कौर्नार्स्टोन
विश्वविद्यालय में हम प्रत्येक पतझड़ में धन्यवादी दिवस के दिन एक बड़े और भव्य भोज
का आयोजन करते हैं। हमारे छात्रों को यह बहुत पसन्द है। पिछले वर्ष भोजन के लिए
बैठे छात्रों में से एक मेज़ के चारों ओर बैठे कुछ छात्रों ने एक विशेष खेल को
खेलने का निर्णय लिया – उन्होंने एक दूसरे को चुनौती दी कि वे किसी एक विषय का नाम
लेंगे जिसके लिए वे धन्यवादी हैं, और विषय को दोहराया नहीं जाएगा; प्रत्येक छात्र
के पास नाम लेने के लिए केवल तीन सेकेंड होंगे, और जो नाम नहीं लेने पाया वह खेल
से बाहर हो जाएगा।
पढ़ाई
के दौरान अनेकों बातें होती हैं जिनके लिए छात्र शिकायत कर सकते हैं या फिर
कुड़कुड़ा सकते हैं; परन्तु इन छात्रों ने धन्यवादी होना चुना था। और मेरा विश्वास है
कि उस खेल को खेलने के पश्चात उन सब ने बहुत अच्छा अनुभव किया होगा, विशेषकर उसकी
तुलना में जैसा वे शिकायतें करने के पश्चात अनुभव करते।
जीवन
में शिकायत करने और कुड़कुड़ाने के तो बहुतेरे अवसर आते रहेंगे, परन्तु यदि हम ध्यान
से देखें तो धन्यवादी होने के लिए मिली हुई आशीषों की भी कमी नहीं है। परमेश्वर के
वचन बाइबल में, कुलुस्से के मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में पौलुस प्रभु
यीशु मसीह में लाए गए विश्वास से उन्हें मिले नए जीवन के विषय में बताता है, और
तीन बार वह “धन्यवादी” होने के गुण का उल्लेख करता है। कुलुस्सियों 3:15 में वह
उन्हें “धन्यवादी बने रहो” कहता है; फिर 3:16 में वह उनसे कहता है कि “...अपने
अपने मन में अनुग्रह [धन्यवाद] के साथ परमेश्वर के लिये भजन
और स्तुतिगान
और आत्मिक गीत गाओ”; और 3:17 में कहता है, “वचन से या काम
से जो कुछ भी करो सब प्रभु यीशु के नाम से करो, और
उसके द्वारा परमेश्वर पिता का धन्यवाद करो”। जब
हम इस बात का संज्ञान लेते हैं कि पौलुस ने यह पत्री रोमी कैदखाने से लिखी थी, तो
हमें सोच कर विसमय होता है कि उस कठिन परिस्थति में भी पौलुस स्वयँ परमेश्वर के
प्रति धन्यवादी रहता था तथा औरों को भी धन्यवादी रहने के लिए प्रोत्साहित करता था।
आज,
हम निर्णय लें कि हम परमेश्वर के प्रति धन्यवादी बने रहेंगे, क्योंकि वह हर बात,
हर परिस्थिति के द्वारा अन्ततः हमारा भला ही करना चाहता है। - जो स्टोवैल
धन्यवादी बने रहने के रवैये को अपनाएँ।
और हम जानते हैं, कि
जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें
मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो
उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। - रोमियों 8:28
बाइबल पाठ: कुलुस्सियों 3:12-17
Colossians 3:12 इसलिये परमेश्वर के चुने
हुओं के समान जो पवित्र और प्रिय हैं, बड़ी करूणा, और भलाई, और दीनता, और नम्रता,
और सहनशीलता धारण करो।
Colossians 3:13 और यदि किसी को किसी पर
दोष देने को कोई कारण हो, तो एक दूसरे की सह लो, और एक दूसरे के अपराध क्षमा करो: जैसे प्रभु ने तुम्हारे अपराध क्षमा किए,
वैसे ही तुम भी करो।
Colossians 3:14 और इन सब के ऊपर प्रेम को
जो सिद्धता का कटिबन्ध है बान्ध लो।
Colossians 3:15 और मसीह की शान्ति जिस के
लिये तुम एक देह हो कर बुलाए भी गए हो, तुम्हारे हृदय में
राज्य करे, और तुम धन्यवादी बने रहो।
Colossians 3:16 मसीह के वचन को अपने हृदय
में अधिकाई से बसने दो; और सिद्ध ज्ञान सहित एक दूसरे को
सिखाओ, और चिताओ, और अपने अपने मन में
अनुग्रह के साथ परमेश्वर के लिये भजन और स्तुतिगान और आत्मिक गीत गाओ।
Colossians 3:17 और वचन से या काम से जो
कुछ भी करो सब प्रभु यीशु के नाम से करो, और उसके द्वारा
परमेश्वर पिता का धन्यवाद करो।
एक साल में बाइबल:
- यहेजकेल 18-19
- याकूब 4
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें