क्या आपने कभी शिशु आहार चखा है? मैंने चखा है, और वह बहुत बेस्वाद होता है। लेकिन शिशुओं के लिए और कोई विकल्प भी नहीं है, क्योंकि उनके दाँत नहीं होते इसलिए वे किसी स्वादिष्ट, मसालेदार ठोस भोजन को काट, चबा कर खा नहीं सकते, उसका स्वाद नहीं ले सकते। हम जानते हैं कि बच्चे जैसे जैसे बड़े होते हैं, वे ठोस आहार भी लेना आरंभ कर देते हैं, और ऐसा केवल स्वाद के लिए नहीं है। यदि वे उस शिशु आहार से निकलकर ठोस आहार पर नहीं जाएंगे तो उनका शारीरिक विकास नहीं होने पाएगा, वे कमज़ोर रहेंगे, रोगों से लड़ने की क्षमता उनमें विकसित नहीं होने पाएगी, उनके शरीर दुर्बल तथा अस्वस्थ ही बने रहेंगे।
दुख की बात है कि बहुत से मसीही विश्वासियों का भी आत्मिक भोजन और आत्मिक विकास के संबंध में यही हाल रहता है। वे मसीही विश्वास की उन्हीं आरंभिक बातों (इब्रानियों 6:1-2) और सरल सच्चाईयों से संतुष्ट रहते हैं और सुसमाचार की बुनियादी बातों से आगे बढ़ने ही नहीं पाते। परमेश्वर के वचन बाइबल की गंभीर बातों तथा कठिन भागों का अध्ययन और मनन ना करने के कारण वे आत्मिक रीति से परिपक्व नहीं होते, बच्चे ही रहते हैं जो बस दूसरों से ही सीखते रहते हैं, स्वयं प्रौढ़ नहीं होते (इब्रानियों 5:13)। इस कारण वे परमेश्वर के वचन और परमेश्वर की आज्ञाओं की समझ नहीं रखते, सही निर्णय करने में असमर्थ रहते हैं, झूठी शिक्षाओं को पहचानने की क्षमता नहीं रखते और चाहे अनेक वर्षों से मसीही विश्वास में हों लेकिन फिर भी आत्मिक रूप से बच्चे और अविकसित ही रहते हैं।
किसी व्यक्ति के डील-डौल को देख कर उसकी आयु का अनुमान लगाया जा सकता है। इसी प्रकार हमारे दैनिक व्यवहार, चरित्र और भले-बुरे में अन्तर की परख द्वारा हमारी आत्मिक आयु का भी अनुमान लगाया जा सकता है। आज आपकी आत्मिक आयु के बारे में लोग क्या अनुमान लगाते हैं? क्या आप आत्मिक रीति से प्रौढ़ और परिपक्व हैं, या परिपक्वता की ओर अग्रसर हैं? आज आपका आत्मिक आहार कैसा है - शिशु आहार या ठोस आहार? - सी. पी. हिया
परमेश्वर के वचन के अध्ययन में लगे रहें; आपकी परिपक्वता स्वतः ही प्रकट होती रहेगी।
क्योंकि दूध पीने वाले बच्चे को तो धर्म के वचन की पहिचान नहीं होती, क्योंकि वह बालक है। पर अन्न सयानों के लिये है, जिन के ज्ञानेन्द्रिय अभ्यास करते करते, भले बुरे में भेद करने के लिये पक्के हो गए हैं। - इब्रानियों 5:13-14
बाइबल पाठ: इब्रानियों 5:12-6:3
Hebrews 5:12 समय के विचार से तो तुम्हें गुरू हो जाना चाहिए था, तौभी क्या यह आवश्यक है, कि कोई तुम्हें परमेश्वर के वचनों की आदि शिक्षा फिर से सिखाए ओर ऐसे हो गए हो, कि तुम्हें अन्न के बदले अब तक दूध ही चाहिए।
Hebrews 5:13 क्योंकि दूध पीने वाले बच्चे को तो धर्म के वचन की पहिचान नहीं होती, क्योंकि वह बालक है।
Hebrews 5:14 पर अन्न सयानों के लिये है, जिन के ज्ञानेन्द्रिय अभ्यास करते करते, भले बुरे में भेद करने के लिये पक्के हो गए हैं।
Hebrews 6:1 इसलिये आओ मसीह की शिक्षा की आरम्भ की बातों को छोड़ कर, हम सिद्धता की ओर आगे बढ़ते जाएं, और मरे हुए कामों से मन फिराने, और परमेश्वर पर विश्वास करने।
Hebrews 6:2 और बपतिस्मों और हाथ रखने, और मरे हुओं के जी उठने, और अन्तिम न्याय की शिक्षारूपी नेव, फिर से न डालें।
Hebrews 6:3 और यदि परमेश्वर चाहे, तो हम यही करेंगे।
एक साल में बाइबल:
- यहेजकेल 1-2
- इब्रानियों 11:1-19
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