अपने बाइबल अध्ययन में हम इफिसियों ४:१७-२४ ऊंची आवाज़ में पढ़ रहे थे, कि अलीसा रोने लगी। हम उसके रोने से विसमित थे और उसके रोने का कारण जानना चाहते। जब उसका रोना बंद हुआ तो उसने बताया कि "मैं रोई क्योंकि इस खंड को ऊंची आवाज़ में सुनने से मुझे पाप की दशा में खोए हुए लोगों की दशा समझ में आई। वे न केवल परमेश्वर से दूर हैं, वरन उसके बारे में अंधे भी हैं! इससे मेरा दिल टूट गया।
बाद में एक अन्य व्यक्ति ने लज्जित होकर कहा कि उसे ग्लानि हुई क्योंकि मसीह पर विश्वास न रखने वालों के विषय में सोच कर वह कभी उदास नहीं हुआ, अपितु हाल ही में वह उन पर परमेश्वर के आने वाले न्याय को लेकर उत्तेजित था।
प्रेरित पौलुस ने पाप और अविश्वास में खोए हुओं की दशा के बारे में लिखा: "... उनकी बुद्धि अन्धेरी हो गई है और उस अज्ञानता के कारण जो उन में है और उनके मन की कठोरता के कारण वे परमेश्वर के जीवन से अलग किए हुए हैं।" (इफिसियों ४:१८) एक अन्य स्थान पर पौलुस ने अपने अविश्वासी देशवासियों के लिये, क्योंकि उन्होंने मसीह के प्रेम को नहीं जाना था, लिखा: "मैं मसीह में सच कहता हूं, झूठ नहीं बोलता और मेरा विवेक भी पवित्र आत्मा में गवाही देता है कि मुझे बड़ा शोक है, और मेरा मन सदा दुखता रहता है। क्योंकि मैं यहां तक चाहता था, कि अपने भाईयों, के लिये जो शरीर के भाव से मेरे कुटुम्बी हैं, आप ही मसीह से शापित हो जाता।" (रोमियों ९:१-३)
मसीह के प्रति अविश्वासियों की दशा के बारे में सोचने से यदि हम दुखी हो सकते हैं, तो हमें उनके संबंध में परमेश्वर के हृदय पर भी ध्यान करना चाहिये, जिसने कहा: " सो तू ने उन से यह कह, परमेश्वर यहोवा की यह वाणी है, मेरे जीवन की सौगन्ध, मैं दुष्ट के मरने से कुछ भी प्रसन्न नहीं होता, परन्तु इस से कि दुष्ट अपने मार्ग से फिरकर जीवित रहे। हे इस्राएल के घराने, तुम अपने अपने बुरे मार्ग से फिर जाओ; तुम क्यों मरो?" (यहेजेकेल ३३:११)
लोगों को दुष्टों के प्रति परमेश्वर के न्याय में विलम्ब समझ में नहीं आता; उसका यह विलम्ब अन्याय का विलम्ब नहीं वरन उनके प्रति भी उसके प्रेम, धीरज और मनफिराव का यथासंभव अवसर देने का विलम्ब है - " प्रभु अपनी प्रतिज्ञा के विषय में देर नहीं करता, जैसी देर कितने लोग समझते हैं, पर तुम्हारे विषय में धीरज धरता है, और नहीं चाहता, कि कोई नाश हो, वरन यह कि सब को मन फिराव का अवसर मिले।" (२ पतरस ३:९)
जब हम सच्चे और बोझिल मन से पाप और अविश्वास में खोए हुओं के लिये प्रार्थनाएं करेंगे, तो उनकी आंखें भी परमेश्वर के प्रेम के प्रति खुल जाएंगी। - एनी सेटास
मुझे बड़ा शोक है, और मेरा मन सदा दुखता रहता है। - रोमियों ९:२
बाइबल पाठ: इफिसियों ४:१७-२४
इसलिये मैं यह कहता हूं, और प्रभु में जताए देता हूं कि जैसे अन्यजातीय लोग अप्ने मन की अनर्थ की रीति पर चलते हैं, तुम अब से फिर ऐसे न चलो।
क्योंकि उनकी बुद्धि अन्धेरी हो गई है और उस अज्ञानता के कारण जो उन में है और उनके मन की कठोरता के कारण वे परमेश्वर के जीवन से अलग किए हुए हैं।
और वे सुन्न हो कर, लुचपन में लग गए हैं, कि सब प्रकार के गन्दे काम लालसा से किया करें।
पर तुम ने मसीह की ऐसी शिक्षा नहीं पाई।
वरन तुम ने सचमुच उसी की सुनी, और जैसा यीशु में सत्य है, उसी में सिखाए भी गए।
कि तुम पिछले चाल चलन के पुराने मनुष्यत्व को जो भरमाने वाली अभिलाषाओं के अनुसार भ्रष्ट होता जाता है, उतार डालो।
और अपने मन के आत्मिक स्वभाव में नये बनते जाओ।
और नये मनुष्यत्व को पहिन लो, जो परमेश्वर के अनुसार सत्य की धामिर्कता, और पवित्रता में सृजा गया है।
एक साल में बाइबल:
बाद में एक अन्य व्यक्ति ने लज्जित होकर कहा कि उसे ग्लानि हुई क्योंकि मसीह पर विश्वास न रखने वालों के विषय में सोच कर वह कभी उदास नहीं हुआ, अपितु हाल ही में वह उन पर परमेश्वर के आने वाले न्याय को लेकर उत्तेजित था।
प्रेरित पौलुस ने पाप और अविश्वास में खोए हुओं की दशा के बारे में लिखा: "... उनकी बुद्धि अन्धेरी हो गई है और उस अज्ञानता के कारण जो उन में है और उनके मन की कठोरता के कारण वे परमेश्वर के जीवन से अलग किए हुए हैं।" (इफिसियों ४:१८) एक अन्य स्थान पर पौलुस ने अपने अविश्वासी देशवासियों के लिये, क्योंकि उन्होंने मसीह के प्रेम को नहीं जाना था, लिखा: "मैं मसीह में सच कहता हूं, झूठ नहीं बोलता और मेरा विवेक भी पवित्र आत्मा में गवाही देता है कि मुझे बड़ा शोक है, और मेरा मन सदा दुखता रहता है। क्योंकि मैं यहां तक चाहता था, कि अपने भाईयों, के लिये जो शरीर के भाव से मेरे कुटुम्बी हैं, आप ही मसीह से शापित हो जाता।" (रोमियों ९:१-३)
मसीह के प्रति अविश्वासियों की दशा के बारे में सोचने से यदि हम दुखी हो सकते हैं, तो हमें उनके संबंध में परमेश्वर के हृदय पर भी ध्यान करना चाहिये, जिसने कहा: " सो तू ने उन से यह कह, परमेश्वर यहोवा की यह वाणी है, मेरे जीवन की सौगन्ध, मैं दुष्ट के मरने से कुछ भी प्रसन्न नहीं होता, परन्तु इस से कि दुष्ट अपने मार्ग से फिरकर जीवित रहे। हे इस्राएल के घराने, तुम अपने अपने बुरे मार्ग से फिर जाओ; तुम क्यों मरो?" (यहेजेकेल ३३:११)
लोगों को दुष्टों के प्रति परमेश्वर के न्याय में विलम्ब समझ में नहीं आता; उसका यह विलम्ब अन्याय का विलम्ब नहीं वरन उनके प्रति भी उसके प्रेम, धीरज और मनफिराव का यथासंभव अवसर देने का विलम्ब है - " प्रभु अपनी प्रतिज्ञा के विषय में देर नहीं करता, जैसी देर कितने लोग समझते हैं, पर तुम्हारे विषय में धीरज धरता है, और नहीं चाहता, कि कोई नाश हो, वरन यह कि सब को मन फिराव का अवसर मिले।" (२ पतरस ३:९)
जब हम सच्चे और बोझिल मन से पाप और अविश्वास में खोए हुओं के लिये प्रार्थनाएं करेंगे, तो उनकी आंखें भी परमेश्वर के प्रेम के प्रति खुल जाएंगी। - एनी सेटास
अपना मन प्रभु के लिये खोलिये; वह आपकी आंखें खोए हुओं के लिये खोल देगा।
मुझे बड़ा शोक है, और मेरा मन सदा दुखता रहता है। - रोमियों ९:२
बाइबल पाठ: इफिसियों ४:१७-२४
इसलिये मैं यह कहता हूं, और प्रभु में जताए देता हूं कि जैसे अन्यजातीय लोग अप्ने मन की अनर्थ की रीति पर चलते हैं, तुम अब से फिर ऐसे न चलो।
क्योंकि उनकी बुद्धि अन्धेरी हो गई है और उस अज्ञानता के कारण जो उन में है और उनके मन की कठोरता के कारण वे परमेश्वर के जीवन से अलग किए हुए हैं।
और वे सुन्न हो कर, लुचपन में लग गए हैं, कि सब प्रकार के गन्दे काम लालसा से किया करें।
पर तुम ने मसीह की ऐसी शिक्षा नहीं पाई।
वरन तुम ने सचमुच उसी की सुनी, और जैसा यीशु में सत्य है, उसी में सिखाए भी गए।
कि तुम पिछले चाल चलन के पुराने मनुष्यत्व को जो भरमाने वाली अभिलाषाओं के अनुसार भ्रष्ट होता जाता है, उतार डालो।
और अपने मन के आत्मिक स्वभाव में नये बनते जाओ।
और नये मनुष्यत्व को पहिन लो, जो परमेश्वर के अनुसार सत्य की धामिर्कता, और पवित्रता में सृजा गया है।
एक साल में बाइबल:
- होशै ९-११
- प्रकाशितवाक्य ३
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