मैं अच्छे से जानती हूँ, लेकिन फिर भी प्रयास
करते रहती हूँ। बीज के पैकिट पर दिए गए निर्देश स्पष्ट हैं: “सूर्य के भरपूर प्रकाश
की आवश्यकता है” परन्तु मेरे आँगन में मुख्यतः छाँव ही रहती है। मुझे वह पौधा पसंद
है; उसका रंग, उसके पत्तों का आकार, उसकी सुगंध, आदि। इसलिए मैं उसके बीज खरीदती
हूँ, उन्हें घर लेकर आती हूँ, उन्हें बो कर उनकी बहुत देखभाल करती हूँ। परन्तु वह
पौधा मेरे घर में सुखी नहीं रहता है। उसके लिए मेरी देखभाल काफी नहीं है। उसे
सूर्य का प्रकाश चाहिए, जो मैं उसके लिए उपलब्ध नहीं करवा पाती हूँ। मुझे लगा कि
उस ज्योति की कमी की मैं अन्य प्रकार की देखभाल के द्वारा पूर्ति करने पाऊंगी,
परन्तु ऐसा होता नहीं है; पौधों को जो चाहिए, बस वही चाहिए।
इसी प्रकार लोगों को भी। यद्यापी हम सही से कम
स्थितियों में भी कुछ समय तक जीवित रह सकते हैं, हम उनमें फलते-फूलते नहीं हो सकते
हैं। हमारी बुनियादी शारीरिक आवश्यकताओं के अतिरिक्त, हमारी आत्मिक आवश्यकताएं भी
हैं, जिनकी पूर्ति किसी अन्य विकल्प के द्वारा नहीं हो सकती है।
पवित्र-शास्त्र कहता है कि मसीही विश्वासी
ज्योति की सन्तान हैं। इसका तात्पर्य है कि हमें बढ़ते रहने और फलते-फूलते होने के
लिए परमेश्वर की उपस्थिति की पूर्णता में रहना चाहिए (भजन 89:15)। यदि हम परमेश्वर
से दूरी के अन्धकार में जीएंगे, तो हम “निष्फल कार्यों” (देखिए इफिसियों 5:3-4,
11) के अतिरिक्त और कुछ उत्पन्न नहीं करने पाएंगे।
परन्तु यदि हम प्रभु यीशु की ज्योति में, जो
जगत की ज्योति भी है, जीएंगे, तो हम उसकी ज्योति के अनुसार फल भी लाएंगे, जो अच्छा,
विश्वासयोग्य और सच्चा होता है। - जूली एैकरमैन लिंक
ज्योति
की सन्तान प्रभु की ज्योति में चलते हैं।
क्या
ही धन्य है वह समाज जो आनन्द के ललकार को पहिचानता है; हे यहोवा, वे लोग तेरे मुख के प्रकाश में चलते हैं –
भजन 89:15
बाइबल
पाठ: इफिसियों 5:1-16
Ephesians 5:1 इसलिये प्रिय, बालकों के समान परमेश्वर के सदृश
बनो।
Ephesians 5:2 और प्रेम में चलो; जैसे मसीह ने भी तुम से प्रेम
किया; और हमारे लिये अपने आप को सुखदायक सुगन्ध के लिये
परमेश्वर के आगे भेंट कर के बलिदान कर दिया।
Ephesians 5:3 और जैसा पवित्र लोगों के योग्य है, वैसा तुम में
व्यभिचार, और किसी प्रकार अशुद्ध काम, या
लोभ की चर्चा तक न हो।
Ephesians 5:4 और न निर्लज्ज़ता, न मूढ़ता की बातचीत की,
न ठट्ठे की, क्योंकि ये बातें सोहती नहीं,
वरन धन्यवाद ही सुना जाएं।
Ephesians 5:5 क्योंकि तुम यह जानते हो, कि किसी व्यभिचारी,
या अशुद्ध जन, या लोभी मनुष्य की, जो मूरत पूजने वाले के बराबर है, मसीह और परमेश्वर
के राज्य में मीरास नहीं।
Ephesians 5:6 कोई तुम्हें व्यर्थ बातों से धोखा न दे; क्योंकि
इन ही कामों के कारण परमेश्वर का क्रोध आज्ञा ने मानने वालों पर भड़कता है।
Ephesians 5:7 इसलिये तुम उन के सहभागी न हो।
Ephesians 5:8 क्योंकि तुम तो पहले अन्धकार थे परन्तु अब प्रभु में ज्योति हो,
सो ज्योति की सन्तान के समान चलो।
Ephesians 5:9 (क्योंकि ज्योति का फल सब प्रकार की भलाई, और
धामिर्कता, और सत्य है)।
Ephesians 5:10 और यह परखो, कि प्रभु को क्या भाता है
Ephesians 5:11 और अन्धकार के निष्फल कामों में सहभागी न हो, वरन
उन पर उलाहना दो।
Ephesians 5:12 क्योंकि उन के गुप्त कामों की चर्चा भी लाज की बात है।
Ephesians 5:13 पर जितने कामों पर उलाहना दिया जाता है वे सब ज्योति से प्रगट होते
हैं, क्योंकि जो सब कुछ को प्रगट करता है, वह ज्योति है।
Ephesians 5:14 इस कारण वह कहता है, हे सोने वाले जाग और
मुर्दों में से जी उठ; तो मसीह की ज्योति तुझ पर चमकेगी।
Ephesians 5:15 इसलिये ध्यान से देखो, कि कैसी चाल चलते हो;
निर्बुद्धियों के समान नहीं पर बुद्धिमानों के समान चलो।
Ephesians 5:16 और अवसर को बहुमोल समझो, क्योंकि दिन बुरे हैं।
एक
साल में बाइबल:
- यहोशू 7-9
- लूका 1:21-38
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें