मई 2011 में मिस्सूरी प्रांत का जोपलिन शहर एक भयानक चक्रवादी तूफान से उजड़ गया। उस दिन एक जवान महिला ने तूफान से बचने के लिए स्नान करने वाले बड़े से टब में लेटकर शरण ली और उसका पति उसकी रक्षा के लिए उसके ऊपर लेट गया। तूफान के वेग से टूटते घर के मलबे और उड़ती गिरती हुई वस्तुओं से पति के शरीर पर चोटें पहुँचती रहीं जिनके कारण उसकी मृत्यु हो गई किंतु उस महिला की जान बच गई। स्वाभाविक रूप से उस महिला के सामने प्रश्न था, "ऐसा क्यों?" लेकिन उस तूफान के एक वर्ष बाद उसी महिला ने कहा कि उसे अब इस बात से सांत्वना मिलती है कि उसके जीवन के सबसे बुरे दिन में भी वह अथाह प्रेम की पात्र थी।
जब मैं किसी के जीवन के सबसे बुरे दिनों के बारे में सोचती हूँ तो मेरा ध्यान परमेश्वर के वचन बाइबल के एक पात्र, अय्युब की ओर जाता है। अय्युब एक बहुत समृद्ध तथा भक्त व्यक्ति था जो परमेश्वर से बहुत प्रेम करता था, उसकी उपासना करता था और परमेश्वर भी उसकी खराई का उदाहरण देता था। लेकिन एक ही दिन में, अलग अलग घटानाओं में उसके दस बच्चे, उसके सारे सेवक और उसके सारे जानवर मारे गए। अय्युब इस बात से बहुत दुखी हुआ और विलाप करते हुए उसने भी परमेश्वर से प्रश्न किया "ऐसा क्यों?" उसने परमेश्वर से कहा, "हे मनुष्यों के ताकने वाले, मैं ने पाप तो किया होगा, तो मैं ने तेरा क्या बिगाड़ा? तू ने क्यों मुझ को अपना निशाना बना लिया है, यहां तक कि मैं अपने ऊपर आप ही बोझ हुआ हूँ?" (अय्युब 7:20)
अय्युब के मित्रों ने उस पर दोष लगाया कि अवश्य ही उसने पाप किया है जिसका उसे ऐसा प्रतिफल मिला है; लेकिन आगे चलकर परमेश्वर ने उनके इस दोषारोपण को लेकर अय्युब के मित्रों से कहा, "और ऐसा हुआ कि जब यहोवा ये बातें अय्यूब से कह चुका, तब उसने तेमानी एलीपज से कहा, मेरा क्रोध तेरे और तेरे दोनों मित्रों पर भड़का है, क्योंकि जैसी ठीक बात मेरे दास अय्यूब ने मेरे विषय कही है, वैसी तुम लोगों ने नहीं कही" (अय्युब 42:7)।
परमेश्वर ने अय्युब को उसके दुखों का कोई कारण तो नहीं बताया, परन्तु परमेश्वर ने अय्युब के प्रश्नों को सुना और उन प्रश्नों के लिए उसे दोषी नहीं ठहराया। वरन परमेश्वर ने अय्युब को सृष्टि की हर बात और सारे संचालन पर अपने नियंत्रण को समझाया और अय्युब ने उसकी इस बात को स्वीकार किया (अय्युब 42:1-6)।
जब हम परीक्षाओं में पड़ें, दुख परेशानियाँ हम पर आएं, तो आवश्यक नहीं कि परमेश्वर उनका कारण भी हमें बताए। लेकिन हम हर परिस्थिति में हर कठिनाई में इस बात से आश्वस्त रह सकते हैं कि परमेश्वर का प्रेम हमारे प्रति कभी कम नहीं होता; वह सदा हमारे साथ रहता है; हमारे दुखों में हमारे साथ दुखी भी होता है और अन्ततः हर बात के द्वारा हमारा भला ही करता है। - ऐनी सेटास
हमारे प्रति परमेश्वर का प्रेम हमें परीक्षाओं से बचाता नहीं वरन उन परीक्षाओं में हमें सुरक्षित रखता है।
और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। - रोमियों 8:28
बाइबल पाठ: अय्युब 7:11-21
Job 7:11 इसलिये मैं अपना मुंह बन्द न रखूंगा; अपने मन का खेद खोल कर कहूंगा; और अपने जीव की कड़ुवाहट के कारण कुड़कुड़ाता रहूंगा।
Job 7:12 क्या मैं समुद्र हूँ, वा मगरमच्छ हूँ, कि तू मुझ पर पहरा बैठाता है?
Job 7:13 जब जब मैं सोचता हूं कि मुझे खाट पर शान्ति मिलेगी, और बिछौने पर मेरा खेद कुछ हलका होगा;
Job 7:14 तब तब तू मुझे स्वप्नों से घबरा देता, और दर्शनों से भयभीत कर देता है;
Job 7:15 यहां तक कि मेरा जी फांसी को, और जीवन से मृत्यु को अधिक चाहता है।
Job 7:16 मुझे अपने जीवन से घृणा आती है; मैं सर्वदा जीवित रहना नहीं चाहता। मेरा जीवनकाल सांस सा है, इसलिये मुझे छोड़ दे।
Job 7:17 मनुष्य क्या है, कि तू उसे महत्व दे, और अपना मन उस पर लगाए,
Job 7:18 और प्रति भोर को उसकी सुधि ले, और प्रति क्षण उसे जांचता रहे?
Job 7:19 तू कब तक मेरी ओर आंख लगाए रहेगा, और इतनी देर के लिये भी मुझे न छोड़ेगा कि मैं अपना थूक निगल लूं?
Job 7:20 हे मनुष्यों के ताकने वाले, मैं ने पाप तो किया होगा, तो मैं ने तेरा क्या बिगाड़ा? तू ने क्यों मुझ को अपना निशाना बना लिया है, यहां तक कि मैं अपने ऊपर आप ही बोझ हुआ हूँ?
Job 7:21 और तू क्यों मेरा अपराध क्षमा नहीं करता? और मेरा अधर्म क्यों दूर नहीं करता? अब तो मैं मिट्टी में सो जाऊंगा, और तू मुझे यत्न से ढूंढ़ेगा पर मेरा पता नहीं मिलेगा।
एक साल में बाइबल:
- अय्युब 5-7
- प्रेरितों 8:1-25
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