मैं
छोटा लड़का था, और पानी से बहुत डरता
था, परन्तु मेरे पिता चाहते थे कि
मैं तैरना सीखूँ। वो जानबूझकर मुझे ताल के किनारे से हटाकर गहरे छोर की ओर ले जाते
थे, जहाँ पानी मेरे सिर के भी ऊपर
से होकर निकलता था, और उस स्थान पर
केवल वे ही मेरा एकमात्र सहारा होते थे; और मैं उनसे कहता, “पापा,
मुझे मत छोड़ना” और वो मुझे आश्वस्त करते, “नहीं, मैं नहीं छोडूंगा; मेरा वायदा है।” फिर वो मुझे तनाव मुक्त होकर
तैरना सिखाते थे।
वह
केवल तैराकी की पाठ ही नहीं था; वह
भरोसा रखने का भी पाठ था। मैं जानता था कि मेरे पिता मुझ से प्रेम करते हैं और वे
कभी जानबूझकर मुझे किसी हानि में नहीं पड़ने देंगे, परन्तु साथ ही मुझे डर भी लगता
था। आरंभ में तो मैं कसकर उनके गले से लिपट कर रहता था, परन्तु वो बड़े धीरज और
कोमलता के साथ मुझे सिखाते और समझाते रहे, और अन्ततः मैंने तैरना आरंभ कर दिया, परन्तु पहले मुझे उन पर भरोसा करना सीखना था।
आज
भी जब भी मैं किसी ऐसी स्थिति में होता हूँ, जो मुझे मेरे सिर के भी ऊपर से निकलती हुई प्रतीत होती है, मैं उन समयों को स्मरण करता हूँ। उन्हें स्मरण
करने से परमेश्वर के वचन बाइबल में मुझे परमेश्वर पिता के द्वारा अपने लोगों को दिया
गया आश्वासन ध्यान आता है : “तुम्हारे बुढ़ापे में भी मैं वैसा ही बना रहूंगा और
तुम्हारे बाल पकने के समय तक तुम्हें उठाए रहूंगा। मैं ने तुम्हें बनाया और तुम्हें
लिये फिरता रहूंगा” (यशायाह 46:4)।
हमें
चाहे परमेश्वर की बाहें अपने नीचे सहारा देती हुई महसूस न हों, परन्तु प्रभु परमेश्वर का हमसे वायदा है कि वह
हमें कभी नहीं छोड़ेगा (इब्रानियों 13:5)। हम जब उसकी देखभाल और प्रतिज्ञाओं में आश्वस्त
होकर विश्राम करते हैं वह हमारी सहायता करता है कि हम उसकी विश्वासयोग्यता में
भरोसा रखें। जब हम उसमें भरोसा बनाए रखते हैं, वह हमें हमारी चिंताओं से ऊपर उठा
कर उसमें एक नई शान्ति पा लेना सिखाता है। - जेम्स बैंक्स
जब हम परमेश्वर पर भरोसा रखते हैं, वह हमें अनुग्रह के नए स्थानों में लिए चलता है।
तुम्हारा स्वभाव लोभरहित हो, और जो तुम्हारे पास है,
उसी पर संतोष किया करो; क्योंकि उसने आप ही कहा है, कि मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा। - इब्रानियों 13:5
बाइबल पाठ: यशायाह 46:3-13
यशायाह 46:3 हे याकूब के घराने, हे इस्राएल
के घराने के सब बचे हुए लोगों, मेरी
ओर कान लगाकर सुनो; तुम को मैं तुम्हारी
उत्पत्ति ही से उठाए रहा और जन्म ही से लिये फिरता आया हूं।
यशायाह 46:4 तुम्हारे बुढ़ापे में भी मैं वैसा ही बना रहूंगा और तुम्हारे बाल पकने के समय
तक तुम्हें उठाए रहूंगा। मैं ने तुम्हें बनाया और तुम्हें लिये फिरता रहूंगा;
यशायाह 46:5 मैं तुम्हें उठाए रहूंगा और छुड़ाता भी रहूंगा। तुम किस से मेरी उपमा दोगे
और मुझे किस के समान बताओगे, किस से
मेरा मिलान करोगे कि हम एक समान ठहरें?
यशायाह 46:6 जो थैली से सोना उण्डेलते और कांटे में चान्दी तौलते हैं, जो सुनार को मजदूरी देकर उस से देवता बनवाते हैं, तब वे उसे प्रणाम करते वरन दण्डवत भी करते हैं!
यशायाह 46:7 वे उसको कन्धे पर उठा कर लिये फिरते हैं, वे उसे उसके स्थान में रख देते और वह वहीं खड़ा रहता है; वह अपने स्थान से हट नहीं सकता; यदि कोई उसकी दोहाई भी दे, तौभी न वह सुन सकता है और न विपत्ति से उसका उद्धार
कर सकता है।
यशायाह 46:8 हे अपराधियों, इस बात को स्मरण
करो और ध्यान दो, इस पर फिर मन लगाओ।
यशायाह 46:9 प्राचीनकाल की बातें स्मरण करो जो आरम्भ ही से है;
क्योंकि ईश्वर मैं ही हूं, दूसरा कोई नहीं; मैं ही परमेश्वर
हूं और मेरे तुल्य कोई भी नहीं है।
यशायाह 46:10 मैं तो अन्त की बात आदि से और प्राचीनकाल से उस बात को बताता आया हूं जो अब
तक नहीं हुई। मैं कहता हूं, मेरी युक्ति
स्थिर रहेगी और मैं अपनी इच्छा को पूरी करूंगा।
यशायाह 46:11 मैं पूर्व से एक उकाब पक्षी को अर्थात दूर देश से अपनी युक्ति के पूरा करने
वाले पुरुष को बुलाता हूं। मैं ही ने यह बात कही है और उसे पूरी भी करूंगा; मैं ने यह विचार बान्धा है और उसे सफल भी करूंगा।
यशायाह 46:12 हे कठोर मन वालो तुम जो धर्म से दूर हो, कान लगाकर मेरी सुनो।
यशायाह 46:13 मैं अपनी धार्मिकता को समीप ले आने पर हूं वह
दूर नहीं है, और मेरे उद्धार करने में
विलम्ब न होगा; मैं सिय्योन का उद्धार
करूंगा और इस्राएल को महिमा दूंगा।
एक साल में बाइबल:
- यशायाह 45-46
- 1 थिस्सलुनीकियों 3
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