क्या कभी आप ऐसे वार्तालाप में फंसे हैं जहाँ कोई व्यक्ति केवल अपने बारे में ही बोले चला जा रहा हो? हो सकता है कि आपने शिष्टाचार के नाते किसी से कोई प्रश्न कर के वार्तालाप आरंभ तो किया हो, लेकिन वह दूसरा व्यक्ति वार्तालाप आरंभ होने से लेकर निरंतर अपने ही बारे में बोले चला जा रहा हो, कभी आपके बारे में ना तो कोई प्रश्न पूछे और ना ही आपको कोई बात कहने का अवसर प्रदान करे। आपको यह व्यवहार कैसा लगेगा, और आप कब तक इसे बर्दाशत करेंगे? अब ज़रा परमेश्वर के साथ अपने वार्तालाप, अर्थात अपने प्रार्थना के समय के बारे में विचार कीजिए!
ज़रा विचार कीजिए कि परमेश्वर को कैसा लगता होगा जब हम अपने प्रार्थना के समय में उसके साथ संगति करने तो आएं, लेकिन फिर अपने ही बारे में आरंभ हो जाएं। हो सकता है कि हम ने प्रार्थना से पहले परमेश्वर के वचन बाइबल का एक भाग पढ़ा हो, लेकिन प्रार्थना की बारी आते ही उस भाग को हम नज़रन्दाज़ कर देते हैं और बस अपनी आवश्यकताओं के वर्णन में आरंभ हो जाते हैं। हम परमेश्वर से किसी समस्या के समाधान के लिए सहायता माँगते हैं, अपनी किसी आर्थिक आवश्यकता की पूर्ति का साधन माँगते हैं, या किसी शारीरिक बीमारी से स्वस्थ होने की माँग करते हैं - बस हमारी बातें और हमारी आवश्यकताएं या वह जो हमारी नज़रों में महत्वपूर्ण अथवा आवश्यक है, वही चलता रहता है। लेकिन बाइबल से पढ़ा गया वह खण्ड हमारी प्रार्थनाओं में कहीं स्थान नहीं पाता; उस खण्ड में होकर जो परमेश्वर ने हम से कहा है, हमें सिखाया है वह सब अन्देखा कर दिया जाता है।
किंतु भजन 119 के लेखक का दृष्टिकोण ऐसा कतई नहीं था; वरन उसने परमेश्वर से उसके वचन को समझने की सामर्थ माँगी: "मेरी आंखें खोल दे, कि मैं तेरी व्यवस्था की अद्भुत बातें देख सकूं" (भजन 119:18) और अपनी प्रार्थना में परमेश्वर के वचन को बहुमूल्य तथा अपने लिए सुखमूल एवं मन्त्रणा देने वाला कहा (पद 24)। भजनकार के समान ही हम मसीही विश्वासियों को भी यह अनुशासन विकसित करना चाहिए कि हम परमेश्वर के वचन के अनुसार प्रार्थनाएं करें - यह हमारे परमेश्वर के साथ संगति तथा प्रार्थना के समय को बदल देगा। बाइबल पढ़ना और प्रार्थना करना हमारे लिए परमेश्वर के साथ दोतरफा संवाद का समय होना चाहिए ना कि केवल अपनी ही बात कहते रहने का। - डेनिस फिशर
परमेश्वर के वचन की सुनिए, और फिर उसके अनुसार परमेश्वर से प्रार्थना कीजिए।
मसीह के वचन को अपने हृदय में अधिकाई से बसने दो; और सिद्ध ज्ञान सहित एक दूसरे को सिखाओ, और चिताओ, और अपने अपने मन में अनुग्रह के साथ परमेश्वर के लिये भजन और स्तुतिगान और आत्मिक गीत गाओ। - कुलुस्सियों 3:16
बाइबल पाठ: भजन 119:17-24; 97-100
Psalms 119:17 अपने दास का उपकार कर, कि मैं जीवित रहूं, और तेरे वचन पर चलता रहूं।
Psalms 119:18 मेरी आंखें खोल दे, कि मैं तेरी व्यवस्था की अद्भुत बातें देख सकूं।
Psalms 119:19 मैं तो पृथ्वी पर परदेशी हूं; अपनी आज्ञाओं को मुझ से छिपाए न रख!
Psalms 119:20 मेरा मन तेरे नियमों की अभिलाषा के कारण हर समय खेदित रहता है।
Psalms 119:21 तू ने अभिमानियों को, जो शापित हैं, घुड़का है, वे तेरी आज्ञाओं की बाट से भटके हुए हैं।
Psalms 119:22 मेरी नामधराई और अपमान दूर कर, क्योंकि मैं तेरी चितौनियों को पकड़े हूं।
Psalms 119:23 हाकिम भी बैठे हुए आपास में मेरे विरुद्ध बातें करते थे, परन्तु तेरा दास तेरी विधियों पर ध्यान करता रहा।
Psalms 119:24 तेरी चितौनियां मेरा सुखमूल और मेरे मन्त्री हैं।
Psalms 119:97 अहा! मैं तेरी व्यवस्था में कैसी प्रीति रखता हूं! दिन भर मेरा ध्यान उसी पर लगा रहता है।
Psalms 119:98 तू अपनी आज्ञाओं के द्वारा मुझे अपने शत्रुओं से अधिक बुद्धिमान करता है, क्योंकि वे सदा मेरे मन में रहती हैं।
Psalms 119:99 मैं अपने सब शिक्षकों से भी अधिक समझ रखता हूं, क्योंकि मेरा ध्यान तेरी चितौनियों पर लगा है।
Psalms 119:100 मैं पुरनियों से भी समझदार हूं, क्योंकि मैं तेरे उपदेशों को पकड़े हुए हूं।
एक साल में बाइबल:
- यिर्मयाह 50-52
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