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शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2017

मुलाकात


   हाल ही में अपने कार्य से सेवानिवृत हुए एक व्यक्ति से मेरे एक मित्र ने पूछा कि अब जब उसके पास सारा दिन करने के लिए कार्य नहीं है तो उसकी दिनचर्या क्या होती है? उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, "अब मैं अपने आप को एक मिलने वाला कहता हूँ। मैं अपने चर्च और समाज के लोगों के पास, जो अस्पताल में या सेवा-गृहों में हैं, या अकेले रहते हैं, या जिन्हें किसी ऐसे जन की आवश्यकता होती है जिसके साथ वे बात करके दिल हल्का कर सकें, उनसे मिलने जाता हूँ, उनके साथ प्रार्थना करता हूँ। और मुझे इससे आनन्द मिलता है।" मेरा मित्र उस व्यक्ति के स्पष्ट उद्देश्य और दूसरों की देखभाल करने की भावना से बहुत प्रभावित हुआ।

   अपने क्रूस पर चढ़ाए जाने से कुछ दिन पहले प्रभु यीशु ने अपने चेलों को ज़रूरतमन्दों से मिलने जाने के महत्व को समझाने के लिए एक वृतांत सुनाया, जो परमेश्वर के वचन बाइबल में मत्ती २25:31-46 में दर्ज है। प्रभु यीशु ने जगत के अन्त में सभी मनुष्यों के होने वाले न्याय के संदर्भ में बताया कि कैसे प्रभु परमेश्वर लोगों के जीवनों तथा कार्यों का आँकलन करेगा, और जिन्होंने उसके नाम में लोगों का ध्यान रखा, उनसे मिलने गए, उनकी सहायता की, उसे वह अपने साथ की गई भलाई गिनेगा और उन्हें पुरुस्कृत करेगा; इसकी तुलना में जिन्होंने लोगों की उनकी विपरीत परिस्थितियों में अवहेलना करी, उनकी सुधि लेने से, देखरेख करने से मूँह मोड़ा उसे प्रभु अपनी अवहेलना और अपने से मूँह मोड़ना मानेगा तथा उन्हें दण्ड देगा।

   प्रभु के नाम में लोगों से मिलने जाने और उनकी सुधि लेने तथा सहायता करने के दो लाभार्थी हैं - वह व्यक्ति जिससे हम मुलाकात के लिए जाते हैं, और प्रभु यीशु। किसी व्यक्ति के पास सहायता और प्रोत्साहन के लिए जाना, सीधे-सीधे प्रभु परमेश्वर की सेवा करना है। क्या कोई ऐसा है जिससे आपकी मुलाकात उसके लिए प्रोत्साहन और सहायता हो सकती है? - डेविड मैक्कैसलैंड


करुणा का अर्थ है दूसरों की समस्याओं को समझना 
और लालसा के साथ उनकी सहायता करते रहना

जिनका भला करना चाहिये, यदि तुझ में शक्ति रहे, तो उनका भला करने से न रुकना। यदि तेरे पास देने को कुछ हो, तो अपने पड़ोसी से न कहना कि जा कल फिर आना, कल मैं तुझे दूंगा। - नीतिवचन 3:27-28

बाइबल पाठ: मत्ती 25:31-46
Matthew 25:31 जब मनुष्य का पुत्र अपनी महिमा में आएगा, और सब स्वर्ग दूत उसके साथ आएंगे तो वह अपनी महिमा के सिहांसन पर विराजमान होगा। 
Matthew 25:32 और सब जातियां उसके साम्हने इकट्ठी की जाएंगी; और जैसा चरवाहा भेड़ों को बकिरयों से अलग कर देता है, वैसा ही वह उन्हें एक दूसरे से अलग करेगा। 
Matthew 25:33 और वह भेड़ों को अपनी दाहिनी ओर और बकिरयों को बाईं और खड़ी करेगा। 
Matthew 25:34 तब राजा अपनी दाहिनी ओर वालों से कहेगा, हे मेरे पिता के धन्य लोगों, आओ, उस राज्य के अधिकारी हो जाओ, जो जगत के आदि से तुम्हारे लिये तैयार किया हुआ है। 
Matthew 25:35 क्योंकि मैं भूखा था, और तुम ने मुझे खाने को दिया; मैं प्यासा था, और तुम ने मुझे पानी पिलाया, मैं परदेशी था, तुम ने मुझे अपने घर में ठहराया। 
Matthew 25:36 मैं नंगा था, तुम ने मुझे कपड़े पहिनाए; मैं बीमार था, तुम ने मेरी सुधि ली, मैं बन्‍दीगृह में था, तुम मुझ से मिलने आए। 
Matthew 25:37 तब धर्मी उसको उत्तर देंगे कि हे प्रभु, हम ने कब तुझे भूखा देखा और खिलाया? या प्यासा देखा, और पिलाया? 
Matthew 25:38 हम ने कब तुझे परदेशी देखा और अपने घर में ठहराया या नंगा देखा, और कपड़े पहिनाए? 
Matthew 25:39 हम ने कब तुझे बीमार या बन्‍दीगृह में देखा और तुझ से मिलने आए? 
Matthew 25:40 तब राजा उन्हें उत्तर देगा; मैं तुम से सच कहता हूं, कि तुम ने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से किसी एक के साथ किया, वह मेरे ही साथ किया। 
Matthew 25:41 तब वह बाईं ओर वालों से कहेगा, हे श्रापित लोगो, मेरे साम्हने से उस अनन्त आग में चले जाओ, जो शैतान और उसके दूतों के लिये तैयार की गई है। 
Matthew 25:42 क्योंकि मैं भूखा था, और तुम ने मुझे खाने को नहीं दिया, मैं प्यासा था, और तुम ने मुझे पानी नहीं पिलाया। 
Matthew 25:43 मैं परदेशी था, और तुम ने मुझे अपने घर में नहीं ठहराया; मैं नंगा था, और तुम ने मुझे कपड़े नहीं पहिनाए; बीमार और बन्‍दीगृह में था, और तुम ने मेरी सुधि न ली। 
Matthew 25:44 तब वे उत्तर देंगे, कि हे प्रभु, हम ने तुझे कब भूखा, या प्यासा, या परदेशी, या नंगा, या बीमार, या बन्‍दीगृह में देखा, और तेरी सेवा टहल न की? 
Matthew 25:45 तब वह उन्हें उत्तर देगा, मैं तुम से सच कहता हूं कि तुम ने जो इन छोटे से छोटों में से किसी एक के साथ नहीं किया, वह मेरे साथ भी नहीं किया। 
Matthew 25:46 और यह अनन्त दण्‍ड भोगेंगे परन्तु धर्मी अनन्त जीवन में प्रवेश करेंगे।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 8-10
  • मत्ती 25:31-46


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