थॉमस इन्मैन ने सन 1860 में अपने संगी डॉक्टरों को यह प्रस्ताव दिया कि यदि किसी रोग के इलाज के लिए किसी दवा की उपयोगिता पर उन्हें शक है तो वे रोगी को वह दवा ना दें; उन्हें अपने इस शक का लाभ रोगी को देना चाहिए और व्यर्थ दवाएं देने से बचना चाहिए। यही वाक्यांश, "शक का लाभ" वैधानिक एवं न्याय सम्बंधित बातों से जुड़ा वाक्यांश भी है; यदि पंचों अथवा न्याय मण्डलियों को प्रस्तुत सबूतों की वैधता या सत्यता पर शक है तो उन्हें शक का लाभ देते हुए दोषी ना होने का निर्णय देना चाहिए।
हम मसीही विश्वासियों के लिए इस वाक्यांश से शिक्षा लेकर इसे अपने व्यवहार और सम्बंधों में लागू करना अच्छा है, लेकिन परमेश्वर का वचन बाइबल इससे भी आगे बढ़कर इसे अपने ही नहीं वरन दूसरों को लाभ पहुँचाने के लिए प्रयोग करने को कहती है। 1 कुरिन्थियों 13:7 में प्रेम के विषय में लिखा है: "वह सब बातें सह लेता है, सब बातों की प्रतीति करता है, सब बातों की आशा रखता है, सब बातों में धीरज धरता है।" बाइबल की एक व्याखया "टिंडेल न्यू टेस्टामेंट कमेंट्रीज़" में, इस पद में आए वाक्यांश "सब बातों की प्रतीति करता है" के संबंध में लियोन मौरिस लिखते हैं: "इसका अर्थ है कि सब बातों में दूसरों में उत्तम को ही देखना...लेकिन इसका यह तात्पर्य नहीं है कि प्रेम भोला होता है और कुटिलता को नहीं पहचानता; वरन यह कि संसार के समान वह दूसरों में सदैव ही बुराई ही नहीं देखता रहता। प्रेम दूसरों में विश्वास को बनाए रखता है; उनसे धोखा नहीं खाता, लेकिन साथ ही हर बात के लिए सदैव दूसरों को बुरा समझ कर उनको शक की दृष्टि से नहीं देखता, वरन दूसरों को शक का लाभ देने को तैयार रहता है।"
जब कभी हम किसी के बारे में कुछ नकारात्मक सुनें, या उनके किसी कार्य या मंशा के बारे में हमें संषय हो, तो इससे पहले कि हम उन्हें गलत या बुरा करार दें, भला होगा कि कुछ पल रुक कर पूरी बात या परिस्थित का पुनः आंकलन कर लें। यदि कहीं भी शक की कोई गुंजाइश है तो मसीही प्रेम का उदाहरण प्रस्तुत करें और किसी को बुरा जताने या बदनाम करने की बजाए इस शक का लाभ उन्हें दें। - एनी सेटास
प्रेम शक का लाभ दूसरों को देता है।
वह सब बातें सह लेता है, सब बातों की प्रतीति करता है, सब बातों की आशा रखता है, सब बातों में धीरज धरता है। - 1 कुरिन्थियों 13:7
बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 13
1 Corinthians 13:1 यदि मैं मनुष्यों, और सवर्गदूतों की बोलियां बोलूं, और प्रेम न रखूं, तो मैं ठनठनाता हुआ पीतल, और झंझनाती हुई झांझ हूं।
1 Corinthians 13:2 और यदि मैं भविष्यद्वाणी कर सकूं, और सब भेदों और सब प्रकार के ज्ञान को समझूं, और मुझे यहां तक पूरा विश्वास हो, कि मैं पहाड़ों को हटा दूं, परन्तु प्रेम न रखूं, तो मैं कुछ भी नहीं।
1 Corinthians 13:3 और यदि मैं अपनी सम्पूर्ण संपत्ति कंगालों को खिला दूं, या अपनी देह जलाने के लिये दे दूं, और प्रेम न रखूं, तो मुझे कुछ भी लाभ नहीं।
1 Corinthians 13:4 प्रेम धीरजवन्त है, और कृपाल है; प्रेम डाह नहीं करता; प्रेम अपनी बड़ाई नहीं करता, और फूलता नहीं।
1 Corinthians 13:5 वह अनरीति नहीं चलता, वह अपनी भलाई नहीं चाहता, झुंझलाता नहीं, बुरा नहीं मानता।
1 Corinthians 13:6 कुकर्म से आनन्दित नहीं होता, परन्तु सत्य से आनन्दित होता है।
1 Corinthians 13:7 वह सब बातें सह लेता है, सब बातों की प्रतीति करता है, सब बातों की आशा रखता है, सब बातों में धीरज धरता है।
1 Corinthians 13:8 प्रेम कभी टलता नहीं; भविष्यद्वाणियां हों, तो समाप्त हो जाएंगी, भाषाएं हो तो जाती रहेंगी; ज्ञान हो, तो मिट जाएगा।
1 Corinthians 13:9 क्योंकि हमारा ज्ञान अधूरा है, और हमारी भविष्यद्वाणी अधूरी।
1 Corinthians 13:10 परन्तु जब सवर्सिद्ध आएगा, तो अधूरा मिट जाएगा।
1 Corinthians 13:11 जब मैं बालक था, तो मैं बालकों की नाईं बोलता था, बालकों का सा मन था बालकों की सी समझ थी; परन्तु सियाना हो गया, तो बालकों की बातें छोड़ दीं।
1 Corinthians 13:12 अब हमें दर्पण में धुंधला सा दिखाई देता है; परन्तु उस समय आमने साम्हने देखेंगे, इस समय मेरा ज्ञान अधूरा है; परन्तु उस समय ऐसी पूरी रीति से पहिचानूंगा, जैसा मैं पहिचाना गया हूं।
1 Corinthians 13:13 पर अब विश्वास, आशा, प्रेम थे तीनों स्थाई हैं, पर इन में सब से बड़ा प्रेम है।
एक साल में बाइबल:
- 2 राजा 1-3
- लूका 24:1-35
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