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बुधवार, 22 जुलाई 2015

सन्तुष्ट


   कुछ लोगों को खरीददारी करने का शौक होता है; वे बस जो भी पसन्द आए उसे खरीदते और जमा करते रहते हैं। यह शौक सारे संसार के सभी स्थानों पर लोगों में मिलता है। चीन, साऊदी अरेबिया, कैनडा, फिलिप्पीन्स आदि देशों में बड़े बड़े शॉपिंग मॉल्स हैं जहाँ तरह तरह का देशी और विदेशी सामान मिलता है और लोग खरीददारी करने विदेशों से भी आते हैं। दुकानों और इंटरनैट के माध्यम से ऑन्लाइन शॉपिंग की लगातार बढ़ोतरी इस बात का प्रमाण है कि खरीददारी करना एक विश्व-व्यापि तथ्य है।

   खरीददारी करना मनोरंजक भी हो सकता है। किसी वस्तु के लिए अच्छी सौदेबाज़ी और परमेश्वर द्वारा हमें दी गई चीज़ों का आनन्द लेने में कोई बुराई नहीं है। लेकिन जब हम भौतिक वस्तुओं को प्राप्त करने में इतना तल्लीन हो जाते हैं कि बाकी सब कुछ को नज़रन्दाज़ करने लगें तो यह दिखाता है कि कुछ अनुचित होने लगा है।

   प्रभु यीशु ने अपने श्रोताओं को अपने एक कथन से एक चुनौती दी; प्रभु यीशु ने कहा, "...चौकस रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आप को बचाए रखो: क्योंकि किसी का जीवन उस की संपत्ति की बहुतायत से नहीं होता" (लूका 12:15)। फिर प्रभु ने उन सब से एक ऐसे व्यक्ति के बारे में दृष्टांत कहा जो अपने लिए संसार की संपदा तो एकत्रित कर रहा था परन्तु परमेश्वर के साथ अपने संबंध को पूर्णत्या नज़रन्दाज़ करे हुए था।

   हम कैसे, जो हमारे पास है उस से सन्तुष्ट रहते हुए भौतिक वस्तुओं के लालच में पड़ने से अपने आप को बचाए रह सकते हैं, जिससे प्रभु यीशु के कहे दृष्टांत वाले व्यक्ति के समान गलती ना करें? परमेश्वर का वचन बाइबल हमें कुछ बातें मार्गदर्शन के लिए बताती है:
  • भौतिक वस्तुओं को परमेश्वर द्वारा दूसरों की भलाई के लिए प्रयोग करे जाने वाली आशीष और ज़िम्मेदारी के रूप में देखें। (मत्ती 25:14-30)
  • पैसा कमाने और संचित करने के लिए केवल उचित और मेहनत के रास्ते ही अपनाए। (नीतिवचन 6:6-11)
  • अपनी संपदा को परमेश्वर के कार्यों तथा ज़रूरतमन्दों के उपयोग के लिए लगाएं। (2 कुरिन्थियों 9:7; नीतिवचन 19:17)
  • जो कुछ आपके पास है उसके लिए तथा उसका आनन्द ले पाने के लिए परमेश्वर को सदा स्मरण रखें एवं उसके सदा धन्यवादी रहें। (1 तिमुथियुस 6:17)

   जमा करते रहने की बजाए जो है उसमें सन्तुष्ट रहने और परमेश्वर के वचनानुसार उसका सदुप्योग करने में ही शान्ति और भलाई है। - डेनिस फिशर


वस्तुओं में धनी बनने की बजाए परमेश्वर में धनी बनना अधिक आवश्यक और लाभकारी है।

पर सन्‍तोष सहित भक्ति बड़ी कमाई है। क्योंकि न हम जगत में कुछ लाए हैं और न कुछ ले जा सकते हैं। - 1 तिमुथियुस 6:6-7

बाइबल पाठ: लूका 12:13-21
Luke 12:13 फिर भीड़ में से एक ने उस से कहा, हे गुरू, मेरे भाई से कह, कि पिता की संपत्ति मुझे बांट दे। 
Luke 12:14 उसने उस से कहा; हे मनुष्य, किस ने मुझे तुम्हारा न्यायी या बांटने वाला नियुक्त किया है? 
Luke 12:15 और उसने उन से कहा, चौकस रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आप को बचाए रखो: क्योंकि किसी का जीवन उस की संपत्ति की बहुतायत से नहीं होता। 
Luke 12:16 उसने उन से एक दृष्‍टान्‍त कहा, कि किसी धनवान की भूमि में बड़ी उपज हुई। 
Luke 12:17 तब वह अपने मन में विचार करने लगा, कि मैं क्या करूं, क्योंकि मेरे यहां जगह नहीं, जहां अपनी उपज इत्यादि रखूं। 
Luke 12:18 और उसने कहा; मैं यह करूंगा: मैं अपनी बखारियां तोड़ कर उन से बड़ी बनाऊंगा; 
Luke 12:19 और वहां अपना सब अन्न और संपत्ति रखूंगा: और अपने प्राण से कहूंगा, कि प्राण, तेरे पास बहुत वर्षों के लिये बहुत संपत्ति रखी है; चैन कर, खा, पी, सुख से रह। 
Luke 12:20 परन्तु परमेश्वर ने उस से कहा; हे मूर्ख, इसी रात तेरा प्राण तुझ से ले लिया जाएगा: तब जो कुछ तू ने इकट्ठा किया है, वह किस का होगा? 
Luke 12:21 ऐसा ही वह मनुष्य भी है जो अपने लिये धन बटोरता है, परन्तु परमेश्वर की दृष्टि में धनी नहीं।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 31-32
  • प्रेरितों 23:16-35


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