कुछ परिस्थितियों के कारण मैं निराश और परेशान थी और सोच रही थी कि कैसे मैं इस नकारत्मक मन्सा से बाहर निकलूँ। मैंने अपनी किताबों की अलमारी से सूज़न लेंज़्किस की पुस्तक Life is Licking Honey Off a Thorn निकाली और पढ़ने लगी। एक स्थान पर मैंने पढ़ा: "आँसू और हँसी, जैसे भी आएं, हम उन्हें स्वीकार करते हैं, और यथार्थ के अपने परमेश्वर पर उनका अर्थ और उद्देश्य समझाना छोड़ देते हैं।"
उस लेखिका ने लिखा कि कुछ लोग आशावादी होते हैं जो सदा आनन्द और अच्छी यादों में जीते रहते हैं और जीवन की कड़ुवी बातों को नज़रंदाज़ करते हैं। कुछ निराशावादी होते हैं, जो जीवन कि हानियों पर ही ध्यान लगाए रखते हैं और अपने जीवन के आनन्द तथा जय को खो देते हैं। लेकिन जो प्रभु यीशु में सच्चे विश्वास के साथ जीवन जीते हैं वे यथार्थवादी होते हैं और जीवन में मिलने वाले अच्छे-बुरे सब को स्वीकार करते हैं, इस निश्चय के साथ कि प्रभु हमसे प्रेम करता है और हर बात के द्वारा हमारी भलाई और अपनी महिमा उत्पन्न करने के लिए कार्य कर रहा है।
वह पुस्तक पढ़ते पढ़ते मैंने खिड़की के बाहर देखा तो घने काले बादल घिरे हुए थे और बरसात हो रही थी। कुछ समय के बाद हवा चलने लगी, बादल उड़ गए, स्वच्छ नीला आकाश दिखने लगा और धूप फिर खिल उठी। मैं सोचने लगी जीवन के तूफान भी ऐसे ही आते-जाते रहते हैं।
हम मसीही विश्वासी रोमियों ८:२८ में दी परमेश्वर कि प्रतिज्ञा को भरोसे के साथ थामे रह सकते हैं "और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिल कर भलाई ही को उत्पन्न करती हैं; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं।" विश्वासी जन क्लेषों से निराश नहीं होते, "क्योंकि हमारा पल भर का हल्का सा क्लेश हमारे लि्ये बहुत ही महत्वपूर्ण और अनन्त जीवन महिमा उत्पन्न करता जाता है" (२ कुरिन्थियों ४:१७)।
परमेश्वर हमसे प्रेम करता है और हमें उस दिन के लिए तैयार कर रहा है जब जीवन की काली घटाएं और तूफान सदा के लिए जाते रहेंगे और परमेश्वर की महिमा तथा उसके प्रेम का प्रकाश अनन्त काल तक हमारे जीवनों को रौशन करता रहेगा। - एने सेटास
परमेश्वर ने मंज़िल पर सुरक्षित पहुँचाने का वायदा किया है, सुखद यात्रा देने का नहीं।
क्योंकि हमारा पल भर का हल्का सा क्लेश हमारे लिये बहुत ही महत्वपूर्ण और अनन्त जीवन महिमा उत्पन्न करता जाता है। - २ कुरिन्थियों ४:१७
बाइबल पाठ: रोमियों ८:१३-३०
Rom 8:13 क्योंकि यदि तुम शरीर के अनुसार दिन काटोगे, तो मरोगे, यदि आत्मा से देह की क्रियाओं को मारोगे, तो जीवित रहोगे।
Rom 8:14 इसलिये कि जितने लोग परमेश्वर के आत्मा के चलाए चलते हैं, वे ही परमेश्वर के पुत्र हैं।
Rom 8:15 क्योंकि तुम को दासत्व की आत्मा नहीं मिली, कि फिर भयभीत हो परन्तु लेपालकपन की आत्मा मिली है, जिस से हम हे अब्बा, हे पिता कहकर पुकारते हैं।
Rom 8:16 आत्मा आप ही हमारी आत्मा के साथ गवाही देता है, कि हम परमेश्वर की सन्तान हैं।
Rom 8:17 और यदि सन्तान हैं, तो वारिस भी, वरन परमेश्वर के वारिस और मसीह के संगी वारिस हैं, जब कि हम उसके साथ दुख उठाएं कि उसके साथ महिमा भी पाएं।
Rom 8:18 क्योंकि मैं समझता हूं, कि इस समय के दु:ख और क्लेश उस महिमा के साम्हने, जो हम पर प्रगट होने वाली है, कुछ भी नहीं हैं।
Rom 8:19 क्योंकि सृष्टि बड़ी आशाभरी दृष्टि से परमेश्वर के पुत्रों के प्रगट होने की बाट जोह रही है।
Rom 8:20 क्योंकि सृष्टि अपनी इच्छा से नहीं पर आधीन करने वाले की ओर से व्यर्थता के आधीन इस आशा से की गई।
Rom 8:21 कि सृष्टि भी आप ही विनाश के दासत्व से छुटकारा पाकर, परमेश्वर की सन्तानों की महिमा की स्वतंत्रता प्राप्त करेगी।
Rom 8:22 क्योंकि हम जानते हैं, कि सारी सृष्टि अब तक मिलकर कहरती और पीड़ाओं में पड़ी तड़पती है।
Rom 8:23 और केवल वही नहीं पर हम भी जिन के पास आत्मा का पहिला फल है, आप ही अपने में कहरते हैं, और लेपालक होने की, अर्थात अपनी देह के छुटकारे की बाट जोहते हैं।
Rom 8:24 आशा के द्वारा तो हमारा उद्धार हुआ है परन्तु जिस वस्तु की आशा की जाती है जब वह देखने में आए, तो फिर आशा कहां रही? क्योंकि जिस वस्तु को कोई देख रहा है उस की आशा क्या करेगा?
Rom 8:25 परन्तु जिस वस्तु को हम नहीं देखते, यदि उस की आशा रखते हैं, तो धीरज से उस की बाट जोहते भी हैं।
Rom 8:26 इसी रीति से आत्मा भी हमारी र्दुबलता में सहायता करता है, क्योंकि हम नहीं जानते, कि प्रार्थना किस रीति से करना चाहिए; परन्तु आत्मा आप ही ऐसी आहें भर भरकर जो बयान से बाहर है, हमारे लिये बिनती करता है।
Rom 8:27 और मनों का जांचने वाला जानता है, कि आत्मा की मनसा क्या है क्योंकि वह पवित्र लोगों के लिये परमेश्वर की इच्छा के अनुसार बिनती करता है।
Rom 8:28 और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती हैं; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं।
Rom 8:29 क्योंकि जिन्हें उस ने पहिले से जान लिया है उन्हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों ताकि वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे।
Rom 8:30 फिर जिन्हें उस ने पहिले से ठहराया, उन्हें बुलाया भी, और जिन्हें बुलाया, उन्हें धर्मी भी ठहराया है, और जिन्हें धर्मी ठहराया, उन्हें महिमा भी दी है।
एक साल में बाइबल:
- यहेजकेल १८-१९
- याकूब ४
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