एक पुरानी कहावत है, "जीवन की सर्वोत्तम वस्तुएं मुफ्त होती हैं।" बहुत से लोगों के लिए यह काफी हद तक सही हो सकता है। लेकिन कुछ अन्य लोग भी हैं जो यह मानते हैं कि जीवन की सर्वोत्त्म वस्तुएं महंगी या मुशकिल से ही मिलने वाली होती हैं। लेकिन हाल ही में मैंने एक स्थान पर कुछ लिखा देखा जिसे पढ़कर मैं मुस्कुरा दिया और उसने मुझे सोचने पर भी बाध्य किया; वह था, "जीवन में सर्वोत्तम, वस्तु नहीं होता!" बात कहने का कितना अद्भुत तरीका था। परिवार जन, प्रीय जन, मित्रगण, विश्वास आदि जो हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण होते हैं वे वास्तव में वस्तु नहीं हैं वरन वे सब किसी व्यक्ति एवं प्रभु परमेश्वर में निहित होते हैं।
राजा सुलेमान भौतिक वस्तुओं के बारे में राय देने के लिए बहुत योग्य था क्योंकि "...राजा सुलैमान, धन और बुद्धि में पृथ्वी के सब राजाओं से बढ़कर हो गया" (1 राजा 10:23)। उसकी राय? "धनी होने के लिये परिश्रम न करना; अपनी समझ का भरोसा छोड़ना। क्या तू अपनी दृष्टि उस वस्तु पर लगाएगा, जो है ही नहीं? वह उकाब पक्षी की नाईं पंख लगा कर, नि:सन्देह आकाश की ओर उड़ जाता है" (नीतिवचन 23:4-5)। इस कारण उसने आगे सिखाया, "अपना हृदय शिक्षा की ओर, और अपने कान ज्ञान की बातों की ओर लगाना। क्योंकि अन्त में फल होगा, और तेरी आशा न टूटेगी" (नीतिवचन 23:12, 18)।
जीवन की सर्वोत्तम वस्तुएं वे अनन्तकाल की आशीषें हैं जो परमेश्वर की भलाई तथा प्रभु यीशु के अनुग्रह से मिलती हैं; ना वे खराब हो सकती हैं, ना कोई उन्हें चुरा सकता है और ना ही वे कभी घट सकती हैं; हम उन्हें हाथों में नहीं वरन हृदय में रखते हैं। वे तो ऐसा अनमोल धन हैं जो इस जीवन में भी हमारे साथ रहेगा और आने वाले जीवन में भी अनन्तकाल तक हमारे साथ बना रहेगा, और दोनों ही स्थानों पर हमारे काम आएगा। क्या आपने इन वास्तविक ’सर्वोत्तम वस्तुओ’ को अर्जित कर लिया है? - डेविड मैक्कैसलैंड
हमारा सबसे बड़ा धन वही है जो मसीह यीशु में होकर हमें मिलता है।
अपने लिये पृथ्वी पर धन इकट्ठा न करो; जहां कीड़ा और काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर सेंध लगाते और चुराते हैं। परन्तु अपने लिये स्वर्ग में धन इकट्ठा करो, जहां न तो कीड़ा, और न काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर न सेंध लगाते और न चुराते हैं। - मत्ती 6:19-20
बाइबल पाठ: नीतिवचन 23:1-18
Proverbs 23:1 जब तू किसी हाकिम के संग भोजन करने को बैठे, तब इस बात को मन लगा कर सोचना कि मेरे साम्हने कौन है?
Proverbs 23:2 और यदि तू खाऊ हो, तो थोड़ा खा कर भूखा उठ जाना।
Proverbs 23:3 उसकी स्वादिष्ट भोजन वस्तुओं की लालसा न करना, क्योंकि वह धोखे का भोजन है।
Proverbs 23:4 धनी होने के लिये परिश्रम न करना; अपनी समझ का भरोसा छोड़ना।
Proverbs 23:5 क्या तू अपनी दृष्टि उस वस्तु पर लगाएगा, जो है ही नहीं? वह उकाब पक्षी की नाईं पंख लगा कर, नि:सन्देह आकाश की ओर उड़ जाता है।
Proverbs 23:6 जो डाह से देखता है, उसकी रोटी न खाना, और न उसकी स्वादिष्ट भोजन वस्तुओं की लालसा करना;
Proverbs 23:7 क्योंकि जैसा वह अपने मन में विचार करता है, वैसा वह आप है। वह तुझ से कहता तो है, खा पी, परन्तु उसका मन तुझ से लगा नहीं।
Proverbs 23:8 जो कौर तू ने खाया हो, उसे उगलना पड़ेगा, और तू अपनी मीठी बातों का फल खोएगा।
Proverbs 23:9 मूर्ख के साम्हने न बोलना, नहीं तो वह तेरे बुद्धि के वचनों को तुच्छ जानेगा।
Proverbs 23:10 पुराने सिवानों को न बढ़ाना, और न अनाथों के खेत में घुसना;
Proverbs 23:11 क्योंकि उनका छुड़ाने वाला सामर्थी है; उनका मुकद्दमा तेरे संग वही लड़ेगा।
Proverbs 23:12 अपना हृदय शिक्षा की ओर, और अपने कान ज्ञान की बातों की ओर लगाना।
Proverbs 23:13 लड़के की ताड़ना न छोड़ना; क्योंकि यदि तू उसका छड़ी से मारे, तो वह न मरेगा।
Proverbs 23:14 तू उसको छड़ी से मार कर उसका प्राण अधोलोक से बचाएगा।
Proverbs 23:15 हे मेरे पुत्र, यदि तू बुद्धिमान हो, तो विशेष कर के मेरा ही मन आनन्दित होगा।
Proverbs 23:16 और जब तू सीधी बातें बोले, तब मेरा मन प्रसन्न होगा।
Proverbs 23:17 तू पापियों के विषय मन में डाह न करना, दिन भर यहोवा का भय मानते रहना।
Proverbs 23:18 क्योंकि अन्त में फल होगा, और तेरी आशा न टूटेगी।
एक साल में बाइबल:
- नीतिवचन 22-24
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