कठिन समयों में हमारा दृष्टिकोण बदल सकता है, इस बात को मुझे हाल में हुई एक वार्तालाप ने स्मरण दिलाया। मैं और मेरी पत्नि, एक हमारे ही समान दुखियारी माँ से बातचीत कर रहे थे; जैसा हमारे साथ हुआ था, वैसे ही उस महिला की बेटी की भी किशोरावस्था में अनायास ही, बिना किसी चेतावनी के मृत्यु हो गई थी। उस महिला ने हमें बताया कि उन्हें अपने बेटी की कमी बहुत खलती है, और उन्होंने परमेश्वर से कहा कि इस दुख के कारण उनको लगता है कि उनका परमेश्वर में विश्वास छूट ही चला है और वे उसे बस मानो ऊँगली के नाखूनों के सहारे ही थामे हुई हैं। तब उन्हें महसूस हुआ कि परमेश्वर उन्हें कह रहा है कि उसका संभालने वाला हाथ उन के साथ है और उसने उन्हें थामा हुआ है। वे निश्चिन्त होकर अपने आप को उसके संभालने वाले हाथों में छोड़ दें, परमेश्वर उन्हें थामे और उठाए रखेगा - यह दृष्टिकोण रखना कितना अधिक उत्तम और भला है।
यह हमें स्मरण दिलाता है कि जब परेशानियाँ आएं और हमें लगे कि अब शायद हम परमेश्वर के प्रति अपने विश्वास को और थामे नहीं रह सकते, तब भी हमारा विश्वास में बने रहना हमारी सामर्थ पर नहीं वरन परमेश्वर के सम्भालने वाले हाथ पर निर्भर है और उसका सहारा तथा उसकी सहायता उसके बच्चों के प्रति सदा बनी रहती है। परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार ने कहा, "मनुष्य की गति यहोवा की ओर से दृढ़ होती है, और उसके चलन से वह प्रसन्न रहता है; चाहे वह गिरे तौभी पड़ा न रह जाएगा, क्योंकि यहोवा उसका हाथ थामे रहता है" (भजन 37:23-24); तथा, "मेरा मन तेरे पीछे पीछे लगा चलता है; और मुझे तो तू अपने दाहिने हाथ से थाम रखता है" (भजन 63:8)।
जब कठिन समयों में हम अपने विश्वास को अपने ही प्रयासों से थामे रहने तथा किसी ना किसी प्रकार परमेश्वर से लिपटे रहने के प्रयासों में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि परमेश्वर द्वारा हमें सदा थामे रहने की प्रतिज्ञा को भूल बैठते हैं, तब हमें स्मरण रखना चाहिए कि हमारा विश्वास में स्थिर बने रहना हमारे ऊँगुली के नाखूनों की ताकत पर नहीं वरन परमेश्वर के संभालने वाले हाथ और हमारे प्रति परमेश्वर के प्रेम पर निर्भर है, और उसका वायदा है कि "...मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा" (इब्रानियों 13:5)। - डेव ब्रैनन
परमेश्वर के हाथ द्वारा संभाले हुए से अधिक सुरक्षित और कोई नहीं है।
यहोवा सब गिरते हुओं को संभालता है, और सब झुके हुओं को सीधा खड़ा करता है। - भजन145:14
बाइबल पाठ: भजन 37:23-34
Psalms 37:23 मनुष्य की गति यहोवा की ओर से दृढ़ होती है, और उसके चलन से वह प्रसन्न रहता है;
Psalms 37:24 चाहे वह गिरे तौभी पड़ा न रह जाएगा, क्योंकि यहोवा उसका हाथ थामे रहता है।
Psalms 37:25 मैं लड़कपन से ले कर बुढ़ापे तक देखता आया हूं; परन्तु न तो कभी धर्मी को त्यागा हुआ, और न उसके वंश को टुकड़े मांगते देखा है।
Psalms 37:26 वह तो दिन भर अनुग्रह कर कर के ऋण देता है, और उसके वंश पर आशीष फलती रहती है।
Psalms 37:27 बुराई को छोड़ भलाई कर; और तू सर्वदा बना रहेगा।
Psalms 37:28 क्योंकि यहोवा न्याय से प्रीति रखता; और अपने भक्तों को न तजेगा। उनकी तो रक्षा सदा होती है, परन्तु दुष्टों का वंश काट डाला जाएगा।
Psalms 37:29 धर्मी लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और उस में सदा बसे रहेंगे।
Psalms 37:30 धर्मी अपने मुंह से बुद्धि की बातें करता, और न्याय का वचन कहता है।
Psalms 37:31 उसके परमेश्वर की व्यवस्था उसके हृदय में बनी रहती है, उसके पैर नहीं फिसलते।
Psalms 37:32 दुष्ट धर्मी की ताक में रहता है। और उसके मार डालने का यत्न करता है।
Psalms 37:33 यहोवा उसको उसके हाथ में न छोड़ेगा, और जब उसका विचार किया जाए तब वह उसे दोषी न ठहराएगा।
Psalms 37:34 यहोवा की बाट जोहता रह, और उसके मार्ग पर बना रह, और वह तुझे बढ़ाकर पृथ्वी का अधिकारी कर देगा; जब दुष्ट काट डाले जाएंगे, तब तू देखेगा।
एक साल में बाइबल:
- यशायाह 59-61
- 2 थिस्सुलुनीकियों 3
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