वर के सामने कैसे स्वच्छ रहे, तो उसका निश्कर्ष था कि परमेश्वर के वचन पर मनन करने और उसके आज्ञाकारी रहने के द्वारा: "मैं ने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि तेरे विरुद्ध पाप न करूं। हे यहोवा, तू धन्य है; मुझे अपनी विधियां सिखा! मैं तेरी विधियों से सुख पाऊंगा; और तेरे वचन को न भूलूंगा" (भजन 119:11-12, 16)।

   परमेश्वर के वचन की ज्योति ना केवल हमारे पापों को हम पर प्रकट करती है वरन उन पापों के निवारण के लिए हमें परमेश्वर के प्रेम भरे उपाय, प्रभु यीशु को भी दिखाती है: "यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है" (1 यूहन्ना 1:9)। परमेश्वर के वचन का उद्देश्य हमें दोषी ठहराकर हमारी निन्दा करना और हमें ग्लानि से भरना नहीं है, वरन अनन्त काल के दोष और ग्लानि से छुड़ाकर हमें आशीशित और स्वच्छ करना है। क्या आप परमेश्वर के वचन की आज्ञाकारिता के द्वारा आत्मिक रीति से स्वच्छ रहने के प्रयास में रहते हैं? - डेविड मैक्कैसलैंड


बुद्धिमान बनने के लिए बाइबल पढ़ें, सुरक्षित रहने के लिए बाइबल पर विश्वास करें, स्वच्छ रहने के लिए बाइबल के आज्ञाकारी रहें।

धर्मी अपने मुंह से बुद्धि की बातें करता, और न्याय का वचन कहता है। उसके परमेश्वर की व्यवस्था उसके हृदय में बनी रहती है, उसके पैर नहीं फिसलते। - भजन 37:30-31

बाइबल पाठ: भजन 119:9-16
Psalms 119:9 जवान अपनी चाल को किस उपाय से शुद्ध रखे? तेरे वचन के अनुसार सावधान रहने से। 
Psalms 119:10 मैं पूरे मन से तेरी खोज मे लगा हूं; मुझे तेरी आज्ञाओं की बाट से भटकने न दे! 
Psalms 119:11 मैं ने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि तेरे विरुद्ध पाप न करूं। 
Psalms 119:12 हे यहोवा, तू धन्य है; मुझे अपनी विधियां सिखा! 
Psalms 119:13 तेरे सब कहे हुए नियमों का वर्णन, मैं ने अपने मुंह से किया है। 
Psalms 119:14 मैं तेरी चितौनियों के मार्ग से, मानों सब प्रकार के धन से हर्षित हुआ हूं। 
Psalms 119:15 मैं तेरे उपदेशों पर ध्यान करूंगा, और तेरे मार्गों की ओर दृष्टि रखूंगा। 
Psalms 119:16 मैं तेरी विधियों से सुख पाऊंगा; और तेरे वचन को न भूलूंगा।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 24-26 
  • तीतुस 2


गुरुवार, 31 अक्टूबर 2013

अनपेक्षित

   जाने माने अमेरीकी अखबार, वॉशिंगटन पोस्ट के एक लेखक ने लोगों द्वारा पहचाने जाने के बारे में एक परीक्षण किया। उस लेखक ने एक बहुत प्रसिद्ध वायलिन वादक को राष्ट्रीय राजधानी के एक रेलवे स्टेशन पर एक प्रातः कुछ समय के लिए वायलिन बजाने को कहा। हज़ारों लोग उस वादक के सामने से निकल गए, केवल कुछ ही ने रुक कर उसका वायलिन वादन सुना, और लगभग 45 मिनिट के इस परीक्षण में कुल मिलाकर 32 डॉलर ही लोगों ने उसकी झोली में डाले। केवल दो दिन पहले ही यही वादक - जोशुआ बेल ने उसी 35 लाख डॉलर कीमत के वायलिन को बजाते हुए एक संगीत सभा में कार्यक्रम दिया था जहाँ उसका वायलिन वादन सुनने के लिए लोगों ने 100 डॉलर प्रति सीट का टिकिट खरीदा था और माँग इतनी थी कि सभी टिकिट बिक गए थे।

   किसी व्यक्ति का महान होते हुए भी पहचाने ना जाने कोई नयी बात नहीं है। यही प्रभु यीशु के साथ भी हुआ। प्रेरित यूहन्ना ने प्रभु यीशु के सम्बंध में उसकी जीवनी में लिखा: "वह जगत में था, और जगत उसके द्वारा उत्पन्न हुआ, और जगत ने उसे नहीं पहिचाना" (यूहन्ना 1:10)। जबकि उस समय के यहूदी लोग अपने मुक्तिदाता मसीहा की प्रतीक्षा में थे, फिर भी उन्होंने प्रभु यीशु के प्रति इतनी उदासीनता क्यों दिखाई? एक कारण था कि लोग मसीहा की आशा तो रखते थे किंतु विश्वास नहीं, इसलिए प्रभु यीशु का आगमन उनके लिए वैसे ही सर्वथा अनेपक्षित था, और वह भी एक गौशाला में जन्म लेने के द्वारा, जैसे लोग यह कलपना में भी नहीं सोच सकते कि इतना प्रसिद्ध वायलिन वादक एक रेलवे स्टेशन पर खड़े होकर वायलिन बजाता हुआ मिलेगा। अपने मुक्तिदाता के रूप में उन लोगों की अपेक्षा एक राजनैतिक नेता की थी जो उन्हें रोमी साम्राज्य से छुड़ाकर यहूदी राज्य पुनः स्थापित करके दे। वे एक आत्मिक व्यक्ति की तथा स्वर्ग के राज्य की बात करने वाले मसीहा की बाट तो कतई नहीं जोह रहे थे, जो आकर उनसे पापों की क्षमा और पश्चाताप की बात कहे।

   प्रथम ईसवीं के यहूदी लोगों की आँखें, परमेश्वर द्वारा प्रभु यीशु के इस पृथ्वी पर भेजे जाने के उद्देश्य के प्रति बिलकुल बन्द थीं; वे जगत के उद्धारकर्ता की उम्मीद में नहीं थे। लेकिन परमेश्वर का उद्देश्य प्रभु यीशु द्वारा कोई सांसारिक राज्य या सांसारिक गुट बनाने का ना तब था ना अब है। प्रभु यीशु केवल इसलिए आए कि संसार के सभी लोग अपने पापों से मुक्ति और उद्धार का मार्ग पा सकें (यूहन्ना 1:29), और आज भी उनके अनुयायियों द्वारा यही सुसमाचार प्रचार किया जाता है - संसार के राजनैतिक नेता का नहीं वरन सारे जगत के उद्धारकर्ता पर विश्वास द्वारा पापों की क्षमा और सेंत-मेंत उससे मिलने वाले उद्धार का।

   परमेश्वर का यह वरदान आपके लिए अनेपक्षित तो हो सकता है, लेकिन है अति अनिवार्य, और इस संसार से कूच करने के बाद फिर कभी उपलब्ध भी नहीं होगा। यदि आपने आज तक परमेश्वर के इस वरदान को ग्रहण नहीं किया है तो आज ही, अभी ही इसे ग्रहण कर लीजिए - सच्चे पश्चातापी मन से निकली एक छोटी प्रार्थना, "हे प्रभु यीशु मेरे पाप क्षमा कीजिए और मुझे अपनी शरण में ले लीजिए" आपके जीवन को, पृथ्वी के भी और पृथ्वी के बाद के भी, बदल देगी। - सी. पी. हिया


परमेश्वर ने मानव इतिहास में प्रभु यीशु के रूप में प्रवेश किया, जिससे संसार में सभी को अनन्त जीवन का वरदान मिल सके।

दूसरे दिन उसने यीशु को अपनी ओर आते देखकर कहा, देखो, यह परमेश्वर का मेम्ना है, जो जगत के पाप उठा ले जाता है। - यूहन्ना 1:29

बाइबल पाठ: यूहन्ना 1:6-13
John 1:6 एक मनुष्य परमेश्वर की ओर से आ उपस्थित हुआ जिस का नाम यूहन्ना था। 
John 1:7 यह गवाही देने आया, कि ज्योति की गवाही दे, ताकि सब उसके द्वारा विश्वास लाएं। 
John 1:8 वह आप तो वह ज्योति न था, परन्तु उस ज्योति की गवाही देने के लिये आया था। 
John 1:9 सच्ची ज्योति जो हर एक मनुष्य को प्रकाशित करती है, जगत में आने वाली थी। 
John 1:10 वह जगत में था, और जगत उसके द्वारा उत्पन्न हुआ, और जगत ने उसे नहीं पहिचाना। 
John 1:11 वह अपने घर आया और उसके अपनों ने उसे ग्रहण नहीं किया। 
John 1:12 परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। 
John 1:13 वे न तो लोहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 22-23 
  • तीतुस 1


बुधवार, 30 अक्टूबर 2013

झूठ का पिता

   मानवजाति पर शैतान का प्रभाव आरंभ हुआ उसके द्वारा हमारे आदि माता-पिता, आदम और हव्वा के मनों को परमेश्वर के विरुद्ध फेरने से। उसने उनसे यह परमेश्वर के बारे में झूठ बोलकर, तथा उनके मनों को इस झूठ पर विश्वास कर लेने के लिए बरगला कर संभव किया। शैतान ने अदन की वाटिका में आदम और हव्वा से परमेश्वर की भलाई, उसके वचन तथा उनके लिए उसकी भली योजनाओं के बारे में झूठ बोला (उत्पत्ति 3:1-6), और वे उसकी बातों पर विश्वास कर बैठे, पाप में गिर गए, जिसका प्रभाव आज भी मानव जाति पर बना हुआ है।

   शैतान आज भी यही हथकंडा हमें पाप में फंसाने और गिराने के लिए अपनाता है। प्रभु यीशु ने शैतान के विषय में कहा कि, "...वह तो आरम्भ से हत्यारा है, और सत्य पर स्थिर न रहा, क्योंकि सत्य उस में है ही नहीं: जब वह झूठ बोलता, तो अपने स्‍वभाव ही से बोलता है; क्योंकि वह झूठा है, वरन झूठ का पिता है" (यूहन्ना 8:44)। इसलिए यह कोई अनोखी बात नहीं है कि जैसे ही हम किसी परेशानी या विपरीत परिस्थिति में पड़ते हैं तो तुरंत ही शैतान हमारे कानों में परमेश्वर तथा हमारे प्रति परमेश्वर के प्रेम तथा देखभाल के विरुद्ध फुसफुसाना आरंभ कर देता है, और हमें उकसाता है कि हम परमेश्वर के विरुद्ध चलने लगें, उसपर सन्देह करने लगें। जब हम से परमेश्वर के वचन पर बने रहने को कहा जाता है, तो शैतान हमें परमेश्वर के वचन की सत्यता पर ही सन्देह करने को उकसाता है। जब प्रभु यीशु हमें कहता है कि हम पृथ्वी पर धन अर्जित ना करें (मत्ती 6:19), तो शैतान हमें कहता है कि पृथ्वी की धन-संपदा के बिना जीवन का आनन्द कहाँ, ज़िन्दगी के मज़े लेने हैं तो धन तो जमा करना ही पड़ेगा, ऐसे नहीं तो वैसे। वह हमें परमेश्वर की देखभाल और भलाई की योजनाओं पर सन्देह करवा कर निन्यान्वे के फेर में डाल देता है, जहाँ हम जायज़-नाजायाज़ सभी तरीकों से सांसारिक धन अर्जित करने में फंस जाते हैं, परमेश्वर से दूर हो जाते हैं और चाहे पृथ्वी पर धनी हो जाएं लेकिन स्वर्ग में कंगाल हो जाते हैं।

