बाइबल कॉलेज में मेरा एक मित्र था, बिल, जो एक बहुत ही घिनौने और पापमय जीवन से निकल कर मसीह यीशु में आया था। उसने अपने जीवन की एक घटना बताई: "मैं ब्रैन्डी पीते हुए सड़क पर गाड़ी चलाते हुए जा रहा था, और किसी दूसरे की पत्नी मेरे बगल में बैठी थी; मैंने देखा कि कुछ मसीही विश्वासी सड़क के किनारे खड़े हुए आने-जाने वाले लोगों को प्रभु यीशु में मिलने वाली पाप क्षमा और उद्धार के बारे में बता रहे थे। मैं उनके पास से होकर निकला और उनको संबोधित करते हुए ज़ोर से चिल्लाया, ’मूर्खों’। लेकिन इसके कुछ ही सप्ताह के बाद मैं एक चर्च में अपने घुटनों पर पड़ा प्रभु यीशु से अपने पापों की क्षमा माँग रहा था और उसे अपने जीवन का उद्धारकर्ता तथा प्रभु बनने का आग्रह कर रहा था।" बिल ने प्रभु यीशु पर विश्वास लाने के द्वारा अपने पुराने जीवन तथा आदतों से छुटकारा और प्रभु यीशु मसीह में एक नया जीवन प्राप्त किया था। यह उसके लिए एक जीवन बदलने वाला अनुभव था जिसने उसके मन और जीवन मार्ग की दिशा को बिलकुल पलट दिया।
सच्चा पश्चाताप, जिसकी पहल परमेश्वर के पवित्र आत्मा के द्वारा होती है, जीवन मार्ग की दिशा को पलट देने वाला अनुभव है। अकसर हम देखते हैं कि इस बदलाव से पहले उस व्यक्ति द्वारा जितना अधिक विरोध प्रभु यीशु में उद्धार के सुसमाचार का होता है, उसके जीवन मार्ग की दिशा परिवर्तन उतनी ही चकित कर देन वाली होती है। जब दमिश्क के मार्ग पर तरशीश के शाऊल का सामना प्रभु यीशु से हुआ, तो वह मसीही विश्वासियों को सताने वाले शाऊल से पलट कर मसीह यीशु का प्रचारक पौलुस बन गया। उसके अन्दर आए इस परिवर्तन को देखकर बहुतेरों ने टिप्पणी करी: "...जो हमें पहिले सताता था, वह अब उसी धर्म का सुसमाचार सुनाता है, जिसे पहिले नाश करता था" (गलतियों 1:23)।
सच्चे परिवर्तन का आरंभ सच्चे पश्चाताप से होता है, और वह मन, जीवन के दृष्टिकोण तथा जीवन की दिशा को बदल देता है। मसीह यीशु के अनुयायियों के लिए इसका अर्थ होता है पाप और साँसारिकता के जीवन से पलट कर मसीह यीशु की आज्ञाकारिता में उसे समर्पित जीवन व्यतीत करना।
पश्चाताप का अर्थ है पाप के प्रति इतना शर्मिंदा होना कि उसे बिलकुल छोड़ दें।
सो यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्टि है: पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, वे सब नई हो गईं। - 2 कुरिन्थियों 5:17
बाइबल पाठ: गलतियों 1:11-24
Galatians 1:11 हे भाइयो, मैं तुम्हें जताए देता हूं, कि जो सुसमाचार मैं ने सुनाया है, वह मनुष्य का सा नहीं।
Galatians 1:12 क्योंकि वह मुझे मनुष्य की ओर से नहीं पहुंचा, और न मुझे सिखाया गया, पर यीशु मसीह के प्रकाश से मिला।
Galatians 1:13 यहूदी मत में जो पहिले मेरा चाल चलन था, तुम सुन चुके हो; कि मैं परमेश्वर की कलीसिया को बहुत ही सताता और नाश करता था।
Galatians 1:14 और अपने बहुत से जाति वालों से जो मेरी अवस्था के थे यहूदी मत में बढ़ता जाता था और अपने बाप दादों के व्यवहारों में बहुत ही उत्तेजित था।
Galatians 1:15 परन्तु परमेश्वर की, जिसने मेरी माता के गर्भ ही से मुझे ठहराया और अपने अनुग्रह से बुला लिया,
Galatians 1:16 जब इच्छा हुई, कि मुझ में अपने पुत्र को प्रगट करे कि मैं अन्यजातियों में उसका सुसमाचार सुनाऊं; तो न मैं ने मांस और लोहू से सलाह ली;
Galatians 1:17 और न यरूशलेम को उन के पास गया जो मुझ से पहिले प्रेरित थे, पर तुरन्त अरब को चला गया: और फिर वहां से दमिश्क को लौट आया।
Galatians 1:18 फिर तीन बरस के बाद मैं कैफा से भेंट करने के लिये यरूशलेम को गया, और उसके पास पन्द्रह दिन तक रहा।
Galatians 1:19 परन्तु प्रभु के भाई याकूब को छोड़ और प्रेरितों में से किसी से न मिला।
Galatians 1:20 जो बातें मैं तुम्हें लिखता हूं, देखो परमेश्वर को उपस्थित जानकर कहता हूं, कि वे झूठी नहीं।
Galatians 1:21 इस के बाद मैं सूरिया और किलिकिया के देशों में आया।
Galatians 1:22 परन्तु यहूदिया की कलीसियाओं ने जो मसीह में थी, मेरा मुँह तो कभी नहीं देखा था।
Galatians 1:23 परन्तु यही सुना करती थीं, कि जो हमें पहिले सताता था, वह अब उसी धर्म का सुसमाचार सुनाता है, जिसे पहिले नाश करता था।
Galatians 1:24 और मेरे विषय में परमेश्वर की महिमा करती थीं।
एक साल में बाइबल:
- यिर्मयाह 43-46
अच्छी प्रस्तुति !
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