मेरे
पति की नौकरी के कारण हमें एक नए स्थान पर जाना पड़ रहा था और हम इसके लिए बहुत
उत्साहित भी थे। परन्तु इस प्रक्रिया की अनजानी संभावनाओं और चुनौतियों के कारण
मुझे चिंता भी हो रही थी। सामान को अलग-अलग करके बांधने, नए स्थान पर पहुंचाने और
वहां रहने के लिए स्थान ढूँढने, फिर सामान खोलकर उसे जमाने के विचार; नए स्थान के
इलाकों को पहचानना, और वहाँ जाकर रहना, इन सब कुछ के बारे में सोचना बेचैन करने
वाला था। मैं जब इन सब से संबंधित अपने करने के लिए कामों की सूची बना रही थी, तो
परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस द्वारा कहे गए शब्दों का सार मेरे मन में
गूँजने लगा: “चिंता नहीं, प्रार्थना करो” (फिलिप्पियों 4:6-7)।
यदि
अनजान बातों और चुनौतियों को लेकर कोई चिंतित हो सकता था तो वह पौलुस था। उसने
अनेकों जोखिम और अप्रत्याशित घटनाएं झेलीं थी; जैसे कि, समुद्री यात्रा में जहाज़
का डूब जाना, उसका मसीही विश्वास तथा प्रचार करने के लिए पीटा जाना और जेल में
डाला जाना, आदि कई प्रकार की विषम परिस्थितियों का वह सामना कर चुका था। फिर भी
फिलिप्पी की मसीही मण्डली को लिखी अपनी पत्री में, उसने अपने उन मित्रों को
प्रोत्साहित करने के लिए जो अनजानी परिस्थितियों का सामना कर रहे थे, लिखा: “किसी
भी बात की चिन्ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित
किए जाएं” (पद 6)।
पौलुस
के शब्द मुझे प्रोत्साहित करते हैं। जीवन में अवश्य ही अनिश्चितताएं होंगी – वे चाहे
जीवन में आने वाले किसी बड़े परिवर्तन के कारण हों, किसी पारिवारिक परिस्थिति के
कारण हों, कोई स्वास्थ्य संबंधित घटना हो, या कोई आर्थिक स्थिति हो। जो मैं सीखती
आ रही हूँ वह यह है कि परमेश्वर देखभाल करता है। वह चाहता है कि हम अनजाने के अपने
सभी भय उसे सौंप दें। जब हम सच्चे मन से ऐसा करेंगे, तब, वह जो सब कुछ जानता है,
उसका वायदा है कि उसकी शान्ति जो “सारी समझ से परे है” वह मसीह यीशु में हमारे
मनों और हृदय की रक्षा करेगी (पद 7)। - कैरेन वुल्फ
मेरे प्रति परमेश्वर की देखभाल मेरे मन को
शांत करती है।
और उसने मुझ से कहा, मेरा
अनुग्रह तेरे लिये बहुत है; क्योंकि मेरी सामर्थ्य निर्बलता
में सिद्ध होती है; इसलिये मैं बड़े आनन्द से अपनी
निर्बलताओं पर घमण्ड करूंगा, कि मसीह की सामर्थ्य मुझ पर
छाया करती रहे। - 2 कुरिन्थियों 12:9
बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 4:1-9
Philippians 4:1 इसलिये हे मेरे प्रिय
भाइयों, जिन में मेरा जी लगा रहता है जो मेरे आनन्द और मुकुट
हो, हे प्रिय भाइयो, प्रभु में इसी
प्रकार स्थिर रहो।
Philippians 4:2 मैं यूओदिया को भी समझाता
हूं, और सुन्तुखे को भी, कि वे प्रभु
में एक मन रहें।
Philippians 4:3 और हे सच्चे सहकर्मी मैं
तुझ से भी बिनती करता हूं, कि तू उन स्त्रियों की सहायता कर,
क्योंकि उन्होंने मेरे साथ सुसमाचार फैलाने में, क्लेमेंस और मेरे उन और सहकिर्मयों समेत परिश्रम किया, जिन के नाम जीवन की पुस्तक में लिखे हुए हैं।
Philippians 4:4 प्रभु में सदा आनन्दित
रहो; मैं फिर कहता हूं, आनन्दित रहो।
Philippians 4:5 तुम्हारी कोमलता सब
मनुष्यों पर प्रगट हो: प्रभु निकट है।
Philippians 4:6 किसी भी बात की चिन्ता मत
करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और
बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं।
Philippians 4:7 तब परमेश्वर की शान्ति,
जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और
तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षत रखेगी।
Philippians 4:8 निदान, हे भाइयों, जो जो बातें सत्य हैं, और जो जो बातें आदरणीय हैं, और जो जो बातें उचित हैं,
और जो जो बातें पवित्र हैं, और जो जो बातें
सुहावनी हैं, और जो जो बातें मनभावनी हैं, निदान, जो जो सदगुण और प्रशंसा की बातें हैं,
उन्हीं पर ध्यान लगाया करो।
Philippians 4:9 जो बातें तुम ने मुझ से
सीखीं, और ग्रहण की, और सुनी, और मुझ में देखीं, उन्हीं का पालन किया करो,
तब परमेश्वर जो शान्ति का सोता है तुम्हारे साथ रहेगा।
एक साल में बाइबल:
- होशे 9-11
- प्रकाशितवाक्य 3
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें