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शनिवार, 4 अगस्त 2018

सिद्ध



      अपनी पुस्तक Jumping Through Fires में डेविड नास्सेर ने अपने आत्मिक जीवन की यात्रा को बताया है। मसीह यीशु के साथ संबंध बनाने से पहले, उनकी मित्रता कुछ मसीही किशोरों के साथ हुई थी। उनके ये मित्र अधिकांश समय पर उदार, मृदु, और आलोचनाएं नहीं करने वाले होते थे, लेकिन डेविड ने उन में से एक को अपनी गर्लफ्रेंड से झूठ बोलते देखा। लेकिन फिर उस जवान लड़के ने अपने इस झूठ से कायल होकर उसे अपनी गर्लफ्रेंड के सामने स्वीकार कर लिया और उससे इसके लिए क्षमा माँगी। इस घटना पर विचार करते हुए डेविड ने कहा कि इसके कारण वह अपने मसीही विश्वासी मित्रों के और अधिक निकट आ गया। उसे यह एहसास हुआ कि उन्हें भी उसके समान ही प्रभु के अनुग्रह की आवश्यकता रहती है।

      हम मसीही विश्वासियों को अपने जानकार लोगों के मध्य यह नहीं जताना चाहिए कि हम सिद्ध हैं। अपनी गलतियों तथा संघर्षों के विषय ईमानदार और खुला होने में कोई गलत बात नहीं है। हम परमेश्वर के वचन बाइबल में देखते हैं कि प्रेरित पौलुस ने अपने आप को सबसे बड़ा पापी बताया है (1 तिमुथियुस 1:15)। पौलुस ने रोमियों 7 में पाप के साथ अपने संघर्ष का भी स्पष्ट वर्णन किया है, जहाँ वह स्वीकार करता है कि भलाई करने की लालसा रखते हुए भी बहुधा वह वैसा करने नहीं पाता है, और कभी-कभी, न चाहते हुए भी, बुरा भी कर बैठता है (रोमियों 7:18-19)।

      मसीही जीवन और व्यवहार को लेकर अपने संघर्षों के बारे में खुला होने से हम अन्य सभी मनुष्यों के समान हो जाते हैं – और यही हमारा सही स्थान भी है! परन्तु प्रभु यीशु मसीह में मिली पापों की क्षमा और उद्धार के कारण, हमारे पाप हमारे साथ परलोक में नहीं जाएँगे। यह उस पुरानी कहावत के अनुरूप है कि, “मसीही विश्वासी सिद्ध नहीं केवल क्षमा पाए हुए होते हैं।” – जेनिफर बेन्सन शुल्ट


मसीही विश्वासियों और अन्य लोगों के मध्य एकमात्र भिन्नता, 
उनका पापों की क्षमा पाया हुआ होना है।

यह बात सच और हर प्रकार से मानने के योग्य है, कि मसीह यीशु पापियों का उद्धार करने के लिये जगत में आया, जिन में सब से बड़ा मैं हूं। पर मुझ पर इसलिये दया हुई, कि मुझ सब से बड़े पापी में यीशु मसीह अपनी पूरी सहनशीलता दिखाए, कि जो लोग उस पर अनन्त जीवन के लिये विश्वास करेंगे, उन के लिये मैं एक आदर्श बनूं। - 1 तिमुथियुस 1:15-16

बाइबल पाठ: रोमियों 7:14-25
Romans 7:14 क्योंकि हम जानते हैं कि व्यवस्था तो आत्मिक है, परन्तु मैं शरीरिक और पाप के हाथ बिका हुआ हूं।
Romans 7:15 और जो मैं करता हूं, उसको नहीं जानता, क्योंकि जो मैं चाहता हूं, वह नहीं किया करता, परन्तु जिस से मुझे घृणा आती है, वही करता हूं।
Romans 7:16 और यदि, जो मैं नहीं चाहता वही करता हूं, तो मैं मान लेता हूं, कि व्यवस्था भली है।
Romans 7:17 तो ऐसी दशा में उसका करने वाला मैं नहीं, वरन पाप है, जो मुझ में बसा हुआ है।
Romans 7:18 क्योंकि मैं जानता हूं, कि मुझ में अर्थात मेरे शरीर में कोई अच्छी वस्तु वास नहीं करती, इच्छा तो मुझ में है, परन्तु भले काम मुझ से बन नहीं पड़ते।
Romans 7:19 क्योंकि जिस अच्छे काम की मैं इच्छा करता हूं, वह तो नहीं करता, परन्तु जिस बुराई की इच्छा नहीं करता वही किया करता हूं।
Romans 7:20 परन्तु यदि मैं वही करता हूं, जिस की इच्छा नहीं करता, तो उसका करने वाला मैं न रहा, परन्तु पाप जो मुझ में बसा हुआ है।
Romans 7:21 सो मैं यह व्यवस्था पाता हूं, कि जब भलाई करने की इच्छा करता हूं, तो बुराई मेरे पास आती है।
Romans 7:22 क्योंकि मैं भीतरी मनुष्यत्व से तो परमेश्वर की व्यवस्था से बहुत प्रसन्न रहता हूं।
Romans 7:23 परन्तु मुझे अपने अंगो में दूसरे प्रकार की व्यवस्था दिखाई पड़ती है, जो मेरी बुद्धि की व्यवस्था से लड़ती है, और मुझे पाप की व्यवस्था के बन्धन में डालती है जो मेरे अंगों में है।
Romans 7:24 मैं कैसा अभागा मनुष्य हूं! मुझे इस मृत्यु की देह से कौन छुड़ाएगा?
Romans 7:25 मैं अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं: निदान मैं आप बुद्धि से तो परमेश्वर की व्यवस्था का, परन्तु शरीर से पाप की व्यवस्था का सेवन करता हूँ।


एक साल में बाइबल: 
  • भजन 66-67
  • रोमियों 7



शुक्रवार, 3 अगस्त 2018

कल्पना


      समस्त समय के पाँच सबसे अच्छे खिलौने कौन से हैं? जौनाथन एच. ल्यू ने सुझाव दिया कि वे हैं: एक छड़ी, एक डिब्बा, धागा, गत्ते का एक ट्यूब, और मिट्टी। ये सभी सरलता से सदैव सभी को उपलब्ध रहते हैं, बहुमुखी हैं – अनेकों प्रकार से प्रयोग किए जा सकते हैं, सभी आयु के लोगों के लिए उचित हैं, हर बजट में फिट फिट हो जाते हैं, और उन्हें प्रयोग करने के लिए किसी बैटरी की नहीं, केवल कल्पना की आवश्यकता होती है।

      हमारे जीवनों में कल्पना की एक बहुत प्रमुख भूमिका होती है। इसलिए यह अनहोना नहीं है कि परमेश्वर के वचन बाइबल में पौलुस ने इसका उल्लेख किया है (इफिसियों 3:14-21)। परमेश्वर से उनके लिए पवित्र आत्मा की सामर्थ्य की प्रार्थना करने के उपरान्त (पद 16) पौलुस ने आगे प्रार्थना की, कि वे मसीह के प्रेम के संपूर्ण आयामों को जान और समझ सकें, उनकी अनुभव कर सकें (पद 17-19)। अन्त में पौलुस उनके लिए प्रार्थना करता है कि, “अब जो ऐसा सामर्थी है, कि हमारी बिनती और समझ से कहीं अधिक काम कर सकता है, उस सामर्थ के अनुसार जो हम में कार्य करता है” (पद 20)।

      बहुधा हमारे अनुभव हमारी प्रार्थानाओं को सीमित करते हैं – कोई परिस्थिति जिसे हम कभी बदला हुआ नहीं सोच सकते हैं; विनाशकारी आदतें जो कभी टूटती हुई नहीं दिखती हैं; लंबे समय से बने हुए रवैये जो परिवर्तित होने को चुनौती देते रहते हैं, इत्यादि। परन्तु पौलुस कहता है कि यह धारणा रखना सत्य नहीं है।
      हम में कार्यकारी परमेश्वर की महान सामर्थ्य के द्वारा, परमेश्वर हमारी कल्पना से कहीं बढ़कर करने में सक्षम है। - डेविड मैक्कैस्लैंड


अपनी सीमित अपेक्षाओं के द्वारा 
परमेश्वर की असीमित क्षमता का कभी आँकलन नहीं करें।

जो मुझे सामर्थ देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूं। - फिलिप्पियों 4:13

बाइबल पाठ: इफिसियों 3:14-21
Ephesians 3:14 मैं इसी कारण उस पिता के साम्हने घुटने टेकता हूं,
Ephesians 3:15 जिस से स्वर्ग और पृथ्वी पर, हर एक घराने का नाम रखा जाता है।
Ephesians 3:16 कि वह अपनी महिमा के धन के अनुसार तुम्हें यह दान दे, कि तुम उसके आत्मा से अपने भीतरी मनुष्यत्‍व में सामर्थ पाकर बलवन्‍त होते जाओ।
Ephesians 3:17 और विश्वास के द्वारा मसीह तुम्हारे हृदय में बसे कि तुम प्रेम में जड़ पकड़ कर और नेव डाल कर।
Ephesians 3:18 सब पवित्र लोगों के साथ भली भांति समझने की शक्ति पाओ; कि उसकी चौड़ाई, और लम्बाई, और ऊंचाई, और गहराई कितनी है।
Ephesians 3:19 और मसीह के उस प्रेम को जान सको जो ज्ञान से परे है, कि तुम परमेश्वर की सारी भरपूरी तक परिपूर्ण हो जाओ।
Ephesians 3:20 अब जो ऐसा सामर्थी है, कि हमारी बिनती और समझ से कहीं अधिक काम कर सकता है, उस सामर्थ्य के अनुसार जो हम में कार्य करता है,
Ephesians 3:21 कलीसिया में, और मसीह यीशु में, उस की महिमा पीढ़ी से पीढ़ी तक युगानुयुग होती रहे। आमीन।


एक साल में बाइबल: 
  • भजन 63-65
  • रोमियों 6


गुरुवार, 2 अगस्त 2018

दौड़



      जूप ज़ोटेमेल्क को नेदरलैंड का सबसे सफल साईकिल चालाक माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने साईकिल चलाने की कठिन अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा टूर डे फ्रांस में 16 बार भाग लिया और हर बार उसे पूरा किया – वे उसमें पाँच बार द्वितीय स्थान पर रहे, और अन्ततः 1980 में उसमें विजयी भी रहे। यह दृढ़ता से धीरज बनाए रखने का उत्कृष्ट उदाहरण है।

      ऐसे अनेकों विजेता हुए हैं जिन्होंने कभी हार न मानने के अपने दृढ़ निश्चय के कारण सफलता को पाया है। परन्तु साथ  ही ऐसे भी बहुतेरे रहे हैं जिन्होंने सफलता के अवसर को गँवा दिया क्योंकि उन्होंने संघर्ष में बहुत शीघ्र हार मान ली। ऐसा जीवन के किसी भी क्षेत्र में हो सकता है, वह चाहे परिवार, शिक्षा, मित्रगण, कार्य, सेवा, या अन्य कोई भी क्षेत्र हो। प्रत्येक क्षेत्र में दृढ़ता से धीरज बनाए रखना ही सफलता की कुंजी है।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि प्रेरित पौलुस अनेकों सताव और दुखों के बावजूद अपनी मसीही सेवकाई में डटा रहा (2 तिमुथियुस 3:10-11)। उसने जीवन को उसकी सच्चाई में देखा और स्वीकार किया; उसे यह एहसास था कि मसीही विश्वासी सताव से होकर अवश्य ही निकालेंगे (पद 12-13)। इसलिए उसने तिमुथियुस को निर्देश दिया कि वह अपना विश्वास परमेश्वर में बनाए रखे, और पवित्र-शास्त्र से प्रोत्साहन और प्रेरणा प्राप्त करे (पद 14-15)। ऐसे करने से उसे निराशा का सामना करने का बल और आशा के साथ धीरज धरने की सामर्थ्य मिलेगी। अपने जीवन के अन्त की ओर, पौलुस कह सका, “मैं अच्छी कुश्‍ती लड़ चुका हूं मैं ने अपनी दौड़ पूरी कर ली है, मैं ने विश्वास की रखवाली की है” (2 तिमुथियुस 4:7)।

      आज हम भी परमेश्वर के वचन बाइबल के द्वारा हमारे लिए निर्धारित की गई जीवन की दौड़ में डटे रहने की प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं, क्योंकि हमारा परमेश्वर न केवल हम से वायदे करता है, वरन उन्हें निभाता भी है। जितने अपनी दौड़ सफलतापूर्वक पूरी करते हैं, उन्हें परमेश्वर से उचित प्रतिफल भी मिलेगा। - जेमी फर्नेनडेज़ गारिडो


विश्वास हमारी दुर्बलता को परमेश्वर की सामर्थ्य से जोड़ देता है।

तुम किसी ऐसी परीक्षा में नहीं पड़े, जो मनुष्य के सहने से बाहर है: और परमेश्वर सच्चा है: वह तुम्हें सामर्थ्य से बाहर परीक्षा में न पड़ने देगा, वरन परीक्षा के साथ निकास भी करेगा; कि तुम सह सको। - 1 कुरिन्थियों 10:13

