ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

मंगलवार, 2 अगस्त 2016

अनुग्रह-स्थल


   अमेरिका के टेनेस्सी प्रांत के मेम्फिस शहर में स्थित ग्रेसलैंड मैन्शन एक ऐसा घर है जिसे देखने के लिए प्रति वर्ष अनेकों सैलानी जाते हैं। इस भवन का निर्माण सन 1930 में हुआ था, और इसका नाम इस भवन के मूल मालिक की बुज़ुर्ग रिश्तेदार ’ग्रेस’ के नाम पर रखा गया था। इसे यह ख्याति बाद में इसमें रहने वाले विश्व-प्रसिद्ध गायक एल्विस प्रैस्ली के कारण मिली, और आज एल्विस के घर को देखने के लिए ही सैलानी वहाँ आते हैं।

   मुझे वह नाम ’ग्रेसलैंड’ अर्थात ’अनुग्रह-स्थल’ बहुत पसन्द है क्योंकि यह मुझे उस क्षेत्र का स्मरण दिलाता है जहाँ परमेश्वर ने अपने अनुग्रह में होकर मुझे प्रदान करी गई मेरे पापों की क्षमा के बाद मुझे अपनाकर रखा है। परमेश्वर ने मुझे पाप के अन्धकार से निकाल कर अपनी ज्योति के अनुग्रह-स्थल में निवास करने का आदर प्रदान किया है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में रोम के मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में प्रेरित पौलुस ने लिखा, "पर जैसा अपराध की दशा है, वैसी अनुग्रह के वरदान की नहीं, क्योंकि जब एक मनुष्य के अपराध से बहुत लोग मरे, तो परमेश्वर का अनुग्रह और उसका जो दान एक मनुष्य के, अर्थात यीशु मसीह के अनुग्रह से हुआ बहुतेरे लोगों पर अवश्य ही अधिकाई से हुआ" (रोमियों 5:15)। मैं सदा ही इस बात का आभारी तथा धन्यवादी रहूँगा कि पौलुस जिन ’बहुतेरे लोगों’ का उल्लेख यहाँ पर कर रहा है, उन में से एक मैं भी हूँ; और मेरे किसी कर्म, गुण, योग्यता, उपलब्धि, ख्याति या विशेषता के कारण नहीं परन्तु परमेश्वर के महान प्रेम के कारण ही मेरा स्थानान्तरण उसके अद्भुत, अनन्त और अनुपम अनुग्रह-स्थल में हुआ है। प्रभु यीशु मसीह में स्वेच्छा से लाए गए विश्वास और उनसे माँगी गई पापों की क्षमा ने मेरे लिए यह संभव कर दिया है।

   परमेश्वर के उस अनुग्रह-स्थल में होने की आशीष के बारे में विचार करें; यह एक ऐसा स्थान है जिसमें होकर परमेश्वर ने हमें अपनी उपस्थिति में रहने का सौभाग्य प्रदान किया है, और उसका यह अनुग्रह दिन-प्रतिदिन हमारे जीवनों में अविरल एक समान प्रवाहित होता रहता है; हमारी किसी बात के कारण यह अनुग्रह ना बढ़ता है और ना ही घटता है, वरन हर बात, हर परिस्थिति में सदा उपलब्ध और एक समान बना रहता है। पौलुस अपने अनुभव के आधार पर हमें आशवस्त करता है कि हम यदि किसी असहनीय, अति निराशाजनक परिस्थिति में भी पड़ जाएं जिसका हल नहीं मिल पा रहा हो, तब भी यह अनुग्रह हमें उस परिस्थिति से पार लगा देता है (2 कुरिन्थियों 12:9)। जीवन और संसार हमारे सामने कुछ भी क्यों ना ले आएं, लेकिन हमें परमेश्वर के अनुग्रह-स्थल से अलग कभी नहीं कर सकते।

   क्या आपने परमेश्वर के इस अनुग्रह-स्थल में अपना स्थान ले लिया है? - जो स्टोवैल


स्मरण रखें कि परमेश्वर ने आपको कहाँ रखा है और उसके अनुग्रह-स्थल में सदा आनन्दित रहें।

