ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

गुरुवार, 21 अप्रैल 2016

प्रतीक्षा और संगति


   दिन प्रति दिन, कई वर्षों तक हैरी अपने दामाद जौन के लिए, जो परमेश्वर से दूर चला गया था, प्रार्थनाएं करता रहा; फिर हैरी का देहांत हो गया। इसके कुछ महीने पश्चात जौन परमेश्वर के पास वापस लौट आया। जब जौन की सास मार्शा ने उसे बताया कि हैरी अपने जीवन के अन्तिम दिन तक उसके लिए प्रार्थना करता रहा था, तो जौन ने उत्तर दिया, "मैंने बहुत देर कर दी।" लेकिन मार्शा ने सहर्ष उससे कहा, "लेकिन प्रभु हैरी की उन प्रार्थानाओं का उत्तर आज भी दे रहा है!"

   हैरी की यह कहानी हमारे लिए, जो प्रार्थना करते और उनके उत्तरों की प्रतीक्षा करते हैं, एक प्रोत्साहन की बात है। परमेश्वर के वचन बाइबल की भी हमारे लिए यही शिक्षा है: "प्रयत्न करने में आलसी न हो; आत्मिक उन्माद में भरो रहो; प्रभु की सेवा करते रहो। आशा में आनन्दित रहो; क्लेश में स्थिर रहो; प्रार्थना में नित्य लगे रहो" (रोमियों 12:11-12)।

   भजन 130 के लेखक को भी प्रार्थना में प्रतीक्षा करने का अनुभव था। उसने कहा: "मैं यहोवा की बाट जोहता हूं, मैं जी से उसकी बाट जोहता हूं, और मेरी आशा उसके वचन पर है" (पद 5); लेखक ने परमेश्वर में आशा पाई क्योंकि वह जानता था कि, "...क्योंकि यहोवा करूणा करने वाला और पूरा छुटकारा देने वाला है" (पद 7)।

   लेखक सैमुएल एनिया ने परमेश्वर के समय-काल के विषय में लिखते हुए कहा: "परमेश्वर हमारे समय पर निर्भर नहीं है। हमारा समय तो क्रमिक और एक आयामी है किंतु परमेश्वर....समय की सीमाओं से परे है। वह अपने समयानुसार कार्य करता है। हमारी प्रार्थनाएं....परमेश्वर को कार्य करने पर विवश नहीं करतीं....वरन वे हमें उसके साथ संगति में ले आती हैं।"

   एक मसीही विश्वासी होने के नाते हमारे लिए यह कैसा महान सौभाग्य है कि हम परमेश्वर से उसके समयानुसार उत्तर पाएं और उत्तर की प्रतीक्षा करते हुए उसके साथ संगति भी करें। - एनी सेटास


परमेश्वर हमारी प्रार्थना का उत्तर देने में विलंब कर सकता है, 
परन्तु वह हमारे विश्वास को कभी निराश नहीं करेगा।

किसी भी बात की चिन्‍ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं। तब परमेश्वर की शान्‍ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षत रखेगी। - फिलिप्पियों 4:6-7

बाइबल पाठ: भजन 130
Psalms 130:1 हे यहोवा, मैं ने गहिरे स्थानों में से तुझ को पुकारा है! 
Psalms 130:2 हे प्रभु, मेरी सुन! तेरे कान मेरे गिड़गिड़ाने की ओर ध्यान से लगे रहें! 
Psalms 130:3 हे याह, यदि तू अधर्म के कामों का लेखा ले, तो हे प्रभु कौन खड़ा रह सकेगा? 
Psalms 130:4 परन्तु तू क्षमा करने वाला है? जिस से तेरा भय माना जाए। 
Psalms 130:5 मैं यहोवा की बाट जोहता हूं, मैं जी से उसकी बाट जोहता हूं, और मेरी आशा उसके वचन पर है; 
Psalms 130:6 पहरूए जितना भोर को चाहते हैं, हां, पहरूए जितना भोर को चाहते हैं, उस से भी अधिक मैं यहोवा को अपने प्राणों से चाहता हूं।
Psalms 130:7 इस्राएल यहोवा पर आशा लगाए रहे! क्योंकि यहोवा करूणा करने वाला और पूरा छुटकारा देने वाला है। 
Psalms 130:8 इस्राएल को उसके सारे अधर्म के कामों से वही छुटकारा देगा।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 शमूएल 12-13
  • लूका 16



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें