जॉन ल्युइस, जो अमेरिका की राष्ट्रीय सभा के सदस्य हैं, उस समय 23 वर्ष के थे जब उन्होंने डा० मार्टिन लूथर किंग के 1963 के एतिहासिक मानवाधिकार अभियान "मार्च ऑन वॉशिंगटन" में भाग लिया। अब उस घटना के अर्ध-शताब्दी पश्चात, जब पत्रकार बिल मौयेर्स ने ल्युइस से पूछा कि उस समय डा० किंग के द्वारा दिए गए प्रसिद्ध भाषण, "आई हैव ए ड्रीम" का उन पर क्या प्रभाव हुआ, तो श्री. ल्युइस ने उत्तर दिया, "आप उन्हें सुनने के पश्चात बिना प्रभावित हुए वापस पहले जैसे कार्य पर नहीं जा सकते थे। आप कुछ करने, किसी कार्य में लगने के लिए विवश हो गए। आपको आगे बढ़ना था, आपको जाकर इस बात का समाचार फैलाना ही था।"
प्रभु यीशु के संपर्क में आने वाले अनेकों लोगों के साथ भी यही होता है; एक बार प्रभु यीशु को सुन लेने के बाद, वे उसके विषय में तटस्थ नहीं रह पाते, वे कुछ निर्णय लेने और कार्य करने के लिए विवश अनुभव करते हैं। परमेश्वर के वचन बाइबल में यूहन्ना 7:25-46 में प्रभु यीशु के प्रति दो भिन्न प्रतिक्रियाएं दिखाई गई हैं। जबकि उसकी बातें सुनकर "बहुत से लोगों ने उस पर विश्वास किया" (पद 31), उस समय के धर्म के अगुवों ने उसे शान्त कर देने के लिए प्रभु को पकड़ने के लिए सिपाहियों को भेजा (पद 32)। जब प्रभु यीशु लोगों से कह रहे थे, "...यदि कोई प्यासा हो तो मेरे पास आकर पीए। जो मुझ पर विश्वास करेगा, जैसा पवित्र शास्त्र में आया है उसके हृदय में से जीवन के जल की नदियां बह निकलेंगी" (पद 37-38) तब संभवतः वे सिपाही वहाँ थे और प्रभु की बात सुन रहे थे, और वे सिपाही प्रभु यीशु को गिरफ्तार किए बिना ही लौट गए। जब उन सिपाहियों से पूछा गया कि वे प्रभु यीशु को बन्दी बना कर क्यों नहीं लाए (पद 45), तो उनका उत्तर था "किसी मनुष्य ने कभी ऐसी बातें नहीं कीं" (पद 46)।
प्रभु यीशु के वचन हमें विवश करते हैं कि हम उसके बारे में अपने जीवनों में कोई निर्णय लें, अपने सामान्य कार्यों से ऊपर उठकर उसके लिए कुछ करें, आगे बढ़ें और उसके सुसमाचार को औरों तक पहुँचाएं। - डेविड मैक्कैसलैंड
क्रूस पर प्रभु यीशु का बलिदान मेरे पापों से छुटकारे का
और उसके प्रति मेरे समर्पण एवं आज्ञाकारिता का कारण है।
शमौन पतरस ने उसको उत्तर दिया, कि हे प्रभु हम किस के पास जाएं? अनन्त जीवन की बातें तो तेरे ही पास हैं। और हम ने विश्वास किया, और जान गए हैं, कि परमेश्वर का पवित्र जन तू ही है। - यूहन्ना 6:68-69
बाइबल पाठ: यूहन्ना 7:31-46
John 7:31 और भीड़ में से बहुतेरों ने उस पर विश्वास किया, और कहने लगे, कि मसीह जब आएगा, तो क्या इस से अधिक आश्चर्यकर्म दिखाएगा जो इस ने दिखाए?
John 7:32 फरीसियों ने लोगों को उसके विषय में ये बातें चुपके चुपके करते सुना; और महायाजकों और फरीसियों ने उसके पकड़ने को सिपाही भेजे।
John 7:33 इस पर यीशु ने कहा, मैं थोड़ी देर तक और तुम्हारे साथ हूं; तब अपने भेजने वाले के पास चला जाऊंगा।
John 7:34 तुम मुझे ढूंढ़ोगे, परन्तु नहीं पाओगे और जहां मैं हूं, वहां तुम नहीं आ सकते।
John 7:35 यहूदियों ने आपस में कहा, यह कहां जाएगा, कि हम इसे न पाएंगे: क्या वह उन के पास जाएगा, जो यूनानियों में तित्तर बित्तर हो कर रहते हैं, और यूनानियों को भी उपदेश देगा?
John 7:36 यह क्या बात है जो उसने कही, कि तुम मुझे ढूंढ़ोगे, परन्तु न पाओगे: और जहां मैं हूं, वहां तुम नहीं आ सकते?
John 7:37 फिर पर्व के अंतिम दिन, जो मुख्य दिन है, यीशु खड़ा हुआ और पुकार कर कहा, यदि कोई प्यासा हो तो मेरे पास आकर पीए।
John 7:38 जो मुझ पर विश्वास करेगा, जैसा पवित्र शास्त्र में आया है उसके हृदय में से जीवन के जल की नदियां बह निकलेंगी।
John 7:39 उसने यह वचन उस आत्मा के विषय में कहा, जिसे उस पर विश्वास करने वाले पाने पर थे; क्योंकि आत्मा अब तक न उतरा था; क्योंकि यीशु अब तक अपनी महिमा को न पहुंचा था।
John 7:40 तब भीड़ में से किसी किसी ने ये बातें सुन कर कहा, सचमुच यही वह भविष्यद्वक्ता है।
John 7:41 औरों ने कहा; यह मसीह है, परन्तु किसी ने कहा; क्यों? क्या मसीह गलील से आएगा?
John 7:42 क्या पवित्र शास्त्र में यह नहीं आया, कि मसीह दाऊद के वंश से और बैतलहम गांव से आएगा जहां दाऊद रहता था?
John 7:43 सो उसके कारण लोगों में फूट पड़ी।
John 7:44 उन में से कितने उसे पकड़ना चाहते थे, परन्तु किसी ने उस पर हाथ न डाला।
John 7:45 तब सिपाही महायाजकों और फरीसियों के पास आए, और उन्होंने उन से कहा, तुम उसे क्यों नहीं लाए?
John 7:46 सिपाहियों ने उत्तर दिया, कि किसी मनुष्य ने कभी ऐसी बातें नहीं कीं।
एक साल में बाइबल:
- उत्पत्ति 39-40
- मत्ती 11
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