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शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2011

स्त्रोत

इंगलैंड के ब्रिस्टॉल शहर में जौर्ज म्यूलर २००० बच्चों के लिये अनाथालय चलाते थे। एक शाम, यह जानकर कि बच्चों के प्रातः के नाशते तक के लिये अनाथालय में भोजन सामग्री नहीं बची है, उन्होंने अपने सहकर्मियों को बुलाया, और उन्हें स्थिति से अवगत कराया। उसके बाद वे सब प्रार्थना करने बैठे। जब दो, तीन जन प्रार्थना कर चुके तो जौर्ज म्यूलर ने कहा कि "इतना काफी है, अब आईये उठकर प्रार्थना का उत्तर देने के लिये परमेश्वर का धन्यवाद करें"; इसके बाद वे सब अपने अपने स्थानों को विश्राम के लिये चले गये। प्रातः होने पर जब उन्होंने अनाथालय का प्रवेश द्वार खोलने का प्रयास किया तो किसी चीज़ के दबाव के कारण वे उसे खोलने नहीं पाये। कारण जांचने के लिये वे पिछले दरवाज़े से बाहर निकले और अनाथालय का चक्कर लगा कर प्रवेश द्वार पर पहुंचे और कारण देखा - भोजन से भरे हुए कई टोकरे जो द्वार से सटाकर रखे गए थे, जिससे द्वार खुल नहीं पा रहा था। बाद में अनाथालय के एक कार्यकर्ता ने कहा, "हम यह तो जानते हैं कि यह सब भोजन किसने भेजा, बस यह नहीं जानते कि यहां तक लेकर कौन आया।"

यदि हम मसीही विश्वासी अपने जीवन में होने वाली अनपेक्षित घटनाओं के पीछे चलने वाली प्रक्रिया को देख सकते तो पाते कि सब कुछ परमेश्वर द्वारा अद्भुत रीति से नियंत्रित और संचालित है। वह अपने प्रत्येक सन्तान की प्रत्येक आवश्यक्ता को जानता भी है और उसे पूरा करने का इंतज़ाम भी करता है। परमेश्वर कई प्रकार के सन्देशवाहक और साधन अपनी आशीशें अपने बच्चों तक पहुंचाने के लिये प्रयोग करता है। चाहे हम उसके छिपे हुए हाथ को कार्य करते नहीं देख पाते, लेकिन वह सदा हमारे लिये कार्यरत रहता है। कभी कभी हमें लगता है कि हम अपने संसाधनों के बिल्कुल अंत पर आ गये हैं, परन्तु आश्वस्त रहिये, आप का स्वर्गीय पिता स्थिति को भली भांति जानता है, और यह भी कि आपको कब किस चीज़ की आवश्यक्ता है।

जब हम स्त्रोत को जानते हैं और उस पर विश्वास रखते हैं, तो हमें उसके द्वारा उपलब्ध कराने के माध्यम, विधि और समय के लिये चिंतित या विचिलित होने की आवश्यक्ता नहीं है। हमारा दिव्य स्त्रोत ही हमारे मसीही विश्वासी जीवन में शांति और सन्तुष्टि का कारण है। - पौल वैन गौर्डर


परमेश्वर अकसर अपनी सहायता मनुष्यों द्वारा ही उपलब्ध कराता है।

...और तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता जानता है, कि तुम्हें ये सब वस्‍तुएं चाहिएं। - मत्ती ६:३२


बाइबल पाठ: मत्ती ६:२४-३४

कोई मनुष्य दो स्‍वामियों की सेवा नहीं कर सकता, क्‍योंकि वह एक से बैर ओर दूसरे से प्रेम रखेगा, वा एक से मिला रहेगा और दूसरे को तुच्‍छ जानेगा। तुम परमेश्वर और धन दोनो की सेवा नहीं कर सकते।
इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि अपने प्राण के लिये यह चिन्‍ता न करना कि हम क्‍या खाएंगे और क्‍या पीएंगे और न अपने शरीर के लिये कि क्‍या पहिनेंगे? क्‍या प्राण भोजन से, और शरीर वस्‍त्र से बढ़कर नहीं?
आकाश के पक्षियों को देखो! वे न बोते हैं, न काटते हैं, और न खत्तों में बटोरते हैं; तौभी तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता उन को खिलाता है, क्‍या तुम उन से अधिक मूल्य नहीं रखते?
तुम में कौन है, जो चिन्‍ता करके अपनी अवस्था में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है?
और वस्‍त्र के लिये क्‍यों चिन्‍ता करते हो? जंगली सोसनों पर ध्यान करो, कि वै कैसे बढ़ते हैं, वे न तो परिश्रम करते हैं, न कातते हैं।
तौभी मैं तुम से कहता हूं, कि सुलैमान भी, अपने सारे वैभव में उन में से किसी के समान वस्‍त्र पहिने हुए न था।
इसलिये जब परमेश्वर मैदान की घास को, जो आज है, और कल भाड़ में झोंकी जाएगी, ऐसा वस्‍त्र पहिनाता है, तो हे अल्पविश्वासियों, तुम को वह क्‍योंकर न पहिनाएगा?
इसलिये तुम चिन्‍ता करके यह न कहना, कि हम क्‍या खाएंगे, या क्‍या पीएंगे, या क्‍या पहिनेंगे?
क्‍योंकि अन्यजाति इन सब वस्‍तुओं की खोज में रहते हैं, और तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता जानता है, कि तुम्हें ये सब वस्‍तुएं चाहिएं।
इसलिये पहिले तुम उसके राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्‍तुएं तुम्हें मिल जाएंगी।
सो कल के लिये चिन्‍ता न करो, क्‍योकि कल का दिन अपनी चिन्‍ता आप कर लेगा; आज के लिये आज ही का दुख बहुत है।

एक साल में बाइबल:
  • लैव्यवस्था ११-१२
  • मत्ती २६:१-२५

गुरुवार, 10 फ़रवरी 2011

आवश्यक्ताएं या अभिलाषाएं?

लेखक और वक्ता चार्ल्स एलन ने अपनी पुस्तक God's Psychiatry में एक रोचक सत्य कथा लिखी है: जब दूसरा विश्वयुद्ध अपनी समाप्ति के निकट था, तब "मित्र देशों" की सेनाओं ने बहुत से अनाथ और भूखे बच्चों को विशेष कैम्पों में एकत्रित कर लिया, जहां उनकी अच्छे से देखरेख होती थी और भरपूरी से खाने को मिलता था। इतनी अच्छी देखभाल और भोजन के बावजूद भी उनमें से बहुतेरे बेचैन रहते और रात को ठीक से सो नहीं पाते थे। वे घबराये हुए और भयभीत प्रतीत होते थे। एक मनोवैज्ञनिक ने इसका कारण समझा और सुझाव दिया जो बहुत कारगर रहा। उसने कहा कि रात को सोने के लिये लेटते समय प्रत्येक बच्चे को ब्रैड का एक टुकुड़ा पकड़ने को दिया जाए। उन्हें इसे खाना नहीं था, केवल पकड़े रहना था और पकड़े पकड़े ही सो जाना था। हाथ में पकड़ी हुई रोटी के टुकड़े ने अद्भुत नतीजे दिखाए। बच्चे निष्चिंत होकर सो सके क्योंकि उन्हें अब विश्वास था कि उनके पास सवेरे के लिये रोटी है और कल उन्हें भूखा नहीं रहना होगा।

हम में से अधिकांश के पास आज और कल के लिये भी काफी भोजन और जीव्न की सभी आवश्यक्ताएं हैं। फिर भी उन बच्चों की तरह हम मन में बेचैन और परेशान रहते हैं। क्यों? या तो हम परमेश्वर की विश्वासयोग्यता पर भरोसा नहीं रखते, या हमें लगता है कि जो कुछ हमारे पास है वह हमारी आवश्यक्ताओं के लिये काफी नहीं है।

हमने अभिलषाओं और आवश्यक्ताओं को एक दूसरे से बदल डाला है - अब हमें हमारी अभिलाषाएं ही आवश्यक्ताएं प्रतीत होती हैं, और उनकी पूर्ति की चिंता हमें बेचैन रखती है।

भजन ३७:४ "यहोवा को अपने सुख का मूल जान, और वह तेरे मनोरथों को पूरा करेगा" का परमेश्वर का वायदा भी इस बात को नहीं सिखाता कि परमेश्वर हमारी हर इच्छा को पूरी करने का आश्वासन देता है। यह वायदा एक सशर्त वायदा है - पहले हमें परमेश्वर यहोवा को अपने सुख का मूल मानना है, अर्थात परमेश्वर पर पूरा विश्वास, उससे पूरा प्रेम, उसकी पूरी आज्ञाकारिता; तब ही वह हमारी इच्छाओं को पूरा भी करेगा, क्योंकि तब हमारी इच्छाएं भी स्वतः ही परमेश्वर की इच्छाओं के अनुरूप हो जाएंगीं। सच्ची सन्तुष्टि इसी से मिलती है। - डेनिस डी हॉन


सच्ची सन्तुष्टी बड़ी दौलत रखने से नहीं अपितु छोटी अभिलाषाएं रखने से मिलती है।

यहोवा को अपने सुख का मूल जान, और वह तेरे मनोरथों को पूरा करेगा। - भजन ३७:४


बाइबल पाठ: लूका १२:२२-३४

फिर उस [प्रभु यीशु] ने अपने चेलों से कहा: इसलिये मैं तुम से कहता हूं, अपने प्राण की चिन्‍ता न करो, कि हम क्‍या खाएंगे? न अपने शरीर की कि क्‍या पहिनेंगे?
क्‍योंकि भोजन से प्राण, और वस्‍त्र से शरीर बढ़कर है।
कौवों पर ध्यान दो, वे न बोते हैं, न काटते, न उन के भण्‍डार और न खत्ता होता है, तौभी परमेश्वर उन्‍हें पालता है तुम्हारा मूल्य पक्षियों से कहीं अधिक है।
तुम में से ऐसा कौन है, जो चिन्‍ता करने से अपनी अवस्था में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है?
इसलिये यदि तुम सब से छोटा काम भी नहीं कर सकते, तो और बातों के लिये क्‍यों चिन्‍ता करते हो?
सोसनों के पौधों पर ध्यान करो कि वे कैसे बढ़ते हैं; वे न परिश्र्म करते, न कातते हैं: तौभी मैं तुम से कहता हूं, कि सुलैमान भी, अपने सारे वैभव में, उन में से किसी एक के समान वस्‍त्र पहिने हुए न था।
इसलिये यदि परमेश्वर मैदान की घास को जो आज है, और कल भाड़ में झोंकी जाएगी, ऐसा पहिनाता है तो हे अल्प विश्वासियों, वह तुम्हें क्‍यों न पहिनाएगा?
और तुम इस बात की खोज में न रहो, कि क्‍या खाएंगे और क्‍या पीएंगे, और न सन्‍देह करो।
क्‍योंकि संसार की जातियां इन सब वस्‍तुओं की खोज में रहती हैं: और तुम्हारा पिता जानता है, कि तुम्हें इन वस्‍तुओं की आवश्यकता है।
परन्‍तु उसके राज्य की खोज में रहो, तो ये वस्‍तुऐं भी तुम्हें मिल जाएंगी।
हे छोटे झुण्‍ड, मत डर क्‍योंकि तुम्हारे पिता को यह भाया है, कि तुम्हें राज्य दे।
अपनी संपत्ति बेचकर दान कर दो और अपने लिये ऐसे बटुए बनाओ, जो पुराने नहीं होते, अर्थात स्‍वर्ग पर ऐसा धन इकट्ठा करो जो घटता नहीं और जिस के निकट चोर नहीं जाता, और कीड़ा नहीं बिगाड़ता।
क्‍योंकि जहां तुम्हारा धन है, वहां तुम्हारा मन भी लगा रहेगा।

एक साल में बाइबल:
  • लैव्यवस्था ८-१०
  • मत्ती २५:३१-४६

बुधवार, 9 फ़रवरी 2011

न परमेश्वर है, न आलू!

एक कम्यूनिस्ट देश में एक सामाजिक संसाधन अधिकारी गांव के एक किसान के पास पहुंचा और उसकी आलू की फसल के बारे जानना चाहा। किसान ने कहा "फसल तो बहुत बढ़िया रही।" अधिकरी प्रसन्न होकर बोला, "बहुत अच्छे, बहुत अच्छे - कितनी फसल हुई?" किसान ने बोला, "ओह, फसल तो परमेश्वर जैसी बढ़िया हुई।" अधिकारी की भृकुटि तन गई और वह सखत भाव से बोला, "कॉमरेड, तुम्हें नहीं भूलना चहिये कि हम किसी परमेश्वर में विश्वास नहीं करते और कोई परमेश्वर नहीं है।" किसान ने कहा, "जनाब आप सही कह रहे हैं, मैं भी वही कह रहा हूँ - न परमेश्वर है, न आलू!"

इस हास्य कथा में एक गहरा अर्थ छुपा है - परमेश्वर ही हर बात का स्त्रोत है - चाहे हम इसे माने या न माने। प्रेरित पौलुस ने अपने अविश्वासी श्रोताओं से कहा "क्‍योंकि हम उसी में जीवित रहते, और चलते-फिरते, और स्थिर रहते हैं" (प्रेरितों १७:२८)। उसने परमेश्वर के सृष्टि की रचना और संचालन के महान कार्यों को परमेश्वर के पुत्र प्रभु यीशु मसीह में केंद्रित दिखाया (कुलुस्सियों १:१६-१८)। उसके बिना हम एक सांस भी नहीं ले सकते, हमारे शरीर कुछ नहीं कर सकते और हमारी प्रतिदिन की आवश्यक्ताएं पूरी नहीं हो सकतीं; कहने का तात्पर्य यह है कि जीवन संभव नहीं है।

नास्तिकों ने अपने आप को कायल कर रखा है कि परमेश्वर नहीं है, लेकिन हम जो प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर की संतान हैं, इससे भिन्न जानते हैं। लेकिन मुख्य प्रश्न तो यह है कि क्या हम अपने इस विश्वास को अपने जीवन द्वारा प्रदर्शित भी करते हैं?

प्रत्येक मसीही विश्वासी को प्रतिदिन अपनी प्रत्येक आवश्यक्ता के लिये अपने उद्धारकर्ता प्रभु पर आश्रित और आश्वस्त रहना चाहिये, और उसके अनुग्रहकारी हाथों से मिली अपनी प्रत्येक आशीश के लिये निरंतर उसका धन्यवादी और कृतज्ञ रहना चाहिए, और अपने जीवन से इस बात की गवाही संसार के समक्ष रखनी चाहिए। - डेनिस डी हॉन


संसाधनों और आवश्यक्ता पूर्ति की शेष कड़ियां किसी के भी हाथों में प्रतीत हों, पहली कड़ी सदा परमेश्वर ही के हाथ में होती है।

क्‍योंकि हम उसी में जीवित रहते, और चलते-फिरते, और स्थिर रहते हैं" - प्रेरितों १७:२८


बाइबल पाठ: कुलुस्सियों १:९-१९

इसी लिये जिस दिन से यह सुना है, हम भी तुम्हारे लिये यह प्रार्थना करने और बिनती करने से नहीं चूकते कि तुम सारे आत्मिक ज्ञान और समझ सहित परमेश्वर की इच्‍छा की पहिचान में परिपूर्ण हो जाओ।
ताकि तुम्हारा चाल-चलन प्रभु के योग्य हो, और वह सब प्रकार से प्रसन्न हो, और तुम में हर प्रकार के भले कामों का फल लगे, और परमेश्वर की पहिचान में बढ़ते जाओ।
और उस की महिमा की शक्ति के अनुसार सब प्रकार की सामर्थ से बलवन्‍त होते जाओ, यहां तक कि आनन्‍द के साथ हर प्रकार से धीरज और सहनशीलता दिखा सको।
और पिता का धन्यवाद करते रहो, जिस ने हमें इस योग्य बनाया कि ज्योति में पवित्र लोगों के साथ मीरास में समभागी हों।
उसी ने हमें अन्‍धकार के वश से छुड़ाकर अपने प्रिय पुत्र के राज्य में प्रवेश कराया।
जिस से हमें छुटकारा अर्थात पापों की क्षमा प्राप्‍त होती है।
वह तो अदृश्य परमेश्वर का प्रतिरूप और सारी सृष्‍टि में पहिलौठा है।
क्‍योंकि उसी में सारी वस्‍तुओं की सृष्‍टि हुई, स्‍वर्ग की हो अथवा पृथ्वी की, देखी या अनदेखी, क्‍या सिंहासन, क्‍या प्रभुतांए, क्‍या प्रधानताएं, क्‍या अधिकार, सारी वस्‍तुएं उसी के द्वारा और उसी के लिये सृजी गई हैं।
और वही सब वस्‍तुओं में प्रथम है, और सब वस्‍तुएं उसी में स्थिर रहती हैं।
और वही देह, अर्थात कलीसिया का सिर है, वही आदि है और मरे हुओं में से जी उठने वालों में पहिलौठा कि सब बातों में वही प्रधान ठहरे।
क्‍योंकि पिता की प्रसन्नता इसी में है कि उस में सारी परिपूर्णता वास करे।

एक साल में बाइबल:
  • लैव्यवस्था ६-७
  • मत्ती २५:१-३०

मंगलवार, 8 फ़रवरी 2011

हस्ताक्षरित बलैंक चैक

पाद्री विलबर चैपमैन के परिवार में घटी एक त्रासदी के कारण उन्हें बहुत दूर की यात्रा करनी पड़ी। एक बैंक अधिकारी, जो उनके चर्च आया करता था, उनके यात्रा पर प्रस्थान से ठीक पहले उनसे मिला, और बात करते करते उनके हाथ में एक कागज़ पकड़ा दिया। जब चैपमैन ने उसे देखा तो वह उनके नाम पर बनाया गया चैक था जिसमें रकम तो नहीं भरी गई थी पर उस बैंक अधिकारी के हस्ताक्षर हो रखे थे। आश्चर्यचकित चैपमैन ने उस अधिकारी से पूछा, "यानि कि आप मुझे एक हस्ताक्षरित चैक दे रहें हैं जिस में मैं अपनी इच्छानुसर रकम भर कर बैंक से निकाल सकता हूँ?" उस अधिकरी ने कहा, "जी हां, क्योंकि मुझे पता नहीं कि आपको कितनी सहायता की आवश्यक्ता हो सकती है, इसलिये अपनी आवश्यक्ता अनुसार आप रकम भर कर इसे प्रयोग कर सकते हैं।" चैपमैन ने बड़े धन्यवाद सहित उस भेंट को स्वीकार करके अपने पास रख लिया।

बाद में उन्होंने बताया, "मुझे उस चैक से कोई पैसा निकलवाने की ज़रूरत तो नहीं पड़ी, लेकिन उस यात्रा में वह मेरे लिये बहुत सन्तुष्टि का कारण रहा। इस जानकरी ने कि कभी भी, मेरी आवश्यक्तानुसार धन मेरे लिये सहज ही उपलब्ध है, पूरी यात्रा में एक सुखदायक अनुभूति बनाए रखी।"

यद्यपि मनुष्य के संसाधन परमेश्वर के संसधनों के सामने तो कुछ भी नहीं हैं, तौभी यह कथा इस तथ्य को समझने में हमारी सहायता करती है कि प्रभु यीशु में होकर परमेश्वर के अपार संसाधन उसके लोगों के लिये उपलब्ध हैं। इस विष्य में हमारे मन में यदि कभी कोई संदेह या चिंता आए तो हमें फिलिप्पियों ४:१९ को देख लेना चहिये - परमेश्वर द्वारा हस्ताक्षरित बलैंक चैक, जो उसने अपने विश्वास्योग्य और आज्ञाकरी जन के लिये तैयार करके दे रखा है; जो इस बात की गारंटी है कि परमेश्वर के महिमामय संसाधन कभी कम नहीं होते।

हम मसीही विश्वासी इस बलैंक चैक पर भरोसा रख सकते हैं क्योंकि हस्ताक्षर करने वाला स्वयं परमेश्वर है। - पौल वैन गोर्डर


परमेश्वरीय संसाधन कभी क्षय नहीं होते।

और मेरा परमश्‍ेवर भी अपने उस धन के अनुसार जो महिमा सहित मसीह यीशु में है तुम्हारी हर एक घटी को पूरी करेगा। - फिलिप्पियों ४:१९


बाइबल पाठ: फिलिप्पियों ४:१०-१९

मैं प्रभु में बहुत आनन्‍दित हूं कि अब इतने दिनों के बाद तुम्हारा विचार मेरे विषय में फिर जागृत हुआ है, निश्‍चय तुम्हें आरम्भ में भी इस का विचार था, पर तुम्हें अवसर न मिला।
यह नहीं कि मैं अपनी घटी के कारण यह कहता हूं क्‍योंकि मैं ने यह सीखा है कि जिस दशा में हूं, उसी में सन्‍तोष करूं।
मैं दीन होना भी जानता हूं और बढ़ना भी जानता हूं: हर एक बात और सब दशाओं में तृप्‍त होना, भूखा रहना, और बढ़ना-घटना सीखा है।
जो मुझे सामर्थ देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूं।
तौभी तुम ने भला किया, कि मेरे क्‍लेश में मेरे सहभागी हुए।
और हे फिलप्‍पियों, तुम आप भी जानते हो, कि सुसमाचार प्रचार के आरम्भ में जब मैं ने मकिदुनिया से कूच किया तब तुम्हें छोड़ और किसी मण्‍डली ने लेने देने के विषय में मेरी सहायता नहीं की।
इसी प्रकार जब मैं यिस्‍सलुनीके में था तब भी तुम ने मेरी घटी पूरी करने के लिये एक बार क्‍या वरन दो बार कुछ भेजा था।
यह नहीं कि मैं दान चाहता हूं परन्‍तु मैं ऐसा फल चाहता हूं, जो तुम्हारे लाभ के लिये बढ़ता जाए।
मेरे पास सब कुछ है, वरन बहुतायत से भी है: जो वस्‍तुएं तुम ने इपफ्रुदीतुस के हाथ से भेजी थीं उन्‍हें पाकर मैं तृप्‍त हो गया हूं, वह तो सुगन्‍ध और ग्रहण करने के योग्य बलिदान है, जो परमेश्वर को भाता है।
और मेरा परमश्‍ेवर भी अपने उस धन के अनुसार जो महिमा सहित मसीह यीशु में है तुम्हारी हर एक घटी को पूरी करेगा।

एक साल में बाइबल:
  • लैव्यवस्था ४-५
  • मत्ती २४:२९-५१

सोमवार, 7 फ़रवरी 2011

यहोवा यिरे

एक नवविवाहिता युवती ने अपने कुछ मित्रों को भोजन पर बुलाया। कुछ आवश्यक वस्तुओं की कमी को देखकर वह अपनी पड़ौसिन के पास उन्हें उससे उधार लेने के लिये गई। उसकी मांगी हुई वस्तुओं को देने के बाद पड़ौसन ने, जो मेज़बानी में अनुभवी थी, उससे पूछा "क्या यह काफी होगा, या तुम्हें किसी अन्य चीज़ की भी आवश्यक्ता होगी?" युवती ने कहा "मुझे लगता है कि यह काफी होगा।" तब उसकी पड़ौसन ने कुछ और वस्तुएं भी अपने पास से उसे निकाल कर दीं और कहा कि इन्हें भी रख लो, तुम्हें इनकी भी आवश्यक्ता पड़ेगी। बाद में उस युवती ने बहुत धन्यवादी मन से कहा "भला हुआ कि मैं किसी ऐसे के पास गई जो मेरी आवश्यकता को जानती थी, मेरी सहायता करने को तत्पर थी और उसने मुझे वह दिया जिस की मुझे आवश्यक्ता थी, न कि वह जो मैं चाहती थी।"

यह उदाहरण परमेश्वर का हमारे प्रति बर्ताव का कितना अच्छा चित्रण है। बाइबल के पुराने नियम में परमेश्वर के नाम "यहोवा" के साथ उसके किसी विशेष गुण को दर्शाने वाला शब्द जोड़कर उसके नाम के अर्थ को समझाया गया है। इब्राहिम ने जिस जगह बलिदान का मेढ़ा पाया, उस स्थान का नाम "यहोवा यिरे" अर्थात "परमेश्वर उपलब्ध करायेगा" रखा। यह दर्शाता है कि परमेश्वर हमारी आवश्यक्ताओं को पहले से जानता है और उनका प्रबंध भी करके रखता है।

आज भी, अपने पुत्र के बलिदान के द्वारा, उसने समस्त मानव जाति की सबसे बड़ी आवश्यक्ता - पापों से मुक्ति, का प्रबंध उपलब्ध करा रखा है। उसके पुत्र प्रभु यीशु में विश्वास के द्वारा न केवल हमको पापों से मुक्ति और उद्धार मिलता है, वरन परमेश्वर का आत्मा भी हमारे अन्दर आकर बसता है और हमें परमेश्वर की इच्छा पूरी करने की सामर्थ भी देता है।

"जिस ने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्‍तु उसे हम सब के लिये दे दिया: वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्‍योंकर न देगा।" - रोमियों ८:३२

यहोवा यिरे - उपलब्ध कराने वाला हमारा परमेश्वर। - पौल वैन गोर्डर


जिस काम के लिये परमेश्वर कहता है, उसकी आवश्यक्ताएं उपलब्ध भी कराता है।

और इब्राहीम ने उस स्थान का नाम यहोवा यिरे रखा : इसके अनुसार आज तक भी कहा जाता है, कि यहोवा के पहाड़ पर उपाय किया जाएगा। - उत्पत्ति २२:१४


बाइबल पाठ: रोमियों ८:२६-३४

इसी रीति से आत्मा भी हमारी र्दुबलता में सहायता करता है, क्‍योंकि हम नहीं जानते, कि प्रार्थना किस रीति से करना चाहिए, परन्‍तु आत्मा आप ही ऐसी आहें भर भरकर जो बयान से बाहर है, हमारे लिये बिनती करता है।
और मनों का जांचने वाला जानता है, कि आत्मा की मनसा क्‍या है क्‍योंकि वह पवित्र लोगों के लिये परमेश्वर की इच्‍छा के अनुसार बिनती करता है।
और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्‍पन्न करती है; अर्थात उन्‍हीं के लिये जो उस की इच्‍छा के अनुसार बुलाए हुए हैं।
क्‍योंकि जिन्‍हें उस ने पहिले से जान लिया है उन्‍हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्‍वरूप में हों ताकि वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे।
फिर जिन्‍हें उस ने पहिले से ठहराया, उन्‍हें बुलाया भी, और जिन्‍हें बुलाया, उन्‍हें धर्मी भी ठहराया है, और जिन्‍हें धर्मी ठहराया, उन्‍हें महिमा भी दी है।
सो हम इन बातों के विषय में क्‍या कहें? यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है?
जिस ने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्‍तु उसे हम सब के लिये दे दिया: वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्‍यों कर न देगा?
परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्वर वह है जो उनको धर्मी ठहराने वाला है।
फिर कौन है जो दण्‍ड की आज्ञा देगा? मसीह वह है जो मर गया वरन मुर्दों में से जी भी उठा, और परमेश्वर की दाहिनी ओर है, और हमारे लिये निवेदन भी करता है।

एक साल में बाइबल:
  • लैव्यवस्था १-३
  • मत्ती २४:१-२८

रविवार, 6 फ़रवरी 2011

प्रभु संगति का भोज

एक बुज़ुर्ग दम्पति के पास आमदनी का कोई साधन नहीं था। उनका गुज़रा हर सप्ताह उनके चर्च में आने वाले एक व्यक्ति से मिलने वाली पैसों कि मदद से चलता था। एक इतवार की दोपहर को उस मददगार व्यक्ति को, जो वहां से कहीं दूर रहता था, उसी स्थान पर रहने की आवश्यक्ता हुई। उसने उस बुज़ुर्ग दम्पति से पूछा, "क्या आज प्रातः की आराधना सभा के बाद मैं आपके साथ भोजन के लिये आ सकता हूँ?" उस दम्पति ने अपने पास उस दोपहर के भोजन के लिये घर में बची सामग्री के बारे में सोचा - थोड़ी सी बासी ब्रेड, थोड़ा सा मक्खन और एक ज़रा सा पनीर का टुकड़ा। लेकिन उस व्यक्ति ने तुरंत ही उनसे कहा, "चिंता मत कीजिए, मैं अपने साथ भोजन लाया हूँ और वह हम तीनों के लिये काफी होगा।" उस दोपहर उन तीनो ने मिलकर घर की बनी ताज़ी रोटी और मक्खन और कई प्रकार की उत्तम भोजन सामग्री, जो काफी मात्रा में थी, का आनन्द लिया। यह व्यक्ति न केवल उनके साथ भोजन करने आया था, वरन अपने साथ उत्तम भोजन भी लेकर आया था।

यह दर्शाता है हमारे साथ हमारे उद्धरकर्ता प्रभु यीशु के संबंध को। प्रभु यीशु न केवल हमारे संग संगति रखना चाहता है, परन्तु हमारी हर आवश्यक्ता को भी पूरा करना चाहता है। जब हम उसे अपने हृदय में आमंत्रित करके उसके साथ हो जाते हैं तो वह अपनी आशीशें भी हमारे जीवन में भर देता है।

हमारे पास तो सिवाय अपनी आत्मिक बदहाली के, उसके समने रखने को और कुछ भी नहीं है, लेकिन वह अपने अनुग्रह की बहुतायत साथ लेकर आना चाहता है।

कैसा धन्य है उसके साथ हमें संगति करने का सौभाग्य, कितनी धन्य हैं वे बहुतायत की आशीशें जो वह हमारे लिये लेकर हमारे निमंत्रण की प्रतीक्षा में खड़ा है। - पौल वैन गोर्डर


अनुग्रह परमेश्वर की वह बहुतायत है जो वह सर्वथा अयोग्य व्यक्तियों को भी अपने बड़े प्रेम में होकर सेंतमेंत देता है।

...मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूंगा, और वह मेरे साथ। - प्रकाशितवाक्य ३:२०


बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य ३:१४-२२

और लौदीकिया की कलीसिया के दूत को यह लिख, कि, जो आमीन, और विश्वासयोग्य, और सच्‍चा गवाह है, और परमेश्वर की सृष्‍टि का मूल कारण है, वह यह कहता है।
कि मैं तेरे कामों को जानता हूं कि तू न तो ठंडा है और न गर्म: भला होता कि तू ठंडा या गर्म होता।
सो इसलिये कि तू गुनगुना है, और न ठंडा है और न गर्म, मैं तुझे अपने मुंह से उगलने पर हूं।
तू जो कहता है, कि मैं धनी हूं, और धनवान हो गया हूं, और मुझे किसी वस्‍तु की घटी नहीं, और यह नहीं जानता, कि तू अभागा और तुच्‍छ और कंगाल और अन्‍धा, और नंगा है।
इसी लिये मैं तुझे सम्मति देता हूं, कि आग में ताया हुआ सोना मुझ से मोल ले, कि धनी हो जाए; और श्वेत वस्‍त्र ले ले कि पहिनकर तुझे अपने नंगेपन की लज्ज़ा न हो; और अपनी आंखों में लगाने के लिये सुर्मा ले, कि तू देखने लगे।
मैं जिन जिन से प्रीति रखता हूं, उन सब को उलाहना और ताड़ना देता हूं, इसलिये सरगर्म हो, और मन फिरा।
देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूं, यदि कोई मेरा शब्‍द सुन कर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूंगा, और वह मेरे साथ।
जो जय पाए, मैं उसे अपने साथ अपने सिंहासन पर बैठाऊंगा, जैसा मैं भी जय पाकर अपने पिता के साथ उसके सिंहासन पर बैठ गया।
जिस के कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्‍या कहता है।

एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन ३९-४०
  • मत्ती २३:२३-३९

शनिवार, 5 फ़रवरी 2011

हमारा उपलब्ध कराने वाला परमेश्वर

इब्राहिम की मनोस्थिति का अन्दाज़ा कीजिए जब परमेश्वर ने उससे कहा कि अपने पुत्र इसहाक को बलिदान कर दे। ज़रा विचार कीजिए कि इब्राहिम के अन्दर कैसी भावनाएं चल रही होंगी जब वह मोरिय्यह के पर्वत पर अपने पुत्र के साथ, परमेश्वर की आज्ञा अनुसार उसे बलिदान करने को चढ़ रहा था, और जब उसके पुत्र ने उससे पूछा कि बलि का मेढ़ा कहां है? लेकिन परमेश्वर पर इब्राहिम का विश्वास ज़रा नहीं डगमगाया, और उसने अपने पुत्र से कहा, कि परमेश्वर मेढ़ा भी उपलब्ध कराएगा। इब्रहिम सही था। जब इब्राहिम ने अपने पुत्र को वेदी पर रख दिया और उसे बलिदान करने के लिये अपना हाथ उठाया, ऐन मौके पर परमेश्वर ने उसका हाथ रोक कर, वहां झाड़ी में फंसा बलिदान का मेढ़ा उसे दे दिया। इब्राहिम ने उस स्थान का नाम "यहोवा यीरे" रखा, जिसका अर्थ है "परमेश्वर उपलब्ध कराएगा।"

आज भी वह उपलब्ध कराने वाला परमेश्वर है। एक चिकित्सक दम्पति डॉ. रौबर्ट शिंडलर और उनकी पत्नि मेरियन ने लाईबीरिया देश में ELWA रेडियो स्टेशन के साथ मिलकर एक मिशन अस्पताल खोला। उन्होंने लिखा कि, "हमारे लिये यह एक प्रतिदिन निरंतर विश्वास से चलने और काम करने की बात थी कि मरीज़ों के इलाज के लिये हमारी सभी सही आवश्यक्ताएं सही समय पर पूरी भी हो जाएंगी। हमें याद है कि हम अपनी एक्स-रे मशीन पर कितना निर्भर थे, एक ऐसी बुनियादी सुविधा जिसे हम अपने देश में कोई खास महत्व नहीं देते, लेकिन उस स्थान पर हमारे लिये वह बहुत बहुमूल्य थी। जब अमेरीकी दूतावास में चिकित्सक के पद पर कार्य कर रहा हमारा एक मित्र हमें मिलने आया और उसने हमें एक सचल एक्स-रे मशीन भेंट देने का प्रस्ताव किया, तो हम बहुत उत्सहित हुए। लेकिन महीनों बीतने पर भी जब कोई मशीन नहीं आई तो हमारी उम्मीद धूमिल हो गई और हमने सोच लिय कि वह कहीं समुद्र् में खो गई होगी। फिर एक दिन हमारी एकलौती एक्स-रे मशीन ने भी काम करना बन्द कर दिया। लेकिन उस ही दोपहर को ELWA का एक बड़ा सा ट्रक एक बड़े से क्रेट को लेकर हमारे अस्पताल पर आकर रुका। जी हां, आपका अन्दाज़ा सही है, उसमें वह सचल एक्स-रे मशीन थी जिसका हमें महीनों से इंतिज़ार था। हमारे विश्वासयोग्य परमेश्वर ने ऐन मौके पर हमारी आवश्यक्ता को उपलब्ध करवा दिया।"

हे प्रभु आपका धन्यवाद हो कि आप हमारे "उपलब्ध करवाने वाले परमेश्वर" हैं। - डेव एगनर


परमेश्वर की देने की क्षमता हमारी आव्श्यक्ताओं से सदा बड़ी रहती है।

इब्राहीम ने कहा, हे मेरे पुत्र, परमेश्वर होमबलि की भेड़ का उपाय आप ही करेगा। - उत्पत्ति २२:८


बाइबल पाठ: उत्पत्ति २२:१-१४

इन बातों के पश्चात्‌ ऐसा हुआ कि परमेश्वर ने, इब्राहीम से यह कहकर उसकी परीक्षा की, कि हे इब्राहीम, उस ने कहा, देख, मैं यहां हूं।
उस ने कहा, अपने पुत्र को अर्थात अपने एकलौते पुत्र इसहाक को, जिस से तू प्रेम रखता है, संग लेकर मोरिय्याह देश में चला जा, और वहां उसको एक पहाड़ के ऊपर जो मैं तुझे बताऊंगा होमबलि करके चढ़ा।
सो इब्राहीम बिहान को तड़के उठा और अपने गदहे पर काठी कसकर अपने दो सेवक, और अपने पुत्र इसहाक को संग लिया, और होमबलि के लिये लकड़ी चीर ली, तब कूच करके उस स्थान की ओर चला, जिसकी चर्चा परमेश्वर ने उस से की थी।
तीसरे दिन इब्राहीम ने आंखें उठाकर उस स्थान को दूर से देखा।
और उस ने अपने सेवकों से कहा गदहे के पास यहीं ठहरे रहो; यह लड़का और मैं वहां तक जाकर, और दण्डवत करके, फिर तुम्हारे पास लौट आएंगे।
सो इब्राहीम ने होमबलि की लकड़ी ले अपने पुत्र इसहाक पर लादी, और आग और छुरी को अपने हाथ में लिया, और वे दोनों एक साथ चल पड़े।
इसहाक ने अपने पिता इब्राहीम से कहा, हे मेरे पिता, उस ने कहा, हे मेरे पुत्र, क्या बात है? उस ने कहा, देख, आग और लकड़ी तो हैं, पर होमबलि के लिये भेड़ कहां है?
इब्राहीम ने कहा, हे मेरे पुत्र, परमेश्वर होमबलि की भेड़ का उपाय आप ही करेगा।
सो वे दोनों संग संग आगे चलते गए। और वे उस स्थान को जिसे परमेश्वर ने उसको बताया या पहुंचे; तब इब्राहीम ने वहां वेदी बनाकर लकड़ी को चुन चुनकर रखा, और अपने पुत्र इसहाक को बान्ध के वेदी पर की लकड़ी के ऊपर रख दिया।
और इब्राहीम ने हाथ बढ़ाकर छुरी को ले लिया कि अपने पुत्र को बलि करे।
तब यहोवा के दूत ने स्वर्ग से उसको पुकार के कहा, हे इब्राहीम, हे इब्राहीम; उस ने कहा, देख, मैं यहां हूं।
उस ने कहा, उस लड़के पर हाथ मत बढ़ा, और न उस से कुछ कर : क्योंकि तू ने जो मुझ से अपने पुत्र, वरन अपने एकलौते पुत्र को भी, नहीं रख छोड़ा इस से मैं अब जान गया कि तू परमेश्वर का भय मानता है।
तब इब्राहीम ने आंखे उठाई, और क्या देखा, कि उसके पीछे एक मेढ़ा अपने सींगो से एक झाड़ी में फंसा हुआ है : सो इब्राहीम ने जाके उस मेंढ़े को लिया, और अपने पुत्र की सन्ती होमबलि करके चढ़ाया।
और इब्राहीम ने उस स्थान का नाम यहोवा यिरे रखा : इसके अनुसार आज तक भी कहा जाता है, कि यहोवा के पहाड़ पर उपाय किया जाएगा।

एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन ३६-३८
  • मत्ती २३:१-२२