मैं नहीं जानता कि वह सब कहाँ से आ जाता है। इधर-उधर से, कहीं-कहीं से, लकड़ी के तख़ते, टूटी सीढ़ीयां, बोतलें, गेंद खेलने के बल्ले, फावड़े, कुदाल, पानी देने के पाइप आदि सब आकर मेरे गोदाम में जमा हो जाते हैं। इसलिए जब कभी आवश्यक हो जाता है, मैं अपने पुराने कपड़े पहन कर, आस्तीनें चढ़ा कर, कुछ खाली पीपे लेकर, अपने एक बेटे को सहायता के लिए बुलाकर गोदाम की सफाई में जुट जाता हूँ। साफ गोदाम को देखने से जो सन्तोष मिलता है, वही मेरी मेहनत के योग्य प्रतिफल के रूप में काफी है।
हमारे मन-मस्तिष्क के साथ भी कुछ ऐसा ही होता है; वे भी अनचाही बातों से भरते रहते हैं, जिनसे छुटकारा पाना हमारे लिए आवश्यक है। मन को लगी चोटों के घाव, दूसरों के प्रति शिकायतें, द्वेष, कुढ़न, कड़ुवाहट आदि एकत्रित होते रहते हैं। कई अनजाने में किये गए पाप भी जमा हो जाते हैं। अधूरे वायदों की कसक को भी ठीक करना होता है। जब कुंठाएं हमारे मन-मस्तिष्क में एकत्रित होती रहती हैं तो वे फिर परमेश्वर और उसे प्रसन्न रखने के विचारों के लिए जगह ही नहीं छोड़तीं। तब हमारा ध्यान प्रार्थना से हट जाता है, हमारा परमेश्वर के वचन बाइबल का अध्ययन भी बिगड़ जाता है। यह लक्षण बताते हैं कि हमारे मन-मस्तिष्क के गोदाम को सफाई की बहुत आवश्यक्ता हो गई है।
जब सांसारिक बातों के भर जाने से हमारे जीवन से आत्मिक बातों की उपेक्षा होने लगती है, और हमें अपने अन्दर सफाई की आवश्यक्ता का आभास होने लगता है, तो हमें परमेश्वर की पवित्र आत्मा की सहायता से उस कार्य को कर डालना चाहिए। परमेश्वर का पवित्र आत्मा हमारा सहायक है; जिन बातों के लिए वह हमें कायल करे, पश्चाताप के लिए उभारे, किसी से ठीक-ठाक करने के लिए स्मरण दिलाए हमें उन्हें बिना किसी आनाकानी के तुरंत कर लेना चाहिए। जैसे जैसे हम पवित्र आत्मा की अगुवाई में अपने जीवनों को संचालित करेंगे, हम पाएंगे कि परमेश्वर के साथ हमारे संबंध बेहतर बनते जा रहे हैं, परमेश्वर की शांति हमारे जीवनों में वास कर रही है और हमारे मसीही जीवन में एक नया आनन्द भरता जा रहा है।
क्या आपके मन-मस्तिष्क के गोदाम को सफाई की आवश्यक्ता है? देर मत कीजिए। उससे जो आनन्द मिलेगा, वह आपकी आशा से कहीं अधिक होगा। - डेव एगनर
जब मसीही जीवन बोझ बनने लगे तो कारण सांसारिक बातों का एकत्रित हो जाना ही होता है।
जो अपने अपराध छिपा रखता है, उसका कार्य सुफल नहीं होता, परन्तु जो उनको मान लेता और छोड़ भी देता है, उस पर दया की जायेगी। - नीतिवचन२८:१३
बाइबल पाठ: रोमियों ६:११-२३
Rom 6:11 ऐसे ही तुम भी अपने आप को पाप के लिये तो मरा, परन्तु परमेश्वर के लिये मसीह यीशु में जीवित समझो।
Rom 6:12 इसलिये पाप तुम्हारे मरणहार शरीर में राज्य न करे, कि तुम उस की लालसाओं के अधीन रहो।
Rom 6:13 और न अपने अंगो को अधर्म के हथियार होने के लिये पाप को सौंपो, पर अपने आप को मरे हुओं में से जी उठा हुआ जान कर परमश्ेवर को सौंपो, और अपने अंगो को धर्म के हथियार होने के लिये परमेश्वर को सौंपो।
Rom 6:14 और तुम पर पाप की प्रभुता न होगी, क्योंकि तुम व्यवस्था के आधीन नहीं वरन अनुग्रह के आधीन हो।
Rom 6:15 तो क्या हुआ? क्या हम इसलिये पाप करें, कि हम व्यवस्था के आधीन नहीं वरन अनुग्रह के आधीन हैं? कदापि नहीं।
Rom 6:16 क्या तुम नहीं जानते, कि जिस की आज्ञा मानने के लिये तुम अपने आप को दासों की नाईं सौंप देते हो, उसी के दास हो: और जिस की मानते हो, चाहे पाप के, जिस का अन्त मृत्यु है, चाहे आज्ञा मानने के, जिस का अन्त धामिर्कता है?
Rom 6:17 परन्तु परमश्ेवर का धन्यवाद हो, कि तुम जो पाप के दास थे तौभी मन से उस उपदेश के मानने वाले हो गए, जिस के सांचे में ढाले गए थे।
Rom 6:18 और पाप से छुड़ाए जाकर धर्म के दास हो गए।
Rom 6:19 मैं तुम्हारी शारीरिक र्दुबलता के कारण मनुष्यों की रीति पर कहता हूं, जैसे तुम ने अपने अंगो को कुकर्म के लिये अशुद्धता और कुकर्म के दास करके सौंपा था, वैसे ही अब अपने अंगों को पवित्रता के लिये धर्म के दास करके सौंप दो।
Rom 6:20 जब तुम पाप के दास थे, तो धर्म की ओर से स्वतंत्र थे।
Rom 6:21 सो जिन बातों से अब तुम लज्जित होते हो, उन से उस समय तुम क्या फल पाते थे?
Rom 6:22 क्योंकि उन का अन्त तो मृत्यु है परन्तु अब पाप से स्वतंत्र हो कर और परमेश्वर के दास बन कर तुम को फल मिला जिस से पवित्रता प्राप्त होती है, और उसका अन्त अनन्त जीवन है।
Rom 6:23 क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु यीशु मसीह में अनन्त जीवन है।
Rom 6:11 ऐसे ही तुम भी अपने आप को पाप के लिये तो मरा, परन्तु परमेश्वर के लिये मसीह यीशु में जीवित समझो।
Rom 6:12 इसलिये पाप तुम्हारे मरणहार शरीर में राज्य न करे, कि तुम उस की लालसाओं के अधीन रहो।
Rom 6:13 और न अपने अंगो को अधर्म के हथियार होने के लिये पाप को सौंपो, पर अपने आप को मरे हुओं में से जी उठा हुआ जान कर परमश्ेवर को सौंपो, और अपने अंगो को धर्म के हथियार होने के लिये परमेश्वर को सौंपो।
Rom 6:14 और तुम पर पाप की प्रभुता न होगी, क्योंकि तुम व्यवस्था के आधीन नहीं वरन अनुग्रह के आधीन हो।
Rom 6:15 तो क्या हुआ? क्या हम इसलिये पाप करें, कि हम व्यवस्था के आधीन नहीं वरन अनुग्रह के आधीन हैं? कदापि नहीं।
Rom 6:16 क्या तुम नहीं जानते, कि जिस की आज्ञा मानने के लिये तुम अपने आप को दासों की नाईं सौंप देते हो, उसी के दास हो: और जिस की मानते हो, चाहे पाप के, जिस का अन्त मृत्यु है, चाहे आज्ञा मानने के, जिस का अन्त धामिर्कता है?
Rom 6:17 परन्तु परमश्ेवर का धन्यवाद हो, कि तुम जो पाप के दास थे तौभी मन से उस उपदेश के मानने वाले हो गए, जिस के सांचे में ढाले गए थे।
Rom 6:18 और पाप से छुड़ाए जाकर धर्म के दास हो गए।
Rom 6:19 मैं तुम्हारी शारीरिक र्दुबलता के कारण मनुष्यों की रीति पर कहता हूं, जैसे तुम ने अपने अंगो को कुकर्म के लिये अशुद्धता और कुकर्म के दास करके सौंपा था, वैसे ही अब अपने अंगों को पवित्रता के लिये धर्म के दास करके सौंप दो।
Rom 6:20 जब तुम पाप के दास थे, तो धर्म की ओर से स्वतंत्र थे।
Rom 6:21 सो जिन बातों से अब तुम लज्जित होते हो, उन से उस समय तुम क्या फल पाते थे?
Rom 6:22 क्योंकि उन का अन्त तो मृत्यु है परन्तु अब पाप से स्वतंत्र हो कर और परमेश्वर के दास बन कर तुम को फल मिला जिस से पवित्रता प्राप्त होती है, और उसका अन्त अनन्त जीवन है।
Rom 6:23 क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु यीशु मसीह में अनन्त जीवन है।
एक साल में बाइबल:
- नीतिवचन ६-७
- २ कुरिन्थियों २
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