फ्रांस में नौरमंडी के तट पर जून 6, 1944 को तीन अमरीकी सैनिकों ने जब अपने आप को बम फटने से बने गढ़हे में पड़ा पाया, तो उन्हें एहसास हुआ कि लहरें उन्हें बहा कर गलत स्थान पर ले आई हैं। उस गढ़हे में उन तीनों ने तात्कालिक निर्णय लिया, "हम युध्द यहीं से आरंभ करेंगे।" प्रारंभ करने के उस कठिन स्थान से उन्हें अब आगे बढ़ना था।
परमेश्वर के वचन बाइबल में हम पाते हैं कि शाऊल (प्रेरित पौलुस का पहला नाम) ने दमिशक के मार्ग पर प्रभु यीशु के साथ हुई मुलाकात के बाद अपने आप को एक कठिन परिस्थिति में पाया (प्रेरितों 9:1-20)। अब अचानक ही उसे अपना पिछला जीवन और जीवन की दिशा एक भूल लग रही थी और संभवतः व्यर्थ भी। अब जहाँ वह था वहाँ से आगे बढ़ना न केवल कठिन था, वरन आगे बढ़ना उसे बहुत कठिन तथा कष्टप्रद परिश्रम लग रहा था, जहाँ उसे उन परिवारों का भी सामना करना पड़ सकता था जिन्हें उसने उजाड़ा था। परन्तु फिर भी उसने प्रभु की आज्ञा को नहीं टाला और वहीं गया जहाँ प्रभु चाहता था कि वह जाए (प्रेरितों 9:6)।
बहुधा हम अपने आप को ऐसे स्थान या परिस्थिति में पा सकते हैं जहाँ होने के संबंध में हमने कभी सोचा भी नहीं था और न ही चाहा था। हो सकता है हम कर्ज़ में दबे जा रहे हों, या किन्ही सीमाओं से बाधित हो रहे हों, या पाप और उसके दुषपरिणामों के दबाव में पड़े हों। आज मसीह यीशु हमें चाहे बन्दीगृह में पाए या किसी महल में; चाहे वह हमें टूटा और कर्ज़ में दबा पाए या हमारी अपनी किसी स्वार्थी अभिलाषा में पड़ा हुआ पाए; परमेश्वर का वचन हमें सिखाता है कि हम पौलुस की सलाह को मानें, और जो बीत गया उसे पीछे छोड़ कर मसीह यीशु की ओर आगे बढ़ें (फिलिप्पियों 3:13-14)।
हमारे मसीह यीशु की ओर, मसीह यीशु के साथ आगे बढ़ने के लिए, हमारा अतीत कोई बाधा नहीं है; यह मसीह यीशु का आश्वासन है। - रैंडी किलगोर
मसीह यीशु के साथ नया आरंभ करने के लिए कभी कोई विलंब नहीं है।
हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा। - मत्ती 11:28
बाइबल पाठ: प्रेरितों 9:1-9, 17-22
Acts 9:1 और शाऊल जो अब तक प्रभु के चेलों को धमकाने और घात करने की धुन में था, महायाजक के पास गया।
Acts 9:2 और उस से दमिश्क की अराधनालयों के नाम पर इस अभिप्राय की चिट्ठियां मांगी, कि क्या पुरूष, क्या स्त्री, जिन्हें वह इस पंथ पर पाए उन्हें बान्ध कर यरूशलेम में ले आए।
Acts 9:3 परन्तु चलते चलते जब वह दमिश्क के निकट पहुंचा, तो एकाएक आकाश से उसके चारों ओर ज्योति चमकी।
Acts 9:4 और वह भूमि पर गिर पड़ा, और यह शब्द सुना, कि हे शाऊल, हे शाऊल, तू मुझे क्यों सताता है?
Acts 9:5 उसने पूछा; हे प्रभु, तू कौन है? उसने कहा; मैं यीशु हूं; जिसे तू सताता है।
Acts 9:6 परन्तु अब उठ कर नगर में जा, और जो कुछ करना है, वह तुझ से कहा जाएगा।
Acts 9:7 जो मनुष्य उसके साथ थे, वे चुपचाप रह गए; क्योंकि शब्द तो सुनते थे, परन्तु किसी को दखते न थे।
Acts 9:8 तब शाऊल भूमि पर से उठा, परन्तु जब आंखे खोलीं तो उसे कुछ दिखाई न दिया और वे उसका हाथ पकड़के दमिश्क में ले गए।
Acts 9:9 और वह तीन दिन तक न देख सका, और न खाया और न पीया।
Acts 9:17 तब हनन्याह उठ कर उस घर में गया, और उस पर अपना हाथ रखकर कहा, हे भाई शाऊल, प्रभु, अर्थात यीशु, जो उस रास्ते में, जिस से तू आया तुझे दिखाई दिया था, उसी ने मुझे भेजा है, कि तू फिर दृष्टि पाए और पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो जाए।
Acts 9:18 और तुरन्त उस की आंखों से छिलके से गिरे, और वह देखने लगा और उठ कर बपतिस्मा लिया; फिर भोजन कर के बल पाया।
Acts 9:19 और वह कई दिन उन चेलों के साथ रहा जो दमिश्क में थे।
Acts 9:20 और वह तुरन्त आराधनालयों में यीशु का प्रचार करने लगा, कि वह परमेश्वर का पुत्र है।
Acts 9:21 और सब सुनने वाले चकित हो कर कहने लगे; क्या यह वही व्यक्ति नहीं है जो यरूशलेम में उन्हें जो इस नाम को लेते थे नाश करता था, और यहां भी इसी लिये आया था, कि उन्हें बान्ध कर महायाजकों के पास ले आए?
Acts 9:22 परन्तु शाऊल और भी सामर्थी होता गया, और इस बात का प्रमाण दे देकर कि मसीह यही है, दमिश्क के रहने वाले यहूदियों का मुंह बन्द करता रहा।
एक साल में बाइबल:
- 2 इतिहास 25-27
- यूहन्ना 16
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें