हाई स्कूल की पढ़ाई करते समय मुझे अपने शतरंज खेलने की योग्यता पर गर्व था। मैंने शतरंज क्लब की सदस्यता ली, और दोपहर के भोजन अवकाश के समय मैं अन्य सदस्यों के साथ बैठा हुआ पाया जाता था; हम शतरंज के खेल से संबंधित अनेकों किताबें पढ़ते थे, खेल की रणनीति बनाने के नए-नए तरीके सीखते थे; मैंने अपनी अधिकांशतः स्पर्धाएं जीतीं, और फिर खेलना छोड़ दिया। लगभग 20 वर्ष पश्चात मेरी मुलाकात एक कुशल शतरंज खिलाड़ी से हुई, जो हाई स्कूल के बाद भी अपने कौशल को निखारता चला जा रहा था, और उससे खेलने पर मुझे पता चला कि एक उस्ताद के साथ खेलना क्या होता है। यद्यपि शतरंज की बिसात पर मैं कोई भी चाल चलने के लिए स्वतंत्र था, परन्तु उसके सामने मेरे द्वारा बनाए गई कोई भी रणनीति, मेरी कोई भी चाल किसी काम की नहीं थी। उस उस्ताद के श्रेष्ठ कौशल के कारण मेरे द्वारा चली गई प्रत्येक चाल, वह अपने पक्ष में, अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए परिवर्तित कर लेता था।
यहाँ पर हमारे लिए एक आत्मिक शिक्षा का चित्रण है। परमेश्वर ने हम मनुष्यों को अपने निर्णय लेने और अपनी इच्छानुसार करने की स्वतंत्रता दी है, और हम में से अधिकांश परमेश्वर की इच्छा और योजना के बाहर, उसके उद्देश्यों के विरुद्ध अपनी मनमर्ज़ी करते हैं, योजनाएं बनाते हैं, और उन्हें कार्यान्वित करते हैं। परन्तु ऐसा करने पर भी हम अन्ततः हमारे पुनःस्थापन के परमेश्वर के उद्देश्य को ही पूरा कर देते हैं (रोमियों 8:21, 2 पतरस 3:13, प्रकाशितवाक्य 21:1)। इस एहसास ने जीवन में भली और बुरी दोनों ही प्रकार की बातों के प्रति मेरा दृष्टिकोण बदल दिया। भली बातें, जैसे स्वास्थ्य, योग्यताएं, धन आदि को मैं परमेश्वर को उसके उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अर्पित कर सकता हूँ। बुरी बातें, जैसे कि कोई अक्षमता, निर्धनता, पारिवारिक समस्याएं, असफलताएं आदि को मैं परमेश्वर के निकट आने और उसकी निकटता में बढ़ने का साधन बनाकर उनका सदुपयोग कर सकता हूँ।
हम मसीही विश्वासियों को आश्वस्त रहना चाहिए कि उस उस्ताद, हमारे परमेश्वर पिता के हाथों से, हर बात और परिस्थिति में हमारी विजय सुनिश्चित है, चाहे जीवन के शतरंज की बिसात कैसी भी प्रतीत क्यों न हो रही हो। - फिलिप यैन्सी
जब हमें परमेश्वर का हाथ दिखाई न भी दे,
तब भी हम उसके हृदय को लेकर आश्वस्त रह सकते हैं।
पर उस की प्रतिज्ञा के अनुसार हम एक नए आकाश और नई पृथ्वी की आस देखते हैं जिन में धामिर्कता वास करेगी। - 2 पतरस 3:13
बाइबल पाठ: रोमियों 8:16-25
Romans 8:16 आत्मा आप ही हमारी आत्मा के साथ गवाही देता है, कि हम परमेश्वर की सन्तान हैं।
Romans 8:17 और यदि सन्तान हैं, तो वारिस भी, वरन परमेश्वर के वारिस और मसीह के संगी वारिस हैं, जब कि हम उसके साथ दुख उठाएं कि उसके साथ महिमा भी पाएं।
Romans 8:18 क्योंकि मैं समझता हूं, कि इस समय के दु:ख और क्लेश उस महिमा के साम्हने, जो हम पर प्रगट होने वाली है, कुछ भी नहीं हैं।
Romans 8:19 क्योंकि सृष्टि बड़ी आशाभरी दृष्टि से परमेश्वर के पुत्रों के प्रगट होने की बाट जोह रही है।
Romans 8:20 क्योंकि सृष्टि अपनी इच्छा से नहीं पर आधीन करने वाले की ओर से व्यर्थता के आधीन इस आशा से की गई।
Romans 8:21 कि सृष्टि भी आप ही विनाश के दासत्व से छुटकारा पाकर, परमेश्वर की सन्तानों की महिमा की स्वतंत्रता प्राप्त करेगी।
Romans 8:22 क्योंकि हम जानते हैं, कि सारी सृष्टि अब तक मिलकर कराहती और पीड़ाओं में पड़ी तड़पती है।
Romans 8:23 और केवल वही नहीं पर हम भी जिन के पास आत्मा का पहिला फल है, आप ही अपने में कराहते हैं; और लेपालक होने की, अर्थात अपनी देह के छुटकारे की बाट जोहते हैं।
Romans 8:24 आशा के द्वारा तो हमारा उद्धार हुआ है परन्तु जिस वस्तु की आशा की जाती है जब वह देखने में आए, तो फिर आशा कहां रही? क्योंकि जिस वस्तु को कोई देख रहा है उस की आशा क्या करेगा?
Romans 8:25 परन्तु जिस वस्तु को हम नहीं देखते, यदि उस की आशा रखते हैं, तो धीरज से उस की बाट जोहते भी हैं।
एक साल में बाइबल:
- भजन 68-69
- रोमियों 8:1-21
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें