मेरे एक मित्र का घर झील के किनारे बना है; घर का एक भाग झील तक जाता है। घर के अन्दर की दीवारों पर कई फोटो टंगे हैं, प्रत्येक फोटो भिन्न ऋतुओं में झील तक जाने वाले भाग से सूर्यास्त के समय झील और उसके आस-पास के इलाके की ली गई है। सभी फोटो बहुत सुन्दर हैं किंतु कोई भी दो फोटो एक समान नहीं हैं। उन फोटो को देखकर मुझे मेरे एक अन्य मित्र द्वारा सूर्यास्त के बारे में कही गई बात स्मरण हो आती है; सूर्यास्त को परिभाषित करते हुए उस मित्र ने कहा था: "दिन के अन्त पर परमेश्वर के सुन्दर हस्ताक्षर!"
परमेश्वर के अनुपम हस्ताक्षर ना केवल प्रत्येक सूर्यास्त पर होते हैं वरन उस की प्रत्येक संतान पर भी होते हैं। मुझे सदा ही यह देखकर आनन्द होता है कि कैसे प्रत्येक व्यक्ति अन्य किसी भी व्यक्ति से भिन्न होता है। परमेश्वर असीम रूप से रचनात्मक है और उसकी यह रचनात्मक प्रतिभा हमारे शरीर की भिन्नता, भिन्न व्यक्तित्वों, योग्यताओं, पसन्द-नापसन्द, जीवन के प्रति रवैये, परिस्थितियों के प्रति प्रतिक्रीया आदि में दिखाई देती है; प्रत्येक जन एक अनुपम सृष्टि है, कोई किसी की प्रतिलिपि नहीं है।
यही विलक्षण अनुपमता हम मण्डली अर्थात मसीह यीशु की देह में भी देखते हैं। उस देह में हम देखते हैं कि कैसे भिन्न आत्मिक वरदान आपस में संबंधित होते हैं और मिलकर एक साथ परमेश्वर के उद्देश्यों की पूर्ति और उस की महिमा के लिए कार्य कर सकते हैं। परमेश्वर के वचन बाइबल में १ कुरिन्थियों १२:४-६ में हम पढ़ते हैं: "वरदान तो कई प्रकार के हैं, परन्तु आत्मा एक ही है। और सेवा भी कई प्रकार की है, परन्तु प्रभु एक ही है। और प्रभावशाली कार्य कई प्रकार के हैं, परन्तु परमेश्वर एक ही है, जो सब में हर प्रकार का प्रभाव उत्पन्न करता है।"
परमेश्वर के हस्ताक्षर जो उसकी रचि प्रकृति में इतने स्पष्ट विदित हैं, उसके लोगों में भी पाए जाते हैं। इस विविधता में होकर भी एक ही लक्ष्य और कार्य को संपन्न कराने वाला अद्भुत परमेश्वर हम मसीही विश्वासियों का प्रेमी पिता भी है जो हमारी हर आवश्यकता को जानता है और उसे पूरा करता है। उसकी विलक्षण सामर्थ पर विश्वास रखें और उसके द्वारा दिए गए वरदानों को उस की महिमा के लिए उपयोग करते रहें। - सिंडी हैस कैसपर
परमेश्वर के हस्ताक्षर उसकी सृष्टि में दिखाई देते हैं।
तब परमेश्वर ने जो कुछ बनाया था, सब को देखा, तो क्या देखा, कि वह बहुत ही अच्छा है। - उत्पत्ति १:३१
बाइबल पाठ: उत्पत्ति १:२७-३१
Gen 1:27 तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी करके उस ने मनुष्यों की सृष्टि की।
Gen 1:28 और परमेश्वर ने उनको आशीष दी : और उन से कहा, फूलो-फलो, और पृथ्वी में भर जाओ, और उसको अपने वश में कर लो; और समुद्र की मछलियों, तथा आकाश के पक्षियों, और पृथ्वी पर रेंगने वाले सब जन्तुओं पर अधिकार रखो।
Gen 1:29 फिर परमेश्वर ने उन से कहा, सुनो, जितने बीज वाले छोटे छोटे पेड़ सारी पृथ्वी के ऊपर हैं और जितने वृक्षों में बीज वाले फल होते हैं, वे सब मैं ने तुम को दिए हैं, वे तुम्हारे भोजन के लिये हैं :
Gen 1:30 और जितने पृथ्वी के पशु, और आकाश के पक्षी, और पृथ्वी पर रेंगने वाले जन्तु हैं, जिन में जीवन के प्राण हैं, उन सब के खाने के लिये मैं ने सब हरे हरे छोटे पेड़ दिए हैं; और वैसा ही हो गया।
Gen 1:31 तब परमेश्वर ने जो कुछ बनाया था, सब को देखा, तो क्या देखा, कि वह बहुत ही अच्छा है। तया सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार छठवां दिन हो गया।
एक साल में बाइबल:
- यहेजकेल ४५-४६
- १ यूहन्ना २
बेहतर लेखन !!
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