बाइबल पाठ: 2 तिमुथियुस 3:10-17
2 Timothy 3:10 पर तू ने उपदेश, चाल चलन, मनसा, विश्वास, सहनशीलता, प्रेम, धीरज, और सताए जाने, और दुख उठाने में मेरा साथ दिया।
2 Timothy 3:11 और ऐसे दुखों में भी जो अन्‍ताकिया और इकुनियुम और लुस्‍त्रा में मुझ पर पड़े थे और और दुखों में भी, जो मैं ने उठाए हैं; परन्तु प्रभु ने मुझे उन सब से छुड़ा लिया।
2 Timothy 3:12 पर जितने मसीह यीशु में भक्ति के साथ जीवन बिताना चाहते हैं वे सब सताए जाएंगे।
2 Timothy 3:13 और दुष्‍ट, और बहकाने वाले धोखा देते हुए, और धोखा खाते हुए, बिगड़ते चले जाएंगे।
2 Timothy 3:14 पर तू इन बातों पर जो तू ने सीखीं हैं और प्रतीति की थी, यह जानकर दृढ़ बना रह; कि तू ने उन्हें किन लोगों से सीखा था
2 Timothy 3:15 और बालकपन से पवित्र शास्त्र तेरा जाना हुआ है, जो तुझे मसीह पर विश्वास करने से उद्धार प्राप्त करने के लिये बुद्धिमान बना सकता है।
2 Timothy 3:16 हर एक पवित्रशास्‍त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है।
2 Timothy 3:17 ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्‍पर हो जाए।


एक साल में बाइबल: 
  • भजन 60-62
  • रोमियों 5



बुधवार, 1 अगस्त 2018

सर्वोत्तम



      आपके जीवन के सर्वोत्तम दिन आपके पीछे छूट चुके हैं या आगे आने वाले हैं? इस प्रश्न का हमारा उत्तर, और जीवन के प्रति हमारा दृष्टिकोण, दोनों ही समय के साथ बदल सकते हैं। जब हम बचपन में होते हैं, तो हम सामने की ओर देखते हैं, उम्र में और बढ़ना चाहते हैं। एक बार जब हम उम्र में बढ़ जाते हैं, तो फिर अतीत की ओर देखने लगते हैं, फिर से बचपन और जवानी की लालसा करने लगते हैं। परन्तु जब हम परमेश्वर के साथ चलते हैं तो हमारी आयु चाहे जो भी हो, हमारे लिए सर्वोत्तम अभी आना शेष रहता है।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि अपने जीवन के लंबे काल के दौरान मूसा ने परमेश्वर द्वारा किए गए अनेकों अद्भुत कार्यों को देखा, और उनमें से कई कार्य ऐसे थे जो तब घटित हुए जब वह जवान नहीं रहा था। मूसा 80 वर्ष का था जब उसने फिरौन का सामना किया और परमेश्वर का अपने लोगों को दासत्व से आश्चर्यकर्मों के द्वारा छुड़ाना देखा (निर्गमन 3-13)। मूसा ने लाल सागर को विभाजित होते हुए, मन्ना को स्वर्ग से गिरते हुए भी देखा, और परमेश्वर से “आमने-सामने” बातें भी कीं (14:21; 16:4; 33:11)।

      अपने जीवन पर्यन्त, मूसा इस आशा के साथ जिया, कि अब आगे परमेश्वर क्या करेगा (इब्रानियों 11:24-27)। अपने जीवन के अंतिम वर्ष में वह 120  वर्ष का था, और तब भी उसने समझ लिया कि परमेश्वर के साथ उसके जीवन का यह आरंभ ही है, और वह परमेश्वर की महानता और प्रेम का अन्त कभी नहीं देखेगा।

      हमारी आयु चाहे जो भी हो, “अनादि परमेश्वर तेरा गृहधाम है, और नीचे सनातन भुजाएं हैं...” (व्यवस्थाविवरण 33:27) जो प्रतिदिन हमें उठाए हुए उसके आनन्द में, उस सर्वोत्तम की ओर लिए चलती हैं। - जेम्स बैंक्स


जब हम परमेश्वर के साथ चलते हैं, तो सर्वोत्तम आना शेष रहता है।

परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएंगे, वे उकाबों के समान उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे। - यशायाह 40:31

बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण 34:1-12
Deuteronomy 34:1 फिर मूसा मोआब के अराबा से निबो पहाड़ पर, जो पिसगा की एक चोटी और यरीहो के साम्हने है, चढ़ गया; और यहोवा ने उसको दान तक का गिलाद नाम सारा देश,
Deuteronomy 34:2 और नप्ताली का सारा देश, और एप्रैम और मनश्शे का देश, और पच्छिम के समुद्र तक का यहूदा का सारा देश,
Deuteronomy 34:3 और दक्खिन देश, और सोअर तक की यरीहो नाम खजूर वाले नगर की तराई, यह सब दिखाया।
Deuteronomy 34:4 तब यहोवा ने उस से कहा, जिस देश के विषय में मैंने इब्राहीम, इसहाक, और याकूब से शपथ खाकर कहा था, कि मैं इसे तेरे वंश को दूंगा वह यही है। मैं ने इस को तुझे साक्षात दिखला दिया है, परन्तु तू पार हो कर वहां जाने न पाएगा।
Deuteronomy 34:5 तब यहोवा के कहने के अनुसार उसका दास मूसा वहीं मोआब देश में मर गया,
Deuteronomy 34:6 और उसने उसे मोआब के देश में बेतपोर के साम्हने एक तराई में मिट्टी दी; और आज के दिन तक कोई नहीं जानता कि उसकी कब्र कहां है।
Deuteronomy 34:7 मूसा अपनी मृत्यु के समय एक सौ बीस वर्ष का था; परन्तु न तो उसकी आंखें धुंधली पड़ीं, और न उसका पौरूष घटा था।
Deuteronomy 34:8 और इस्राएली मोआब के अराबा में मूसा के लिये तीस दिन तक रोते रहे; तब मूसा के लिये रोने और विलाप करने के दिन पूरे हुए।
Deuteronomy 34:9 और नून का पुत्र यहोशू बुद्धिमानी की आत्मा से परिपूर्ण था, क्योंकि मूसा ने अपने हाथ उस पर रखे थे; और इस्राएली उस आज्ञा के अनुसार जो यहोवा ने मूसा को दी थी उसकी मानते रहे।
Deuteronomy 34:10 और मूसा के तुल्य इस्राएल में ऐसा कोई नबी नहीं उठा, जिस से यहोवा ने आमने-सामने बातें कीं,
Deuteronomy 34:11 और उसको यहोवा ने फिरौन और उसके सब कर्मचारियों के सामने, और उसके सारे देश में, सब चिन्ह और चमत्कार करने को भेजा था,
Deuteronomy 34:12 और उसने सारे इस्राएलियों की दृष्टि में बलवन्त हाथ और बड़े भय के काम कर दिखाए।


एक साल में बाइबल: 
  • भजन 57-59
  • रोमियों 4



मंगलवार, 31 जुलाई 2018

कीमत



      प्रति वर्ष लगभग 20 लाख लोग लंडन के सेंट पॉल्स कैथीड्रल को देखने आते हैं। उस भव्य इमारत को देखने और निहारने के लिए अन्दर प्रवेश करने के शुल्क की कीमत चुकाना सर्वथा उपयुक्त है। सर क्रिस्टोफर रैन द्वारा 17वीं शताब्दी के अन्त की ओर बनाई गई इस इमारत की सुंदरता अद्भुत है। परन्तु मसीही आराधना के इस स्थान पर पर्यटन, यहां होने वाली उपासना से अधिक महत्वपूर्ण नहीं है। इस कैथीड्रल का प्रमुख उद्देश्य है “आने वाले सभी लोग अपनी विवधता में भी यीशु मसीह में परमेश्वर की परिवर्तित कर देने वाली उपस्थिति का अनुभव करें।” यदि आप इमारत में घूमना, और वहाँ की वास्तुकला को निहारना चाहते हैं, तो आपको प्रवेश शुल्क देना होगा। परन्तु प्रतिदिन होने वाली आराधना सभाओं में से किसी में सम्मिलित होने के लिए प्रवेश करने पर कोई कीमत नहीं है।

      परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने के लिए क्या कीमत चुकानी पड़ती है? वहाँ प्रवेश निःशुल्क है, क्योंकि प्रभु यीशु ने सबके लिए सारी कीमत अपने बलिदान के द्वारा चुका दी है, “इसलिये कि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं। परन्तु उसके अनुग्रह से उस छुटकारे के द्वारा जो मसीह यीशु में है, सेंत मेंत धर्मी ठहराए जाते हैं” (रोमियों 3:23-24)। जब हम अपनी आत्मिक आवश्यकता का अंगीकार करते हैं, और विश्वास के द्वारा प्रभु यीशु मसीह में परमेश्वर के अनुग्रह से उपलब्ध पापों की क्षमा को स्वीकार करते हैं, तो हम एक नए जीवन में प्रवेश करते हैं, परमेश्वर के परिवार के सदस्य बन जाते हैं, प्रभु में अनन्त जीवन के वारिस हो जाते हैं।

      आप भी आज ही और अभी, इस नए जीवन में प्रवेश कर सकते हैं, क्योंकि कलवारी के क्रूस अपर अपनी मृत्यु और पुनरुत्थान के द्वारा प्रभु यीशु ने आपके पापों की सारी कीमत चुका दी है; अब आपको उसे चुकाने के लिए कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं है; आपको बस उसे स्वीकार करके अपने जीवन में लागू करना है। - डेविड मैक्कैस्लैंड


प्रभु यीशु ने कीमत चुकाई, जिससे हम परमेश्वर के राज्य में प्रवेश पा सकें।

परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। वे न तो लोहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं। - यूहन्ना 1:12-13

बाइबल पाठ: रोमियों 3:20-28
Romans 3:20 क्योंकि व्यवस्था के कामों से कोई प्राणी उसके साम्हने धर्मी नहीं ठहरेगा, इसलिये कि व्यवस्था के द्वारा पाप की पहिचान होती है।
Romans 3:21 पर अब बिना व्यवस्था परमेश्वर की वह धामिर्कता प्रगट हुई है, जिस की गवाही व्यवस्था और भविष्यद्वक्ता देते हैं।
Romans 3:22 अर्थात परमेश्वर की वह धामिर्कता, जो यीशु मसीह पर विश्वास करने से सब विश्वास करने वालों के लिये है; क्योंकि कुछ भेद नहीं।
Romans 3:23 इसलिये कि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं।
Romans 3:24 परन्तु उसके अनुग्रह से उस छुटकारे के द्वारा जो मसीह यीशु में है, सेंत मेंत धर्मी ठहराए जाते हैं।
Romans 3:25 उसे परमेश्वर ने उसके लोहू के कारण एक ऐसा प्रायश्चित्त ठहराया, जो विश्वास करने से कार्यकारी होता है, कि जो पाप पहिले किए गए, और जिन की परमेश्वर ने अपनी सहनशीलता से आनाकानी की; उन के विषय में वह अपनी धामिर्कता प्रगट करे।
Romans 3:26 वरन इसी समय उस की धामिर्कता प्रगट हो; कि जिस से वह आप ही धर्मी ठहरे, और जो यीशु पर विश्वास करे, उसका भी धर्मी ठहराने वाला हो।
Romans 3:27 तो घमण्ड करना कहां रहा उस की तो जगह ही नहीं: कौन सी व्यवस्था के कारण से? क्या कर्मों की व्यवस्था से? नहीं, वरन विश्वास की व्यवस्था के कारण।
Romans 3:28 इसलिये हम इस परिणाम पर पहुंचते हैं, कि मनुष्य व्यवस्था के कामों के बिना, विश्वास के द्वारा धर्मी ठहरता है।


एक साल में बाइबल: 
  • भजन 54-56
  • रोमियों 3



सोमवार, 30 जुलाई 2018

विश्वास



      हमारे लिए विश्वास को एक ऐसा जादूई मन्त्र मान लेना, जिसके द्वारा सब कुछ किया जा सकता है, बड़ा प्रलोभनकारी होता है। हम सोचते हैं, या हमें सिखाया जाता है कि यदि हम पर्याप्त विश्वास रखें तो हम धनी हो सकते हैं, स्वस्थ रह सकते हैं, जीवन में संतुष्टि आ सकती है, और सभी प्रार्थनाओं के उत्तर स्वतः ही प्राप्त किए जा सकते हैं। परन्तु जीवन ऐसे मन्त्रों के द्वारा नहीं चलाया जाता है। प्रमाण के रूप में, परमेश्वर के वचन बाइबल में इब्रानियों का लेखक, बाइबल के पुराने नियम खण्ड के विश्वास के महान लोगों में से कुछ के जीवनों की समीक्षा करता है (इब्रानियों 11), और “सच्चे विश्वास” को समझाने का प्रयास करता है।

      लेखक स्पष्ट कहता है कि “और विश्वास बिना उसे प्रसन्न करना अनहोना है, क्योंकि परमेश्वर के पास आने वाले को विश्वास करना चाहिए, कि वह है; और अपने खोजने वालों को प्रतिफल देता है” (इब्रानियों 11:6)। विश्वास को परिभाषित करते समय वह “दृढ़ बने रहने” के उदाहरण देता है (पद 27)। परमेश्वर में अपने विश्वास के कारण, विश्वास के उन नायकों में से कुछ जयवंत हुए: कुछ ने सेनाओं को मार भगाया, और कोई सिंहों से बच निकला। परन्तु ऐसे विश्वासी भी थे जिनके अन्त सुखद नहीं हुए: कितनों को कोड़े पड़े, पत्थरवाह किए गए, आरे से चीरे गए, परन्तु विश्वास में बने रहे। अध्याय का अन्त होता है “संसार उन के योगय न था: और विश्वास ही के द्वारा इन सब के विषय में अच्छी गवाही दी गई, तौभी उन्हें प्रतिज्ञा की हुई वस्तु न मिली” (पद 39)।

      इस अध्याय से परमेश्वर में विश्वास रखने का जो चित्र उभर का आता है वह किसी सरल सूत्र में नहीं समाता है। कभी विश्वास विजय और यश को ले जाता है; तो कभी किसी भी कीमत पर विश्वास में बने रहने के लिए बहुत धैर्य और दृढ़ निश्चय की आवश्यकता होती है – और ऐसों के लिए लिखा गया है “...इसी लिये परमेश्वर उन का परमेश्वर कहलाने में उन से नहीं लजाता, सो उसने उन के लिये एक नगर तैयार किया है” (पद 16)।

      हमारे विश्वास का आधार है, कि अन्ततः परमेश्वर ही हर बात पर नियंत्रण बनाए रखता है, और वह अपनी प्रतिज्ञाओं को पूरा भी करेगा – यह चाहे इस जीवन में हो या आने वाले जीवन में। - फिलिप यैन्सी


दुःख में हमारी सबसे महान सांत्वना है हमारा विश्वास, कि परमेश्वर नियंत्रण रखे हुए है।

हे मेरे भाइयों, जब तुम नाना प्रकार की परीक्षाओं में पड़ो तो इसको पूरे आनन्द की बात समझो, यह जान कर, कि तुम्हारे विश्वास के परखे जाने से धीरज उत्पन्न होता है। - याकूब 1:2-3

बाइबल पाठ: इब्रानियों 10:32-11:6
Hebrews 10:32 परन्तु उन पहिले दिनों को स्मरण करो, जिन में तुम ज्योति पाकर दुखों के बड़े झमेले में स्थिर रहे।
Hebrews 10:33 कुछ तो यों, कि तुम निन्‍दा, और क्‍लेश सहते हुए तमाशा बने, और कुछ यों, कि तुम उन के साझी हुए जिन की र्दुदशा की जाती थी।
Hebrews 10:34 क्योंकि तुम कैदियों के दुख में भी दुखी हुए, और अपनी संपत्ति भी आनन्द से लुटने दी; यह जान कर, कि तुम्हारे पास एक और भी उत्तम और सर्वदा ठहरने वाली संपत्ति है।
Hebrews 10:35 सो अपना हियाव न छोड़ो क्योंकि उसका प्रतिफल बड़ा है।
Hebrews 10:36 क्योंकि तुम्हें धीरज धरना अवश्य है, ताकि परमेश्वर की इच्छा को पूरी कर के तुम प्रतिज्ञा का फल पाओ।
Hebrews 10:37 क्योंकि अब बहुत ही थोड़ा समय रह गया है जब कि आने वाला आएगा, और देर न करेगा।
Hebrews 10:38 और मेरा धर्मी जन विश्वास से जीवित रहेगा, और यदि वह पीछे हट जाए तो मेरा मन उस से प्रसन्न न होगा।
Hebrews 10:39 पर हम हटने वाले नहीं, कि नाश हो जाएं पर विश्वास करने वाले हैं, कि प्राणों को बचाएं।
Hebrews 11:1 अब विश्वास आशा की हुई वस्‍तुओं का निश्‍चय, और अनदेखी वस्‍तुओं का प्रमाण है।
Hebrews 11:2 क्योंकि इसी के विषय में प्राचीनों की अच्छी गवाही दी गई।
Hebrews 11:3 विश्वास ही से हम जान जाते हैं, कि सारी सृष्‍टि की रचना परमेश्वर के वचन के द्वारा हुई है। यह नहीं, कि जो कुछ देखने में आता है, वह देखी हुई वस्‍तुओं से बना हो।
Hebrews 11:4 विश्वास ही से हाबिल ने कैन से उत्तम बलिदान परमेश्वर के लिये चढ़ाया; और उसी के द्वारा उसके धर्मी होने की गवाही भी दी गई: क्योंकि परमेश्वर ने उस की भेंटों के विषय में गवाही दी; और उसी के द्वारा वह मरने पर भी अब तक बातें करता है।
Hebrews 11:5 विश्वास ही से हनोक उठा लिया गया, कि मृत्यु को न देखे, और उसका पता नहीं मिला; क्योंकि परमेश्वर ने उसे उठा लिया था, और उसके उठाए जाने से पहिले उस की यह गवाही दी गई थी, कि उसने परमेश्वर को प्रसन्न किया है।
Hebrews 11:6 और विश्वास बिना उसे प्रसन्न करना अनहोना है, क्योंकि परमेश्वर के पास आने वाले को विश्वास करना चाहिए, कि वह है; और अपने खोजने वालों को प्रतिफल देता है।


एक साल में बाइबल: 
  • भजन 51-53
  • रोमियों 2



रविवार, 29 जुलाई 2018

प्रेम


      एक कहानी बताई जाती है कि एक मानवविज्ञानी, एक छोटे गाँव में महीनों के अपने शोध कार्य को समाप्त करके वापस घर जाने की तैयारी कर रहा था। घर लौटने के लिए अपनी सवारी गाड़ी की प्रतीक्षा करते समय, समय बिताने के लिए, उसने अपने साथ खड़े बच्चों के साथ एक खेल खेलना चाहा। उसने कुछ दूरी पर एक पेड़ के नीचे एक टोकरी में कुछ फल और मिठाईयां रखीं और बच्चों से कहा कि जो कोई भागकर पहले उस टोकरी तक पहुँचेगा, वे सभी फल और मिठाईयां उसी की हो जाएँगी। लेकिन जब उसने बच्चों को भागकर टोकरी तक जाने के लिए कहा, तो कोई नहीं भागा, सभी ने एक दूसरे के हाथ पकड़े और सभी एक साथ टोकरी के पास गए।

      जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने ऐसा क्यों किया; क्यों वे सभी एक साथ गए, और भाग कर किसी एक ने टोकरी क्यों नहीं ले ली, तो एक छोटी लड़की ने उत्तर दिया “जब बाकी सभी दुःखी होते, तो हम में से एक कैसे प्रसन्न हो सकता था?” क्योंकि ये बच्चे एक-दूसरे की परवाह करते थे, इसलिए वे सभी उन फलों और मिठाईयों को एक दूसरे के साथ बाँट कर खाना चाहते थे।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि वर्षों तक मूसा की व्यवस्था का अध्ययन करने के पश्चात, प्रेरित पौलुस ने पाया कि परमेश्वर के सारे नियम एक ही नियम में संक्षिप्त किए जा सकते हैं, “क्योंकि सारी व्यवस्था इस एक ही बात में पूरी हो जाती है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख” (गलतियों 5:14; रोमियों 13:9 भी देखें)। पौलुस ने मसीह यीशु में न केवल एक दूसरे के लिए प्रोत्साहन, सहानुभूति, और देखभाल रखने के कारण को पाया, वरन यह सब कर पाने की आत्मिक सामर्थ्य भी पाई।

      क्योंकि मसीह यीशु हमारी देखभाल करता है, इसलिए हम भी एक दूसरे की देखभाल करें। - मार्ट डीहॉन


जब हम एक दूसरे के प्रति प्रेम दिखाते हैं, 
हम परमेश्वर के प्रति अपने प्रेम को प्रदर्शित करते हैं।

तुम एक दूसरे के भार उठाओ, और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो। - गलतियों 6:2

बाइबल पाठ: रोमियों 13:8-11
Romans 13:8 आपस के प्रेम से छोड़ और किसी बात में किसी के कर्जदार न हो; क्योंकि जो दूसरे से प्रेम रखता है, उसी ने व्यवस्था पूरी की है।
Romans 13:9 क्योंकि यह कि व्यभिचार न करना, हत्या न करना; चोरी न करना; लालच न करना; और इन को छोड़ और कोई भी आज्ञा हो तो सब का सारांश इस बात में पाया जाता है, कि अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख।
Romans 13:10 प्रेम पड़ोसी की कुछ बुराई नहीं करता, इसलिये प्रेम रखना व्यवस्था को पूरा करना है।
Romans 13:11 और समय को पहिचान कर ऐसा ही करो, इसलिये कि अब तुम्हारे लिये नींद से जाग उठने की घड़ी आ पहुंची है, क्योंकि जिस समय हम ने विश्वास किया था, उस समय के विचार से अब हमारा उद्धार निकट है।


एक साल में बाइबल: 
  • भजन 49-50
  • रोमियों 1