मैं सोच रहा था, “बस अब वह मुझे ढूँढ़ लेगा” और मेरा
छोटा सा दिल और भी जोर से धड़कने लगा। मुझे अपने पाँच वर्षीय चचेरे भाई के निकट आते
कदमों की आहट सुन रही थी, वो निकट आता जा रहा था, और
फिर मेरे पास आकर उसने जोर से बोला “पकड़ लिया!” हम सभी के बचपन में लुका-छिपी
खेलने के साथ अनेकों यादें जुड़ी हैं। कई बार जीवन में ढूँढ़ लिए जाने का भय खेल की
बात नहीं, बच कर भाग जाने की भावना होती है। क्योंकि हमें
अपनी कुछ बातों के लिए लगता है कि यदि लोगों को उसके बारे में पता चल गया, तो वह उन्हें पसंद नहीं आएगा।
हम एक पतित संसार की संतान
हैं, और हमारे अन्दर, जैसे मेरा एक मित्र कहता है, परमेश्वर के साथ “लुका-छिपी” खेलने की प्रवृत्ति रहती है।
लेकिन वास्तव में यह छिपने का बहाना अधिक होता है, क्योंकि
हम कुछ भी कर लें, लेकिन परमेश्वर से न तो हम और न हमारी कोई
बात छिपी रहती है – वह हमारे गंदे विचारों और गलत चुनावों,
सभी के बारे में अच्छे से जानता है। हमें भी यह पता है,
लेकिन फिर भी हम यह दिखाने के प्रयास करते हैं कि मानो उसे हमारे बारे में पता
नहीं है।
परमेश्वर के वचन बाइबल हमें
बताती है, लेकिन
फिर भी परमेश्वर हमें ढूँढ़ता है; वह हमें पुकार कर कहता है, “बाहर निकल आओ; मैं तुम्हें देखना और तुमसे मिलना चाहता हूँ; तुम्हारी सबसे शर्मनाक स्थिति में भी।” यह ठीक उसी प्रकार है जैसे अदन की
वाटिका में पाप करने के बाद आदम और हव्वा छिप गए, और
परमेश्वर ने उन्हें पुकारा कि वे कहाँ हैं (उत्पत्ति 3:9)। वो कोमलता से बुलाता है, “मेरे प्रिय बच्चे, अपने छिपने के स्थान से बाहर आ जाओ, मेरे साथ अपने संबंध को फिर से ठीक कर लो।”
हमें यह बहुत जोखिम भरा लग
सकता है, और
असंगत भी, लेकिन हमारे स्वर्गीय पिता परमेश्वर की सुरक्षित
देखभाल में, हम में से प्रत्येक शान्ति और प्रसन्नता से रह
सकता है – चाहे हम ने कुछ भी क्यों न किया हो – वह सब जानता है। - जेफ़ ओल्सन
वह जो हमें पूर्णतः जानता है, हमसे बिना किसी शर्त के संपूर्ण प्रेम करता है।
और हे मेरे पुत्र सुलैमान! तू अपने पिता के परमेश्वर का ज्ञान रख, और खरे मन और प्रसन्न जीव से उसकी सेवा
करता रह; क्योंकि यहोवा मन को जांचता और विचार में जो कुछ उत्पन्न
होता है उसे समझता है। यदि तू उसकी खोज में रहे, तो वह तुझ को
मिलेगा; परन्तु यदि तू उसको त्याग दे तो वह सदा के लिये तुझ को
छोड़ देगा। - 1 इतिहास 28:9
बाइबल पाठ: उत्पत्ति 3:1-10
उत्पत्ति 3:1 यहोवा परमेश्वर ने जितने बनैले पशु बनाए थे, उन सब में सर्प धूर्त
था, और उसने स्त्री से कहा, क्या सच है, कि परमेश्वर ने कहा, कि तुम इस वाटिका के
किसी वृक्ष का फल न खाना?
उत्पत्ति 3:2 स्त्री ने सर्प से कहा, इस वाटिका के वृक्षों के फल हम खा
सकते हैं।
उत्पत्ति 3:3 पर जो वृक्ष वाटिका के बीच में है, उसके फल के विषय में परमेश्वर ने
कहा है कि न तो तुम उसको खाना और न उसको छूना, नहीं तो मर जाओगे।
उत्पत्ति 3:4 तब सर्प ने स्त्री से कहा, तुम निश्चय न मरोगे,
उत्पत्ति 3:5 वरन परमेश्वर आप जानता है, कि जिस दिन तुम उसका फल खाओगे उसी
दिन तुम्हारी आंखें खुल जाएंगी, और तुम भले बुरे का ज्ञान पाकर परमेश्वर के तुल्य हो जाओगे।
उत्पत्ति 3:6 सो जब स्त्री ने देखा कि उस वृक्ष का फल खाने में अच्छा, और देखने में मनभाऊ, और बुद्धि देने के लिये
चाहने योग्य भी है, तब उसने उस में से तोड़कर खाया; और अपने पति को भी दिया, और उसने भी खाया।
उत्पत्ति 3:7 तब उन दोनों की आंखें खुल गई, और उन को मालूम हुआ कि वे नंगे है; सो उन्होंने अंजीर के
पत्ते जोड़ जोड़ कर लंगोट बना लिये।
उत्पत्ति 3:8 तब यहोवा परमेश्वर जो दिन के ठंडे समय वाटिका में फिरता था उसका शब्द
उन को सुनाई दिया। तब आदम और उसकी पत्नी वाटिका के वृक्षों के बीच यहोवा परमेश्वर से
छिप गए।
उत्पत्ति 3:9 तब यहोवा परमेश्वर ने पुकार कर आदम से पूछा, तू कहां है?
उत्पत्ति 3:10 उसने कहा, मैं तेरा शब्द बारी
में सुन कर डर गया क्योंकि मैं नंगा था; इसलिये छिप गया।
एक साल में बाइबल:
- एस्तेर 6-8
- प्रेरितों 6
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