सँसार
में, सँसार से, कितना कुछ प्राप्त कर लेना मनुष्य के लिए प्रयाप्त होता है? हम यह
प्रश्न उस दिन विशेषकर पूछ सकते हैं जिस दिन को सँसार के अनेकों विकसित देश
खरीददारी करने में बिताते हैं। मैं अमेरिका में मनाए जाने वाले धन्यवादी दिवस के अगले
दिन मनाए जाने वाले “ब्लैक फ्राईडे” की बात कर रहा हूँ, जिस दिन बहुतेरी दुकाने
जल्दी खुलती हैं और दामों में भारी कटौती के सौदे देती हैं। यह दिन और प्रथा सँसार
के अन्य देशों में भी फैल गई है। खरीददारी करने वाले कुछ लोगों के पास सीमित
संसाधन ही होते हैं और वे ऐसे दामों पर वस्तुएँ खरीदना चाहते हैं जो उनकी सीमा के
अन्दर हों। परन्तु दुःख की बात है कि बहुतेरे अपनी खरीददारी लालच के अन्तर्गत करते
हैं, और सौदेबाजी करने में लड़ाई-झगड़े भी हो जाते हैं।
परमेश्वर
के वचन बाइबल के पुराने नियम खण्ड में “उपदेशक” (सभोपदेशक 1:1) हमें मार्ग दिखाता
है उस लालच तथा और अधिक प्राप्त कर लेने की सनक से बच कर रहने का, जो हमारे मनों
में हो सकती है और दुकानों में देखने को मिलती है। वह बुद्धिमता से सिखाता है कि
जो लोग धन से प्रेम रखते हैं उनके पास कभी भी पर्याप्त नहीं होगा, और वे सदा ही
अपनी लालसाओं के आधीन बने रहेंगे। परन्तु मृत्यु पर वे अपने साथ अपनी अर्जित
वस्तुओं में से कुछ भी नहीं ले जाने पाएँगे “जैसा वह मां के पेट से निकला वैसा
ही लौट जाएगा; नंगा ही, जैसा
आया था, और अपने परिश्रम के बदले कुछ भी न पाएगा जिसे वह
अपने हाथ में ले जा सके” (सभोपदेशक 5:15)। बाइबल के नए
नियम खण्ड में प्रेरित पौलुस “उपदेशक” की इसी शिक्षा को तिमुथियुस को लिखी अपनी
पहली पत्री में एक भिन्न रीति से प्रस्तुत करता है। पौलुस सचेत करता है कि धन का
लोभ ही प्रत्येक बुराई की जड़ है और मसीही विश्वासियों को “संतोष सहित भक्ति” की
चाह रखनी चाहिए (1 तीमुथियुस 6:6-10)।
हम
चाहे बहुतायत में रहते हों हो, या अभाव में, हम सभी में अपने मन में और भी अधिक
प्राप्त करने की, सँसार की वस्तुओं को प्राप्त करते रहने की इच्छा रहती है, जिसके कारण
हम कभी-कभी अनुचित व्यवहार में भी पड़ जाते हैं। परन्तु जब हम अपनी शान्ति और भलाई
के लिए परमेश्वर की ओर देखते हैं, उसे अपनी प्रत्येक आवश्यकता का स्त्रोत तथा
मार्ग बनाते हैं तो वह हमें अपनी भलाई और प्रेम के खजानों से भर देता है। - अमी
बाउचर पाई
सच्चा संतोष सँसार की किसी भी वस्तु पर
निर्भर नहीं करता है।
तुम न तो संसार से और न संसार में की वस्तुओं
से प्रेम रखो: यदि कोई संसार से प्रेम रखता है, तो उस में
पिता का प्रेम नहीं है। क्योंकि जो कुछ संसार में है, अर्थात
शरीर की अभिलाषा, और आंखों की अभिलाषा और जीविका का घमण्ड,
वह पिता की ओर से नहीं, परन्तु संसार ही की ओर
से है। और संसार और उस की अभिलाषाएं दोनों मिटते जाते हैं, पर
जो परमेश्वर की इच्छा पर चलता है, वह सर्वदा बना रहेगा। - 1 यूहन्ना
2:15-17
बाइबल पाठ: सभोपदेशक 5:10-20
Ecclesiastes 5:10 जो रूपये से प्रीति रखता
है वह रूपये से तृप्त न होगा; और न जो बहुत धन से प्रीति
रखता है, लाभ से: यह भी व्यर्थ है।
Ecclesiastes 5:11 जब सम्पत्ति बढ़ती है,
तो उसके खाने वाले भी बढ़ते हैं, तब उसके
स्वामी को इसे छोड़ और क्या लाभ होता है कि उस सम्पत्ति को अपनी आंखों से देखे?
Ecclesiastes 5:12 परिश्रम करने वाला चाहे
थोड़ा खाए, था बहुत, तौभी उसकी नींद
सुखदाई होती है; परन्तु धनी के धन के बढ़ने के कारण उसको
नींद नहीं आती।
Ecclesiastes 5:13 मैं ने धरती पर एक बड़ी
बुरी बला देखी है; अर्थात वह धन जिसे उसके मालिक ने अपनी ही
हानि के लिये रखा हो,
Ecclesiastes 5:14 और वह किसी बुरे काम में
उड़ जाता है; और उसके घर में बेटा उत्पन्न होता है परन्तु
उसके हाथ मे कुछ नहीं रहता।
Ecclesiastes 5:15 जैसा वह मां के पेट से
निकला वैसा ही लौट जाएगा; नंगा ही, जैसा
आया था, और अपने परिश्रम के बदले कुछ भी न पाएगा जिसे वह
अपने हाथ में ले जा सके।
Ecclesiastes 5:16 यह भी एक बड़ी बला है कि
जैसा वह आया, ठीक वैसा ही वह जाएगा; उसे
उस व्यर्थ परिश्रम से और क्या लाभ है?
Ecclesiastes 5:17 केवल इसके कि उसने जीवन
भर बेचैनी से भोजन किया, और बहुत ही दु:खित और रोगी रहा और
क्रोध भी करता रहा?
Ecclesiastes 5:18 सुन, जो भली बात मैं ने देखी है, वरन जो उचित है, वह यह कि मनुष्य खाए और पीए और अपने परिश्रम से जो वह धरती पर करता है,
अपनी सारी आयु भर जो परमेश्वर ने उसे दी है, सुखी
रहे: क्योंकि उसका भाग यही है।
Ecclesiastes 5:19 वरन हर एक मनुष्य जिसे
परमेश्वर ने धन सम्पत्ति दी हो, और उन से आनन्द भोगने और उस
में से अपना भाग लेने और परिश्रम करते हुए आनन्द करने को शक्ति भी दी हो- यह
परमेश्वर का वरदान है।
Ecclesiastes 5:20 इस जीवन के दिन उसे बहुत
स्मरण न रहेंगे, क्योंकि परमेश्वर उसकी सुन सुनकर उसके मन को
आनन्दमय रखता है।
एक साल में बाइबल:
- यहेजकेल 20-21
- याकूब 5
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें