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गुरुवार, 24 जनवरी 2013

समकालीन


   आयर्लैंड देश के डबलिन शहर में स्थित चेस्टर बीटी पुस्तकालय में परमेश्वर के वचन बाइबल के प्राचीन अंशों का व्यापक संग्रह है, जिनमें से कुछ ईसवीं दो तक के हैं। इनमें से एक अंश जो प्रदर्शन पर रखा हुआ है वह प्रेरितों १७:१६ को दिखाता है। उसमें लिखा है, "जब पौलुस अथेने में उन की बाट जोह रहा था, तो नगर को मूरतों से भरा हुआ देखकर उसका जी जल गया।"

   उस प्राचीन अंश पर तब लिखी गई बात आज के अख़बार जितनी ही समकालीन है। प्राचीन एथेंस शहर को मूर्तों से भरा देख कर पौलुस अति विचलित हो उठा, और मुझे पूर्ण विश्वास है कि हमारी आज की हालत देख कर भी पौलुस ठीक वैसा ही अनुभव करता। लेकिन एथेंस के लोगों के साथ पौलुस का व्यवहार और वार्तालाप ना रोषपूर्ण था और ना ही दोषारोपण के लिए। उसने बड़े प्रेम और आदर के साथ उनके सामने अपने मसीही विश्वास को रखा। चाहे उसका मन खिन्न था किंतु उसके व्यवहार में मसीह का प्रेम और सहिषुणता थी।

   आज के संसार में जो मूर्तें हम देखते हैं उनमें से कई पौलुस के समय से भिन्न हैं, जैसे: धन, प्रसिद्धि, बल या शक्ति, प्रसिद्धि प्राप्त खिलाड़ी, मनोरंजनकर्ता, सामाजिक अगुवे या राजनितिज्ञ इत्यादि। संसार के लोग सच्चे परमेश्वर के पीछे नहीं, वरन इन्हीं के पीछे चलने और इन्हीं को अपने जीवन का उद्देश्य या लक्ष्य बनाने में लगे हुए हैं। सदा की तरह हमारा आत्मिक शत्रु शैतान भी संसार का ध्यान संसार के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु से हटा कर अन्य सभी व्यर्थ बातों पर केंद्रित करने में लगा हुआ है। मसीही विश्वासी भी शैतान के इस प्रयास से बचे हुए नहीं हैं, वे भी इन्हीं प्रलोभनों और आकर्षणों में पड़कर सच्चे मसीही विश्वास से भटकने लगे हैं और सांसारिक उपलब्धियों की चकाचौंध को प्राप्त करने की चाह में बहकने लगे हैं। इसलिए हम मसीही विश्वासियों को और भी अधिक सचेत होने और अपने जीवनों में सही व्यवहार दिखाने की आवश्यकता है - ना केवल अपने मसीही जीवन की गवाही बचाए और बनाए रखने के लिए वरन साथ ही स्व-धार्मिकता के दंभ में आकर उनके प्रति रोषपूर्ण रवैया रखने और दोष लगाने से बचने के लिए जो मसीह यीशु पर विश्वास नहीं रखते।

   पौलुस के समान ही हमें भी मसीह के प्रेम को प्रदर्षित करते हुए उन लोगों तक अपने मसीही विश्वास की बात पहुंचानी है जो मसीह यीशु को नहीं जानते या मानते। हमारा व्यवहार और जीवन ही उन्हें थिस्सुलुनिके के मसीही विश्वासियों के समान कर सकता है जो "...कैसे मूरतों से परमेश्वर की ओर फिरे ताकि जीवते और सच्चे परमेश्वर की सेवा करो" (१ थिस्सुलुनिकियों १:९)। - बिल क्राउडर


हमारे जीवनों में परमेश्वर का प्राथमिक स्थान ले लेने वाली हर बात एक मूरत है।


जब पौलुस अथेने में उन की बाट जोह रहा था, तो नगर को मूरतों से भरा हुआ देखकर उसका जी जल गया। - प्रेरितों १७:१६

बाइबल पाठ: प्रेरितों १७:१६-३१
Acts17:16 जब पौलुस अथेने में उन की बाट जोह रहा था, तो नगर को मूरतों से भरा हुआ देखकर उसका जी जल गया।
Acts17:17 सो वह आराधनालय में यहूदियों और भक्तों से और चौक में जो लोग मिलते थे, उन से हर दिन वाद-विवाद किया करता था।
Acts17:18 तब इपिकूरी और स्‍तोईकी पण्‍डितों में से कितने उस से तर्क करने लगे, और कितनों ने कहा, यह बकवादी क्या कहना चाहता है परन्तु औरों ने कहा; वह अन्य देवताओं का प्रचारक मालूम पड़ता है, क्योंकि वह यीशु का, और पुनरुत्थान का सुसमाचार सुनाता था।
Acts17:19 तब वे उसे अपने साथ अरियुपगुस पर ले गए और पूछा, क्या हम जान सकते हैं, कि यह नया मत जो तू सुनाता है, क्या है?
Acts17:20 क्योंकि तू अनोखी बातें हमें सुनाता है, इसलिये हम जानना चाहते हैं कि इन का अर्थ क्या है?
Acts17:21 (इसलिये कि सब अथेनवी और परदेशी जो वहां रहते थे नई नई बातें कहने और सुनने के सिवाय और किसी काम में समय नहीं बिताते थे)।
Acts17:22 तब पौलुस ने अरियुपगुस के बीच में खड़ा हो कर कहा; हे अथेने के लोगों मैं देखता हूं, कि तुम हर बात में देवताओं के बड़े मानने वाले हो।
Acts17:23 क्योंकि मैं फिरते हुए तुम्हारी पूजने की वस्‍तुओं को देख रहा था, तो एक ऐसी वेदी भी पाई, जिस पर लिखा था, कि अनजाने ईश्वर के लिये। सो जिसे तुम बिना जाने पूजते हो, मैं तुम्हें उसका समाचार सुनाता हूं।
Acts17:24 जिस परमेश्वर ने पृथ्वी और उस की सब वस्‍तुओं को बनाया, वह स्वर्ग और पृथ्वी का स्‍वामी हो कर हाथ के बनाए हुए मन्‍दिरों में नहीं रहता।
Acts17:25 न किसी वस्तु का प्रयोजन रखकर मनुष्यों के हाथों की सेवा लेता है, क्योंकि वह तो आप ही सब को जीवन और स्‍वास और सब कुछ देता है।
Acts17:26 उसने एक ही मूल से मनुष्यों की सब जातियां सारी पृथ्वी पर रहने के लिये बनाईं हैं; और उन के ठहराए हुए समय, और निवास के सिवानों को इसलिये बान्‍धा है।
Acts17:27 कि वे परमेश्वर को ढूंढ़ें, कदाचित उसे टटोल कर पा जाएं तौभी वह हम में से किसी से दूर नहीं!
Acts17:28 क्योंकि हम उसी में जीवित रहते, और चलते-फिरते, और स्थिर रहते हैं; जैसे तुम्हारे कितने कवियों ने भी कहा है, कि हम तो उसी के वंश भी हैं।
Acts17:29 सो परमेश्वर का वंश हो कर हमें यह समझना उचित नहीं, कि ईश्वरत्‍व, सोने या रूपे या पत्थर के समान है, जो मनुष्य की कारीगरी और कल्पना से गढ़े गए हों।
Acts17:30 इसलिये परमेश्वर आज्ञानता के समयों में अनाकानी कर के, अब हर जगह सब मनुष्यों को मन फिराने की आज्ञा देता है।
Acts17:31 क्योंकि उसने एक दिन ठहराया है, जिस में वह उस मनुष्य के द्वारा धर्म से जगत का न्याय करेगा, जिसे उसने ठहराया है और उसे मरे हुओं में से जिलाकर, यह बात सब पर प्रामाणित कर दी है।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन ९-११ 
  • मत्ती १५:२१-३९

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