हमारे आस-पास और संसार में घटने वाली प्रतिदिन की घटनाएं हमें निराशा की ओर धकेलेती हैं: जवान और मेहनती किसान अपनी फसल के बुरे हाल और अपने कर्ज़ को चुका ना पाने से परेशान है और आत्म हत्या को विकल्प के रूप में देखता है; यातायात दुर्घटनाओं से प्रभावित और बिखरे परिवार के बचे सदस्य विस्मित हैं कि सरकार या प्रशासनिक अधिकारी इन्हें क्यों रोक नहीं पाते तथा आधुनिक विज्ञान तथा टेकनॉलौजी इनका समाधान दे पाने में क्यों असक्षम हैं; एक सुशिक्षित किंतु बेरोज़गार युवक उपयुक्त रोज़गार जुटा पाने में असमर्थ है और छोटी-मोटी नौकरी या मेहनत-मज़दूरी कर के ही अपना गुज़र-बसर कर रहा है; आए दिन होने वाले लूट-पाट और खून-खराबे तथा छोटी-छोटी बातों पर होने वाले बड़े-बड़े झगड़े; धर्म और जाति के आधार पर टूटता बँटता लड़ता समाज; ये सब आम आदमी के दिल में निराशा और भविष्य के लिए दहशत भरता रहता है। समाज की दशा और जीवन पर लगे ये और ऐसे ही अनगिनित प्रश्नचिन्ह सोचने पर मजबूर करते हैं कि क्या कोई नियंत्रण में है? क्या कहीं कोई आशा है? किंतु यही परिस्थितियाँ एक मसीही विश्वासी को इब्रानियों २:८, ९ की सच्चाई को स्मरण दिलाती हैं; वह सच्चाई जो उसे भविष्य के लिए भरोसा तथा वर्तमान के लिए शांति देती है।
यह सर्वविदित है कि पृथ्वी पर जिस अधिकार को रखने के लिए परमेश्वर ने हम मनुष्यों को सृजा था (उत्पत्ति १:२६), हम वह अधिकार सही रीति से निभा नहीं पा रहे हैं; लेकिन इस खामी का आभास मसीही विश्वासी के लिए हताश और निराश होने का नहीं वरन परमेश्वर की ओर देखने और उसकी योजनाओं एवं उद्देश्यों को पहचानने का प्रेरक है, विश्वास से प्रभु यीशु की ओर देखने का कारण है। प्रभु यीशु पृथ्वी पर साधारण मनुष्य की तरह रहा और जीया, पाप पर जयवन्त रहा, समस्त मानव जाति के पापों की कीमत कलवरी के क्रूस पर चुकाई और मृत्यु की सामर्थ को तोड़ डाला। आज हम विश्वास रखते और जानते हैं कि प्रभु यीशु परमेश्वर के दाहिने बैठा है, और लगभग २००० वर्ष पूर्व उसके द्वारा कलवरी के क्रूस पर पूरा किए गए कार्य उस पर विश्वास करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को पापों से क्षमा और उद्धार देता है। स्वर्ग तथा पृथ्वी का सारा अधिकार प्रभु यीशु ही को दिया गया है, और वह अभी भी सब बातों पर नियंत्रण रखता है। वह निर्धारित समय पर पुनः आएगा, उस का राज्य स्थापित होगा और परमेश्वर की शांति बहाल हो जाएगी।
इस संसार के सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक, प्रशसानिक, वैज्ञानिक और अन्य कोई भी अगुवे कैसे भी दावे क्यों ना करते रहें, भविश्य के कैसे भी सपने क्यों ना दिखाते रहें, किंतु संसार का इतिहास और परिस्थितियों पर ध्यान करने वालों को विदित है कि प्रभु यीशु का इन्कार करने और उस पर अविश्वास करने वाला यह संसार हर प्रकार की परेशानियों में पड़ा है और अविराल बद से बदतर हालात में लुढ़कता जा रहा है; संसार में हर जगह शांति का नहीं हर प्रकार की अशांति और अराजकता का राज्य है। किंतु अद्भुत बात यह है कि अपने चारों ओर की इन अनियंत्रित और लगातार बिगड़ती परिस्थितियों में भी मसीह यीशु के विश्वासी अपने प्रभु की शांति को अनुभव करते हैं और उसमें आनन्दित होते हैं।
आज हम विश्वास की आँखों से अपने प्रभु को देख सकते हैं, वह हमारे सुनहरे भविष्य का भरोसा और हमारे वर्तमान की आशा है। - हर्ब वैण्डर लुग्ट
आज चाहे बाहर कुछ भी स्पष्ट नहीं दिखता हो, किंतु हम ऊपर साफ-साफ देख सकते हैं।
बाइबल पाठ: इब्रानियों २:१-१५
Heb 2:1 इस कारण चाहिए, कि हम उन बातों पर जो हम ने सुनी हैं और भी मन लगाएं, ऐसा न हो कि बहक कर उन से दूर चले जाएं।
Heb 2:2 क्योंकि जो वचन स्वर्गदूतों के द्वारा कहा गया था जब वह स्थिर रहा ओर हर एक अपराध और आज्ञा न मानने का ठीक ठीक बदला मिला।
Heb 2:3 तो हम लोग ऐसे बड़े उद्धार से निश्चिन्त रह कर क्यों कर बच सकते हैं जिस की चर्चा पहिले पहिल प्रभु के द्वारा हुई, और सुनने वालों के द्वारा हमें निश्चय हुआ।
Heb 2:4 और साथ ही परमेश्वर भी अपनी इच्छा के अनुसार चिन्हों, और अद्भुत कामों, और नाना प्रकार के सामर्थ के कामों, और पवित्र आत्मा के वरदानों के बांटने के द्वारा इस की गवाही देता रहा।
Heb 2:5 उस ने उस आने वाले जगत को जिस की चर्चा हम कर रहे हैं, स्वर्गदूतों के आधीन न किया।
Heb 2:6 वरन किसी ने कहीं, यह गवाही दी है, कि मनुष्य क्या हैं, कि तू उस की सुधि लेता है या मनुष्य का पुत्र क्या है, कि तू उस पर दृष्टि करता है?
Heb 2:7 तू ने उसे स्वर्गदूतों से कुछ ही कम किया; तू ने उस पर महिमा और आदर का मुकुट रखा और उसे अपने हाथों के कामों पर अधिकार दिया।
Heb 2:8 तू ने सब कुछ उसके पांवों के नीचे कर दिया: इसलिये जब कि उस ने सब कुछ उसके आधीन कर दिया, तो उस ने कुछ भी रख न छोड़ा, जो उसके आधीन न हो : पर हम अब तक सब कुछ उसके आधीन नहीं देखते।
Heb 2:9 पर हम को यीशु जो स्वर्गदूतों से कुछ ही कम किया गया था, मृत्यु का दुख उठाने के कारण महिमा और आदर का मुकुट पहिने हुए देखते हैं; ताकि परमेश्वर के अनुग्रह से हर एक मनुष्य के लिये मृत्यु का स्वाद चखे।
Heb 2:10 क्योंकि जिस के लिये सब कुछ है, और जिस के द्वारा सब कुछ है, उसे यही अच्छा लगा कि जब वह बहुत से पुत्रों को महिमा में पहुंचाए, तो उन के उद्धार के कर्ता को दुख उठाने के द्वारा सिद्ध करे।
Heb 2:11 क्योंकि पवित्र करने वाला और जो पवित्र किए जाते हैं, सब एक ही मूल से हैं: इसी कारण वह उन्हें भाई कहने से नहीं लजाता।
Heb 2:12 पर कहता है, कि मैं तेरा नाम अपने भाइयों को सुनाऊंगा, सभा के बीच में मैं तेरा भजन गाऊंगा।
Heb 2:13 और फिर यह, कि मैं उस पर भरोसा रखूंगा; और फिर यह कि देख, मैं उन लड़कों सहित जिसे परमेश्वर ने मुझे दिए।
Heb 2:14 इसलिये जब कि लड़के मांस और लोहू के भागी हैं, तो वह आप भी उन के समान उन का सहभागी हो गया, ताकि मृत्यु के द्वारा उसे जिसे मृत्यु पर शक्ति मिली थी, अर्थात शैतान को निकम्मा कर दे।
Heb 2:15 और जितने मृत्यु के भय के मारे जीवन भर दासत्व में फंसे थे, उन्हें छुड़ा ले।
एक साल में बाइबल:
- ज़कर्याह ५-८
- प्रकाशितवाक्य १९
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