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गुरुवार, 12 फ़रवरी 2015

निमंत्रण


   कुछ महीने पहले की बात है, मुझे किसी कार्य के लिए वायु-यान द्वारा आना और जाना पड़ा। लौटते समय मुझे अचरज भी हुआ और अच्छा भी लगा कि मुझे जो सीट मिली थी उसके आगे पैर फैलाने के लिए काफी स्थान था, साथ ही मेरे पास वाली सीट खाली थी, इसलिए मैं हाथ भी फैला कर भी बैठ सकता था; कुल मिलाकर सब अच्छा और आरामदायक था, क्योंकि मुझे सीमित से स्थान में फंस कर बैठे रहने की आवश्यकता नहीं थी। अपने आराम के बारे में सोचने के साथ ही मुझे उन अन्य यात्रियों को हो रही असुविधा का भी ध्यान आया जिनके पास मेरे समान सुविधाजनक सीट नहीं थी। मैंने अपनी दृष्टि घुमाकर देखा और मुझे कुछ अपनी जान-पहचान के लोग दिखाई दिए; मैंने उन्हें निमंत्रण दिया कि वे आकर मेरे पास वाली सीट पर बैठ जाएं, लेकिन आश्चर्य हुआ जब किसी ने मेरा निमंत्रण स्वीकार नहीं किया और किसी ना किसी कारण से वे अपनी ही असुविधापूर्ण सीट पर बैठे रहने में संतुष्ट थे।

   हम मसीही विश्वासियों को एक और भी अति आवश्यक निमंत्रण संसार के लोगों को देना है - प्रभु यीशु में विश्वास लाने के द्वारा हमें प्राप्त हुई पापों की क्षमा, उद्धार और अनन्त जीवन में संभागी होने का निमंत्रण, जिसे कुछ तो स्वीकार कर लेंगे, और कुछ नहीं करेंगे। परमेश्वर के वचन बाइबल में यूहन्ना 1:40 में हम लिखा पाते हैं कि जब अन्द्रियास ने प्रभु यीशु के पीछे चलने का निर्णय लिया, तो उसने तुरंत ही अपने भाई शमौन को भी निमंत्रण दिया कि वह भी जगत के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु के पीछे हो ले (पद 41)। प्रभु यीशु ने अपने अनुयायियों के समक्ष जीवन का नया और अद्भुत प्रस्ताव रखा था, कि वे उसे जानें और उसके साथ एक नए तथा आशीषमय जीवन का आनन्द लें।

   प्रभु यीशु में जो आशीषें तथा प्रतिज्ञाएं तब अन्द्रियास एवं शमौन को उपलब्ध थीं, वे आज भी सभी मसीही विश्वासियों के लिए वैसे ही उपलब्ध हैं:
  • उसकी क्षमा, अनुग्रह एवं धर्मी ठहराया जाना (रोमियों 3:24)
  • उसकी सहायता और सुरक्षा (इब्रानियों 13:5)
  • उसकी आशा (रोमियों 15:13)
  • उसकी शांति (यूहन्ना 14:27)
  • उसके साथ अनन्तकाल का जीवन (1 थिस्सलुनीकियों 4:17)

   प्रभु यीशु का यह निमंत्रण किसी धर्म या जाति विशेष के लिए नहीं वरन संसार के सभी लोगों के लिए है। क्या आप उसके निमंत्रण को स्वीकार करके अपने जीवन को सुनिश्चित करेंगे? - ऐनी सेटास


संसार को दिखाएं कि मसीह यीशु ने आपके लिए क्या किया है, और संसार जान लेगा कि प्रभु यीशु संसार के लिए क्या कर सकता है।

यीशु ने उन के पास आकर कहा, कि स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है। इसलिये तुम जा कर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रआत्मा के नाम से बपतिस्मा दो। और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्‍त तक सदैव तुम्हारे संग हूं। - मत्ती 28:18-20

बाइबल पाठ: यूहन्ना 1:35-42
John 1:35 दूसरे दिन फिर यूहन्ना और उसके चेलों में से दो जन खड़े हुए थे। 
John 1:36 और उसने यीशु पर जो जा रहा था दृष्टि कर के कहा, देखो, यह परमेश्वर का मेम्ना है। 
John 1:37 तब वे दोनों चेले उस की यह सुनकर यीशु के पीछे हो लिए। 
John 1:38 यीशु ने फिरकर और उन को पीछे आते देखकर उन से कहा, तुम किस की खोज में हो? उन्होंने उस से कहा, हे रब्बी, अर्थात (हे गुरू) तू कहां रहता है? उसने उन से कहा, चलो, तो देख लोगे। 
John 1:39 तब उन्होंने आकर उसके रहने का स्थान देखा, और उस दिन उसी के साथ रहे; और यह दसवें घंटे के लगभग था। 
John 1:40 उन दोनों में से जो यूहन्ना की बात सुनकर यीशु के पीछे हो लिये थे, एक तो शमौन पतरस का भाई अन्द्रियास था। 
John 1:41 उसने पहिले अपने सगे भाई शमौन से मिलकर उस से कहा, कि हम को ख्रिस्तुस अर्थात मसीह मिल गया। 
John 1:42 वह उसे यीशु के पास लाया: यीशु ने उस पर दृष्टि कर के कहा, कि तू यूहन्ना का पुत्र शमौन है, तू केफा, अर्थात पतरस कहलाएगा।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 13
  • मत्ती 26:26-50



बुधवार, 11 फ़रवरी 2015

आवश्यक तथा महत्वपूर्ण



   एक विनाशकारी बवंडर द्वारा मचाई गई तबाही के बाद एक व्यक्ति अपने टूटे हुए घर के बाहर खड़ा हुआ घर तथा आस-पास के हाल का अवलोकन कर रहा था। घर की दशा जर्जर हो चुकी थी, अन्दर सामान टूटा-बिखरा पड़ा था और उसी टूटे-बिखरे सामान में कहीं उसकी पत्नि के गहने तथा उसकी अपनी कीमती वस्तुएं भी थीं। लेकिन वह व्यक्ति उस टूटे और कमज़ोर पड़ गए घर के अन्दर जाकर उन्हें ढूँढ़ने का कोई प्रयास नहीं कर रहा था; उसका कहना था, "वे सब जान का जोखिम उठाने लायक आवश्यक तथा महत्वपूर्ण नहीं हैं।" जब संकट होता है तब जीवन के लिए आवश्यक तथा महत्वपूर्ण का आंकलन करने का हमारा दृष्टिकोण बदल जाता है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन 90, जो मूसा की प्रार्थना है, परमेश्वर का जन मूसा जीवन पर आरंभ से अंत तक दृष्टि करता है। जीवन के संक्षिप्त होने, तथा पाप के कारण परमेश्वर के क्रोधित होने को ध्यान में रखते हुए मूसा परमेश्वर से प्रार्थना करता है: "हम को अपने दिन गिनने की समझ दे कि हम बुद्धिमान हो जाएं" (भजन 90:12)। आगे मूसा परमेश्वर से दया तथा करुणा करने की विनती करता है और अपनी प्रार्थना का अन्त भविष्य में परमेश्वर के अनुग्रह और कार्यों पर उसकी आशीष के बने रहने को माँगने के साथ करता है।

   मूसा के समान ही हमारी भी परमेश्वर से यह प्रार्थना होनी चाहिए कि हम अपने जीवन के विषय में बुद्धिमान हो जाएं। एक दिन तो हमें परमेश्वर के सामने खड़े होकर अपने जीवन तथा कार्यों का हिसाब देना ही है। इसलिए आज भी यह बात हमारे लिए उतनी ही महत्वपूर्ण तथा आवश्यक है - क्योंकि हमारे जीवन के दिन गिने हुए हैं, थोड़े हैं इसलिए उनका सदुपयोग करने की समझ रखना हमारे लिए अति आवश्यक है। - डेविड मैक्कैसलैंड


हमारे गिने हुए दिन क्या हमें परमेश्वर तथा उसके प्रेम पर विचार करने को प्रेरित करते हैं?

हे यहोवा ऐसा कर कि मेरा अन्त मुझे मालुम हो जाए, और यह भी कि मेरी आयु के दिन कितने हैं; जिस से मैं जान लूं कि कैसा अनित्य हूं! - भजन 39:4

बाइबल पाठ: भजन 90:7-17
Psalms 90:7 क्योंकि हम तेरे क्रोध से नाश हुए हैं; और तेरी जलजलाहट से घबरा गए हैं। 
Psalms 90:8 तू ने हमारे अधर्म के कामों से अपने सम्मुख, और हमारे छिपे हुए पापों को अपने मुख की ज्योति में रखा है।
Psalms 90:9 क्योंकि हमारे सब दिन तेरे क्रोध में बीत जाते हैं, हम अपने वर्ष शब्द की नाईं बिताते हैं। 
Psalms 90:10 हमारी आयु के वर्ष सत्तर तो होते हैं, और चाहे बल के कारण अस्सी वर्ष के भी हो जाएं, तौभी उनका घमण्ड केवल नष्ट और शोक ही शोक है; क्योंकि वह जल्दी कट जाती है, और हम जाते रहते हैं। 
Psalms 90:11 तेरे क्रोध की शक्ति को और तेरे भय के योग्य तेरे रोष को कौन समझता है? 
Psalms 90:12 हम को अपने दिन गिनने की समझ दे कि हम बुद्धिमान हो जाएं। 
Psalms 90:13 हे यहोवा लौट आ! कब तक? और अपने दासों पर तरस खा! 
Psalms 90:14 भोर को हमें अपनी करूणा से तृप्त कर, कि हम जीवन भर जयजयकार और आनन्द करते रहें। 
Psalms 90:15 जितने दिन तू हमें दु:ख देता आया, और जितने वर्ष हम क्लेश भोगते आए हैं उतने ही वर्ष हम को आनन्द दे। 
Psalms 90:16 तेरा काम तेरे दासों को, और तेरा प्रताप उनकी सन्तान पर प्रगट हो। 
Psalms 90:17 और हमारे परमेश्वर यहोवा की मनोहरता हम पर प्रगट हो, तू हमारे हाथों का काम हमारे लिये दृढ़ कर, हमारे हाथों के काम को दृढ़ कर।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 11-12
  • मत्ती 26:1-31



