एक पुरानी कहावत है कि "तेल चरमराते पहिए में ही दिया जाता है।" बचपन में मैं स्कूल और घर के बीच की लंबी दूरी साइकल द्वारा तय किया करता था, और पहियों से आने वाली चामराने की ध्वनि मुझे ध्यान दिलाती थी कि तेल दिए जाने की आवश्यकता है।
परमेश्वर के वचन बाइबल में, लूका 18. में एक विध्वा का दृष्टांत है जो अपने मुद्दई के विरुध्द न्यायाधीश से अपना न्याय लेने के लिए "चरमराते पहिए" के समान निरन्तर गुहार लगाती रही जब तक कि उसे अपना न्याय मिल नहीं गया। लूका बताता है कि प्रभु यीशु ने यह कहानी अपने शिष्यों से इसलिए कही जिससे वे बिना हार माने निरन्तर प्रार्थना में लगे रहें, चाहे प्रार्थना का उत्तर आने में विलंब ही क्यों ना हो रहा हो (पद 1-5)।
निश्चय ही परमेश्वर कोई कठोर न्यायधीश नहीं है जिसे जब तक तंग न किया जाए वह प्रत्युत्तर नहीं देता है। वह हमारा प्रेमी परमेश्वर पिता है, जो हमारी चिन्ता करता है, हमारे पुकारने को सुनता है। नियमित, अनवरत प्रर्थनाएं हमें उसके निकट लाती हैं। हमें लग सकता है कि हम एक चरमराते पहिए के समान हैं, परन्तु प्रभु हमारी प्रार्थनाओं का स्वागत करता है, और जब हम उसे पुकारते हैं तब हमारी सुनता है, हमें प्रोत्साहित करता है कि अपनी प्रत्येक बात और आवश्यकता को लेकर हम प्रार्थना में उसके समक्ष आएं। वह हमारी प्रार्थनाएं सुनकर उनका उत्तर अवश्य देगा, किसी ऐसी रीति से भी जिसकी हमने कभी अपेक्षा भी नहीं की होगी।
जैसा प्रभु यीशु ने मत्ती 6:5-8 में सिखाया, अनवरत प्रार्थना का अर्थ लंबी और व्यर्थ की "बक-बक" वाली प्रार्थनाएं नहीं है। वरन जैसे-जैसे हम "रात-दिन" (लूका 18:7) अपनी आवश्यकताएं परमेश्वर के पास लाते हैं, हम उसके साथ जो हमारी प्रत्येक बात और आवश्यकता को पहले ही से जानता है, और निकटता में बढ़ते हैं, उसपर भरोसा करना और प्रार्थना के उत्तर के लिए उसके समय की प्रतीक्षा करना सीखते हैं। - लॉरेंस दरमानी
निराश होकर हार ना मानें; जब आप प्रार्थना करते हैं परमेश्वर अवश्य ही सुनता है।
इसलिये तुम आपस में एक दूसरे के साम्हने अपने अपने पापों को मान लो; और एक दूसरे के लिये प्रार्थना करो, जिस से चंगे हो जाओ; धर्मी जन की प्रार्थना के प्रभाव से बहुत कुछ हो सकता है। - याकूब 5:16
बाइबल पाठ: लूका 18:1-8
Luke 18:1 फिर उसने इस के विषय में कि नित्य प्रार्थना करना और हियाव न छोड़ना चाहिए उन से यह दृष्टान्त कहा।
Luke 18:2 कि किसी नगर में एक न्यायी रहता था; जो न परमेश्वर से डरता था और न किसी मनुष्य की परवाह करता था।
Luke 18:3 और उसी नगर में एक विधवा भी रहती थी: जो उसके पास आ आकर कहा करती थी, कि मेरा न्याय चुकाकर मुझे मुद्दई से बचा।
Luke 18:4 उसने कितने समय तक तो न माना परन्तु अन्त में मन में विचारकर कहा, यद्यपि मैं न परमेश्वर से डरता, और न मनुष्यों की कुछ परवाह करता हूं।
Luke 18:5 तौभी यह विधवा मुझे सताती रहती है, इसलिये मैं उसका न्याय चुकाऊंगा कहीं ऐसा न हो कि घड़ी घड़ी आकर अन्त को मेरा नाक में दम करे।
Luke 18:6 प्रभु ने कहा, सुनो, कि यह अधर्मी न्यायी क्या कहता है?
Luke 18:7 सो क्या परमेश्वर अपने चुने हुओं का न्याय न चुकाएगा, जो रात-दिन उस की दुहाई देते रहते; और क्या वह उन के विषय में देर करेगा?
Luke 18:8 मैं तुम से कहता हूं; वह तुरन्त उन का न्याय चुकाएगा; तौभी मनुष्य का पुत्र जब आएगा, तो क्या वह पृथ्वी पर विश्वास पाएगा?
एक साल में बाइबल:
- 2 राजा 1-3
- लूका 24:1-35
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें