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सोमवार, 24 जनवरी 2011

एंड्रोमिडा का दृष्टिकोण

बीसवीं सदी के आरंभिक समय में अमेरिका के राष्ट्रपति थियोडोर रूज़्वेल्ट अपने मित्र के साथ प्रति रात्रि एक नियत कार्य करते थे। लेखक लेस्ली बी. फ्लिन ने इस के बारे में लिखा कि "रात को अपने विचार-विमर्श और बातचीत पूरी करने के बाद, यदि आसमान साफ होता तो वे दोनों बाहर जाते और आकाश के एक विशेष भाग पर अपनी दृष्टि करके खोजते रहते जब तक उन्हें एक धुंधला सा प्रकाश पुंज नहीं दिख जाता। जब वह दिख जाता तो वे दोनो एक साथ यह दोहराते ’वह छोटा सा दिखने वाला प्रकाश बिंदु एंड्रोमिडा नक्षत्र पुंज में स्थित स्पाइरल नक्षत्र समूह है। वह अकेला बिंदु हमारी आकाश गंगा नक्षत्र समूह जितना बड़ा है। वह करोड़ों नक्षत्र समूहों में से एक है और उसमें करोड़ों ऐसे सूर्य हैं जो हमारे सूर्य से कहीं बड़े हैं।’ फिर वे अन्त में कहते, ’अब जब हमने अपनी औकात समझ ली है, तो चलो अब दिन की समाप्ति करके सोने चलते हैं।’"

अहंकार सदा मसीही विश्वासी का शत्रु बना रहता है। उसके मन से गुपचुप भाव निकलते रहते हैं कि "मैं कितना महत्वपूर्ण हूं", या "मैं दूसरों से कितना अच्छा हूं।" हमें ऐसे सुझावों के फेर में आकर घमंड में गिर पड़ने से बचे रहना है, इससे पहले कि ऐसा कोई भी सुझाव मन में घर बनाए, उसे मन से उखाड़ फेंकना चाहिये। लगातार प्रार्थना, सदैव पवित्र आत्मा पर निरभर्ता और बाइबल के निरंतर अध्ययन से ही हम अपने संबंध में सही दृष्टिकोण रखने पाएंगे।

पौलूस एक ऐसा व्यक्ति था जिसके पास घमंड करने के लिये हम सब से अधिक करण थे, लेकिन उसने चिताया कि हम कभी अपने आप को हकीकत से अधिक बढ़ चढ़ कर न समझें (रोमियों १२:३)। राष्ट्रपति रूज़्वेल्ट के उदाहरण का अनुसरण करना अच्छा होगा। ’एंड्रोमिडा का दृष्टिकोण’ रखने से हम घमंड में गिरने से बचे रह सकते हैं। - डेव एगनर


मसीह की परछाईं में खड़े होने से हम अपने सही कद को देख सकते हैं।

विनाश से पहिले गर्व, और ठोकर खाने से पहिले घमण्ड होता है। - नीतिवचन १६:१८


बाइबल पाठ: नीतिवचन १६:१६-२२

बुद्धि की प्राप्ति चोखे सोने से क्या ही उत्तम है! और समझ की प्राप्ति चान्दी से अति योग्य है।
बुराई से हटना सीधे लोगों के लिये राजमार्ग है, जो अपने चालचलन की चौकसी करता, वह अपने प्राण की भी रक्षा करता है।
विनाश से पहिले गर्व, और ठोकर खाने से पहिले घमण्ड होता है।
घमण्डियों के संग लूट बांट लेने से, दीन लोगों के संग नम्र भाव से रहना उत्तम है।
जो वचन पर मन लगाता, वह कल्याण पाता है, और जो यहोवा पर भरोसा रखता, वह धन्य होता है।
जिसके हृदय में बुद्धि है, वह समझ वाला कहलाता है, और मधुर वाणी के द्वारा ज्ञान बढ़ता है।
जिसके बुद्धि है, उसके लिये वह जीवन का सोता है, परन्तु मूढ़ों को शिक्षा देना मूढ़ता ही होती है।

एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन ९-११
  • मत्ती १५:२१-३९

1 टिप्पणी:

  1. अहंकार सदा मसीही विश्वासी का शत्रु बना रहता है।

    आप अपने ब्लोग से बहुमूल्य जानकारिया दे रहे हैं , आपका बहुत-बहुत आभार ।

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