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रविवार, 19 जनवरी 2020

पहाड़



      यदि आपके मार्ग में पहाड़ बाधा बना हुआ हो तो आप क्या करेंगे? दशरथ मांझी की कहानी हमें प्रेरणा देती है। क्योंकि वह उसे शीघ्रता से अस्पताल नहीं पहुंचा सका, इसलिए त्वरित चिकित्सा न मिल पाने के कारण मांझी की पत्नी का देहांत हो गया; तब मांझी ने वह किया जो असंभव लगता था। उसने अगले बाईस वर्ष पहाड़ खोद कर मार्ग बनाने में लगाए जिससे अन्य गाँव वालों को उनकी आवश्यकता के समय में अस्पताल जाने और चिकित्सा प्राप्त करने में विलम्ब न हो। उसके देहांत से पहले भारत सरकार ने उसके इस प्रयास की सराहना की और उसकी इस उपलब्धि के लिए उसे सम्मानित किया।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में, जरुब्बाबेल को, जो निर्वासन से लौट कर आने वाले लोगों में से एक तथा इस्राएल का एक अगुवा था, मंदिर के पुनर्निर्माण का कार्य असंभव प्रतीत हुआ होगा। मंदिर के पुनर्निर्माण में लगे लोग, विरोधियों के हमलों के कारण हताश थे, और उनके पास न तो रक्षा के लिए कोई बड़ी सेना थी और न ही निर्माण के लिए कोई विशेष संसाधन। परन्तु परमेश्वर ने जरुब्बाबेल के पास ज़कर्याह नबी को पास भेजा, उसे स्मरण करवाने के लिए कि इस कार्य को पूरा करने के लिए किसी सैन्य बल, व्यक्तिगत सामर्थ्य, या मानवीय संसाधनों से बढ़कर अलौकिक शक्ति की आवश्यकता होगी। इसे पूरा करने के लिए परमेश्वर के पवित्र आत्मा के बल की आवश्यकता होगी (ज़कर्याह 4:6)। जरुब्बाबेल ने परमेश्वर की बात और सहायता पर भरोसा किया, और विश्वास रखा कि परमेश्वर किसी भी प्रकार की कठिनाई के प्रत्येक पहाड़ को हटा देगा, तथा मंदिर का पुनर्निर्माण और इस्राएली समुदाय की पुनःस्थापना को करवा देगा (7); और यही हुआ भी।

      जब हमारे सामने कठिनाइयों या परिस्थितियों के पहाड़ आते हैं, तब हम क्या करते हैं? हमारे सामने दो ही विकल्प होते हैं: या तो हम अपनी सामर्थ्य और कौशल पर भरोसा रखें, या फिर परमेश्वर के आत्मा की अगुवाई में होकर उसके निर्देशानुसार कार्य करें। जब हम परमेश्वर पर भरोसा रखते हैं, उसके कहे के अनुसार चलते हैं, तब या तो वह हमारे उस ‘पहाड़’ को हमारे सामने से हटा देता है, या फिर हमें उस ‘पहाड़’ पर चढ़कर उसे पार करने की सामर्थ्य तथा धैर्य देता है। - मार्विन विलियम्स

परमेश्वर के कार्यों को पूरा करने के लिए मानवीय सामर्थ्य अपर्याप्त है।

जो मुझे सामर्थ देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूं। - फिलिप्पियों 4:13

बाइबल पाठ: ज़कर्याह 4:1-7
Zechariah 4:1 फिर जो दूत मुझ से बातें करता था, उसने आकर मुझे ऐसा जगाया जैसा कोई नींद से जगाया जाए।
Zechariah 4:2 और उसने मुझ से पूछा, तुझे क्या देख पड़ता है? मैं ने कहा, एक दीवट है, जो सम्पूर्ण सोने की है, और उसका कटोरा उसकी चोटी पर है, और उस पर उसके सात दीपक है; जिन के ऊपर बत्ती के लिये सात सात नालियां हैं।
Zechariah 4:3 और दीवट के पास जलपाई के दो वृक्ष हैं, एक उस कटोरे की दाहिनी ओर, और दूसरा उसकी बाईं ओर।
Zechariah 4:4 तब मैं ने उस दूत से जो मुझ से बातें करता था, पूछा, हे मेरे प्रभु, ये क्या हैं?
Zechariah 4:5 जो दूत मुझ से बातें करता था, उसने मुझ को उत्तर दिया, क्या तू नहीं जानता कि ये क्या हैं? मैं ने कहा, हे मेरे प्रभु मैं नहीं जानता।
Zechariah 4:6 तब उसने मुझे उत्तर देकर कहा, जरूब्बाबेल के लिये यहोवा का यह वचन है : न तो बल से, और न शक्ति से, परन्तु मेरे आत्मा के द्वारा होगा, मुझ सेनाओं के यहोवा का यही वचन है।
Zechariah 4:7 हे बड़े पहाड़, तू क्या है? जरूब्बाबेल के साम्हने तू मैदान हो जाएगा; और वह चोटी का पत्थर यह पुकारते हुए आएगा, उस पर अनुग्रह हो, अनुग्रह!

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 46-48
  • मत्ती 13:1-30



1 टिप्पणी:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (21-01-2020) को   "आहत है परिवेश"   (चर्चा अंक - 3587)   पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

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