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शुक्रवार, 25 अगस्त 2017

उद्देश्य


   जब कोई दुःख या कलेष किसी पर आता है तो मसीही विश्वासी बहुधा परमेश्वर के वचन बाइबल का एक पद कहते हैं: "और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं" (रोमियों 8:28)। परन्तु विपरीत परिस्थितियों में इस पद की व्यावाहरिकता पर विश्वास कर पाना कठिन होता है। एक बार मैं एक ऐसे पुरुष के साथ, उसे सांत्वना देने के लिए बैठा हुआ था, जिसने एक के बाद एक, अपना तीसरा पुत्र भी खो दिया था। मैं चुपचाप सुन रहा था जब वह विलाप कर रहा था कि "कैसे यह त्रासदी मेरे लिए कुछ भला कर सकती है?" मेरे पास उसके लिए कोई उत्तर नहीं था। मैं बस चुपचाप बैठा उसके दुःख में दुःखी हो रहा था। कई महीनों बाद उस व्यक्ति ने मुझे बताया कि वह धन्यवादी है, क्योंकि उसके दुःख ने उसे परमेश्वर की निकटता में बढ़ाया था।

   चाहे रोमियों 8:28 व्यावाहरिक रीति से समझने में कितना भी कठिन क्यों न लगे, उसकी सच्चाई की अनगिनित गवाहियाँ उपलब्ध हैं। मसीही स्तुतिगीतों की प्रसिद्ध लेखिका फैनी क्रॉसबी का जीवन इसका उत्तम उदाहरण है। संसार उसके द्वारा लिखे गए स्तुत्ति गीतों का लाभार्थी है। लेकिन जो अनगिनित लोगों के लिए भला रहा है, वह एक व्यक्तिगत त्रासदी में होकर उपलब्ध हुआ; क्योंकि फैनी 5 वर्ष की आयु में अन्धी हो गई थी। केवल 8 वर्ष की आयु से उसने कविताएं और प्रभु परमेश्वर के स्तुतिगीत लिखना आरंभ कर दिया। उसकी लगन और परमेश्वर के प्रति प्रेम तथा समर्पण के कारण संसार को "Blessed Assurance", "Safe In The Arms of Jesus", "Pass Me Not O Gentle Saviour" जैसे उत्कृष्ठ और लोकप्रीय गीत मिले। परमेश्वर ने उसकी कठिनाई को हमारी और उसकी भलाई तथा अपनी महिमा के लिए प्रयोग किया।

   जब हम पर कोई त्रासदी आ पड़े, तो यह समझ पाना कठीन होता है कि उससे कोई भलाई कैसे हो सकती है; यह भी संभव है कि उस भलाई को हम इस जीवन में जानने या अनुभव करने न पाएं। परन्तु परमेश्वर के उद्देश्य सदा हमारी भलाई के लिए हैं और वह सदा हमारे साथ बना रहता है। - लॉरेंस दरमानी


हमारी परीक्षाओं में भी परमेश्वर के उद्देश्य हमारी भलाई ही के लिए होते हैं।

चाहे पापी सौ बार पाप करे अपने दिन भी बढ़ाए, तौभी मुझे निश्चय है कि जो परमेश्वर से डरते हैं और उसको अपने सम्मुख जानकर भय से चलते हैं, उनका भला ही होगा; - सभोपदेशक 8:12

बाइबल पाठ: रोमियों 8:28-39
Romans 8:28 और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। 
Romans 8:29 क्योंकि जिन्हें उसने पहिले से जान लिया है उन्हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों ताकि वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे। 
Romans 8:30 फिर जिन्हें उसने पहिले से ठहराया, उन्हें बुलाया भी, और जिन्हें बुलाया, उन्हें धर्मी भी ठहराया है, और जिन्हें धर्मी ठहराया, उन्हें महिमा भी दी है।
Romans 8:31 सो हम इन बातों के विषय में क्या कहें? यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है? 
Romans 8:32 जिसने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्तु उसे हम सब के लिये दे दिया: वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्योंकर न देगा? 
Romans 8:33 परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्वर वह है जो उन को धर्मी ठहराने वाला है। 
Romans 8:34 फिर कौन है जो दण्ड की आज्ञा देगा? मसीह वह है जो मर गया वरन मुर्दों में से जी भी उठा, और परमेश्वर की दाहिनी ओर है, और हमारे लिये निवेदन भी करता है। 
Romans 8:35 कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्या क्लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार? 
Romans 8:36 जैसा लिखा है, कि तेरे लिये हम दिन भर घात किए जाते हैं; हम वध होने वाली भेंडों की नाईं गिने गए हैं। 
Romans 8:37 परन्तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिसने हम से प्रेम किया है, जयवन्त से भी बढ़कर हैं। 
Romans 8:38 क्योंकि मैं निश्चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ, न ऊंचाई, 
Romans 8:39 न गहिराई और न कोई और सृष्टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 119:1-88
  • 1 कुरिन्थियों 7:20-40


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