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बुधवार, 1 अक्टूबर 2014

आशंकित मन


   मैं मिशिगन प्रांत के ऊपरी प्रायद्वीप गया हुआ था, वहाँ एक स्थान पर घूमते हुए दो पेड़ों की ओर मेरा ध्यान गया। यद्यपि बहुत हलकी सी ही हवा चल रही थी और अन्य पेड़ों के पत्ते उस से हिल भी नहीं रहे थे परन्तु फिर भी उस हलकी सी हवा में इन दोनों पेड़ों के पत्ते अच्छे से हिल रहे थे। मैंने उन पेड़ों की ओर अपनी पत्नि का भी ध्यान खींचा तो उस ने मुझे बताया कि वे पेड़ Quaking Aspen अर्थात कंपकंपाने वाले ऐस्पेन कहलाते हैं क्योंकि हलकी सी भी हवा में उनके पत्ते हिलने लगते हैं। मुझे उन दोनों पेड़ों द्वारा प्रस्तुत दृश्य ने प्रभावित किया - यद्यपि उनके आस-पास के अन्य किसी भी पेड़ के पत्ते नहीं हिल रहे थे, वह हलकी सी हवा उनके पत्ते हिला देने के लिए काफी थी।

   कभी कभी मैं भी उन क्वेकिंग ऐस्पेन वृक्षों के समान ही व्यवहार करता हूँ; मेरे चारों ओर लोग बिना किसी समस्या अथवा चिंता के, स्थिर और आश्वस्त कार्य कर रहे होते हैं, परन्तु मैं छोटी छोटी बातों को लेकर चिंतित रहता हूँ, मेरा मन काँपता रहता है। मैं दूसरों के जीवन को देखकर उनकी शांति पर अचरज करता हूँ, जबकि मेरा अपना जीवन इतनी आसानी से परेशानियों से भर जाता है। धन्यवाद हो परमेश्वर के वचन बाइबल का जो ऐसे समयों में मुझे स्मरण दिलाती है कि वास्तविक और स्थिर रखने वाली शान्ति परमेश्वर की उपस्थिति में उपलब्ध है, जैसे प्रेरित पौलुस ने लिखा, "अब प्रभु जो शान्‍ति का सोता है आप ही तुम्हें सदा और हर प्रकार से शान्‍ति दे: प्रभु तुम सब के साथ रहे" (2 थिस्स्लुनीकियों 3:16)। ना केवल हमारा परमेश्वर शान्ति प्रदान करता है, वरन वह स्वयं ही शान्ति का परमेश्वर भी है, और अपनी शान्ति हमें देता है।

   जब कभी हम समस्याओं में हों, जीवन में परेशान करने वाली परिस्थितियाँ आएं तो यह स्मरण रखना कि उस शान्ति के प्रभु में सच्ची शान्ति हर आशंकित मन के लिए हर समय बिना किसी रोक-टोक के उपलब्ध है बहुत सांत्वना प्रदान करता है। - बिल क्राउडर


सच्ची शान्ति केवल संघर्ष की अनुपस्थिति से नहीं, वरन परमेश्वर की उपस्थिति से है।

मैं तुम्हें शान्‍ति दिए जाता हूं, अपनी शान्‍ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे। - यूहन्ना 14:27

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 4:6-9
Philippians 4:6 किसी भी बात की चिन्‍ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं। 
Philippians 4:7 तब परमेश्वर की शान्‍ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षत रखेगी।
Philippians 4:8 निदान, हे भाइयों, जो जो बातें सत्य हैं, और जो जो बातें आदरणीय हैं, और जो जो बातें उचित हैं, और जो जो बातें पवित्र हैं, और जो जो बातें सुहावनी हैं, और जो जो बातें मनभावनी हैं, निदान, जो जो सदगुण और प्रशंसा की बातें हैं, उन्‍हीं पर ध्यान लगाया करो। 
Philippians 4:9 जो बातें तुम ने मुझ से सीखीं, और ग्रहण की, और सुनी, और मुझ में देखीं, उन्‍हीं का पालन किया करो, तब परमेश्वर जो शान्‍ति का सोता है तुम्हारे साथ रहेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • ओबाद्द्याह
  • योना


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