   हमारी समस्या यह है कि हम आदम और हव्वा ही के समान शैतान से बात करने लगते हैं, उसकी बातों में आ जाते हैं और उसके झूठ पर विश्वास करने लगते हैं। जैसे ही हम ऐसा करते हैं, वैसे ही परमेश्वर के प्रति अपनी वफादारी के साथ समझौता कर बैठते हैं, विश्वास से गिर जाते हैं; और शत्रु शैतान हमारा उपहास करते हुए अपने इसी पुराने हथियार द्वारा कोई नया शिकार करने की तलाश में निकल पड़ता है। हम पड़े रह जाते हैं पाप में गिरने से उत्पन अपनी दुर्दशा पर पश्चाताप करने, और इस बात के लिए दुखी होने के लिए कि हमने शैतान की बातों में आकर अपने सच्चे मित्र और वास्तविक शुभचिंतक पर अविश्वास किया, उससे दूर हो गए।

   ज़रा विचार कीजिए, आप किस की आवाज़ सुनने में लगे हुए हैं? कहीं उस झूठ के पिता ने आपको तो सच्चे परमेश्वर के विमुख नहीं कर दिया? - जो स्टोवैल


शैतान के झूठ की ताकत का एकमात्र तोड़ परमेश्वर के वचन का सत्य है।

परन्तु मैं डरता हूं कि जैसे सांप ने अपनी चतुराई से हव्‍वा को बहकाया, वैसे ही तुम्हारे मन उस सीधाई और पवित्रता से जो मसीह के साथ होनी चाहिए कहीं भ्रष्‍ट न किए जाएं। और यह कुछ अचम्भे की बात नहीं क्योंकि शैतान आप भी ज्योतिमर्य स्वर्गदूत का रूप धारण करता है। सो यदि उसके सेवक भी धर्म के सेवकों का सा रूप धरें, तो कुछ बड़ी बात नहीं परन्तु उन का अन्‍त उन के कामों के अनुसार होगा। 
 - 2 कुरिन्थियों 11:3, 14-15 

बाइबल पाठ: यूहन्ना 8:37-47
John 8:37 मैं जानता हूं कि तुम इब्राहीम के वंश से हो; तौभी मेरा वचन तुम्हारे हृदय में जगह नहीं पाता, इसलिये तुम मुझे मार डालना चाहते हो। 
John 8:38 मैं वही कहता हूं, जो अपने पिता के यहां देखा है; और तुम वही करते रहते हो जो तुमने अपने पिता से सुना है। 
John 8:39 उन्होंने उन को उत्तर दिया, कि हमारा पिता तो इब्राहीम है: यीशु ने उन से कहा; यदि तुम इब्राहीम के सन्तान होते, तो इब्राहीम के समान काम करते। 
John 8:40 परन्तु अब तुम मुझ ऐसे मनुष्य को मार डालना चाहते हो, जिसने तुम्हें वह सत्य वचन बताया जो परमेश्वर से सुना, यह तो इब्राहीम ने नहीं किया था। 
John 8:41 तुम अपने पिता के समान काम करते हो: उन्होंने उस से कहा, हम व्यभिचार से नहीं जन्मे; हमारा एक पिता है अर्थात परमेश्वर। 
John 8:42 यीशु ने उन से कहा; यदि परमेश्वर तुम्हारा पिता होता, तो तुम मुझ से प्रेम रखते; क्योंकि मैं परमेश्वर में से निकल कर आया हूं; मैं आप से नहीं आया, परन्तु उसी ने मुझे भेजा। 
John 8:43 तुम मेरी बात क्यों नहीं समझते? इसलिये कि मेरा वचन सुन नहीं सकते। 
John 8:44 तुम अपने पिता शैतान से हो, और अपने पिता की लालसाओं को पूरा करना चाहते हो। वह तो आरम्भ से हत्यारा है, और सत्य पर स्थिर न रहा, क्योंकि सत्य उस में है ही नहीं: जब वह झूठ बोलता, तो अपने स्‍वभाव ही से बोलता है; क्योंकि वह झूठा है, वरन झूठ का पिता है। 
John 8:45 परन्तु मैं जो सच बोलता हूं, इसीलिये तुम मेरी प्रतीति नहीं करते। 
John 8:46 तुम में से कौन मुझे पापी ठहराता है? और यदि मैं सच बोलता हूं, तो तुम मेरी प्रतीति क्यों नहीं करते? 
John 8:47 जो परमेश्वर से होता है, वह परमेश्वर की बातें सुनता है; और तुम इसलिये नहीं सुनते कि परमेश्वर की ओर से नहीं हो।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 20-21 
  • 2 तीमुथियुस 4


मंगलवार, 29 अक्टूबर 2013

मीठा और स्वादिष्ट

   हाँलांकि मेरी पकाने की कला कुछ खास विकसित नहीं है, फिर भी मैं कभी-कभी एक अच्छा केक बना लेता हूँ, जबकि केक में पड़ने वाले सामान और उन के परस्पर के अनुपात का मुझे कुछ पता नहीं है। मैं तो बस पहले सही अनुपात में मिला कर डब्बे में बन्द करके बेचे गए केक के पाउडर को लेता हूँ, उसमें निर्देशानुसार अण्डे, घी और पानी डाल कर अच्छे से फेंट लेता हूँ और फिर उस मिश्रण को पकाने वाले डब्बे में डाल कर तन्दूर में निर्धारित समय के लिए रख देता हूँ; कुछ ही समय में मीठा और स्वादिष्ट केक तैयार हो जाता है!

   यह मुझे सिखाता है कि सही अनुपात में सही सामग्री का एक साथ होना तथा उनके उपयोग के लिए सही निर्देशों का मिलना और उनका पालन करना एक अच्छे परिणाम के लिए कितना आवश्यक है। इस से मुझे प्रभु यीशु द्वारा दी गई सबसे महान आज्ञा (मत्ती 22:36-38) और सुसमाचार प्रचार के लिए महान सेवकाई (मत्ती 28:19-20) के बीच का संबंध समझने में भी सहायता मिलती है।

   जब प्रभु यीशु ने अपने चेलों से कहा कि वे जाकर सारे संसार में सुसमाचार प्रचार करें और लोगों को चेला बनाएं, तो उन्होंने इस कार्य के करने में चेलों को किसी अशिष्ट व्यवहार या बेपरवाह होने की कोई छूट नहीं दी। प्रभु द्वारा, सुसमाचार प्रचार कि आज्ञा देने से पहले चेलों के सामने सबसे बड़ी आज्ञा को रखना - कि वे परमेश्वर से अपने सारे मन, प्राण और बुद्धि के साथ प्रेम रखें और इसके साथ ही यह कहना कि साथ ही वे अपने पड़ौसी से अपने समान प्रेम रखें (मत्ती 22:37-39) उनकी नज़र में परमेश्वर और मनुष्यों के प्रति व्यवहार के परस्पर तालमेल की अनिवार्यता को दिखाता है। परमेश्वर के वचन बाइबल के संपूर्ण नए नियम खण्ड में हम प्रभु यीशु द्वारा दिए गए व्यवहार के इसी नमूने को अनेक स्थानों पर भिन्न रीति से व्यक्त किया हुआ पाते हैं, प्रेम के अध्याय 1 कुरिन्थियों 13 में भी।

   दूसरों के साथ प्रभु यीशु में समस्त संसार के सभी लोगों के लिए सेंत-मेंत मिलने वाली पापों की क्षमा और उद्धार के सुसमाचार को जब हम संसार के लोगों के साथ बाँटते हैं, तो हमें भी इसी नमूने और इसकी दोनों मुख्य ’सामग्रियों’, सुसमाचार की सच्चाई तथा आवश्यकता एवं परमेश्वर द्वार सृजे गए संसार के सभी लोगों के लिए परमेश्वर के प्रेम का प्रगटिकरण, के एक साथ होने और सही अनुपात में होने का विशेष ध्यान रखना चाहिए; साथ ही यह ध्यान भी रखना चाहिए कि इन्हें ठीक रीति से पकाना केवल परमेश्वर के प्रेम की गर्मी से ही संभव है। यदि सामग्री सही होगी, सही अनुपात में होगी और प्रभु यीशु के निर्देशानुसार प्रयोग करी जाएगी तो, नतीजा भी मीठा और स्वादिष्ट होगा। - डेविड मैक्कैसलैंड


उन्हीं की साक्षी सबसे प्रभावी होती है जो अपने जीवन से परमेश्वर के प्रेम और सुसमाचार की साक्षी देते हैं।

पर मसीह को प्रभु जान कर अपने अपने मन में पवित्र समझो, और जो कोई तुम से तुम्हारी आशा के विषय में कुछ पूछे, तो उसे उत्तर देने के लिये सर्वदा तैयार रहो, पर नम्रता और भय के साथ। - 1 पतरस 3:15

बाइबल पाठ: मत्ती 22:34-39; मत्ती 28:16-20
Matthew 22:34 जब फरीसियों ने सुना, कि उसने सदूकियों का मुंह बन्‍द कर दिया; तो वे इकट्ठे हुए। 
Matthew 22:35 और उन में से एक व्यवस्थापक ने परखने के लिये, उस से पूछा। 
Matthew 22:36 हे गुरू; व्यवस्था में कौन सी आज्ञा बड़ी है? 
Matthew 22:37 उसने उस से कहा, तू परमेश्वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख। 
Matthew 22:38 बड़ी और मुख्य आज्ञा तो यही है। 
Matthew 22:39 और उसी के समान यह दूसरी भी है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख। 

Matthew 28:16 और ग्यारह चेले गलील में उस पहाड़ पर गए, जिसे यीशु ने उन्हें बताया था। 
Matthew 28:17 और उन्होंने उसके दर्शन पाकर उसे प्रणाम किया, पर किसी किसी को सन्‍देह हुआ। 
Matthew 28:18 यीशु ने उन के पास आकर कहा, कि स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है। 
Matthew 28:19 इसलिये तुम जा कर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रआत्मा के नाम से बपतिस्मा दो। 
Matthew 28:20 और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्‍त तक सदैव तुम्हारे संग हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 18-19 
  • 2 तीमुथियुस 3


सोमवार, 28 अक्टूबर 2013

क्या मैं?

   हाल ही मैं मैने अपने एक मनपसन्द भजन, भजन 131 को एक बार फिर पढ़ा। इस छोटे से, केवल तीन पद वाले भजन को पहले मैं इस बात को मानने के लिए प्रोत्साहित करने वाला समझता था कि रहस्यमय बातें परमेश्वर के चरित्र का एक अंग हैं। पहले यह भजन मुझे शांत बने रहने के लिए उकसाता था, क्योंकि जो कुछ परमेश्वर इस सृष्टि में कर रहा है वह मेरी समझ के बाहर है और मैं इस विषय में परेशान रहने से इन बातों को समझ तो सकता नहीं। लेकिन अब की बार इस भजन को पढ़ने से मेरे समक्ष भजनकार दाऊद की शांत आत्मा का एक अन्य पहलु सामने आया: ना केवल मैं यह समझ पाने में असमर्थ हूँ कि परमेश्वर सृष्टि में क्या कर रहा है वरन मैं वह भी समझ पाने मे असमर्थ हूँ जो परमेश्वर मेरे जीवन में कर रहा है; और ना ही प्रयास करने से कुछ बनने वाला है।

   दाऊद इस भजन में एक समानता का उल्लेख करता है, एक दूध छुड़ाया बच्चा जो पहले बेचैन रहता था लेकिन अब उसे समझ है कि माँ की सुरक्षा होते हुए उसे किसी बात के लिए बेचैन रहने की आवश्यकता नहीं है और एक व्यक्ति जिसने भी यही पाठ सीख लिया है कि परमेश्वर में बने रहने के बाद बेचैन रहने और फड़फड़ाने की कोई आवश्यकता नहीं है। अब यह भजन मेरे लिए हर परिस्थिति में और हर बात के लिए परमेश्वर पर भरोसा बनाए रख कर दीनता, धीरज और सहनशीलता सीखने की बुलाहट है, चाहे उन बातों के लिए परमेश्वर के कारण मेरी समझ में आएं अथवा ना आएं, क्योंकि ईश्वरीय ज्ञान और तर्क मेरी सीमित मानवीय बुद्धि से परे हैं, लेकिन मैं यह भी जानता हूँ कि परमेश्वर सदा मेरे साथ है और केवल मेरी भलाई ही चाहता है।

   यदि मैं बेचैन और परेशान होकर प्रश्न करूँ, "मुझे यह यह पीड़ा क्यूँ?" "मेरे लिए यह व्यथा क्यूँ?" तो परमेश्वर पिता का उत्तर हो सकता है, "मेरे बच्चे शांत होकर और मुझे पर भरोसा रखकर अभी इसे स्वीकार कर लो, क्योंकि मैं समझाऊँ भी तो तुम अभी इसे समझ नहीं पाओगे। बस केवल विश्वास रखो कि जो हो रहा है तुम्हारे भले ही के लिए है, तुम्हारी सामर्थ से बाहर नहीं है और उसमें मैं भी तुम्हारे साथ हूँ (1 कुरिन्थियों 10:13)।

   इन विचारों के साथ मैंने दाऊद के उदाहरण को आधार बना कर अपने आप से पूछा: "क्या मैं, अपनी इन परिस्थितियों में, परमेश्वर पर विश्वास बनाए रखता हूँ?" (पद 3); "विश्वास और धीरज के साथ, बिना बेचैन हुए या फड़फड़ाए, बिना परमेश्वर की बुद्धिमता पर प्रश्नचिन्ह लगाए क्या मैं उसकी योजना और समय की प्रतीक्षा कर सकता हूँ?" "क्या मैं अपने साथ घटित होने वाली हर परिस्थिति में उस पर अपना विश्वास दृढ़ और स्थिर बनाए रख सकता हूँ, उसकी सिद्ध और भली इच्छा के मेरे जीवन में पूरे होने तक?" - डेविड रोपर


अनिश्चितता और रहस्य से भरे इस संसार में यह जानना शांतिदायक है कि परमेश्वर सब कुछ जानता है और वह अपने बच्चों के भले के लिए सब कुछ नियंत्रित करता है।

तुम किसी ऐसी परीक्षा में नहीं पड़े, जो मनुष्य के सहने से बाहर है: और परमेश्वर सच्चा है: वह तुम्हें सामर्थ से बाहर परीक्षा में न पड़ने देगा, वरन परीक्षा के साथ निकास भी करेगा; कि तुम सह सको। - 1 कुरिन्थियों 10:13

बाइबल पाठ: भजन 131
Psalms 131:1 हे यहोवा, न तो मेरा मन गर्व से और न मेरी दृष्टि घमण्ड से भरी है; और जो बातें बड़ी और मेरे लिये अधिक कठिन हैं, उन से मैं काम नहीं रखता। 
Psalms 131:2 निश्चय मैं ने अपने मन को शान्त और चुप कर दिया है, जैसे दूध छुड़ाया हुआ लड़का अपनी मां की गोद में रहता है, वैसे ही दूध छुड़ाए हुए लड़के के समान मेरा मन भी रहता है।
Psalms 131:3 हे इस्राएल, अब से ले कर सदा सर्वदा यहोवा ही पर आशा लगाए रह! 

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 15-17 
  • 2 तीमुथियुस 2