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शनिवार, 21 सितंबर 2013

आँसू

   क्या कभी आपका दिल टूटा है? क्यों टूटा? क्रूरता से? असफलता से? हानि से? धोखे या अविश्वासयोग्यता से? हो सकता है कि आप ने उस दुख में रोने के लिए अपने आप को किसी अंधेरे में समेट लिया हो।

   रोना कभी कभी अच्छा होता है; परिस्थिति अनुसार आँसू बहा लेना भला करता है। एक स्कौटिश प्रचारक जौर्ज मैकडौनल्ड ने कहा था, "आँसू ही रोने की आवश्यकता का एकमात्र इलाज हैं।"

   प्रभु यीशु भी अपने मित्र लाज़रस की कब्र पर आकर रोया था (यूहन्ना 11:35) क्योंकि उसका भी दिल टूटा था (पद 33) और वह आज भी हमारे दुखों में हमारे साथ सम्मिलित होता है; हमारे आँसू हमारे उद्धारकर्ता प्रभु यीशु की करुणा और कोमल देखभाल को आकर्षित करते हैं, क्योंकि वह हमें तकलीफ में नहीं देखना चाहता। जब हम किसी दुख मुसीबत में होते हैं वह हमारी परेशान और निंद्राविहीन रातों को जानता है। जब हम शोकित होते हैं तो उसका भी दिल भर आता है। प्रेरित पौलुस ने लिखा: "हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर, और पिता का धन्यवाद हो, जो दया का पिता, और सब प्रकार की शान्‍ति का परमेश्वर है। वह हमारे सब क्‍लेशों में शान्‍ति देता है; ताकि हम उस शान्‍ति के कारण जो परमेश्वर हमें देता है, उन्हें भी शान्‍ति दे सकें, जो किसी प्रकार के क्‍लेश में हों" (2 कुरिन्थियों 1:3-4)। वह अपने लोगों को एक दूसरे को शान्ति देने के लिए उपयोग करता है।

   लेकिन आज की सान्तवना और शान्ति सब दुखों का अन्तिम उत्तर नहीं है क्योंकि शान्ति तथा आँसुओं की आवश्यकता तो इस जीवन भर होती रहेगी। परन्तु वह दिन आ रहा है जब हमारा प्रभु यीशु हमारी "....आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहीं" (प्रकाशितवाक्य 21:4)। हम उसको इतने प्रीय हैं कि वह स्वयं हमारी आँखों से आँसू पोंछ डालेगा; वह हम से व्यक्तिगत रीति से और समझ से परे गहराई से प्रेम करता है।

   स्मरण रखें प्रभु यीशु ने अपने ’पहाड़ी उपदेश’ में आश्वासन दिया था "धन्य हैं वे, जो शोक करते हैं, क्योंकि वे शांति पाएंगे" (मत्ती 5:4)। क्या आप आज भी अपने दुखों और आँसुओं को अकेले ही झेलना चाहते हैं? स्मरण रखिए, प्रभु यीशु आपके हर दुख और हर आँसु में आपके साथ सम्मिलित होना चाहता है, अपनी शान्ति और सान्तवना आपको देना चाहता है। क्या आप प्रभु यीशु को अपने दुख और आँसू बाँटने का अवसर प्रदान करेंगे? - डेविड रोपर


परमेश्वर ना केवल हमारे दुखों के विषय चिंता करता है, वह उन्हें बाँटता भी है।

धन्य हो तुम, जो अब भूखे हो; क्योंकि तृप्‍त किए जाओगे; धन्य हो तुम, जो अब रोते हो, क्योंकि हंसोगे। - लूका 6:21

बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य 21:1-7
Revelation 21:1 फिर मैं ने नये आकाश और नयी पृथ्वी को देखा, क्योंकि पहिला आकाश और पहिली पृथ्वी जाती रही थी, और समुद्र भी न रहा।
Revelation 21:2 फिर मैं ने पवित्र नगर नये यरूशलेम को स्वर्ग पर से परमेश्वर के पास से उतरते देखा, और वह उस दुल्हिन के समान थी, जो अपने पति के लिये सिंगार किए हो।
Revelation 21:3 फिर मैं ने सिंहासन में से किसी को ऊंचे शब्द से यह कहते सुना, कि देख, परमेश्वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है; वह उन के साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्वर आप उन के साथ रहेगा; और उन का परमेश्वर होगा।
Revelation 21:4 और वह उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहीं।
Revelation 21:5 और जो सिंहासन पर बैठा था, उसने कहा, कि देख, मैं सब कुछ नया कर देता हूं: फिर उसने कहा, कि लिख ले, क्योंकि ये वचन विश्वास के योग्य और सत्य हैं।
Revelation 21:6 फिर उसने मुझ से कहा, ये बातें पूरी हो गई हैं, मैं अलफा और ओमिगा, आदि और अन्‍त हूं: मैं प्यासे को जीवन के जल के सोते में से सेंतमेंत पिलाऊंगा।
Revelation 21:7 जो जय पाए, वही इन वस्‍तुओं का वारिस होगा; और मैं उसका परमेश्वर होऊंगा, और वह मेरा पुत्र होगा।

एक साल में बाइबल: 
  • सभोपदेशक 7-9 
  • 2 कुरिन्थियों 13


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