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गुरुवार, 24 मार्च 2011

स्वीकार तो आप ही को करना है

अमेरिका में ऐंड्रू जैक्सन के राष्ट्रपति काल में, अदालत ने एक आदमी को मृत्यु दण्ड की आज्ञा दी। जैक्सन ने उस कैदी को क्षमा दान देना चाहा, परन्तु उस कैदी ने क्षमा दान लेने से इन्कार कर दिया। जेल के अधिकारियों, वकीलों और कई लोगों ने बहुत प्रयास किया कि उस कैदी को मना सकें कि वह क्षमा दान स्वीकार कर ले, उसे यह भी समझाया गया कि क्षमा दान अस्वीकार करना राष्ट्रपति का अपमान होगा, लेकिन वह नहीं माना। अन्ततः सर्वोच न्यायालय को फैसला देने के लिए कहा गया। न्यायालय ने फैसला दिया कि क्षमा दान तब तक लागू नहीं माना जा सकता जब तक वह स्वीकार न किया जाए।

यही बात परमेश्वर के उद्धार के दान पर भी लागू होती है। यद्यपि प्रभु यीशु ने समस्त संसार के सभी लोगों के लिए छुटकारे का मार्ग दिया है, लेकिन केवल वो ही जो उसके इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं, इसका लाभ उठा पाते हैं।

जब तक हम व्यक्तिगत रीति से यीशु को उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार नहीं करते, हम पाप के लिए परमेश्वर के दण्ड से बच नहीं सकते, "जो उस पर विश्वास करता है, उस पर दंड की आज्ञा नहीं होती, परन्‍तु जो उस पर विश्वास नहीं करता, वह दोषी ठहरा चुका; इसलिये कि उस ने परमेश्वर के एकलौते पुत्र के नाम पर विश्वास नहीं किया।" (यूहन्ना ३:१८)

उद्धार का मार्ग सबके लिए खुला है, लेकिन उसका लाभ उठाने और उसका अनुभव करने के लिए पहले उसे स्वीकार करना होगा - और यह आप ही को करना है! - रिचर्ड डी हॉन


उद्धार सेंतमेंत है, किंतु उसे स्वीकार तो करना होगा।

परन्‍तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उस ने उन्‍हें परमेश्वर के सन्‍तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्‍हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। - यूहन्ना १:१२



बाइबल पाठ: यूहन्ना ३:१४-२१

Joh 3:14 और जिस रीति से मूसा ने जंगल में सांप को ऊंचे पर चढ़ाया, उसी रीति से अवश्य है कि मनुष्य का पुत्र भी ऊंचे पर चढ़ाया जाए।
Joh 3:15 ताकि जो कोई विश्वास करे उस में अनन्‍त जीवन पाए।
Joh 3:16 क्‍योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्‍तु अनन्‍त जीवन पाए।
Joh 3:17 परमेश्वर ने अपने पुत्र को जगत में इसलिये नहीं भेजा, कि जगत पर दंड की आज्ञा दे परन्‍तु इसलिये कि जगत उसके द्वारा उद्धार पाए।
Joh 3:18 जो उस पर विश्वास करता है, उस पर दंड की आज्ञा नहीं होती, परन्‍तु जो उस पर विश्वास नहीं करता, वह दोषी ठहरा चुका; इसलिये कि उस ने परमेश्वर के एकलौते पुत्र के नाम पर विश्वास नहीं किया।
Joh 3:19 और दंड की आज्ञा का कारण यह है कि ज्योति जगत में आई है, और मनुष्यों ने अन्‍धकार को ज्योति से अधिक प्रिय जाना क्‍योंकि उन के काम बुरे थे।
Joh 3:20 क्‍योंकि जो कोई बुराई करता है, वह ज्योति से बैर रखता है, और ज्योति के निकट नहीं आता, ऐसा न हो कि उसके कामों पर दोष लगाया जाए।
Joh 3:21 परन्‍तु जो सच्‍चाई पर चलता है वह ज्योति के निकट आता है, ताकि उसके काम प्रगट हों, कि वह परमेश्वर की ओर से किए गए हैं।

एक साल में बाइबल:
  • यहोशू १६-१८
  • लूका २:१-२४

1 टिप्पणी:

  1. सच है बिना स्वीकार किये तो अमृत भी कुछ नहीं कर सकता

    आपने जो लेख लिखा है उसमे आपने सही टैग का प्रयोग नहीं किया है, नीचे दिए गए लिंक पर देखिये मैंने बताया है कि सही टैग का प्रयोग कैसे किया जाए, इससे आपके ब्लॉग को ही फायदा होगा

    हुर्रे, अब हम हैं यू-ट्यूब पार्टनर, अब हमारे साथ आप भी कमाएंगे
    अब कोई ब्लोगर नहीं लगायेगा गलत टैग !!!

    जवाब देंहटाएं