उत्तरी अमेरिका के प्रशांत महासागर के तट के पास उगने वाले रेडवुड वृक्ष संसार के सबसे बड़े वृक्षों में से हैं। इनमें जो सबसे ऊँचा नापा गया पेड़ है, उसकी उँचाई धरती से ३७९ फुट ऊपर है। कैलिफोर्निया राज्य के मुयिर राष्ट्रीय उद्यान में इन विशाल वृक्षों के बीच खड़ा होकर मुझे बहुत विसमय हुआ; मेरे लिए यह एक अभिभूत कर देने वाला अनुभव था। ३० मंज़िली इमारत के समान ऊँचाई वाले ये वृक्ष मानो मुझे धरती से जोड़ रहे थे और मेरे विचारों को ऊँचाईयों की ओर ले जा रहे थे।
इन विशाल वृक्षों की जड़ के पास खड़े होकर जो मैंने अनुभव किया था, उसका स्मरण मुझे उनके आरंभ के बारे में सोचने को बार बार बाध्य करता है। मानव जाति के इतिहास के समान इन विशाल वृक्षों का आरंभ भी उसी सृष्टिकर्ता के साथ जुड़ा है जो अपनी सृष्टि से असीम और अनन्त रूप में महान तथा विशाल है।
इस सृष्टिकर्ता परमेश्वर की एक झलक यशायाह भविष्यद्वक्ता ने एक दर्शन में देखी। इस दर्शन में यशायाह ने मसीह के राज्य और नई धरती तथा नए स्वर्ग को देखा जहां आकाश परमेश्वर का सिंहासन और पृथ्वी उसके पांव तले की चौकी है (यशायाह ६६:१)। यशायाह ने दर्शन में इससे भी अधिक अचरज की बात देखी - एक ऐसा परमेश्वर जो चाहता है कि उसकी प्रजा उसकी सृष्टि में सदा हर्षित और मगन रहे (यशायाह ६५:१८) और वह उन लोगों की ओर ध्यान लगाए रखता है जो खेदित मन रखते हैं और उसके वचन का भय मानते हैं (यशायाह ६६:२)।
यही परमेश्वर संसार को पापों से मुक्ति देने के लिए संसार में प्रभु यीशु के रूप में एक साधारण मनुष्य के समान आया; ऐसा मनुष्य "जिस ने परमेश्वर के स्वरूप में होकर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा। वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया। और मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली। इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है। कि जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे हैं वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें। और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है" (फिलिप्पियों २:५-११)। आज जो अपने आप को उसके सामने दीन कर देता है, उसे वह सदा काल के लिए स्वर्ग की ऊँचाईयों तक उठा देता है। - मार्ट डी हॉन
परमेश्वर की सृष्टि उसे समर्पण और उसकी आराधना के लिए प्ररित करती है।
...क्योंकि मेरी प्रजा की आयु वृक्षों की सी होगी, और मेरे चुने हुए अपने कामों का पूरा लाभ उठाएंगे। - यशायाह ६५:२२
बाइबल पाठ: यशायाह ६५:१७-६६:२
Isa 65:17 क्योंकि देखो, मैं नया आकाश और नई पृथ्वी उत्पन्न करने पर हूं, और पहिली बातें स्मरण न रहेंगी और सोच विचार में भी न आएंगी।
Isa 65:18 इसलिये जो मैं उत्पन्न करने पर हूं, उसके कारण तुम हषिर्त हो और सदा सर्वदा मगन रहो; क्योंकि देखो, मैं यरूशलेम को मगन और उसकी प्रजा को आनन्दित बनाऊंगा।
Isa 65:19 मैं आप यरूशलेम के कारण मगन, और अपनी प्रजा के हेतु हषिर्त हूंगा; उस में फिर रोने वा चिल्लाने का शब्द न सुनाई पड़ेगा।
Isa 65:20 उस में फिर न तो थोड़े दिन का बच्चा, और न ऐसा बूढ़ा जाता रहेगा जिस ने अपनी आयु पूरी न की हो; क्योंकि जो लड़कपन में मरने वाला है वह सौ वर्ष का होकर मरेगा, परन्तु पापी सौ वर्ष का होकर श्रापित ठहरेगा।
Isa 65:21 वे घर बनाकर उन में बसेंगे; वे दाख की बारियां लगाकर उनका फल खाएंगे।
Isa 65:22 ऐसा नहीं होगा कि वे बनाएं और दूसरा बसे; वा वे लगाएं, और दूसरा खाए; क्योंकि मेरी प्रजा की आयु वृक्षों की सी होगी, और मेरे चुने हुए अपने कामों का पूरा लाभ उठाएंगे।
Isa 65:23 उनका परिश्रम व्यर्थ न होगा, न उनके बालक घबराहट के लिये उत्पन्न होंगे; क्योंकि वे यहोवा के धन्य लोगों का वंश ठहरेंगे, और उनके बालबच्चे उन से अलग न होंगे।
Isa 65:24 उनके पुकारने से पहिले ही मैं उनको उत्तर दूंगा, और उनके मांगते ही मैं उनकी सुन लूंगा।
Isa 65:25 भेडिय़ा और मेम्ना एक संग चरा करेंगे, और सिंह बैल की नाईं भूसा खाएगा; और सर्प का आहार मिट्टी ही रहेगा। मेरे सारे पवित्र पर्वत पर न तो कोई किसी को दु:ख देगा और न कोई किसी की हानि करेगा, यहोवा का यही वचन है।
Isa 66:1 यहोवा यों कहता है, आकाश मेरा सिंहासन और पृथ्वी मेरे चरणों की चौकी है; तुम मेरे लिये कैसा भवन बनाओगे, और मेरे विश्राम का कौन सा स्थान होगा?
Isa 66:2 यहोवा की यह वाणी है, ये सब वस्तुएं मेरे ही हाथ की बनाई हुई हैं, सो ये सब मेरी ही हैं। परन्तु मैं उसी की ओर दृष्टि करूंगा जो दीन और खेदित मन का हो, और मेरा वचन सुनकर थरथराता हो।
एक साल में बाइबल:
- यशायाह ६५-६६
- १ तिमुथियुस २
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