और उसने मुझ से कहा, मेरा अनुग्रह तेरे लिये बहुत है; क्योंकि मेरी सामर्थ निर्बलता में सिद्ध होती है; इसलिये मैं बड़े आनन्द से अपनी निर्बलताओं पर घमण्‍ड करूंगा, कि मसीह की सामर्थ मुझ पर छाया करती रहे। - 2 कुरिन्थियों 12:9

बाइबल पाठ: रोमियों 5:10-21
Romans 5:10 क्योंकि बैरी होने की दशा में तो उसके पुत्र की मृत्यु के द्वारा हमारा मेल परमेश्वर के साथ हुआ फिर मेल हो जाने पर उसके जीवन के कारण हम उद्धार क्यों न पाएंगे? 
Romans 5:11 और केवल यही नहीं, परन्तु हम अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा जिस के द्वारा हमारा मेल हुआ है, परमेश्वर के विषय में घमण्ड भी करते हैं।
Romans 5:12 इसलिये जैसा एक मनुष्य के द्वारा पाप जगत में आया, और पाप के द्वारा मृत्यु आई, और इस रीति से मृत्यु सब मनुष्यों में फैल गई, इसलिये कि सब ने पाप किया। 
Romans 5:13 क्योंकि व्यवस्था के दिए जाने तक पाप जगत में तो था, परन्तु जहां व्यवस्था नहीं, वहां पाप गिना नहीं जाता। 
Romans 5:14 तौभी आदम से ले कर मूसा तक मृत्यु ने उन लोगों पर भी राज्य किया, जिन्हों ने उस आदम के अपराध की नाईं जो उस आने वाले का चिन्ह है, पाप न किया। 
Romans 5:15 पर जैसा अपराध की दशा है, वैसी अनुग्रह के वरदान की नहीं, क्योंकि जब एक मनुष्य के अपराध से बहुत लोग मरे, तो परमेश्वर का अनुग्रह और उसका जो दान एक मनुष्य के, अर्थात यीशु मसीह के अनुग्रह से हुआ बहुतेरे लोगों पर अवश्य ही अधिकाई से हुआ। 
Romans 5:16 और जैसा एक मनुष्य के पाप करने का फल हुआ, वैसा ही दान की दशा नहीं, क्योंकि एक ही के कारण दण्ड की आज्ञा का फैसला हुआ, परन्तु बहुतेरे अपराधों से ऐसा वरदान उत्पन्न हुआ, कि लोग धर्मी ठहरे। 
Romans 5:17 क्योंकि जब एक मनुष्य के अपराध के कराण मृत्यु ने उस एक ही के द्वारा राज्य किया, तो जो लोग अनुग्रह और धर्म रूपी वरदान बहुतायत से पाते हैं वे एक मनुष्य के, अर्थात यीशु मसीह के द्वारा अवश्य ही अनन्त जीवन में राज्य करेंगे। 
Romans 5:18 इसलिये जैसा एक अपराध सब मनुष्यों के लिये दण्ड की आज्ञा का कारण हुआ, वैसा ही एक धर्म का काम भी सब मनुष्यों के लिये जीवन के निमित धर्मी ठहराए जाने का कारण हुआ। 
Romans 5:19 क्योंकि जैसा एक मनुष्य के आज्ञा न मानने से बहुत लोग पापी ठहरे, वैसे ही एक मनुष्य के आज्ञा मानने से बहुत लोग धर्मी ठहरेंगे। 
Romans 5:20 और व्यवस्था बीच में आ गई, कि अपराध बहुत हो, परन्तु जहां पाप बहुत हुआ, वहां अनुग्रह उस से भी कहीं अधिक हुआ। 
Romans 5:21 कि जैसा पाप ने मृत्यु फैलाते हुए राज्य किया, वैसा ही हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा अनुग्रह भी अनन्त जीवन के लिये धर्मी ठहराते हुए राज्य करे।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 60-62
  • रोमियों 5


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें