मेरा दफ्तर मेरे घर की ज़मीनी मंज़िल पर है, इसलिए काम के समय कुछ चीज़ों के लिए मुझे अकसर ऊपर की मंज़िल के कमरों में आना-जाना पड़ता है। लेकिन मेरे साथ अकसर ऐसा भी होता है कि ऊपर पहुँचने तक मैं भूल चुली होती हूँ कि मैं ऊपर आई किस लिए हूँ! शोधकर्ता गेब्रियल रदवन्सकी ने इस प्रकार भूल जाने को समझाने के लिए एक व्याख्या दी है; तीन भिन्न प्रकार के प्रयोगों के आधार पर उनका कहना है कि कोई भी द्वार मस्तिष्क के लिए एक सीमा का संकेत देता है। जब हम एक द्वार पार करते हैं तो मस्तिष्क उस द्वार से पहले की सभी बातें और घटनाएं वर्तमान स्मरण से हटा कर मस्तिष्क के स्मरण-स्थान में डाल देता है; जब मैं अपने दफ्तर से निकल कर ऊपर की मंज़िल के कमरे में पहुँचती हूँ तो मस्तिष्क में मेरा वर्तमान स्मरण खाली होता है और वह कार्य पीछे कहीं स्मरण-स्थान में रखा जा चुका होता है, और मैं उस कमरे में खड़ी खिसियाती रहती हूँ यह सोचती हुई कि मैं वहाँ किस लिए आई हूँ।
लेकिन हमारा भूलना हमारे लिए एक आशीष भी हो सकता है - रात को जब बत्ती बुझाकर बिस्तर पर लेटते हैं तो दिन भर की परेशानियों और चिंताओं को भूला कर अच्छी नींद लेना आने वाले दिन के लिए भला होता है; यदि हम उन चिंताओं और परेशानियों को नहीं भुला पाते तो फिर हमें अच्छे से नींद भी नहीं आती जो अगले दिन पर बुरा प्रभाव डालता है।
जब मैं इस बात पर विचार करती हूँ कि प्रभु यीशु ने अपने आप को द्वार कहा (यूहन्ना 10:7, 9) तो उपरोक्त के संदर्भ में यह मेरे लिए एक शांति का सूचक है। प्रभु यीशु ने अपने जीवन के समकालीन कार्य पद्धति को लेकर यह बात कही थी - जब भेड़ें भेड़शाला के द्वार से अन्दर चली जाती थीं तो वे एक सुरक्षित स्थान में पहुँच जाती थीं। चरवाहा उस भेड़शाला के द्वार के बाहर ही लेट जाता था। यदि कोई चोर या जानवर भेड़ों को नुकसान पहुँचाने के लिए आता तो वह द्वार पर सो रहे चरवाहे से होकर ही भीतर जा सकता था, और इस प्रकार चरवाहा अन्दर सो रही भेड़ों की रखवाली करता और सुरक्षा बनकर रहता था।
हम मसीही विश्वासियों के लिए प्रभु यीशु हमारा द्वार है जिसमें होकर हम परमेश्वर की सुरक्षा में प्रवेश पाते हैं, और वही हमारा महान चरवाहा भी है जो हमारे और शत्रु शैतान के बीच हमारी सुरक्षा के लिए सदा तैनात रहता है। प्रभु यीशु रूपी द्वार को पार करके हम अपनी सभी चिंताएं और खतरों को भूला कर, उनसे निश्चिंत होकर विश्राम कर सकते हैं क्योंकि हमारा रखवाला ना कभी ऊँघता है और ना कभी सोता है (भजन 121:4)। - जूली ऐकैरमैन लिंक
प्रभु यीशु वह द्वार है जो हमें भीतर सुरक्षित और खतरों को बाहर रखता है।
सुन, इस्राएल का रक्षक, न ऊंघेगा और न सोएगा। - भजन 121:4
बाइबल पाठ: यूहन्ना 10:1-10
John 10:1 मैं तुम से सच सच कहता हूं, कि जो कोई द्वार से भेड़शाला में प्रवेश नहीं करता, परन्तु और किसी ओर से चढ़ जाता है, वह चोर और डाकू है।
John 10:2 परन्तु जो द्वार से भीतर प्रवेश करता है वह भेड़ों का चरवाहा है।
John 10:3 उसके लिये द्वारपाल द्वार खोल देता है, और भेंड़ें उसका शब्द सुनती हैं, और वह अपनी भेड़ों को नाम ले ले कर बुलाता है और बाहर ले जाता है।
John 10:4 और जब वह अपनी सब भेड़ों को बाहर निकाल चुकता है, तो उन के आगे आगे चलता है, और भेड़ें उसके पीछे पीछे हो लेती हैं; क्योंकि वे उसका शब्द पहचानती हैं।
John 10:5 परन्तु वे पराये के पीछे नहीं जाएंगी, परन्तु उस से भागेंगी, क्योंकि वे परायों का शब्द नहीं पहचानती।
John 10:6 यीशु ने उन से यह दृष्टान्त कहा, परन्तु वे न समझे कि ये क्या बातें हैं जो वह हम से कहता है।
John 10:7 तब यीशु ने उन से फिर कहा, मैं तुम से सच सच कहता हूं, कि भेड़ों का द्वार मैं हूं।
John 10:8 जितने मुझ से पहिले आए; वे सब चोर और डाकू हैं परन्तु भेड़ों ने उन की न सुनी।
John 10:9 द्वार मैं हूं: यदि कोई मेरे द्वारा भीतर प्रवेश करे तो उद्धार पाएगा और भीतर बाहर आया जाया करेगा और चारा पाएगा।
John 10:10 चोर किसी और काम के लिये नहीं परन्तु केवल चोरी करने और घात करने और नष्ट करने को आता है। मैं इसलिये आया कि वे जीवन पाएं, और बहुतायत से पाएं।
एक साल में बाइबल:
- 2 इतिहास 1-3
- यूहन्ना 10:1-23
प्रभु यीशु हमारा द्वार है जिसमें होकर हम परमेश्वर की सुरक्षा में प्रवेश पाते हैं, और वही हमारा महान चरवाहा भी है जो हमारे और शत्रु शैतान के बीच हमारी सुरक्षा के लिए सदा तैनात रहता है। प्रभु यीशु रूपी द्वार को पार करके हम अपनी सभी चिंताएं और खतरों को भूला कर, उनसे निश्चिंत होकर विश्राम कर सकते हैं
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