हम ऑस्ट्रेलिया की अपनी यात्रा के दौरान एक नगर में प्रवेश कर रहे थे; वहाँ हमने एक स्वागत सन्देश लिखा हुआ देखा: "जो भी शरण या आश्रय का स्थान ढूँढ़ रहे हैं हम उनका स्वागत करते हैं।" इस प्रकार का यह स्वागत सन्देश परमेश्वर के वचन बाइबल के पुराने नियम के काल में परमेश्वर द्वारा बनवाए गए शरण नगरों की याद दिलाता है: "तब ऐसे नगर ठहराना जो तुम्हारे लिये शरणनगर हों, कि जो कोई किसी को भूल से मार के खूनी ठहरा हो वह वहां भाग जाए। वे नगर तुम्हारे निमित्त पलटा लेने वाले से शरण लेने के काम आएंगे, कि जब तक खूनी न्याय के लिये मण्डली के साम्हने खड़ा न हो तब तक वह न मार डाला जाए" (गिनती 35:11-12)। उस समय में, यदि कोई गलती से किसी को मार डाले, या किसी पर हत्या का आरोप आए, तो अपनी जान बचाने के लिए वह कुछ निर्धारित नगरों में जाकर, जब तक उसका न्याय नहीं हो जाता, वहाँ सुरक्षित रह सकता था। परमेश्वर की ओर से अपने लोगों के लिए यह प्रयोजन करवाया गया था।
यह केवल प्राचीन इस्त्राएल के मानने के लिए एक प्रथा मात्र ही नहीं थी, वरन यह अपने लोगों के लिए परमेश्वर के हृदय, उसकी भावनाओं की सूचक भी थी। जीवन की असफलताओं, दुःखों और हानियों में परमेश्वर स्वयं अपने लोगों का ऐसा सुरक्षित आश्रय स्थान, जहाँ वे शांति और सांत्वना पाएं, बनना चाहता है। हम भजन 59:16-17 में पढ़ते हैं, "परन्तु मैं तेरी सामर्थ्य का यश गाऊंगा, और भोर को तेरी करूणा का जयजयकार करूंगा। क्योंकि तू मेरा ऊंचा गढ़ है, और संकट के समय मेरा शरणस्थान ठहरा है। हे मेरे बल, मैं तेरा भजन गाऊंगा, क्योंकि हे परमेश्वर, तू मेरा ऊंचा गढ़ और मेरा करूणामय परमेश्वर है"
हर समय, हर काल और हर स्थान पर समस्त मानव जाति के लिए शरणस्थान कोई नगर नहीं, वरन परमेश्वर स्वयं बनना चाहता है, क्योंकि उसने हमें रचा है, वह हमसे अनन्तकाल के प्रेम से प्रेम करता है, और अपने साथ हमारा मेल-मिलाप करवाने के लिए उसने अपने एकलौते पुत्र प्रभु यीशु मसीह को भी हमारे पापों के बदले बलिदान कर दिया।
आज यह शरणस्थान सभी के लिए सारे समय खुला है, उपलब्ध है; कैसे अभागे होंगे वे जो परमेश्वर के प्रेम और इस अवसर को ठुकरा कर कहीं और अपना शरणस्थान खोजेंगे और अनन्तकाल के विनाश में चले जाएंगे। आज, अभी प्रभु यीशु को अपना शरणस्थान बना लीजिए। - बिल क्राउडर
प्रभु यीशु ही वास्तविक शरणस्थान है; उसी में सच्चा आश्रय और विश्राम है।
यहोवा भला है; संकट के दिन में वह दृढ़ गढ़ ठहरता है, और अपने शरणागतों की सुधी रखता है। - नहूम 1:7
बाइबल पाठ: भजन 59:9-17
Psalms 59:9 हे मेरे बल, मुझे तेरी ही आस होगी; क्योंकि परमेश्वर मेरा ऊंचा गढ़ है।
Psalms 59:10 परमेश्वर करूणा करता हुआ मुझ से मिलेगा; परमेश्वर मेरे द्रोहियों के विषय मेरी इच्छा पूरी कर देगा।
Psalms 59:11 उन्हें घात न कर, न हो कि मेरी प्रजा भूल जाए; हे प्रभु, हे हमारी ढाल! अपनी शक्ति से उन्हें तितर बितर कर, उन्हें दबा दे।
Psalms 59:12 वह अपने मुंह के पाप, और ओठों के वचन, और शाप देने, और झूठ बोलने के कारण, अभिमान में फंसे हुए पकड़े जाएं।
Psalms 59:13 जलजलाहट में आकर उनका अन्त कर, उनका अन्त कर दे ताकि वे नष्ट हो जाएं तब लोग जानेंगे कि परमेश्वर याकूब पर, वरन पृथ्वी की छोर तक प्रभुता करता है।
Psalms 59:14 वे सांझ को लौटकर कुत्ते की नाईं गुर्राएं, और नगर के चारों ओर घूमें।
Psalms 59:15 वे टुकड़े के लिये मारे मारे फिरें, और तृप्त न होने पर रात भर वहीं ठहरे रहें।
Psalms 59:16 परन्तु मैं तेरी सामर्थ्य का यश गाऊंगा, और भोर को तेरी करूणा का जयजयकार करूंगा। क्योंकि तू मेरा ऊंचा गढ़ है, और संकट के समय मेरा शरणस्थान ठहरा है।
Psalms 59:17 हे मेरे बल, मैं तेरा भजन गाऊंगा, क्योंकि हे परमेश्वर, तू मेरा ऊंचा गढ़ और मेरा करूणामय परमेश्वर है।
एक साल में बाइबल:
- भजन 57-59
- रोमियों 4
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