मैं अपनी सहेली एन्जी से कई महीनों के बाद मिली, हमने एक साथ बैठकर बातचीत करी, भोजन किया, फिर मुलाकात के अन्त में एन्जी ने अपने पर्स में से एक काग़ज़ निकाला जिस पर हमारी पिछली मुलाकातों में मेरे द्वारा प्रार्थना करने के लिए व्यक्त करे गए विषयों की सूची थी; वह उन बातों के लिए लगातार प्रार्थना कर रही थी। उसने मुझ से प्रत्येक विषय के बारे में पूछा, जानकारी ली कि कौन कौन से विषयों पर क्या क्या प्रगति हुई, किन विषयों के उत्तर मिल चुके हैं, किन के लिए प्रार्थना की आवश्यकता अभी बनी हुई है। इसके बाद मैंने भी उस से उसके प्रार्थना विषयों के बारे में ऐसी ही जानकारी ली, तब ही हमारी उस मुलाकात का अन्त हुआ। प्रार्थना करने वाले मित्रों का होना कितना उत्साहवर्धक होता है।
प्रेरित पौलुस का भी उसके समय की मसीही विश्वासी मण्डलियों के साथ प्रार्थना का गहन संबंध था। पौलुस ने थिस्सलुनीके की मण्डली को लिखी अपने पत्री में लिखा कि वह उनके विश्वास, प्रेम तथा आशा के लिए परमेश्वर का धन्यवाद करता है (1 थिस्सलुनीकियों 1:2-3); उन्हें देखने की लालसा रखता है और रात-दिन परमेश्वर से प्रार्थना करता है कि वह उनसे मिलने आ सके (3:10-11)। पौलुस उन के लिए प्रार्थना करता था कि, "...तुम्हारा प्रेम भी आपस में, और सब मनुष्यों के साथ बढ़े, और उन्नति करता जाए" (पद 12) तथा यह कि उनके मन परमेश्वर के सम्मुख पवित्र एवं निर्दोष ठहरें (पद 13)। उनके लिए पौलुस की इन प्रार्थनाओं के बारे में जानकर, थिस्सलुनीके के मसीही विश्वासियों का मन अवश्य प्रफुल्लित एवं उत्साहित हुआ होगा। उनके लिए और भी उत्साहवर्धक बात रही होगी कि पौलुस स्वयं भी उनकी प्रार्थनाओं का अभिलाषी था, और उसने पत्री के अन्त में उन से निवेदन किया, "हे भाइयों, हमारे लिये प्रार्थना करो" (1 थिस्सलुनीकियों 5:25) क्योंकि पौलुस को परमेश्वर की उपस्थिति, सामर्थ तथा सहायता की आवश्यकता बनी रहती थी।
प्रेमी परमेश्वर पिता, हम आपके बहुत धन्यवादी हैं कि आप चाहते हैं कि हम आप से वार्तालाप करते रहें, एक दुसरे को आपके सम्मुख स्मरण करते रहें, एक दुसरे के लिए प्रार्थना करते रहें। हम सभी को एक दुसरे के प्रार्थना मित्र बनाएं। - एनी सेटास
सर्वोत्तम मित्र प्रार्थना करने वाले मित्र होते हैं।
और हर समय और हर प्रकार से आत्मा में प्रार्थना, और बिनती करते रहो, और इसी लिये जागते रहो, कि सब पवित्र लोगों के लिये लगातार बिनती किया करो। और मेरे लिये भी, कि मुझे बोलने के समय ऐसा प्रबल वचन दिया जाए, कि मैं हियाव से सुसमाचार का भेद बता सकूं जिस के लिये मैं जंजीर से जकड़ा हुआ राजदूत हूं। - इफिसीयों 6:18-19
बाइबल पाठ: 1 थिस्सलुनीकियों 3:6-13
1 Thessalonians 3:6 पर अभी तीमुथियुस ने जो तुम्हारे पास से हमारे यहां आकर तुम्हारे विश्वास और प्रेम का सुसमाचार सुनाया और इस बात को भी सुनाया, कि तुम सदा प्रेम के साथ हमें स्मरण करते हो, और हमारे देखने की लालसा रखते हो, जैसा हम भी तुम्हें देखने की।
1 Thessalonians 3:7 इसलिये हे भाइयों, हम ने अपनी सारी सकेती और क्लेश में तुम्हारे विश्वास से तुम्हारे विषय में शान्ति पाई।
1 Thessalonians 3:8 क्योंकि अब यदि तुम प्रभु में स्थिर रहो तो हम जीवित हैं।
1 Thessalonians 3:9 और जैसा आनन्द हमें तुम्हारे कारण अपने परमेश्वर के साम्हने है, उसके बदले तुम्हारे विषय में हम किस रीति से परमेश्वर का धन्यवाद करें?
1 Thessalonians 3:10 हम रात दिन बहुत ही प्रार्थना करते रहते हैं, कि तुम्हारा मुंह देखें, और तुम्हारे विश्वास की घटी पूरी करें।
1 Thessalonians 3:11 अब हमारा परमेश्वर और पिता आप ही और हमारा प्रभु यीशु, तुम्हारे यहां आने के लिये हमारी अगुवाई करे।
1 Thessalonians 3:12 और प्रभु ऐसा करे, कि जैसा हम तुम से प्रेम रखते हैं; वैसा ही तुम्हारा प्रेम भी आपस में, और सब मनुष्यों के साथ बढ़े, और उन्नति करता जाए।
1 Thessalonians 3:13 ताकि वह तुम्हारे मनों को ऐसा स्थिर करे, कि जब हमारा प्रभु यीशु अपने सब पवित्र लोगों के साथ आए, तो वे हमारे परमेश्वर और पिता के साम्हने पवित्रता में निर्दोष ठहरें।
एक साल में बाइबल:
- व्यवस्थाविवरण 8-10
- मरकुस 11:19-33
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें