जब कभी भी हम दूसरों को नीचा दिखाकर अपने आप को ऊंचा उठाना चाहते हैं, तो अन्ततः नतीजा हानिकारक ही होता है। यह बात एक नीतिकथा द्वारा स्पष्ट करी गई है: अपने तालाब में से एक बैल को पानी पीते देख कर एक छोटा मेंढक घबरा गया और तुरंत फुदक कर अपने दादा जी के पास उन्हें बताने के लिये पहुंचा। दादा जी ने उसकी बात सुनकर ठान लिया कि उनके पोते की दृष्टि में उसके दादा से बड़ा कोई नहीं होना चाहिये। इसलिये उस बुज़ुर्ग मेंढक ने अपने आप को फुलाया और पोते से पूछा, "क्या वह इससे भी बड़ा था?" पोते ने उत्तर दिया, "जी हां दादा जी, और भी बहुत बड़ा।" दादा जी ने अपने को और फुलाया और फिर वही प्रशन किया, और वही उत्तर मिला। बुजुर्ग मेंढक यह बर्दाशात नहीं कर सका, अपने आप को बड़ा बनाने के लिये वह स्वयं को इतना फूलाता गया कि वह फट गया।
अपने बारे में एक स्वस्थ नज़रिया रखना अच्छा है, लेकिन स्वस्थ और सच्चा नज़रिये और घमंड से फूल जाने में बहुत अन्तर है। परमेश्वर द्वारा जैसा और जितना हमें बनाया गया है, अपने आप को उससे अधिक आंकना खतरनाक साबित हो सकता है। अपने अहम को नियंत्रण में रखने का सबसे अच्छा तरीका है कि हम जो कुछ करें, हमारी जो भी उपलबधी हो, हम उसे अपने प्रति परमेश्वर के अनुग्रह का प्रतिफल जाने। ऐसा करने से ही हम व्यर्थ फूलने और अपने अहम को बढ़ाने की मूर्खता से बचे रहेंगे।
पौलुस प्रेरित ने इसे बहुत स्पष्ट रीति से कहा: "क्योंकि मैं उस अनुग्रह के कारण जो मुझ को मिला है, तुम में से हर एक से कहता हूं, कि जैसा समझना चाहिए, उस से बढ़कर कोई भी अपने आप को न समझे पर जैसा परमेश्वर ने हर एक को परिमाण के अनुसार बांट दिया है, वैसा ही सुबुद्धि के साथ अपने को समझे।" (रोमियों १२:३)
यदि हम अपने आप को फुलाते ही रहेंगे तो परिमाण से बाहर होकर फट पड़ेंगे। - पौल वैन गौर्डर
क्योंकि यदि कोई कुछ न होने पर भी अपने आप को कुछ समझता है, तो अपने आप को धोखा देता है। - गलतियों ६:३
बाइबल पाठ: गलतियों ६:१-५
हे भाइयों, यदि कोई मनुष्य किसी अपराध में पकड़ा जाए, तो तुम जो आत्मिक हो, नम्रता के साथ ऐसे को संभालो, और अपनी भी चौकसी रखो, कि तुम भी परीक्षा में न पड़ो।
तुम एक दूसरे के भार उठाओ, और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो।
क्योंकि यदि कोई कुछ न होने पर भी अपने आप को कुछ समझता है, तो अपने आप को धोखा देता है।
पर हर एक अपने ही काम को जांच ले, और तब दूसरे के विषय में नहीं परन्तु अपने ही विषय में उसको घमण्ड करने का अवसर होगा।
क्योंकि हर एक व्यक्ति अपना ही बोझ उठाएगा।
एक साल में बाइबल:
अपने बारे में एक स्वस्थ नज़रिया रखना अच्छा है, लेकिन स्वस्थ और सच्चा नज़रिये और घमंड से फूल जाने में बहुत अन्तर है। परमेश्वर द्वारा जैसा और जितना हमें बनाया गया है, अपने आप को उससे अधिक आंकना खतरनाक साबित हो सकता है। अपने अहम को नियंत्रण में रखने का सबसे अच्छा तरीका है कि हम जो कुछ करें, हमारी जो भी उपलबधी हो, हम उसे अपने प्रति परमेश्वर के अनुग्रह का प्रतिफल जाने। ऐसा करने से ही हम व्यर्थ फूलने और अपने अहम को बढ़ाने की मूर्खता से बचे रहेंगे।
पौलुस प्रेरित ने इसे बहुत स्पष्ट रीति से कहा: "क्योंकि मैं उस अनुग्रह के कारण जो मुझ को मिला है, तुम में से हर एक से कहता हूं, कि जैसा समझना चाहिए, उस से बढ़कर कोई भी अपने आप को न समझे पर जैसा परमेश्वर ने हर एक को परिमाण के अनुसार बांट दिया है, वैसा ही सुबुद्धि के साथ अपने को समझे।" (रोमियों १२:३)
यदि हम अपने आप को फुलाते ही रहेंगे तो परिमाण से बाहर होकर फट पड़ेंगे। - पौल वैन गौर्डर
उपयोग होने लायक छोटा रहना ही परमेश्वर की दृष्टि में बड़ा होना है।
क्योंकि यदि कोई कुछ न होने पर भी अपने आप को कुछ समझता है, तो अपने आप को धोखा देता है। - गलतियों ६:३
बाइबल पाठ: गलतियों ६:१-५
हे भाइयों, यदि कोई मनुष्य किसी अपराध में पकड़ा जाए, तो तुम जो आत्मिक हो, नम्रता के साथ ऐसे को संभालो, और अपनी भी चौकसी रखो, कि तुम भी परीक्षा में न पड़ो।
तुम एक दूसरे के भार उठाओ, और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो।
क्योंकि यदि कोई कुछ न होने पर भी अपने आप को कुछ समझता है, तो अपने आप को धोखा देता है।
पर हर एक अपने ही काम को जांच ले, और तब दूसरे के विषय में नहीं परन्तु अपने ही विषय में उसको घमण्ड करने का अवसर होगा।
क्योंकि हर एक व्यक्ति अपना ही बोझ उठाएगा।
एक साल में बाइबल:
- निर्गमन १४-१५
- मत्ती १७
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