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रविवार, 30 जून 2019

धीरजवंत



      पिछले बसंत, मैंने अपने घर के पिछले दरवाज़े के निकट उग रही गुलाब की झाड़ी को काट डालने का निर्णय लिया। हमें उस घर में रहते तीन वर्ष हो गए थे, और उस झाड़ी में कुछ विशेष फूल नहीं आए थे और उसकी बदसूरत टहनियाँ चारों ओर फैल रही थीं। परन्तु मैं जीवन की व्यस्तता में फंस गई और उस झाड़ी को काट डालने की मेरी योजना कार्यान्वित हुए बिना रह गई। यह भी भला ही हुआ क्योंकि मेरे यह निर्णय लेने के कुछ ही सप्ताह में उस गुलाब की झाड़ी में इतने फूल लगे जितने पहले मैंने कभी नहीं देखे थे। सैंकड़ों सफ़ेद बड़े फूलों, उनकी सुगंध, और उनकी सुन्दर पंखुड़ियों से हमारे घर के पिछला दरवाज़ा और आँगन भर गए।

      मेरी उस गुलाब की झाड़ी के पुनर्जीवित होने से मुझे परमेश्वर के वचन बाइबल में लूका 13:6-9 में प्रभु यीशु द्वारा दिया गया अंजीर के वृक्ष का दृष्टांत स्मरण हो आया। उस समय इस्राएल में यह परंपरागत था कि अंजीर के वृक्ष को फल लाने के लिए तीन वर्ष का समय दिया जाए। यदि तीन वर्ष में उसमें फल नहीं आता था तो उसे काट दिया जाता था जिससे भूमि का उपयोग किया जा सके। प्रभ यीशु द्वारा दिए गए दृष्टांत में माली ने भूमि के स्वामी से उस वृक्ष के लिए एक अतिरिक्त समय माँगा, कि वह वृक्ष फल ला सके। अपने संदर्भ में (पद 1-5) इस दृष्टांत का तात्पर्य था कि इस्राएलियों ने वह नहीं किया था जो उन्हें करना चाहिए था, और परमेश्वर उनका उचित न्याय कर सकता था। परन्तु परमेश्वर धीरजवंत है, और उसने इस्राएलियों को अतिरिक्त समय दिया कि वे उसकी ओर मुड़ें, उससे क्षमा प्राप्त करें और फलवन्त हो जाएँ।

      परमेश्वर सभी लोगों के लिए चाहता है कि वे फलते-फूलते हों, और उन्हें अतिरिक्त समय भी देता है कि वे ऐसा कर सकें। चाहे हम अभी भी प्रभु यीशु में विश्वास लाने की ओर बढ़ रहे हों, या प्रभु यीशु में विश्वास नहीं करने वाले परिवार जनों और मित्रों के लिए प्रार्थना कर रहे हों, परमेश्वर का धीरजवंत होना हम सभी के लिए शुभसमाचार है। - शेरिडन वॉयसे


परमेश्वर ने सँसार को अतिरिक्त समय दिया है कि 
पापों की क्षमा के उसके प्रस्ताव के प्रति सही प्रतिक्रया दें।

और हमारे प्रभु के धीरज को उद्धार समझो, जैसे हमारे प्रिय भाई पौलुस न भी उस ज्ञान के अनुसार जो उसे मिला, तुम्हें लिखा है। - 2 पतरस 3:15

बाइबल पाठ: लूका 13:1-9
Luke 13:1 उस समय कुछ लोग आ पहुंचे, और उस से उन गलीलियों की चर्चा करने लगे, जिन का लोहू पीलातुस ने उन ही के बलिदानों के साथ मिलाया था।
Luke 13:2 यह सुन उसने उन से उत्तर में यह कहा, क्या तुम समझते हो, कि ये गलीली, और सब गलीलियों से पापी थे कि उन पर ऐसी विपत्ति पड़ी?
Luke 13:3 मैं तुम से कहता हूं, कि नहीं; परन्तु यदि तुम मन न फिराओगे तो तुम सब भी इसी रीति से नाश होगे।
Luke 13:4 या क्या तुम समझते हो, कि वे अठारह जन जिन पर शीलोह का गुम्मट गिरा, और वे दब कर मर गए: यरूशलेम के और सब रहने वालों से अधिक अपराधी थे?
Luke 13:5 मैं तुम से कहता हूं, कि नहीं; परन्तु यदि तुम मन न फिराओगे तो तुम भी सब इसी रीति से नाश होगे।
Luke 13:6 फिर उसने यह दृष्‍टान्‍त भी कहा, कि किसी की अंगूर की बारी में एक अंजीर का पेड़ लगा हुआ था: वह उस में फल ढूंढ़ने आया, परन्तु न पाया।
Luke 13:7 तब उसने बारी के रख वाले से कहा, देख तीन वर्ष से मैं इस अंजीर के पेड़ में फल ढूंढ़ने आता हूं, परन्तु नहीं पाता, इसे काट डाल कि यह भूमि को भी क्यों रोके रहे।
Luke 13:8 उसने उसको उत्तर दिया, कि हे स्‍वामी, इसे इस वर्ष तो और रहने दे; कि मैं इस के चारों ओर खोदकर खाद डालूं।
Luke 13:9 सो आगे को फले तो भला, नहीं तो उसे काट डालना।

एक साल में बाइबल: 
  • अय्यूब 17-19
  • प्रेरितों 10:1-23



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