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मंगलवार, 24 अगस्त 2010

अपनी कहानी सुनाओ

न्यूयॉर्क के एक संगठन में कार्य करने वाले एक सलहकार का कहना है उसके स्नातक विद्यार्थी उसके द्वारा उनके सामने रखी गई बातों का केवल लगभग ५ प्रतिशत ही याद रखते हैं, किंतु उन्हीं बातों के दौरान, उदाहरण स्वरूप सुनाई गई कहानियों का लगभग ५० प्रतिशत उन्हें याद रहता है। संपर्क विशेषज्ञों में यह मत बढ़ता जा रहा है कि किसी बात को दूसरों तक पहुंचाने में व्यक्तिगत संपर्क का बहुत महत्व है। किसी भी वकतव्य में, कोरे तथ्य और संख्याएं श्रोताओं को सुला देते हैं किंतु वास्तविक अनुभवों के दृष्टांत उन्हें कार्य करने के लिये प्रेरित करते हैं। लेखिका ऐनैट सिमन्स का कहना है कि किसी भी असफल संपर्क में असफलता का मुख्य कारण मानवीय स्पर्श का अभाव होता है।

मरकुस ५:१-२० में वृतान्त है एक ऐसे मनुष्य का जो दुष्टात्माओं से पीड़ित था, किसी के भी काबू में नहीं रहता था और अपने आप को घायल करता रहता था। प्रभु यीशु ने उसे उन दुष्टआत्माओं से छुड़ाया, तो उस चंगे हुए व्यक्ति ने प्रभु से विनती करी कि अब प्रभु उसे अपने साथ ही रहने दे, "परन्‍तु उस [प्रभु यीशु] ने उसे आज्ञा न दी, और उस से कहा, अपने घर जाकर अपने लोगों को बता, कि तुझ पर दया करके प्रभु ने तेरे लिये कैसे बड़े काम किए हैं। वह जाकर दिकपुलिस में इस बात का प्रचार करने लगा, कि यीशु ने मेरे लिये कैसे बड़े काम किए, और सब अचम्भा करते थे।" (मरकुस ५:१९, २०)

साधारणतया, प्रभु यीशु के सुसमाचार के प्रचार में ज्ञान और वाकपटुता को आवश्यक्ता से कहीं अधिक महत्व दिया जाता है। परमेश्वर ने आप के साथ जो किया है, उसकी सामर्थ को कम मत समझिये, और अपने उद्धार के जीवन कि कहानी लोगों को सुनाने से मत घबराइये। - डेविड मैककैसलैंड


सुसमाचार बांटना, एक व्यक्ति द्वारा किसी दूसरे को अच्छी खबर सुनाने जैसा है।

...अपने घर जाकर अपने लोगों को बता, कि तुझ पर दया करके प्रभु ने तेरे लिये कैसे बड़े काम किए हैं। - मरकुस ५:१९


बाइबल पाठ:

और वे झील के पार गिरासेनियों के देश में पहुंचे।
और जब वह नाव पर से उतरा तो तुरन्‍त एक मनुष्य जिस में अशुद्ध आत्मा थी कब्रों से निकल कर उसे मिला।
वह कब्रों में रहा करता था। और कोई उसे सांकलों से भी न बान्‍ध सकता था।
क्‍योंकि वह बार बार बेडिय़ों और सांकलों से बान्‍धा गया था, पर उस ने साकलों को तोड़ दिया, और बेडिय़ों के टुकड़े टुकड़े कर दिए थे, और कोई उसे वश में नहीं कर सकता था।
वह लगातार रात-दिन कब्रों और पहाड़ो में चिल्लाता, और अपने को पत्थरों से घायल करता था।
वह यीशु को दूर ही से देखकर दौड़ा, और उसे प्रणाम किया।
और ऊंचे शब्‍द से चिल्लाकर कहा "हे यीशु, परमप्रधान परमेश्वर के पुत्र, मुझे तुझ से क्‍या काम? मैं तुझे परमेश्वर की शपथ देता हूं, कि मुझे पीड़ा न दे।"
क्‍योंकि उस ने उस से कहा था, "हे अशुद्ध आत्मा, इस मनुष्य में से निकल आ।"
उस ने उस से पूछा "तेरा क्या नाम है?" उस ने उस से कहा "मेरा नाम सेना है क्‍योंकि हम बहुत हैं।"
और उस ने उस से बहुत बिनती की, हमें इस देश से बाहर न भेज।
वहां पहाड़ पर सूअरों का एक बड़ा झुण्‍ड चर रहा था।
और उन्‍होंने उस से बिनती करके कहा, कि "हमें उन सूअरों में भेज दे, कि हम उन के भीतर जाएं।"
सो उस ने उन्‍हें आज्ञा दी और अशुद्ध आत्मा निकल कर सूअरों के भीतर पैठ गई और झुण्‍ड, जो कोई दो हजार का था, कड़ाडे पर से झपटकर फील में जा पड़ा, और डूब मरा।
और उन के चरवाहों ने भाग कर नगर और गांवों में समाचार सुनाया।
और जो हुआ था, लोग उसे देखने आए। और यीशु के पास आकर, वह जिस में सेना समाई थी, उसे कपड़े पहिने और सचेत बैठे देख कर, डर गए।
और देखने वालों ने उसका जिस में दुष्‍टात्माएं थीं, और सूअरों का पूरा हाल, उन को कह सुनाया।
और वे उस से बिनती कर के कहने लगे, कि हमारे सिवानों से चला जा।
और जब वह नाव पर चढ़ने लगा, तो वह जिस में पहिले दुष्‍टात्माएं थीं, उस से बिनती करने लगा, कि मुझे अपने साथ रहने दे।
परन्‍तु उस ने उसे आज्ञा न दी, और उस से कहा, "अपने घर जाकर अपने लोगों को बता, कि तुझ पर दया करके प्रभु ने तेरे लिये कैसे बड़े काम किए हैं।"
वह जाकर दिकपुलिस में इस बात का प्रचार करने लगा, कि यीशु ने मेरे लिये कैसे बड़े काम किए, और सब अचम्भा करते थे।

एक साल में बाइबल:
  • भजन ११६-११८
  • १ कुरिन्थियों ७:१-१९

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