ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

शुक्रवार, 19 जून 2015

लगे रहो


   बेसबॉल के ख्याति प्राप्त खिलाड़ियों में से एक गैरी कार्टर, प्रभु यीशु के अनुयायी थे। अपने 19 वर्ष के खेल के जीवन में उन्होंने प्रतिदिन खेल को सही रीति से खेलने के लिए परमेश्वर में अपने विश्वास से सामर्थ और सहनशक्ति प्राप्त करी। कार्टर की, 57 वर्ष की आयु में, मस्तिष्क के कैंसर से मृत्यु के कुछ समयोपरांत वॉल स्ट्रीट जर्नल में उनके बारे में एक लेख प्रकाशित हुआ जिसमें उस लेख के लेखक एन्ड्रयु क्लैवन ने बताया कि कार्टर ने किस प्रकार उनके जीवन को प्रभावित किया था।

   1980 के द्शक के अन्त के भाग में क्लैवन अपने जीवन में निराशा से भरे हुए थे और आत्महत्या करने की सोच रहे थे। ऐसे समय उन्होंने में एक खेल के बाद कार्टर द्वारा दिए गए साक्षात्कार को सुना। कार्टर की टीम ने खेल में जीत प्राप्त करी थी और उस जीत में कार्टर का महत्वपूर्ण योगदान रहा था; अपनी बढ़ती हुई आयु और दुखते हुए घुटनों के बावजूद खेल की एक अति महत्वपूर्ण स्थिति में कार्टर ने ज़ोर लगाकर दौड़ लगाई जो उनकी टीम के लिए आवश्यक अंक जमा करने में सहायक हुई। जब इस घटना के बारे में साक्षात्कार लेने वाले ने उनसे पूछा कि अपने दुखते हुए घुटनों के बावजूद वे ऐसा कैसे कर सके तो कार्टर का उत्तर, जो क्लैवन ने सुना, कुछ इस प्रकार था: "कभी कभी जीवन में पीड़ा में भी बस लगे रहना पड़ता ही है।" कार्टर के इस साधारण से वाक्य ने निराश क्लैवन को बहुत प्रभावित किया, और उसे निराशा से निकाला; क्लैवन ने ठाना कि कार्टर के समान ही वह भी विपरीत परिस्थिति में अपनी ज़िम्मेदारियों के निर्वाह में लगा रह सकता है। निराशा से निकलने के बाद क्लैवन को उत्साह मिला, वह आगे बढ़ा और आगे चलकर मसीही विश्वासी भी बन गया।

   कार्टर ने जो बात उस साक्षात्कार में कही, जिससे क्लैवन निराशा से निकल सका और आगे बढ़ सका, वह परमेश्वर के वचन बाइबल में विलापगीत नामक पुस्तिका पर आधारित है -  विलापगीत 3:32। जीवन और परिस्थितियों के निर्वाह में हमें दुख, पीड़ा, कठिनाईयों आदि का सामना करना पड़ सकता है, परन्तु इनके कारण हमें आत्मग्लानि और निराशा में गिरने की आवश्यकता नहीं है; क्योंकि जो परमेश्वर जो हमें इन विपरीत परिस्थितियों में आने देता है, वही हमें उन परिस्थितियों में अपने अनुग्रह और सामर्थ से परिपूर्ण भी करता है।

   जब परमेश्वर का प्रेम और अनुग्रह हमें उभारने और उत्साहित करने के लिए सदा उपलब्ध है, तो हर परिस्थिति में, चाहे वह विपरीत ही क्यों ना हो, हम अपनी हर ज़िम्मेदारी को निभाने के लिए बस लगे रह सकते हैं। - डेव एग्नर


परमेश्वर या तो दुख से आपको बचाए रखेगा, अन्यथा उसे सहने की शक्ति आपको प्रदान करेगा।

हम मिट नहीं गए; यह यहोवा की महाकरुणा का फल है, क्योंकि उसकी दया अमर है। - विलापगीत 3:22

बाइबल पाठ: विलापगीत 3:1-3; 25-33
Lamentations 3:1 उसके रोष की छड़ी से दु:ख भोगने वाला पुरुष मैं ही हूं; 
Lamentations 3:2 वह मुझे ले जा कर उजियाले में नहीं, अन्धियारे ही में चलाता है; 
Lamentations 3:3 उसका हाथ दिन भर मेरे ही विरुद्ध उठता रहता है। 
Lamentations 3:25 जो यहोवा की बाट जोहते और उसके पास जाते हैं, उनके लिये यहोवा भला है। 
Lamentations 3:26 यहोवा से उद्धार पाने की आशा रख कर चुपचाप रहना भला है। 
Lamentations 3:27 पुरुष के लिये जवानी में जूआ उठाना भला है। 
Lamentations 3:28 वह यह जान कर अकेला चुपचाप रहे, कि परमेश्वर ही ने उस पर यह बोझ डाला है; 
Lamentations 3:29 वह अपना मुंह धूल में रखे, क्या जाने इस में कुछ आशा हो; 
Lamentations 3:30 वह अपना गाल अपने मारने वाले की ओर फेरे, और नामधराई सहता रहे। 
Lamentations 3:31 क्योंकि प्रभु मन से सर्वदा उतारे नहीं रहता, 
Lamentations 3:32 चाहे वह दु:ख भी दे, तौभी अपनी करुणा की बहुतायत के कारण वह दया भी करता है; 
Lamentations 3:33 क्योंकि वह मनुष्यों को अपने मन से न तो दबाता है और न दु:ख देता है।

एक साल में बाइबल: 
  • नहेम्याह 12-13
  • प्रेरितों 4:23-37



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें