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सोमवार, 3 जनवरी 2022

मसीह यीशु की कलीसिया या मण्डली - पतरस पर?


क्या प्रभु ने कलीसिया कंकर/छोटे पत्थर पर बनाई है अथवा चट्टान पर

ईसाई या मसीही समाज में एक बहुत आम धारणा पाई जाती है कि प्रभु यीशु ने पतरस पर अपने कलीसिया बनाने की बात कही है; और इस धारणा का आधार मत्ती 16:18 में प्रभु द्वारा कही गई बात -और मैं भी तुझ से कहता हूं, कि तू पतरस है; और मैं इस पत्थर पर अपनी कलीसिया बनाऊंगा: और अधोलोक के फाटक उस पर प्रबल न होंगेको बनाया जाता है। किन्तु यह धारणा सही नहीं है, वचन के अनुसार नहीं है।

बाइबल की बातों को गलत समझने का सबसे बड़ा कारण है किसी एक शब्द, या वाक्यांश, या वाक्य, अथवा पद को उसके संदर्भ के बाहर लेकर उसकी ऐसी व्याख्या करना, जो संदर्भ के अनुसार देखे जाने में सही नहीं निकलती है। इसलिए बाइबल की हर बात को न केवल उसके तात्कालिक संदर्भ में देखना और समझना आवश्यक है, किन्तु बाइबल में शेष स्थानों पर उस विषय से संबंधित भागों में और क्या कहा गया है, उसे भी देखना और उन बातों के साथ अपनी व्याख्या के सामंजस्य को जाँचना भी अनिवार्य है। साथ ही, हमेशा यह ध्यान भी रखना चाहिए कि बाइबल की पुस्तकें उनके मूल स्वरूप में कभी भी अध्यायों और पदों में नहीं लिखी गई थीं वरन सामान्य लेख, कविताओं, और पत्रों के समान ही लिखी गई थीं। वर्तमान में पाया जाने वाला यह अध्यायों और पदों में विभाजन बहुत बाद में, हवाले देने और स्मरण रखने में सहायता करने के लिए किया गया। इसलिए यह विभाजन कृत्रिम है, और कई बार किसी परिच्छेद या खंड या वाक्य के विचार को पूरा हुए बिना ही बीच में काट या रोक देता है। इसलिए सही व्याख्या के लिए, संदर्भ में देखते समय, हमेशा, अपने मन में इस पदों और अध्यायों के विभाजन को हटाकर, उस संबंधित लेख को एक पूर्ण बात या विचार के अनुसार देखना, समझना, और फिर समझाना चाहिए। यदि हमारी व्याख्या तात्कालिक संदर्भ तथा उस विषय पर बाइबल के अन्य बातों के साथ मेल नहीं खाती है, तो व्याख्या गलत है, और उसे सुधारे जाने की आवश्यकता है। 

संपूर्ण बाइबल परमेश्वर का वचन है; संपूर्ण बाइबल परमेश्वर पवित्र आत्मा की प्रेरणा द्वारा लिखवाया गया है, अर्थात मूल और वास्तविक लेखक पवित्र आत्मा ही है, चाहे कलम चलाने वाले मनुष्य भिन्न हों; और यही वचन आदि में था, परमेश्वर के साथ था, परमेश्वर था, और देहधारी होकर हमारे मध्य में डेरा किया (यूहन्ना 1:1-2, 14)। इसलिए संपूर्ण बाइबल की बातों में कोई त्रुटि या परस्पर विरोधाभास संभव ही नहीं है, अन्यथा परमेश्वर में त्रुटि है, विरोधाभास है। इसलिए हर ऐसी व्याख्या जो तात्कालिक संदर्भ तथा संबंधित बातों एवं शिक्षाओं के साथ संगत नहीं है, वह गलत है, स्वीकार्य नहीं है; उसे मान और लेकर नहीं चला जा सकता है। यही बात इस धारणा को जाँचने की कसौटी भी है कि क्या वास्तव में प्रभु ने अपनी कलीसिया पतरस पर बनाने के लिए कहा है? और जाँचे जाने पर यह प्रकट हो जाता है कि प्रभु ने ऐसी कोई बात नहीं कही, ऐसा कोई आश्वासन नहीं दिया; और यह धारणा बिलकुल गलत, अनुचित और पूर्णतः अस्वीकार्य है।

हम इस धारणा का विश्लेषण तीन बातों के अंतर्गत करेंगे:

  • क्या मत्ती 16:18 में प्रभु की कलीसिया बनाने की बात पतरस के लिए थी?
  • क्या वचन में किसी अन्य स्थान पर पतरस पर कलीसिया बनाने की, उसे कलीसिया का आधार रखने की पुष्टि है?
  • क्या पतरस इस आदर और आधार के योग्य था?

आज हम इन तीन में से पहली बात को देखेंगे। इस पद और इसमें प्रभु द्वारा कही गई बात को लेकर पतरस और कलीसिया के बारे में इस बड़े असमंजस और गलत धारणा का कारण इस पद की दो बातें हैं - (i) प्रभु द्वारा कहे गएइस पत्थरको पतरस के लिए किया गया संबोधन मान लेना; और (ii) यूनानी भाषा मेंपतरसशब्द के शब्दार्थ कापत्थरअर्थ होना। मत्ती 16:18 का संदर्भ उससे पहले के पदों में कही गई प्रभु की बातों के द्वारा है। यह संदर्भ प्रभु द्वारा कहे गएइसशब्द को परिभाषित करता है, और शब्दपत्थरके वास्तविक अर्थ को प्रकट करता है। इसलिए इस पद को मत्ती 16:13 से आरंभ कर के देखना चाहिए। मत्ती 16:13-14 में प्रभु ने शिष्यों से पूछा कि लोग उसके विषय में क्या कहते हैं, और पद 15 में शिष्यों ने प्रभु के विषय लोगों के दृष्टिकोण को उसे बता दिया। फिर पद 15 में प्रभु शिष्यों से उसके लिए उन शिष्यों के दृष्टिकोण को पूछता है। इसके लिएशमौन पतरस ने उत्तर दिया, कि तू जीवते परमेश्वर का पुत्र मसीह है” (मत्ती 16:16); और पद 17 में इस उत्तर एवं दृष्टिकोण के लिए प्रभु पतरस की सराहना करता है, और उससे कहता है “...क्योंकि मांस और लहू ने नहीं, परन्तु मेरे पिता ने जो स्वर्ग में है, यह बात तुझ पर प्रगट की है। ध्यान कीजिए, प्रभु के इस वाक्य के अंतिम भाग मेंयह बातशब्द आए हैं इसके अनुसार यदि प्रभु ने पद 18 में यह पतरस के लिए कहा होता तो उचित शब्द होतेतुझ पर”, न किइस पत्थर पर। अब यदि पदों के इस कृत्रिम विभाजन को हटा कर, पद 17-19 को एक निरंतर विचार के रूप में देखें, जैसा वह मूल भाषा में लिखा गया था, तो यह समझने में कोई असमंजस नहीं होता है कि पद 18 काइस”, पद 17 केयह बातसे संबंधित है। अर्थात पद 18 काइसपद 17 में परमेश्वर पिता द्वारा पतरस को दिए गए दर्शन या भेद के प्रकटीकरण के विषय है। 

अब यहाँ पर असमंजस उत्पन्न करने वाली दूसरी बात को समझते हैं। मूल यूनानी भाषा में, इस वाक्य में, प्रभु द्वारा शब्दों का आलंकारिक प्रयोग किया गया है। ध्यान कीजिए, प्रभु के साथ पतरस की पहली भेंट में प्रभु ने उस से कहा था “...तू यूहन्ना का पुत्र शमौन है, तू कैफा, अर्थात पतरस कहलाएगा” (यूहन्ना 1:42); यहाँ प्रयुक्त शब्दकैफा, Cephas” सिरियक भाषा का शब्द है, जिसका यूनानी अनुवाद पेत्रोस है, जिससे पतरस शब्द आया है, और जैसा इस पद में लिखा गया है, सिरियककैफा, Cephas” तथा यूनानी “पेत्रोस”, दोनों ही शब्दों का अर्थ पत्थर या कंकर, अर्थात एक छोटा पत्थर होता है। मत्ती 16:18 के आरंभिक वाक्य में भी प्रभु इसी बात को उसे स्मरण करवा रहा है कि तूपेत्रोस”, अर्थातकैफा, Cephas” है। किन्तु मत्ती 16:18 में, अगले वाक्य में,इस पत्थरमें प्रभु ने “पेत्रोस” शब्द का नहीं, वरनपेत्राशब्द का प्रयोग किया, जिसका अर्थ होता हैचट्टान। इन दोनों शब्दों को अपने-अपने स्थानों पर रखने से मत्ती 16:18 इस प्रकार पढ़ा जाएगा:और मैं भी तुझ से कहता हूं, कि तू पतरस [पेत्रोस - कंकर, या छोटा पत्थर] है; और मैं इस पत्थर [पेत्रा - चट्टान, जो विशाल दृढ़, अटल होती है] पर अपनी कलीसिया बनाऊंगा: और अधोलोक के फाटक उस पर प्रबल न होंगे” 

अब, इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए, हम प्रभु द्वारा शब्दों के आलंकारिक प्रयोग, और इस वाक्य के वास्तविक अर्थ को समझ सकते हैं, जिसकी पुष्टि फिर वचन की अन्य संबंधित बातों से, तथा पतरस के बारे में विश्लेषण से भी हो जाती है। इन स्पष्टीकरणों के समावेश के साथ, प्रभु की कही बात का अभिप्राय कुछ इस प्रकार का होता -तू एक कंकर/छोटा पत्थर है। और मैं इस चट्टान पर, अर्थात पिता परमेश्वर द्वारा तुझ पर प्रकट किए गए इस अटल, दृढ़, अडिग, सत्य पर कि मैं जीवते परमेश्वर का पुत्र यीशु हूँ, अपनी कलीसिया बनाऊँगा: और अधोलोक के फाटक उस पर प्रबल न होंगे।प्रभु की यह बात वचन की अन्य बातों के साथ भी संगत है, तथा पतरस के जीवन का विश्लेषण भी यही दिखाता है कि वह प्रभु की कलीसिया का आधार कभी नहीं हो सकता था, कलीसिया उस पर नहीं बनाई जा सकती थी; और ऐसा करना वचन में त्रुटि एवं विरोधाभास ले आता है। 

यदि आप एक मसीही विश्वासी हैं, तो परमेश्वर पवित्र आत्मा की आज्ञाकारिता एवं अधीनता में वचन की सच्चाइयों को उससे समझें; किसी के भी द्वारा कही गई कोई भी बात को तुरंत ही पूर्ण सत्य के रूप में स्वीकार न करें, विशेषकर तब, जब वह बात बाइबल की अन्य बातों के साथ ठीक मेल नहीं रखती हो। 

यदि आपने प्रभु की शिष्यता को अभी तक स्वीकार नहीं किया है, तो अपने अनन्त जीवन और स्वर्गीय आशीषों को सुनिश्चित करने के लिए अभी प्रभु यीशु के पक्ष में अपना निर्णय कर लीजिए। जहाँ प्रभु की आज्ञाकारिता है, उसके वचन की बातों का आदर और पालन है, वहाँ प्रभु की आशीष और सुरक्षा भी है। प्रभु यीशु से अपने पापों के लिए क्षमा माँगकर, स्वेच्छा से तथा सच्चे मन से अपने आप को उसकी अधीनता में समर्पित कर दीजिए - उद्धार और स्वर्गीय जीवन का यही एकमात्र मार्ग है। आपको स्वेच्छा और सच्चे मन से प्रभु यीशु मसीह से केवल एक छोटी प्रार्थना करनी है, और साथ ही अपना जीवन उसे पूर्णतः समर्पित करना है। आप यह प्रार्थना और समर्पण कुछ इस प्रकार से भी कर सकते हैं, “प्रभु यीशु मैं आपका धन्यवाद करता हूँ कि आपने मेरे पापों की क्षमा और समाधान के लिए उन पापों को अपने ऊपर लिया, उनके कारण मेरे स्थान पर क्रूस की मृत्यु सही, गाड़े गए, और मेरे उद्धार के लिए आप तीसरे दिन जी भी उठे, और आज जीवित प्रभु परमेश्वर हैं। कृपया मेरे पापों को क्षमा करें, मुझे अपनी शरण में लें, और मुझे अपना शिष्य बना लें। मैं अपना जीवन आप के हाथों में समर्पित करता हूँ।सच्चे और समर्पित मन से की गई आपकी एक प्रार्थना आपके वर्तमान तथा भविष्य को, इस लोक के और परलोक के जीवन को, अनन्तकाल के लिए स्वर्गीय एवं आशीषित बना देगी।

 

एक साल में बाइबल पढ़ें:

  • उत्पत्ति 7-9      
  • मत्ती 3     

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