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सोमवार, 25 अक्तूबर 2010

एक लेखक, मिच अल्बौम, को विचार आया कि यदि कुछ ऐसे व्यक्ति, जिनके पार्थिव जीवन पर आपने इस पृथ्वी पर कोई प्रभाव डाला हो, वे आपसे स्वर्ग में मिलें, और स्वर्ग में आपके पार्थिव जीवन की व्याख्या करें, तो स्वर्ग आपके लिये कैसा स्थान होगा? इस विचार के आधार पर करी गई अपनी कल्पना को उसने पुस्तक रूप में प्रस्तुत किया जिसका शीर्षक है "The Five People You Meet in Heaven"।

मिच अल्बौम की यह पुस्तक इस बात पर अवश्य अन्तःदृष्टि देती है कि जाने-अन्जाने हम कैसे दूसरों के जीवन को कैसे प्रभावित करते रहते हैं, परन्तु एक मसीही विश्वासी के लिये स्वर्ग में अनन्त आनन्द का आधार किसी अन्य व्यक्ति की राय नहीं है। उसके इस अनन्त आनन्द का आधार है प्रभु यीशु मसीह से उसका संबंध। स्वर्ग एक वास्तविक स्थान है, जहां प्रभु यीशु अपने लोगों के लिये तैयारी कर रहा है (यूहन्ना १४:२, ३) और वहां हम प्रभु यीशु से मिल कर सदा आनंदित रहेंगे।

परन्तु प्रभु यीशु से यह स्वर्गीय मुलाकात पृथ्वी पर व्यतीत किये गये हमारे जीवन में प्रभु के प्रति हमारे उतरदायित्व को निभाने का लेखा-जोखा लिये जाने का भी समय होगा। प्रभु द्वारा बुद्धिमानी और न्याय से किया गया हमारे पार्थिव जीवन का मूल्यांकन प्रगट करेगा कि हम उसके प्रति कितने आज्ञाकारी रहे और हमने उससे कैसा प्रेम किया; और स्वर्ग में मिलने वाले हमारे कर्मों के प्रतिफल भी निर्धारित करेगा "क्‍योंकि अवश्य है, कि हम सब का हाल मसीह के न्याय आसन के साम्हने खुल जाए, कि हर एक व्यक्ति अपने अपने भले बुरे कामों का बदला जो उस ने देह के द्वारा किए हों पाए" (२ कुरिन्थियों ५:१०)।

हम यह तो नहीं जानते कि स्वर्ग में सबसे पहले हम किन पाँच लोगों से मिलेंगे, लेकिन यह अवश्य जानते हैं कि सर्वप्रथम हम किससे मिलेंगे - प्रभु यीशु से। क्या आप उससे मिलने और उसके मूल्यांकन के लिये तैयार हैं? - डेनिस फिशर


प्रभु यीशु के साथ अनन्त काल तक रहना अनन्त आनन्द का आधार है।

क्‍योंकि अवश्य है, कि हम सब का हाल मसीह के न्याय आसन के साम्हने खुल जाए, कि हर एक व्यक्ति अपने अपने भले बुरे कामों का बदला जो उस ने देह के द्वारा किए हों पाए। - २ कुरिन्थियों ५:१०


बाइबल पाठ: २ कुरिन्थियों ५:६-११

और जिस ने हमें इसी बात के लिये तैयार किया है वह परमेश्वर है, जिस ने हमें बयाने में आत्मा भी दिया है।
सो हम सदा ढाढ़स बान्‍धे रहते हैं और यह जानते हैं कि जब तक हम देह में रहते हैं, तब तक प्रभु से अलग हैं।
क्‍योंकि हम रूप को देखकर नहीं, पर विश्वास से चलते हैं।
इसलिये हम ढाढ़स बान्‍धे रहते हैं, और देह से अलग होकर प्रभु के साथ रहना और भी उत्तम समझते हैं।
इस कारण हमारे मन की उमंग यह है, कि चाहे साथ रहें, चाहे अलग रहें पर हम उसे भाते रहें।
क्‍योंकि अवश्य है, कि हम सब का हाल मसीह के न्याय आसन के साम्हने खुल जाए, कि हर एक व्यक्ति अपने अपने भले बुरे कामों का बदला जो उस ने देह के द्वारा किए हों पाए।
सो प्रभु का भय मान कर हम लोगों को समझाते हैं और परमेश्वर पर हमारा हाल प्रगट है और मेरी आशा यह है, कि तुम्हारे विवेक पर भी प्रगट हुआ होगा।

एक साल में बाइबल:
  • यर्मियाह ६-८
  • १ तिमुथियुस ५

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