मंगलवार, 10 फ़रवरी 2015

आग


   प्राचीन काल में यूनानी साम्राज्य के समय, युद्ध में दुशमनों के नाश के लिए एक विशेष रासायनिक प्रक्रिया के माध्यम से उनपर आग बरसायी जाती; इस आग को "यूनानी आग" कहा जाता था, और इसका विकास 672 ईसवीं में हुआ था। यह बहुत विनाशक हुआ करती थी क्योंकि यह पानी पर भी जलती रहती थी इसलिए समुद्री युद्ध में बड़ी सफलता से प्रयोग करी जाती थी। इसका रासायनिक सूत्र बहुत गुप्त रखा गया था, और अन्ततः कहीं इतिहास के पन्नों में दबकर ही रह गया। आज भी शोधकर्ता उसे बनाने की विधि को खोजने के प्रयास तो कर रहे हैं, परन्तु अभी तक असफल नहीं रहे हैं।

   संसार को आज चाहे "यूनानी आग" के बारे में पता ना हो लेकिन अनेक अन्य प्रकार की आग हैं जिनका प्रभाव कुछ कम विनाशकारी नहीं है। ऐसी ही एक विनाशकारी, आग जो ना तो रहस्यमय है और ना ही अनजानी है, तथा दुर्भाग्यवश मसीही विश्वासियों में पाई भी जाती है शब्दों या वचनों की आग। परमेश्वर के वचन बाइबल में याकूब ने इस आग के विषय में लिखा: "जीभ भी एक आग है: जीभ हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है और सारी देह पर कलंक लगाती है, और भवचक्र में आग लगा देती है और नरक कुण्ड की आग से जलती रहती है" (याकूब 3:6)। ये कठोर शब्द हमें ध्यान करवाते हैं कि बिना विचारे कहे गए शब्द कितने नाशकारी हो सकते हैं।

   ऐसी "आग" को, जो रिश्तों को जला सकती है, परिवारों को तोड़ सकती है, मण्डलियों में फूट डाल सकती है, अपने मूँह से निकलने देने की बजाए भला होगा कि आप अपनी जीभ को परमेश्वर की आत्मा की आधीनता में कर दें, और ऐसे शब्द ही मूँह से निकालें जो परमेश्वर को महिमा देने वाले हों। - बिल क्राऊडर


अपनी ज़ुबान पर लगाम रखने के लिए अपने हृदय की लगाम परमेश्वर के हाथों में रखें।

मसीह के वचन को अपने हृदय में अधिकाई से बसने दो; और सिद्ध ज्ञान सहित एक दूसरे को सिखाओ, और चिताओ, और अपने अपने मन में अनुग्रह के साथ परमेश्वर के लिये भजन और स्‍तुतिगान और आत्मिक गीत गाओ। - कुलुस्सियों 3:16

बाइबल पाठ: याकूब 3:1-12
James 3:1 हे मेरे भाइयों, तुम में से बहुत उपदेशक न बनें, क्योंकि जानते हो, कि हम उपदेशक और भी दोषी ठहरेंगे। 
James 3:2 इसलिये कि हम सब बहुत बार चूक जाते हैं: जो कोई वचन में नहीं चूकता, वही तो सिद्ध मनुष्य है; और सारी देह पर भी लगाम लगा सकता है। 
James 3:3 जब हम अपने वश में करने के लिये घोड़ों के मुंह में लगाम लगाते हैं, तो हम उन की सारी देह को भी फेर सकते हैं। 
James 3:4 देखो, जहाज भी, यद्यपि ऐसे बड़े होते हैं, और प्रचण्‍ड वायु से चलाए जाते हैं, तौभी एक छोटी सी पतवार के द्वारा मांझी की इच्छा के अनुसार घुमाए जाते हैं। 
James 3:5 वैसे ही जीभ भी एक छोटा सा अंग है और बड़ी बड़ी डींगे मारती है: देखो, थोड़ी सी आग से कितने बड़े वन में आग लग जाती है। 
James 3:6 जीभ भी एक आग है: जीभ हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है और सारी देह पर कलंक लगाती है, और भवचक्र में आग लगा देती है और नरक कुण्ड की आग से जलती रहती है। 
James 3:7 क्योंकि हर प्रकार के बन-पशु, पक्षी, और रेंगने वाले जन्‍तु और जलचर तो मनुष्य जाति के वश में हो सकते हैं और हो भी गए हैं। 
James 3:8 पर जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता; वह एक ऐसी बला है जो कभी रुकती ही नहीं; वह प्राण नाशक विष से भरी हुई है। 
James 3:9 इसी से हम प्रभु और पिता की स्‍तुति करते हैं; और इसी से मनुष्यों को जो परमेश्वर के स्‍वरूप में उत्पन्न हुए हैं श्राप देते हैं। 
James 3:10 एक ही मुंह से धन्यवाद और श्राप दोनों निकलते हैं। 
James 3:11 हे मेरे भाइयों, ऐसा नहीं होना चाहिए। 
James 3:12 क्या सोते के एक ही मुंह से मीठा और खारा जल दोनों निकलते हैं? हे मेरे भाइयों, क्या अंजीर के पेड़ में जैतून, या दाख की लता में अंजीर लग सकते हैं? वैसे ही खारे सोते से मीठा पानी नहीं निकल सकता।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 8-10
  • मत्ती 25:31-46



सोमवार, 9 फ़रवरी 2015

सहायता



   सन 1962 में जॉन ग्लेन प्रथम अमेरीकी अंतरिक्ष यात्री बने और इतिहास की पुस्तकों में उनका नाम दर्ज हो गया। जब उनके रॉकेट ने उड़ान भरना आरंभ किया तब धरती पर नियंत्रण कक्ष से उन्हें कहा गया, "गौडस्पीड, जॉन ग्लेन" अर्थात "परमेश्वर तुम्हें सफल करे, जॉन ग्लेन"। आज हमें यह शब्द "गौडस्पीड" बहुत कम ही प्रयुक्त होते मिलता है, लेकिन परमेश्वर के वचन बाइबल में इसका प्रयोग है।

   प्रभु यीशु के चेले यूहन्ना ने अपनी दूसरी पत्री में लिखा: "यदि कोई तुम्हारे पास आए, और यही शिक्षा न दे, उसे न तो घर मे आने दो, और न नमस्‍कार करो" (2 यूहन्ना 1:10)। जिस शब्द का अनुवाद "नमस्कार" हुआ है, उसका अर्थ है "आशीष देना" और उसे अंग्रज़ी में "गौडस्पीड" भी अनुवादित किया गया है।

   प्रेरित यूहन्ना को "प्रेम का प्रेरित" भी कहा गया है; तो फिर यह प्रेम का प्रेरित मसीही विश्वासियों को किसी अन्य जन को आशीष देने से क्यों रोक रहा है? मसीही मण्डलियों के आरंभिक समय में भ्रमणकारी मसीही प्रचारक उस स्थान के मसीही विश्वासियों के आतिथ्य पर निर्भर हुआ करते थे - उनके रहने, खाने-पीने, देख-भाल, और फिर आगे दूसरे स्थान पर प्रचार के लिए भेजने का कार्य स्थानीय मसीही विश्वासी लोग किया करते थे। यूहन्ना यहाँ अपनी पत्री के द्वारा मसीही विश्वासियों को आगाह कर रहा है कि वे मसीही विश्वास के सत्य के विषय में सचेत रहें, और किसी गलत शिक्षा के प्रचार या प्रसार में अनजाने में भी सहभागी ना बनें। इसलिए यदि कोई भ्रमणकारी प्रचारक आए और प्रभु यीशु तथा उनके चेलों, अर्थात प्रेरितों, द्वारा दी गई शिक्षाओं से कुछ भिन्न बात कहे या सिखाए, तो उन मसीही विश्वासियों द्वारा उसे अपने घर ठहराने तथा उसकी देख-रेख आदि द्वारा उसे किसी प्रकार की सहायाता प्रदान नहीं करी जाए, अन्यथा वे उसकी गलत शिक्षाओं के प्रचार और प्रसार में उसके साथ दोषी ठहरेंगे।

   यही बात आज भी मसीही विश्वासियों के लिए वैसी ही लागू है। क्योंकि हम मसीही विश्वासी एक दयालु एवं करुणामय परमेश्वर के अनुयायी और सन्तान हैं इसलिए सबके साथ हमें भलाई तो करनी है; लेकिन उनकी सहायता करने के लिए परमेश्वर से समझ-बूझ माँगकर, परमेश्वर के वचन बाइबल के आधार पर उनकी शिक्षाओं की वास्तविक सत्यता पहचान कर ही कोई कदम उठाना चाहिए। सही निर्णय करने में परमेश्वर का पवित्र आत्मा जो हमें सभी सत्य में अगुवाई करता है (यूहन्ना 16:13), हमारी सहायता करेगा, हमारा मार्गदर्शन करेगा कि हमें किसकी सहायता कितनी और कैसे करनी है। - डेनिस फिशर


परमेश्वर का आत्मा, परमेश्वर के वचन द्वारा परमेश्वर संबंधित सत्य और असत्य को पहचानने की सूझ-बूझ देता है।

परन्तु जब वह अर्थात सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा, परन्तु जो कुछ सुनेगा, वही कहेगा, और आने वाली बातें तुम्हें बताएगा। - यूहन्ना 16:13

बाइबल पाठ: 2 यूहन्ना 1:1-11
2 John 1:1 मुझ प्राचीन की ओर से उस चुनी हुई श्रीमती और उसके लड़के बालों के नाम जिन से मैं उस सच्चाई के कारण सत्य प्रेम रखता हूं, जो हम में स्थिर रहती है, और सर्वदा हमारे साथ अटल रहेगी। 
2 John 1:2 और केवल मैं ही नहीं, वरन वह सब भी प्रेम रखते हैं, जो सच्चाई को जानते हैं। 
2 John 1:3 परमेश्वर पिता, और पिता के पुत्र यीशु मसीह की ओर से अनुग्रह, और दया, और शान्‍ति, सत्य, और प्रेम सहित हमारे साथ रहेंगे। 
2 John 1:4 मैं बहुत आनन्‍दित हुआ, कि मैं ने तेरे कितने लड़के-बालों को उस आज्ञा के अनुसार, जो हमें पिता की ओर से मिली थी सत्य पर चलते हुए पाया। 
2 John 1:5 अब हे श्रीमती, मैं तुझे कोई नई आज्ञा नहीं, पर वही जो आरम्भ से हमारे पास है, लिखता हूं; और तुझ से बिनती करता हूं, कि हम एक दूसरे से प्रेम रखें। 
2 John 1:6 और प्रेम यह है कि हम उस की आज्ञाओं के अनुसार चलें: यह वही आज्ञा है, जो तुम ने आरम्भ से सुनी है और तुम्हें इस पर चलना भी चाहिए। 
2 John 1:7 क्योंकि बहुत से ऐसे भरमाने वाले जगत में निकल आए हैं, जो यह नहीं मानते, कि यीशु मसीह शरीर में हो कर आया: भरमाने वाला और मसीह का विरोधी यही है। 
2 John 1:8 अपने विषय में चौकस रहो; कि जो परिश्रम हम ने किया है, उसको तुम न बिगाड़ो: वरन उसका पूरा प्रतिफल पाओ। 
2 John 1:9 जो कोई आगे बढ़ जाता है, और मसीह की शिक्षा में बना नहीं रहता, उसके पास परमेश्वर नहीं: जो कोई उस की शिक्षा में स्थिर रहता है, उसके पास पिता भी है, और पुत्र भी। 
2 John 1:10 यदि कोई तुम्हारे पास आए, और यही शिक्षा न दे, उसे न तो घर मे आने दो, और न नमस्‍कार करो। 
2 John 1:11 क्योंकि जो कोई ऐसे जन को नमस्‍कार करता है, वह उस के बुरे कामों में साझी होता है।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 19-20
  • मत्ती 27:51-66



रविवार, 8 फ़रवरी 2015

रहस्यमय सत्य


   कभी कभी जब अनन्त और असीमित परमेश्वर अपने विचारों को नाशमान एवं सीमित मनुष्यों तक पहुँचाता है तो वह रहस्यमय लगता है। उदाहरण के लिए परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन की पुस्तक में एक गंभीर पद है जिससे उत्तर कम और प्रश्न अधिक जन्म लेते हैं: "यहोवा के भक्तों की मृत्यु, उसकी दृष्टि में अनमोल है" (भजन 116:15)। मैं इस बात पर विचार करता और विस्मय के साथ अपना सिर हिलाता हूँ, कि यह कैसे हो सकता है? मैं तो पृथ्वी की आँखों तथा दृष्टिकोण से देखता हूँ और मुझे यह समझना बहुत कठिन होता है कि मेरी 17 वर्षीय पुत्री मेलिस्सा के एक कार दुर्घटना में आक्समिक मारे जाने, या किसी अन्य जन के अपने किसी प्रीय जन को खो देने में भला क्या "अनमोल" हो सकता है?

   इस रहस्य से पर्दा उठना तब आरंभ होता है जब हम इस बात पर विचार करते हैं कि जो परमेश्वर के लिए अनमोल है वह केवल सांसारिक आशीषों तक ही सीमित नहीं है; यह पद परमेश्वर के स्वर्गीय दृष्टिकोण को लेकर लिखा गया है। परमेश्वर के वचन के एक और भाग, भजन 139:16 से मैं समझने पाता हूँ कि मेलिस्सा का परमेश्वर के पास स्वर्ग में आना अपेक्षित था, परमेश्वर उसके आने की बाट जोह रहा था, और यह उसके लिए अनमोल था। इसे ऐसे समझिए, जब हमारे बच्चे किसी दूर स्थान पर कुछ समय बिता कर लौट कर आते हैं, तो उन्हें वापस अपने पास, अपने साथ देखने का सुख और आनन्द कैसा अद्भुत होता है, कितना अनमोल होता है। ऐसे ही परमेश्वर भी अपने बच्चों के वापस घर आने से आनन्दित होता है और यह आनन्द उसके लिए भी अनमोल है।

   जब एक मसीही विश्वासी के लिए मौत आती है, तब वास्तव में परमेश्वर स्वर्ग में उसका स्वागत अपनी बाहें खोलकर अपनी उपस्थिति में कर रहा होता है। प्रीय जनों से पृथ्वी पर बिछुड़ने के दुख में भी हम इस बात से सांत्वना ले सकते हैं कि यह परमेश्वर की दृष्टि में अनमोल है। - डेव ब्रैनन


एक स्थान का सूर्यास्त, दूसरे स्थान का सूर्योदय होता है।

धर्मी जन नाश होता है, और कोई इस बात की चिन्ता नहीं करता; भक्त मनुष्य उठा लिये जाते हैं, परन्तु कोई नहीं सोचता। धर्मी जन इसलिये उठा लिया गया कि आने वाली आपत्ति से बच जाए - यशायाह 57:1

बाइबल पाठ: यूहन्ना 17:20-26
John 17:20 मैं केवल इन्‍हीं के लिये बिनती नहीं करता, परन्तु उन के लिये भी जो इन के वचन के द्वारा मुझ पर विश्वास करेंगे, कि वे सब एक हों। 
John 17:21 जैसा तू हे पिता मुझ में हैं, और मैं तुझ में हूं, वैसे ही वे भी हम में हों, इसलिये कि जगत प्रतीति करे, कि तू ही ने मुझे भेजा। 
John 17:22 और वह महिमा जो तू ने मुझे दी, मैं ने उन्हें दी है कि वे वैसे ही एक हों जैसे की हम एक हैं। 
John 17:23 मैं उन में और तू मुझ में कि वे सिद्ध हो कर एक हो जाएं, और जगत जाने कि तू ही ने मुझे भेजा, और जैसा तू ने मुझ से प्रेम रखा, वैसा ही उन से प्रेम रखा। 
John 17:24 हे पिता, मैं चाहता हूं कि जिन्हें तू ने मुझे दिया है, जहां मैं हूं, वहां वे भी मेरे साथ हों कि वे मेरी उस महिमा को देखें जो तू ने मुझे दी है, क्योंकि तू ने जगत की उत्‍पत्ति से पहिले मुझ से प्रेम रखा। 
John 17:25 हे धामिर्क पिता, संसार ने मुझे नहीं जाना, परन्तु मैं ने तुझे जाना और इन्‍होंने भी जाना कि तू ही ने मुझे भेजा। 
John 17:26 और मैं ने तेरा नाम उन को बताया और बताता रहूंगा कि जो प्रेम तुझ को मुझ से था, वह उन में रहे और मैं उन में रहूं।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 4-5
  • मत्ती 24:29-51



शनिवार, 7 फ़रवरी 2015

अकेले?


   कुछ बस यात्रियों के साथ एक विचित्र घटना हुई; वे जिस यात्रा पर उस बस में सवार होकर निकले थे, सामान्यतः उसे पूरा होने में छः घंटे लगते हैं। लेकिन उनकी बस का चालक उन यात्रियों को एक पेट्रोल पम्प पर बस में बैठा छोड़कर चला गया। नए चालक के आने और बस के आगे बढ़ने के लिए उन्हें रात भर का समय निकालना पड़ा, आठ घंटों तक प्रतीक्षा करनी पड़ी। वे सब यात्री इस अप्रत्याशित विलंब के कारण विचलित, अपने परिणाम को लेकर आशंकित और परिस्थिति से निकाले जाने के लिए अधीर रहे।

   परमेश्वर के वचन बाइबल का एक पात्र, यूसुफ भी ऐसे ही विचलित, आशंकित और अधीर रहा होगा, जब उसे निर्दोष होने पर भी एक झूठे इल्ज़ाम में फंसा कर कैदखाने में डलवा दिया गया (उत्पत्ति 39)। कहने को तो यूसुफ के पास सहायता के लिए कोई नहीं था, लेकिन "यहोवा यूसुफ के संग संग रहा, और उस पर करूणा की, और बन्दीगृह के दरोगा के अनुग्रह की दृष्टि उस पर हुई" (उत्पत्ति 39:21)। उस बन्दीगृह के दारोगा ने यूसुफ को सब कैदियों के ऊपर देखरेख करने के लिए नियुक्त कर दिया, और जो भी यूसुफ करता था, परमेश्वर उसमें उसे सफलता देता था (पद 23)। परमेश्वर का साथ और आशीष होने के बावजूद यूसुफ को सालों तक कैदखाने में रहना तो पड़ा, लेकिन जब वह बाहर निकला तो मिस्त्र देश का प्रधानमंत्री बना दिया गया, मिस्त्र देश में राजा के बाद वह ही सबसे अधिक सामर्थी व्यक्ति था।

   संभव है कि आप कहीं ऐसे ही मजबूर होकर पड़े हों, किसी अस्पताल के कमरे में, किसी कैदखाने में, अपने घर से दूर किसी अन्य देश या स्थान पर, या फिर अपने मन के अन्दर के कैदखाने में! आप जहाँ कहीं भी हैं, जैसे भी हैं, अपने आप को जैसा भी अनुभव कर रहे हैं, परमेश्वर की दया और करुणा आप तक हर स्थान और परिस्थिति में पहुँच सकती है। क्योंकि वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर है (निर्गमन 6:3) और सर्वव्यापी है (यिर्मयाह 23:23-24), इसलिए जब ऐसा लग रहा हो कि आप बिल्कुल अकेले पड़ गए हैं, कोई सहायता करने के लिए नहीं है, तब भी वह उन विपरीत परिस्थितियों में भी आपको सुरक्षित रख सकता है, आपको उन्नति दे सकता है, और आपके लिए उपलब्ध करवा सकता है। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


परमेश्वर तब भी हमारे साथ होता है जब हमें लगे कि उसने भी साथ छोड़ दिया है।

यहोवा की यह वाणी है, क्या मैं ऐसा परमेश्वर हूँ, जो दूर नहीं, निकट ही रहता हूँ? फिर यहोवा की यह वाणी है, क्या कोई ऐसे गुप्त स्थानों में छिप सकता है, कि मैं उसे न देख सकूं? क्या स्वर्ग और पृथ्वी दोनों मुझ से परिपूर्ण नहीं हैं? - यिर्मयाह 23:23-24

बाइबल पाठ: उत्पत्ति 39:19-23
Genesis 39:19 अपनी पत्नी की ये बातें सुनकर, कि तेरे दास ने मुझ से ऐसा ऐसा काम किया, यूसुफ के स्वामी का कोप भड़का। 
Genesis 39:20 और यूसुफ के स्वामी ने उसको पकड़कर बन्दीगृह में, जहां राजा के कैदी बन्द थे, डलवा दिया: सो वह उस बन्दीगृह में रहने लगा। 
Genesis 39:21 पर यहोवा यूसुफ के संग संग रहा, और उस पर करूणा की, और बन्दीगृह के दरोगा के अनुग्रह की दृष्टि उस पर हुई। 
Genesis 39:22 सो बन्दीगृह के दरोगा ने उन सब बन्धुओं को, जो कारागार में थे, यूसुफ के हाथ में सौंप दिया; और जो जो काम वे वहां करते थे, वह उसी की आज्ञा से होता था। 
Genesis 39:23 बन्दीगृह के दरोगा के वश में जो कुछ था; क्योंकि उस में से उसको कोई भी वस्तु देखनी न पड़ती थी; इसलिये कि यहोवा यूसुफ के साथ था; और जो कुछ वह करता था, यहोवा उसको उस में सफलता देता था।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 1-3
  • मत्ती 24:1-28



शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2015

प्रमाण


   एक रात एक पादरी मार्ग पर जा रहा था कि एक चोर ने उसे पकड़ा और बन्दूक दिखाते हुए कहा कि या तो अपने पैसे दे दे नहीं तो जान से जाएगा। पादरी ने अपना बटुवा निकालने के लिए जब अपना हाथ अपनी जेब की ओर किया तो उस चोर को पादरी का चोगा दिखाई दिया; चोर ने कहा, "अच्छा तो तुम पादरी हो; चलो रहने दो, तुम ऐसे ही चले जाओ।" पादरी उस चोर द्वारा दया के इस अनेपक्षित आचरण से चकित हुआ, और जेब से निकाल कर कुछ टॉफी चोर की ओर बढ़ाईं। चोर ने टॉफी लेने से इन्कार करते हुए कहा, "धन्यवाद; लेकिन मैं इन उपवास के दिनों में कुछ नहीं खाता।"

   उस चोर ने उपवास के दिनों में टॉफी तक खाना तो छोड़ रखा था, लेकिन चोरी की आदत नहीं छोड़ी; उसका व्यवहार ही उसके असली चरित्र का प्रमाण था। परमेश्वर के वचन बाइबल में नीतिवचन के लेखक ने भी इसी बात को लिखा, कि व्यवहार ही चरित्र का सबसे अच्छा सूचक है; यदि कोई कहता है कि वह एक भक्त व्यक्ति है, तो उसका आचरण ही उसकी भक्ति का प्रमाण है (नीतिवचन 20:11)। आचरण और प्रवचन का विरोधाभास प्रभु यीशु के समय के धार्मिक अगुवों के चरित्र का भी भाग था। इसीलिए प्रभु यीशु उनके इस दोगलेपन को उजागर तथा उनके व्यवहार की भर्त्सना करते रहते थे (मत्ती 23:13-36)। बाहरी स्वरूप तथा शब्द तो धोखा दे सकते हैं लेकिन व्यवहार चरित्र की असलियत का प्रमाण दे देता है; और यह बात हम सब पर समानता से लागू होती है।

   प्रभु यीशु के अनुयायी होने के कारण हम मसीही विश्वासियों को उसके प्रति अपनी निष्ठा और प्रेम अपने व्यवहार तथा चरित्र से प्रदर्शित करनी है ना कि केवल अपने शब्दों से। होने दें कि परमेश्वर के हमारे प्रति  दिखाए गए प्रेम के कारण उसके प्रति आपका समर्पण संसार के समक्ष आपके व्यवहार से प्रमाणित हो सके। - मार्विन विलियम्स


व्यवहार चरित्र का सर्वोत्तम प्रमाण है।

लड़का भी अपने कामों से पहिचाना जाता है, कि उसका काम पवित्र और सीधा है, वा नहीं। - नीतिवचन 20:11

बाइबल पाठ: मत्ती 23:23-33
Matthew 23:23 हे कपटी शास्‍त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाय; तुम पोदीने और सौंफ और जीरे का दसवां अंश देते हो, परन्तु तुम ने व्यवस्था की गम्भीर बातों को अर्थात न्याय, और दया, और विश्वास को छोड़ दिया है; चाहिये था कि इन्हें भी करते रहते, और उन्हें भी न छोड़ते। 
Matthew 23:24 हे अन्धे अगुवों, तुम मच्छर को तो छान डालते हो, परन्तु ऊंट को निगल जाते हो। 
Matthew 23:25 हे कपटी शास्‍त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाय, तुम कटोरे और थाली को ऊपर ऊपर से तो मांजते हो परन्तु वे भीतर अन्‍धेर असंयम से भरे हुए हैं। 
Matthew 23:26 हे अन्धे फरीसी, पहिले कटोरे और थाली को भीतर से मांज कि वे बाहर से भी स्‍वच्‍छ हों।
Matthew 23:27 हे कपटी शास्‍त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाय; तुम चूना फिरी हुई कब्रों के समान हो जो ऊपर से तो सुन्‍दर दिखाई देती हैं, परन्तु भीतर मुर्दों की हिड्डयों और सब प्रकार की मलिनता से भरी हैं। 
Matthew 23:28 इसी रीति से तुम भी ऊपर से मनुष्यों को धर्मी दिखाई देते हो, परन्तु भीतर कपट और अधर्म से भरे हुए हो।
Matthew 23:29 हे कपटी शास्‍त्रियों, और फरीसियों, तुम पर हाय; तुम भविष्यद्वक्ताओं की कब्रें संवारते और धर्मियों की कब्रें बनाते हो। 
Matthew 23:30 और कहते हो, कि यदि हम अपने बाप-दादों के दिनों में होते तो भविष्यद्वक्ताओं की हत्या में उन के साझी न होते। 
Matthew 23:31 इस से तो तुम अपने पर आप ही गवाही देते हो, कि तुम भविष्यद्वक्ताओं के घातकों की सन्तान हो। 
Matthew 23:32 सो तुम अपने बाप-दादों के पाप का घड़ा भर दो। 
Matthew 23:33 हे सांपो, हे करैतों के बच्चों, तुम नरक के दण्‍ड से क्योंकर बचोगे?

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 39-40
  • मत्ती 23:23-39