मैं नहीं जानता कि परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार आसप किस निराशाजनक स्थिति में आ गया था जब उसने भजन 77 लिखा; लेकिन मैंने वैसे ही विलाप सुने भी हैं और करे भी हैं। मेरी युवा पुत्री की आकस्मिक मृत्यु को लगभग बारह वर्ष हुए हैं, इस दौरान अनेकों ऐसे लोगों ने जिन्होंने किसी प्रीय जन के जाने के दुःख को अनुभव किया है, मेरे साथ अपने दुःख भरे अनुभवों को बाँटा है। उन लोगों के विलाप में भी, आसप के विलाप के समान ही:
परमेश्वर की दोहाई देना (पद 1); आकाश की ओर खाली हाथों को फैलाना (पद 2); हताश कर देने वाली परिस्थितियों के कारण परमेश्वर के विषय परेशान करने वाले विचारों का सामना करना (पद 3); वर्णन से बाहर परेशानी उठाना (पद 4); त्याग दिए जाने, या अकेले छोड़ दिए जाने की भावना से आतंकित होना (पद 7); की गई प्रतिज्ञाओं को ना निभाने, तथा करुणा, दया, अनुकंपा आदि का अभाव होने के भय (पद 8) सम्मिलित थे।
लेकिन आसप के लिए पद 10 से एक परिवर्तन आता है, जब वह परमेश्वर के महान कार्यों को स्मरण करना आरंभ करता है। उसके विचार परमेश्वर के प्रेम की ओर मुड़ते हैं; जो परमेश्वर ने किया है उनकी यादों की ओर जाते हैं। प्राचीन समय में परमेश्वर के द्वारा किए गए अद्भुत कार्यों, उसकी सदा बनी रहने वाली विश्वासयोग्यता, दया और करुणा की ओर जाते हैं। वह परमेश्वर की सृष्टि और सृष्टि में विदित उसकी महानता, उसकी सामर्थ पर और उसके द्वारा हमारे छुटकारे के कार्य पर विचार केंद्रित करता है; और इन सब बातों के द्वारा उसका दृष्टिकोण परिवर्तित हो जाता है।
इस जीवन में हताशा वास्तविक है, और उस से संबंधित प्रश्नों के उत्तर सरलता से नहीं आते। लेकिन, जब हम परमेश्वर की महिमा, वैभव और गौरव, सामर्थ तथा महान एवं वर्णन से बाहर प्रेम पर विचार करते हैं, तो अभिभूत कर देने वाले उस अन्धकार में भी जीवन की ज्योति स्पष्ट चमकती हुई दिखाई देती है, हताशा बैठ जाती है। अपने कठिन समय में, आसप के समान ही, हमें भी परमेश्वर के गुणों और कार्यों पर मनन करना चाहिए, विशेषकर प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास लाने से मिलने वाले सेंत-मेंत उद्धार पर; और यह हमें पुनः उसके प्रेम और संगति में विश्राम प्रदान कर देगा। - डेव ब्रैनन
बीते समय में परमेश्वर की विश्वासयोग्यता एवं सहायता को स्मरण करने से
हम आज की परिस्थितियों में विश्राम पा सकते हैं।
तू सम्मति देता हुआ, मेरी अगुवाई करेगा, और तब मेरी महिमा कर के मुझ को अपने पास रखेगा। - भजन 73:24
बाइबल पाठ: भजन 77:1-15
Psalms 77:1 मैं परमेश्वर की दोहाई चिल्ला चिल्लाकर दूंगा, मैं परमेश्वर की दोहाई दूंगा, और वह मेरी ओर कान लगाएगा।
Psalms 77:2 संकट के दिन मैं प्रभु की खोज में लगा रहा; रात को मेरा हाथ फैला रहा, और ढीला न हुआ, मुझ में शांति आई ही नहीं।
Psalms 77:3 मैं परमेश्वर का स्मरण कर कर के करहाता हूं; मैं चिन्ता करते करते मूर्छित हो चला हूं। (सेला)
Psalms 77:4 तू मुझे झपक्की लगने नहीं देता; मैं ऐसा घबराया हूं कि मेरे मुंह से बात नहीं निकलती।
Psalms 77:5 मैंने प्राचीन काल के दिनों को, और युग युग के वर्षों को सोचा है।
Psalms 77:6 मैं रात के समय अपने गीत को स्मरण करता; और मन में ध्यान करता हूं, और मन में भली भांति विचार करता हूं:
Psalms 77:7 क्या प्रभु युग युग के लिये छोड़ देगा; और फिर कभी प्रसन्न न होगा?
Psalms 77:8 क्या उसकी करूणा सदा के लिये जाती रही? क्या उसका वचन पीढ़ी पीढ़ी के लिये निष्फल हो गया है?
Psalms 77:9 क्या ईश्वर अनुग्रह करना भूल गया? क्या उसने क्रोध कर के अपनी सब दया को रोक रखा है? (सेला)
Psalms 77:10 मैने कहा यह तो मेरी दुर्बलता ही है, परन्तु मैं परमप्रधान के दाहिने हाथ के वर्षों को विचारता हूं।
Psalms 77:11 मैं याह के बड़े कामों की चर्चा करूंगा; निश्चय मैं तेरे प्राचीन काल वाले अद्भुत कामों को स्मरण करूंगा।
Psalms 77:12 मैं तेरे सब कामों पर ध्यान करूंगा, और तेरे बड़े कामों को सोचूंगा।
Psalms 77:13 हे परमेश्वर तेरी गति पवित्रता की है। कौन सा देवता परमेश्वर के तुल्य बड़ा है?
Psalms 77:14 अद्भुत काम करने वाला ईश्वर तू ही है, तू ने अपने देश देश के लोगों पर अपनी शक्ति प्रगट की है।
Psalms 77:15 तू ने अपने भुजबल से अपनी प्रजा, याकूब और यूसुफ के वंश को छुड़ा लिया है। (सेला)
एक साल में बाइबल:
- उत्पत्ति 31-32
- मत्ती 9:18-38
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें