हमारा सबसे कठिन अन्तर्द्वन्द होता है हमारी इस इच्छा कि लोग हमें जाने, तथा हमारे भय के कि पहचान लिए जाने पर कुछ अप्रत्याशित तो नहीं हो जाएगा, के मध्य। क्योंकि परमेश्वर ने हमें अपने स्वरूप में रचा है, इसलिए हम जाने और पहचाने जाने के लिए हैं - परमेश्वर द्वारा भी, और अन्य लोगों के द्वारा भी। परन्तु फिर भी हमारे पतित स्वभाव के कारण हमारे जीवनों में ऐसी कमज़ोरियाँ और पाप होते हैं जिन्हें हम नहीं चाहते कि कोई जाने या पहचाने। हम अपने जीवन के कुछ "गहरे" या "दुःखद" भागों एवं पहलुओं को छुपा कर रखना चाहते हैं; और दूसरों को प्रोत्साहित करते हैं कि वे अपने जीवन के सबसे अच्छे भाग या पहलू को प्रगट करें।
हमारे द्वारा अपने जाने या पहचाने जाने का जोखिम ना उठाने का एक कारण होता है उसके बाद होने वाले तिरिस्कार और उपहास की संभावना। लेकिन जब परमेश्वर के वचन बाइबल के आधार पर हम यह जानने लगते हैं कि परमेश्वर हमें भली-भांति, अन्दर-बाहर से जानता है, हमारी कोई भी बात उससे छुपी नहीं है, लेकिन फिर भी वह हम से प्रेम करता है, हमारे बुरे से बुरे कार्य एवं पाप के बावजूद वह हमें क्षमा करके अपनी सन्तान, अपने परिवार का एक अंग बनाना चाहता है तो परमेश्वर द्वारा तिरिस्कृत होने का हमारा भय हटना आरंभ हो जाता है। और जब हम उसकी क्षमा के इस प्रस्ताव को स्वीकार करके, उससे अपने पापों की क्षमा माँग लेते हैं, अपने जीवन प्रभु यीशु को समर्पित कर देते हैं, तो वह हमें अन्य मसीही विश्वासियों की मण्डली में जोड़ देता है, जो हमारे समान ही क्षमा प्राप्त करके प्रभु के जन बने हैं, जो पापों के अंगीकार और क्षमा के संबंध को व्यक्तिगत अनुभव से जानते और समझते हैं। अब ऐसे लोगों की संगति में रहकर हम अपने पाप और कमज़ोरियों को एक दूसरे के सामने स्वीकार कर लेने, उनके लिए क्षमा माँग लेने से हिचकिचाते नहीं हैं।
मसीही विश्वास का जीवन, संसार के अन्य लोगों की प्रवृत्ति के विपरीत, केवल हमारे जीवन के भले पहलुओं और भली बातों को दूसरों के सामने रखने से संबंधित नहीं है। इस मसीही विश्वास के जीवन में हम अपने जीवन के उन "गहरे" या "दुःखद" भागों एवं पहलुओं को भी लोगों के समक्ष लाते हैं, और इस बात की गवाही देते हैं कि जब हमने इन "गहरे" या "दुःखद" भागों एवं पहलुओं को प्रभु यीशु में लाए गए विश्वास के द्वारा परमेश्वर के सामने रखा और उससे उनके लिए क्षमा माँगी, तो उसने ना केवल हमें क्षमा किया, वरन हमारे उन "गहरे" या "दुःखद" भागों एवं पहलुओं को ही हमारे तथा अन्य लोगों के लिए लाभ की बात बना दिया। प्रभु यीशु के साथ इस प्रकार होने वाली जान-पहचान द्वारा मसीही विश्वास में आत्मिक चंगाई और क्षमा से मिली स्वतंत्रता के आनन्द को पाने का यही मार्ग है। - जूली ऐकैरमैन लिंक
पाप की आवाज़ ऊँची हो सकती है, परन्तु क्षमा की आवाज़ उससे भी ऊँची होती है।
जब मैं ने अपना पाप तुझ पर प्रगट किया और अपना अधर्म न छिपाया, और कहा, मैं यहोवा के साम्हने अपने अपराधों को मान लूंगा; तब तू ने मेरे अधर्म और पाप को क्षमा कर दिया। - भजन 32:5
बाइबल पाठ: याकूब 5:16-20
James 5:16 इसलिये तुम आपस में एक दूसरे के साम्हने अपने अपने पापों को मान लो; और एक दूसरे के लिये प्रार्थना करो, जिस से चंगे हो जाओ; धर्मी जन की प्रार्थना के प्रभाव से बहुत कुछ हो सकता है।
James 5:17 एलिय्याह भी तो हमारे समान दुख-सुख भोगी मनुष्य था; और उसने गिड़िगड़ा कर प्रार्थना की; कि मेंह न बरसे; और साढ़े तीन वर्ष तक भूमि पर मेंह नहीं बरसा।
James 5:18 फिर उसने प्रार्थना की, तो आकाश से वर्षा हुई, और भूमि फलवन्त हुई।
James 5:19 हे मेरे भाइयों, यदि तुम में कोई सत्य के मार्ग से भटक जाए, और कोई उसको फेर लाए।
James 5:20 तो वह यह जान ले, कि जो कोई किसी भटके हुए पापी को फेर लाएगा, वह एक प्राण को मृत्यु से बचाएगा, और अनेक पापों पर परदा डालेगा।
एक साल में बाइबल:
- सभोपदेशक 1-3
- 2 कुरिन्थियों 11:16-33
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